जुड़वां बहन के संग हनीमून सेक्स- 1

(Impotent Husband Story)

इम्पोटेंट हस्बैंड स्टोरी में मेरी बहन की शादी के 3 दिन बाद वह अकेली घर आ गई. पता लगा कि उसका पति से चोद नहीं पाया. उसकी चूत अभी तक अनचुदी थी.

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम शौर्य है.
मैं और मेरा परिवार नॉएडा में रहता है.
मेरे परिवार में हम चार लोग हैं. मम्मी-पापा, मैं और मेरी जुड़वां बहन रश्मि.

हमारा परिवार एक सम्पन परिवार है. पापा सरकारी नौकरी में हैं.
मैं एक आईटी कंपनी में बहुत ही ऊंचे पद पर हूँ और रश्मि एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है.

कुल मिला कर हमारा परिवार एक उच्च मध्य वर्गीय परिवार में गिना जा सकता है.

मैं आज जो सेक्स कहानी आपको बताने जा रहा हूँ, उस घटना ने मेरा पूरा जीवन बदल दिया था.

ये इम्पोटेंट हस्बैंड स्टोरी उस दिन शुरू होती है, जिस दिन रश्मि की शादी थी.

रश्मि की शादी एक बहुत अच्छे घर में तय हुई थी.
लड़का देखने में बहुत सुन्दर और स्मार्ट है.

रश्मि ने खुद बहुत लड़कों को रिजेक्ट करने के बाद उसे चुना था.

शादी के रीति रिवाज़ सम्पन हुए और रश्मि अपने सुन्दर से शादी के जोड़े में, अपनी बड़ी बड़ी पलकें झुकाए हुई … हम सबकी पलकें नम करके विदा हो गयी.

हम सब दुखी थे क्योंकि रश्मि जा रही थी.
पर खुश भी थे क्योंकि उसे अपनी पसंद का लड़का और एक बहुत अच्छा घर मिल गया था.

सभी रिश्तेदारों को विदा करके अभी 4 ही दिन हुए थे, हम सब बाहर बैठे थे.
तभी हमने रश्मि को अपना सामान लेकर आते हुआ देखा.

इससे पहले कि हम लोग कुछ समझ पाते, रश्मि ने पास आकर पापा-मम्मी को गले लगाया और बगल में बैठ गयी.

मम्मी- अरे रश्मि, हमें लगा तुम और दामाद जी घूमने गए होगे, पर तू अचानक यहां कैसे?
रश्मि- उनका प्लान बदल गया तो मैं यहां आ गयी.

मम्मी- सब ठीक तो है न बेटा!
रश्मि- हां … अभी मैं अपने रूम में जाकर आराम कर रही हूँ, बाद में बात करती हूँ.

इतना कह कर रश्मि चली गयी.
पर मुझे उसकी बातों में सच्चाई नहीं लगी.

थोड़ी देर में मैं रश्मि के कमरे में गया.
तो मैंने देखा कि वह गुमसुम लेटी हुई थी और अपने एक हाथ से उसने अपनी आंखों को ढका हुआ था.

वह एकदम शांत भाव से लेटी हुई थी और शायद कुछ सोच रही थी.

मैंने उसे ध्यान से देखा तो मेरी बहन रश्मि परी सी सुन्दर लग रही थी.
वह ठीक वैसी ही लग रही थी, जैसे हम लोगों ने उसे शादी के दिन विदा किया था.

मैं- रश्मि … रश्मि!
रश्मि- हां भाई, क्या हुआ?

मैं- सब ठीक है न बहन … कोई बात है तो तू मुझसे शेयर कर सकती है.
रश्मि- सब ठीक है भाई. आप लोग परेशान न हों, मैं एकदम अच्छी हूँ. बस उन्हें कुछ काम था तो हम घूमने नहीं गए. मुझे वहां अच्छा नहीं लग रहा था तो मैं यहां आ गयी.

मैं- यार बहाने क्यों बना रही हो? हनीमून पर नहीं गए … यह समझ में आता है, पर नयी शादी के बाद साथ अच्छा न लगा … फिर तो जरूर कोई बड़ी बात है!
रश्मि- अरे बाबा कहा न … कुछ नहीं है अब तू जाएगा … तो मैं थोड़ा आराम कर लूँ.

