कॉलेज गर्ल की क़सी हुई बुर- 5

(Hawas Sex Ki Lund Ki)

हवस सेक्स की, लंड की उस लड़की को मेरे कमरे में ले आई. उसे पूरी नंगी करके मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और उसकी चूत में लंड पेलने को तैयार था. लड़की बड़े लंड से घबरा रही थी.

कहानी के चौथे भाग
कॉलेज गर्ल की चूत में लंड पेलने की तैयारी
में आपने पढ़ा कि हवस सेक्स की, लंड की उस लड़की को इतनी थी कि वह खुद मेरे कमरे में आ गई. अब मैं उसे पूरी नंगी कर चुका था, उसकी चूत में लंड पेलने की तैयारी कर चुका था.

अब आगे हवस सेक्स की, लंड की:

अब मैं पूनम के ऊपर से उठा और पास रखे नारियल के तेल को अपने लंड पर अच्छे से लगाया।
तेल लगाते ही मेरा लंड लाइट में चमकने लगा, उसकी नसों का उभार साफ-साफ दिखने लगा।

पूनम मेरे लंड को देखकर घबराई हुई थी।

मैं फिर से पूनम के पास आया और उसकी टाँगों को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया।

जैसे ही उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखीं, उसकी गांड थोड़ी ऊपर उठ गई जिससे उसकी बुर बिल्कुल मेरे लंड के सामने आ गई।

अब हम बिल्कुल मिशनरी पोज़ीशन में आ चुके थे।
जहाँ मुझे पूनम की तनी हुई चूचियाँ और चेहरा साफ-साफ दिख रहा था।

मैंने जैसे ही अपने लंड का सुपारा पूनम की बुर में सटाया, पूनम बेड पर मचल उठी और उसने कसके चादर पकड़ ली।

अब तक पूनम ने मेरे लंड के सुपारे का आभास कर लिया था और थोड़ा पीछे हटने की कोशिश की।
लेकिन मेरे हाथों ने पूनम की कमर को कसके पकड़ रखा था जिससे पूनम अपनी कोशिश में नाकामयाब हो गई।

इधर मेरे लंड का सुपारा उसकी बुर की दरार तक पहुँच चुका था।

जैसे ही मेरे लंड का सुपारा बुर की दरार में फँसा, पूनम पूरी तरह से सहम गई।
फिर धीरे-धीरे मेरे लंड का सुपारा बुर की दरार में ऊपर-नीचे होने लगा।

जिससे पूनम पूरी तरह उत्तेजना में मचल उठी, उसकी ‘आह्ह्ह उफ्फ’ की आवाज़ें निकलने लगीं।

मेरे लंड की गर्मी पूनम की बुर के लिए असहनीय हो गई।
उसकी बुर से हल्की-हल्की कामरस निकलने लगी जो मेरे लंड को महसूस होने लगी।

उसके कामरस ने मेरी उत्तेजना को और बढ़ा दिया।

इधर मेरा लंड उसकी बुर की दरार में और तेज़ी से ऊपर-नीचे होने लगा।

मेरे लंड की गर्मी पूनम बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसके मुँह से निकल ही गया, “उफ्फ्फ अभय, और मत तड़पाओ, प्लीज़ घुसा दो अपने लंड को मेरी बुर में।”
ये सुनते ही मेरा लंड उसकी बुर की दरार को रगड़ते हुए उसकी गुलाबी बुर की छेद में फँस गया।

जैसे ही मेरा लंड बुर की छेद में फँसा, पूनम पूरी तरह डर गई।
उसका डर उसके चेहरे पर साफ-साफ दिख रहा था।

मैंने धीरे से उसके होंठों को चूमा और उसकी कमर पकड़कर एक जोर का धक्का उसकी बुर में मारा।

मेरा लंड उसकी बुर को फाड़ते हुए आधा अंदर तक घुस गया।

लंड के अंदर घुसते ही पूनम के मुँह से जोर की चीख निकल गई, “आह्ह्ह उईईम्मा, बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज बाहर निकालो।”

