एक नर्स से फोन सेक्स के बाद चुदाई-3

(Nurse Se Phone Sex Chat Ke Bad Chudai- Part 3)

एक नर्स से फोन सेक्स के बाद चुदाई-1
एक नर्स से फोन सेक्स के बाद चुदाई-2

अभी तक मेरी देसी चुदाई स्टोरी में आपने पढ़ा कि एक रोंग नंबर काल से एक लड़की मेरी गर्लफ्रेंड बनी, नर्सिंग का कोर्स करके वो मोहाली में नर्स लग गई. मैंने बड़ी मुश्किल से उसे होटेल रूम में आने के लिए मनाया.
अब आगे:

मैंने मानसी के शरीर को चूमते हुए नीचे सरकना शुरू किया और जैसे जैसे मैं नीचे जा रहा था, वो और उग्र होती जा रही थी. मैं उसकी नाभि पे रुका और मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. वो बेकाबू होती जा रही थी और मेरे आनन्द की कोई सीमा नहीं थी.

जब मेरी जीभ से हो रही गुदगुदी मानसी से नहीं झिली तो उसने मेरे बालों को पकड़ कर खींचा जिससे मैं अलग हो जाऊँ पर मैंने इतनी ही देर में उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर ऐसे निचोड़ा कि उत्तेजना के कारण उसकी चीख निकल गई, उसने मेरे बाल छोड़ दिए और उसके पैर कांपने लगे.

मैंने उसकी नाभि से नीचे का सफर शुरू किया पर उसकी चूत अभी तक मेरी मुट्ठी में ही तड़प रही थी. मैंने दूसरे हाथ से उसकी पटियाला सलवार का नाड़ा खोला और इससे पहले मैं उसकी सलवार को उसके जिस्म से अलग करता, उसने मेरे हाथों को पकड़ा और मुझे सवालिया निगाहों से देखते हुए बोली- कुछ होगा तो नहीं ना जान?
मैं- जो हो चुका है, उससे ज्यादा कुछ नहीं होगा मानसी. बस मैंने अपनी मोहर लगानी है तेरी चूत पे जिससे मैं और मेरा प्यार तुझे हमेशा याद रहे.

मानसी की आँखें बोझिल होती जा रही थीं और उसकी पकड़ भी ढीली हो चली थी. उसने अपनी गांड उठा कर मुझे अपनी सलवार उतारने में मदद की और अब वो सिर्फ अपनी पैंटी में थी. मैंने उसकी चूत को सलवार उतार कर फिर से अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया था. उसकी पैंटी इतनी गीली थी जैसे अभी पानी में डूब कर निकली हो और उसके रसों की मादक खुशबू मुझे बहुत बेचैन कर रही थी.

अब भी मेरे बदन पर मेरी जीन्स बाकी थी जो अब उसको सुहा नहीं रही थी तो उसने हल्के से मुझे अपनी जीन्स उतारने को कहा. मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से चूमना और चाटना शुरू कर दिया. वो बहुत ज्यादा व्याकुल हो चुकी थी और अब उसकी सिसकारियाँ चीखों में तब्दील होने लगी थी.

मैंने टीवी पर म्यूजिक चैनल लगा कर आवाज़ थोड़ी तेज़ कर दी जिससे मानसी की आवाज़ें कमरे से बाहर ना जाएँ. मैंने मानसी की पैंटी को दोनों हाथों में कस कर पकड़ा और एक झटके में उसके दो टुकड़े करते हुए उसको पूरा नग्न कर दिया. मेरे लिए ये लड़की शुरू से अब तक एक सरप्राइज ही थी. उसकी चूत एकदम गुलाबी थी और उससे बहते रसों के कारण उसकी चूत चिकनी दिख रही थी. उसकी देसी चूत पर हल्का हल्का सा भूरा रुआँ था. बिल्कुल पाव रोटी जैसी उभरी हुई और मेरी मुट्ठी से बार बार दबने के कारण गुलाबी से लाल होती चूत दुनिया का आठवाँ अजूबा लग रही थी.
मैंने बिजली की तेज़ी के साथ उसकी चूत अपने होंठों में भर ली और अपनी जीभ को उसकी चूत में घुसाना शुरू कर दिया.
ये सब मानसी की बर्दाश्त से बाहर था और वो चीखते चीखते रोने लगी. अपने हाथों से वो मेरे सिर को अपनी चूत में धकेल रही थी और उसकी रोती चीखें जैसे मुझ पर जादू कर रही थीं. मैं और वहशी होता जा रहा था.