इतना कह कर वह फिर से अपने हाथ से अपनी आंखों को ढक कर लेट गयी.

मैं जैसे ही वहां से जाने लगा, मेरा हाथ टेबल पर रखे रसगुल्ले के डिब्बे पर लग गया … जिससे मेरे हाथ में चिप-चिप होने लगी.
मैं रश्मि के कमरे के बाथरूम में हाथ धोने के लिए घुस गया. मैं अभी हाथ धो ही रहा था कि तभी मुझे रश्मि की बेस्ट फ्रेंड श्रुति की आवाज़ आयी.

श्रुति- उठ जा मेरी रसमलाई. अपनी सुहागरात की कहानी तो सुना … तेरे हीरो ने तुझे कहां कहां से खाया, कहां दबाया, कहां घुसाया … कुछ तो बता मेरी जान!
उसकी आवाज़ सुन कर रश्मि उठ कर बैठ गयी.

रश्मि- तुझे कैसे पता कि मैं आयी हूँ?
श्रुति- मैं इधर से गुजर रही थी तो आंटी ने बुला कर बताया कि तू आयी है. मैंने सोचा चल कर पूछ लूँ कि कितना मोटा गया तेरे अन्दर … अच्छे से ले भी पायी या नहीं?

रश्मि- अच्छा हुआ तू आ गयी यार. पहले दरवाज़े की कुण्डी लगा दे … फिर बात करते हैं.

श्रुति ने उठ कर दरवाज़े की कुण्डी लगा दी.
दोनों इस बात से अनजान थीं कि मैं बाथरूम में हूँ और उनकी सारी बातें सुन रहा हूँ.
मैंने भी अन्दर रहना ठीक समझा ताकि जान सकूं कि समस्या क्या है.

श्रुति- चल बता … क्या हुआ सुहागरात को … ज्यादा ज़ोर से डाल दिया क्या या बहुत बड़ा है तेरे हीरो का?
रश्मि- यार सोचा तो मैंने भी बहुत कुछ था. डालना तो छोड़ लिंग योनि एक दूसरे को छू भी नहीं पाए.

श्रुति- क्या मतलब?
रश्मि- मैं अपनी सुहगरात की सेज़ पर बैठी थी कि वे आए, मेरे घूँघट को हटाया. मुझे बिस्तर पर लेटाया. मेरी चोली और लहंगे के बीच खुले पेट को सहलाया … अपनी जीभ मेरी नाभि में घुसा कर चाटने लगे. मैं दूसरी दुनिया में पहुंचने ही वाली थी कि तभी वे ठुस्स हो गए.

श्रुति- हा हा हा हा … मेरी जान तू है ही इतनी सेक्सी कि पहली बार जो तुझे देखे … वह तुरंत झड़ जाए. फिर तेरे पति ने तो तेरी नाभि का रस पान किया था … उसका झड़ना तो बनता था. इसमें उसकी गलती नहीं है. कुछ दिन में संभल जाएगा … टाइम दे थोड़ा!

रश्मि- ऐसा नहीं है यार, पिछले तीन दिन में हम दोनों ने दस बार से ज्यादा कोशिश की, पर हर बार वही … खड़ा होते ही झड़ जाता है उस आदमी का. मैंने शादी से पहले कभी कुछ नहीं किया था, सोचा था शादी के बाद अपने पति का अच्छे से चूस चूस कर मजा लूँगी … वह मेरी बुर को चूसेगा और चाटेगा … पर सारे अरमान धरे के धरे रह गए. शादी के बाद अभी तक एकदम कुंवारी हूँ. पूरी चुत में आग लगी है. कोई तो लंड होगा जो मुझे अच्छे से शांत कर पाएगा?

श्रुति- बस बस मेरी जान … इम्पोटेंट हस्बैंड के लंड की याद में ज्यादा चुत को मत बहा … लड़कों का शीघ्र पतन आजकल आम बीमारी है. इसका इलाज भी संभव है. मैं एक डॉक्टर को जानती हूँ जो इसका इलाज अच्छे से कर सकते हैं. मगर उसके लिए तुझे शिमला जाना होगा. उनका क्लिनिक वहीं है. मैं उनका पता देती हूँ … जाकर एक बार मिल आ. अच्छा अब मैं चलती हूँ. आज काफी दिन बाद मेरा ब्वॉयफ्रेंड आ रहा है. अब वह मेरी चुत की गर्मी अच्छे से बुझाएगा!