पूनम दर्द से तड़पने लगी और दर्द को छुपाने के लिए उसने कसके चादर को पकड़ रखा था।

लंड अंदर घुसते ही उसकी बुर से हल्की-सी मूत निकल गई जो गर्म-गर्म मेरे लंड पर महसूस होने लगी।

अब तक मैंने उसकी टाँगों को अपने कंधे से हटाकर अपनी कमर में लपेट लिया था और पूनम की चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए धीरे-धीरे चूसने लगा।

जैसे-जैसे उसकी चूचियाँ चूस रहा था, पूनम का दर्द कम होने लगा।

जैसे ही उसके होंठों को चूसना शुरू किया, पूनम का दर्द कम हो गया और उसे भी लंड की गर्मी से थोड़ा-थोड़ा मजा आने लगा था।

अब मैंने धीरे-धीरे पूनम की चुदाई शुरू कर दी थी।

लेकिन अभी आधा लंड बाहर ही था।
मैं वैसे ही धीरे-धीरे पूनम को पेलने लगा।

पूनम को भी अब मजा आने लगा था।
वो भी अपनी कमर उठा-उठाकर लंड को थोड़ा-थोड़ा अंदर-बाहर ले रही थी।

पूनम की बुर पूरी तरह से कसी हुई थी।
उसने मेरे आधे लंड को कसके जकड़ लिया था।

अब बारी थी पूरे लंड को बुर में पेलने की।

हवस सेक्स की, लंड की मारी पूनम को लग रहा था शायद उसने पूरा लंड बुर में ले लिया है।
इसलिए उसके चेहरे पर खुशी दिख रही थी।

अब मैं भी पूनम को धीरे-धीरे चोदते हुए उसके कान के पास गया और पूछा, “पूनम, लंड घुसते ही तुम्हें कहाँ पर दर्द हुआ?”
पूनम पहले तो शरमाई, फिर वासनामयी स्वर में बोली, “मेरी बुर में।”

ये सुनते ही मेरा लंड उत्तेजनावश और तेजी से पूनम की बुर चोदने लगा।

फिर मैंने पूनम के कान में धीरे से बोला, “पूनम, अभी तो आधा ही लंड बुर में घुसा है।”

ये सुनते ही पूनम सहम गई, बोली, “प्लीज अभय, और अंदर मत पेलना लंड को। बहुत दर्द हो रहा है बुर में।”
मैं बोला, “ठीक है पूनम, ऐसे ही चुदाई करूँगा।”

अब मैं और तेजी से लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
जिससे पूनम को और मजा आने लगा।
पूनम भी गांड उठा-उठाकर लंड अंदर-बाहर लेने लगी, वह चुदाई से मस्त होने लगी।

और उसके मुँह से “आह्ह्ह उफ्फ्फ उईईई” की कामुक सिसकारियाँ निकल रही थीं।

मैं समझ गया कि यही सही मौका है पूरा लंड बुर में डालने का।

मैंने लंड को थोड़ा-सा बुर से बाहर निकाला और एक जोरदार धक्का पूनम की बुर में मारा।
मेरा लम्बा लंड उसकी बुर को फाड़ते हुए जड़ तक घुस गया।

पूनम के मुँह से एक जोर की चीख निकली, “आह्ह्ह उह्ह उईईम्मा, मर गई।”
वो मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी, “प्लीज अभय, लंड बाहर निकालो, मर जाऊँगी।”

अब तक मेरा लंड पूनम की बुर में पूरा घुस चुका था।
उसकी बुर के होंठों ने मेरे लंड को कसके जकड़ लिया था।

उसके दर्द को कम करने के लिए मैं आहिस्ते-आहिस्ते उसके निप्पल को चूसने लगा।

मेरे होंठों की गर्मी पाते ही पूनम का दर्द कम होने लगा।

इधर मेरे लंड को पूनम की बुर ने पूरी तरह जकड़ रखा था।
ऐसा लग रहा था मानो किसी गर्म भट्टी में मेरे लंड को डाल दिया गया हो।