रश्मि- भाग साली … जला मत मुझे कुतिया!

इतना सुनने के बाद श्रुति हँसती हुई वहां से चली गयी.
मैं बाथरूम में खड़ा खड़ा उनकी बातें सुन कर अत्याधिक उत्तेजना में आ गया था.

मेरा लंड मेरी पैंट फाड़ के बाहर आने को तैयार था.

मैंने खुद को संभाला और पहले बहन की समस्या हल करने की सोचने लगा.

तभी मैंने देखा रश्मि बाथरूम की तरफ आ रही है.
वह अन्दर आई तो मुझे बाथरूम में देख कर चौंक गयी.

रश्मि- भाई, तू यहां क्या कर रहा है … और कब से मेरे बाथरूम में है?
मैं- मेरे हाथ में रसगुल्ले का शीरा लग गया था, मैं वही धो रहा था. तब तक तेरी फ्रेंड आ गयी. फिर मैं यहीं खड़ा हो कर तुम दोनों की बात सुनने लगा.

रश्मि- प्लीज भाई, पापा मम्मी को कुछ मत बताना इस बारे में. मेरे वे बहुत ही सीधे हैं. रोहित (रश्मि के पति का नाम) ने तो यहां तक कह दिया कि अगर मैं उन्हें तलाक देना चाहूँ तो दे सकती हूँ. पर मैं एक अच्छी शादी-शुदा जिंदगी जीना चाहती हूँ. मैं सोच रही हूँ कि शिमला वाले डॉक्टर से मिलने के लिए चली जाऊं ताकि वे डॉक्टर रोहित का इलाज कर पाएं. पर मैं नहीं चाहती कि किसी को भी इसके बारे में पता चले. इसलिए मैं सोच रही हूँ कि अकेली जाकर एक बार डॉक्टर से मिल कर आऊं … उसके बाद इन्हें लेकर जाऊं.

मैं- यार, मैं तेरी फीलिंग्स समझता हूँ. चिंता मत कर … मैं पूरी तरह इसमें तेरे साथ हूँ. मम्मी पापा तुझे अकेले जाने नहीं देंगे. मैं भी तेरे साथ चलता हूँ तो उन्हें भी समझाना आसान होगा.

रश्मि- बात तो तेरी ठीक है. पर पापा मम्मी को क्या बताएंगे?

मैं- तू उनसे बोलना कि रोहित ने तुझे शिमला बुलाया है. उसका काम हो गया तो वे सीधे शिमला आ गए और तुझे भी वहीं बुलाया है. शौर्य मुझे शिमला छोड़ कर आ जाएगा. अपना एक दिन का काम है, बस सुबह डॉक्टर से मिल कर शाम को वापस आ जाएंगे. फिर मैं वहीं से तुझे रोहित के पास पहुंचा दूंगा … इस तरह से किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा. बाद में तुम और रोहित साथ जाकर अपना ट्रीटमेंट करा लेना.

रश्मि मेरी बात से सहमत हो गई.
फिर हमने प्लान की मुताबिक पापा मम्मी से बात की और सुबह की दिल्ली से शिमला वाली फ्लाइट ले ली.

रश्मि ने रोहित को फ़ोन करके बता दिया कि वह मेरे साथ शिमला जा रही है और उसे सब समझा दिया.

मैंने भी रोहित से बात की और उसे यकीन दिलाया कि मैं रश्मि के साथ हूँ. हम उसका अच्छे से इलाज करवाएंगे.

रश्मि ने अपना पूरा सामान पैक कर लिया क्योंकि उसे वहीं से रोहित के पास जाना था.
मुझे शाम ही वापस लौट आना था तो बस मैं एक बैग लेकर चल दिया.

शिमला की छोटी वाली फ्लाइट थी, जिसमें दो दो वाली सीट थीं.
तो हम दोनों आगे की दो वाली सीट पर बैठ गए.

रश्मि अपने शादी के शृंगार में और जीन्स टॉप में बहुत ही प्यारी दिख रही थी.
फ्लाइट के थोड़ी देर उड़ने के बाद मैं सीट बेल्ट खोल कर आराम से बैठ गया और अपने मोबाइल पर गेम खेलने लगा.

रश्मि- भाई, क्या कल तूने मेरी और श्रुति की सारी बातें सुन ली थीं?
मैं- हां, तभी तो मुझे पता चला कि तेरी ज़िन्दगी में क्या चल रहा है.
रश्मि- मेरा मतलब है क्या तूने हमारी वह सुहागरात वाली फंतासी भी सुनी?

मुझे कुछ देर के लिए समझ में नहीं आया कि क्या जवाब दूँ.

थोड़ा अपने आपको संभाल कर मैंने कहा- यार सॉरी … मुझे आईडिया नहीं था कि लड़कियां आपस में ऐसी भी बात करती हैं … नहीं तो मैं वहां रुकता ही नहीं.

रश्मि हंस कर बोली- कोई बात नहीं भाई. ज्यादा परेशान मत हो. अच्छा हुआ तूने सब सुन लिया. शुरू में मुझे तुझसे ये सब बात करना थोड़ा अजीब लग रहा था. हम दोनों हैं तो जुड़वां भाई बहन, पर कभी ऐसे बात नहीं की. पर अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं अपने सगे भाई से अपनी पर्सनल बातें आराम से शेयर कर सकती हूँ.

मैंने रश्मि का हाथ अपने हाथ में लिया.

मैं- तुझे किसी भी चीज़ से परेशान होने की जरूरत नहीं. मैं तुझे खुश देखने के लिए सब कुछ करूँगा. मैं हमेशा तेरे साथ हूँ.
रश्मि- थैंक्यू भाई.

मैं- अच्छा ये बता, क्या सब लड़कियां अपनी सुहागरात पर ऐसा ही सोच कर आती हैं?
रश्मि- कुछ ज्यादा फ्रैंक नहीं हो गया तू?

ये सुन कर मैं झेंप गया.
रश्मि हंसने लगी.

रश्मि- मैं तुझे छेड़ रही थी. हर लड़की के अरमान होते हैं कि वह अपने पति के साथ खुल कर सब कुछ कर सके … बिना किसी शर्म के. वह सब करे, जिसमें उसे पूरा शारारिक आनन्द आए. जब तेरी शादी होगी तो तुझे भी पता चल जाएगा … या अपनी गर्ल फ्रेंड से पूछ ले.

मैं- मैंने और निमिता (मेरी गर्ल फ्रेंड) ने आज तक कुछ ऐसा नहीं किया. हम बस फ़ोन पर बात करते हैं. जो भी करेंगे, शादी के बाद ही करेंगे.
रश्मि- तो शादी के बाद तू सब जान जाएगा. बस ये ध्यान रखना कि वही सब करना, जिसमें तुम दोनों को बराबर मजा आया और पहले निमिता को पूरा खुश करना.

इतना कह कर वह मेरी बाजू पकड़ कर मेरे कंधे पर सर रख कर सो गयी.
आज मैंने पहली बार अपनी बहन के मुलायम हाथों को इतने करीब से महसूस किया था.

उसके मेहंदी लगे हुए, चूड़ियों से भरे हुए हाथ मेरे हाथ में थे.
मैं उसके हाथ को प्यार से और मजबूती से पकड़े हुए सहला रहा था.

मेरे दिल में एक अजीब से ख़ुशी हो रही थी और मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था.
तभी मेरा सपना टूटा, एयर होस्टेस ने आकर हमें जगाया कि हम शिमला पहुंचने वाले हैं.

जागते ही मैं आत्मग्लानि से भर गया.

मैं सोचने लगा कि मैं तो अपनी बहन को सुखी वैवाहिक जीवन जीने में मदद करने के लिए आया हूँ, पर यहां तो मैं खुद उसकी तरफ आकर्षित होने लगा.

मैं ये सोच ही रहा था कि तभी रश्मि की मीठी सी आवाज़ ने मुझे फिर चेतन कर दिया- भाई चलें?