पूनम की बुर की गर्मी मेरे लंड को एक अलग ही मजा दे रही थी।

जैसे-जैसे उसका दर्द कम हुआ, मेरा लंड भी थोड़ा-थोड़ा अंदर-बाहर होने लगा।
लंड बहुत ही टाइटली अंदर-बाहर हो रहा था जिससे मेरे लंड को असीम आनंद मिल रहा था।

अब मैंने पूनम की चुदाई शुरू कर दी।
जैसे-जैसे लंड अंदर-बाहर होने लगा, पूनम की बुर में गीलापन शुरू हो गया।

मैं समझ चुका था, पूनम की बुर अब चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार है।

मैंने भी अब चुदाई की रफ्तार थोड़ा तेज कर दी।
जिससे पूनम को और मजा आने लगा।

पूनम की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह ऊफ उईईमा, चोद दो अभय, मेरी बुर को फाड़ दो आज।”
मेरे लंड की उत्तेजना चरम पर थी।

मैं पूनम की बुर से पूरा लंड बाहर निकालता, और एक ही झटके में पूरा लंड बुर में पेल देता।
मेरे हर धक्के पर पूनम की “आह्ह्ह उफ्फ्फ उईम्मा” की आवाजें आ रही थीं।

पूरा रूम पूनम की सिसकारियों से वासनामय हो चुका था।

मैंने पूनम की चुदाई और तेज कर दी।
लंड बहुत तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था।

पूनम की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह्ह उफ्फ्फ और तेज अभय।”

जैसे-जैसे मेरा लंड पूनम की बुर में अंदर-बाहर हो रहा था, मेरे लंड की गर्मी पूनम को चरम सुख की ओर ले जा रही थी।

कुछ ही देर में पूनम ने मुझे कसके अपनी जाँघों में दबा लिया।
मैं समझ गया, पूनम अब स्खलन की ओर बढ़ रही है।

मैंने भी लंड अंदर-बाहर करते हुए एक जोर का धक्का बुर में मारा।
पूनम लंड की गर्मी सह नहीं पाई और जोर की चीखों के साथ झड़ने लगी, “आह्ह्ह उईईम्मा।”

उसने अपनी कमर उठा-उठाकर तीन-चार धार अपनी बुर से छोड़ी।
जो मेरे लंड को भिगोते हुए चादर को गीली कर दी।

पूनम अब थोड़ी रिलैक्स हो चुकी थी।
उसके चेहरे पर चरम सुख की आभा साफ-साफ दिख रही थी।

उसने मुझे कसके अपनी बाहों में जकड़ लिया और बोली, “ओह्ह्ह अभय, सच में आपने मुझे जन्नत का अहसास करवाया है। ये चुदाई मैं कभी भूल नहीं पाऊँगी।”
मैंने पूनम को बोला, “पूनम, मेरे लंड का पानी अभी भी नहीं निकला है। मेरा लंड अभी घुसा हुआ है तुम्हारी बुर में।”

ये सुनते ही पूनम के मुँह से निकल गया, “उफ्फ अभय, क्या चुदाई करते हो।”
मैं बोला, “पूनम, फिर से जन्नत का मजा लेने के लिए तैयार हो जाओ, लंड तुम्हारी बुर में है।”

मैंने फिर से पूनम को पेलना शुरू कर दिया।
मेरा लंड फिर से पूनम की बुर में अंदर-बाहर होने लगा।

थोड़ी देर चोदने के बाद लंड बाहर निकाला और हाथ से पकड़कर उसकी बुर पर रगड़ने लगा।

लंड के रगड़ से पूनम फिर से बेहाल हो उठी और लंड लेने के लिए अपनी गांड ऊपर उठाने लगी।

जैसे ही उसकी गांड ऊपर उठी, लंड उसकी बुर में सटाकर एक जोर का धक्का मारा।
लंड उसकी बुर को फाड़ते हुए एक ही बार में पूरा अंदर तक घुस गया।

लंड घुसते ही पूनम के मुँह से जोर की चीख निकल गई, “आह्ह्ह!”