उसका प्यारा सा मासूम चेहरा, एक मीठी सी मुस्कान, बड़ी बड़ी पलकें, काली झुकी हुई आंखें, मैंने शायद आज पहली बार अपनी बहन को इतने गौर से और करीब से देखा था.
मन तो हुआ उसे गोद में उठा कर धीरे धीरे चलते हुए बाहर आऊं.

मैंने फिर से अपने अरमानो को संभाला और एयरपोर्ट से बाहर आकर एक टैक्सी ले ली. उधर से सीधा डॉक्टर के क्लिनिक पहुंच गए.

वहां पहुंच कर पता चला कि अपॉइंटमेंट के लिए लम्बी लाइन है.
हमने सोचा रिसेप्शन पर बात करके देखें, क्या पता जल्दी डॉक्टर से मिलने को मिल जाए.

रिसेप्शन पर एक पुरुष था तो मैंने जाकर बात की.

मैं- सर, डॉक्टर साहब से मिलना था. हम लोग नॉएडा से आए हैं. थोड़ा अर्जेंट हैं. अगर आज मिलवा दें तो बहुत मेहरबानी होगी.
रिसेप्शनिस्ट- यहां जो लोग भी आए हैं, सभी का केस अर्जेंट ही है. यहां सब नंबर से ही होता है. अच्छा होता अगर आप लोग फ़ोन करके आते.

मैं- हमें पता नहीं था. हमने सोचा शायद सीधे जाकर मिल सकते हैं.
रिसेप्शनिस्ट- खैर … कोई नहीं … मैं आप लोगों को 7 दिन बाद का मिलने का समय दे सकता हूँ.

सात दिन बाद का सुन कर मैं रश्मि की तरफ देखने लगा. तभी रिसेप्शनिस्ट की निगाह भी रश्मि पर गयी.
शादी के शृंगार में नयी नवेली दुल्हन को देख कर वह सोचने लगा.

रिसेप्शनिस्ट- अच्छा रुकिए, दो दिन बाद की एक डेट है … कहिये तो बुक कर दूँ?
रश्मि- जी कर दीजिये बुक.

रिसेप्शनिस्ट ने दो दिन बाद की डेट बुक कर दी.
वह मुझे देख कर बोला- सर, आप बहुत बहादुर और अच्छे इंसान हो, जो इतनी हिम्मत करके अपनी पत्नी के लिए खुद को यहां दिखाने आए हो. वर्ना ज्यादातर मर्द तो अपनी कमियों को मानते ही नहीं.

मुझे समझ नहीं आया कि मैं उसे क्या बोलूं.
उसके मुँह से रश्मि के लिए मेरी पत्नी सुन कर मुझे बड़ा अच्छा लगा.

इससे पहले कि मैं फिर से अपने सपनों की दुनिया में जाता, रश्मि उसे थैंक्यू बोल कर मुझे बाहर लेकर आ गयी.

मैं- यार, हम लोग दो दिन तक करेंगे क्या … घर पर क्या बताएंगे … और मैं तो कुछ कपड़े भी नहीं लेकर आया हूँ.

रश्मि ने तुरंत पापा मम्मी को फ़ोन किया और बताया कि रोहित किसी काम में फंस गए हैं और शिमला 2-3 दिन बाद आ पाएंगे. उन्होंने मेरा और शौर्य का एक होटल में रुकने का इंतजाम कर दिया है. दो दिन बाद जब वह आएंगे तब शौर्य वापस हो जाएगा.
फिर उसने रोहित का फ़ोन करके सब समझा दिया और बताया कि दो दिन बाद वह डॉक्टर से मिल कर उसके पास आ जाएगी.

अब हम दोनों का अगला ठिकाना कोई होटल होने वाला था, जिधर मैं अपनी प्यासी बहन के साथ दो दिन रुकने वाला था.
और आप समझ सकते हैं कि हम दोनों भाई बहन के बीच किस तरह से सेक्स के प्रसंग को लेकर क्या क्या हुआ.

दोस्तो, इससे आगे की सेक्स कहानी इसके अगले भाग में बताऊंगा.

ये इम्पोटेंट हस्बैंड स्टोरी आपको कैसी लगी, प्लीज मुझे ईमेल करके जरूर बताइएगा.
[email protected]

इम्पोटेंट हस्बैंड स्टोरी का अगला भाग:

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