मैंने फिर से जोरदार धक्कों के साथ पूनम को पेलना शुरू कर दिया।
मेरे हर धक्के पर पूनम की चूचियाँ भी हिल रही थीं।
जिन्हें देखकर और मजा आ रहा था चोदने में।

करीब 15 से 20 मिनट चोदने के बाद पूनम फिर से झड़ने को तैयार हो गई।
उसने मुझे कसके अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपनी गर्म जाँघों के बीच मेरे कमर को कसके दबा लिया।

उसकी जाँघों की गर्मी मुझे असीम आनंद दे रही थी।
मैंने चार-पाँच जोर के धक्के उसकी बुर में मारे।

मेरे लंड की रगड़ को पूनम की बुर सह नहीं पाई और फिर से उसकी बुर तेज धार के साथ झड़ने लगी।

उसकी बुर का पानी मेरे लंड को पूरी तरह से गर्म कर दिया जो मेरे लंड के लिए सहना मुश्किल हो गया।

मैंने उसकी कमर पकड़कर जोर से उसकी बुर में चार-पाँच धक्के मारे।

मेरे लंड ने उसकी बुर की गर्मी को सह नहीं पाया और तेज धार के साथ पूनम की बुर में छूट गया।

वीर्य की गति इतनी तेज थी कि उसकी गर्मी ने पूनम की बुर को फिर से झड़ने पर मजबूर कर दिया।

पूनम बेड पर निढाल हो गई और कसके मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।

उसकी बाहों की गर्मी मुझे परम आनंद दे रही थी।
कुछ देर ऐसे ही एक-दूसरे की बाहों में पड़े रहे।

मेरा लंड भी अपने आप पूनम की बुर से बाहर निकल आया।

जैसे ही मेरा लंड पूनम की बुर से बाहर निकला, मैं पूनम की बुर का मुआयना करने चला गया।

उसकी की बुर अब चूत बन कर थोड़ी सूज गई थी।
चूत की दरार भी थोड़ी खुल गई थी, जो अभी-अभी चुदाई के कारण हुआ था।

पूनम की चूत से अभी भी मेरे लंड का वीर्य बाहर निकल रहा था जो उसकी चूत से होते हुए मेरी चादर पर टपक रहा था। जब मैंने चादर की तरफ देखा तो मेरे होश उड़ गए।

चूत के नीचे की चादर पूरी तरह गीली हो चुकी थी। थोड़ी ही देर में पूनम उठी और बोली, “मुझे जोर की सुसु आई है।” मैं पूनम को अपनी बाहों में उठाकर बाथरूम में ले गया।

पूनम अंदर जाकर जैसे ही दरवाजा बंद करने लगी, मैंने उसे रोक लिया। और बोला, “मुझे भी देखना है तुम कैसे सुसु करती हो।” पूनम बोली, “उफ्फ्फ अभय, जाओ ना।”

मैं बोला, “बिना देखे नहीं जाऊँगा।” उधर पूनम की सुसु और तेज हो गई। और वो मूतने के लिए बैठ गई।

पूनम जैसे ही बैठी, उसकी चूत हल्की-सी खुल गई। और एक तेज धार उसकी चूत से निकलने लगी। धार धीरे-धीरे कम होती गई और अंत में पूनम ने छुल्ल-छुल्ल करते हुए अपनी मूत बाहर निकाल दी।

फिर मैं पूनम को उठाकर अपने रूम में लेकर आया। और उसे बेड पर लेटाकर अपनी बाहों में भर लिया।
उस रात मैंने पूनम को चार बार चोदा।

सुबह तक पूनम ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।

जब तक माधुरी नहीं आई, मैंने पूनम को पूरे हफ्ते चोदा।

पाठक और पाठिकाओं से विनम्र निवेदन है कि मेरी हवस सेक्स की, लंड की कहानी पर आप अपने विचार मुझे भेजें.
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