मैंने उसकी चूत में एक उंगली डालनी चाही पर उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली को जगह ही नहीं मिली और मैं समझ गया कि मैं ही हूँ वो नसीब वाला लंड बाज़ लौंडा जिसको ये माल पहली बार भोगना है.

मैंने थोड़ा जोर लगाते हुए अपनी उंगली को मानसी की चूत में घुसाया तो वो दर्द के मारे फड़फड़ाई, उसने मेरी उंगली को बाहर निकलने के लिए मेरा हाथ पकड़ के खींचा तो मेरी उंगली पे थोड़ा खून लगा था.
मैंने उसको ये ना दिखते हुए फिर से अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिए पर इस बार मैं थोड़ा घूम गया जिससे हम तकरीबन 69 अवस्था में आ गए. उसने बिना पलक झपके सीधा मेरी बेल्ट खोली और मेरी जीन्स को मेरे बदन से अलग करने का प्रयास करने लगी.

मैं उसको और तड़पाना चाहता था मगर जितनी देर मेरा लंड उसकी चूत से बाहर था, मैं भी बराबर ही तड़प रहा था. मैंने अपनी जीन्स उतारने में उसकी मदद की और फिर उसकी चूत पर टूट पड़ा. उसने मेरा बॉक्सर उतारने से पहले थोड़ी देर मेरा लंड अपने हाथों से मसला और फिर मेरे बॉक्सर के चीथड़े ही मुझे नज़र आये.

उसने मेरे एक टट्टे को अपनी मुट्ठी में भरा और कुछ ऐसे दबाया कि मेरी जान ही निकल गई. मैं ना चीखने की हालत में था ना कुछ और करने की… मैंने खुद को बचाने के लिए उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ झटके से ठूँस दी जिससे वो तड़पी और उसने मेरे टट्टे को आज़ाद किया.
उसकी आँखों से आंसू टपक रहे थे और मेरी दोनों उंगलियाँ उसके खून से लाल हो गई थी.

मैं समझ गया था कि इसकी गर्मी शांत करना मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है वरना ये कुछ भी कर सकती थी. मैं पहले ही पूरी तैयारी से आया था तो मैंने साइड से वेसिलीन उठाई और उसकी चूत पर उससे मालिश करने लगा.
इससे मानसी की चूत को थोड़ी राहत मिली और मैं तो दोस्तो, उसकी चूत को थोड़ा चिकना कर ही रहा था ताकि जब मेरे लंड का वार उसकी चूत पर हो तो उसके पास लड़ाई का मैदान छोड़ कर भागने का कोई मौका ना रहे.

हम अब भी 69 अवस्था में थे तो मैं अपने लंड को उसके मुँह के आगे ले गया और उसको चूसने के लिए बोला. यह उसका पहली बार था पर उसने झट से मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
कुछ ही पलों में मेरा पूरा लंड उसने अपने मुँह में ले लिया और मैं उसके हलक को अपने लंड के टोपे पर महसूस कर सकता था. मानसी की इतनी कामुकता इतनी थी कि उसकी सांसें घुट रही थीं, वो घूं घूं कर रही थी पर उसने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर नहीं निकाला.

मेरा लंड बहुत देर से उत्तेजना से भरा था तो उसके मुँह से हो रहे घर्षण और उसकी गर्मी को ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाया और मेरे लंड ने उसके मुँह में जोरदार पिचकारी के साथ अपनी पहली हाज़री लगाई. बिना कुछ कहे, मानसी मेरा पूरा माल गटक गई और उसने मेरे लंड को चाट चाट कर साफ़ भी किया.

मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था और लेता भी कैसे, उसके सामने ऐसा संगमरमर माल जो था. मैंने थोड़ी वेसलीन अपने लंड पर लगाई और मानसी के पैरों के बीच में जा बैठा. मानसी ने अपने पैरों को खोलते हुए मुझे जगह दी और अपने हाथों से चादर को अपनी मुट्ठी में भर लिया.

मानसी जानती थी कि अगर एक या दो उँगलियाँ थोड़ी अंदर जाने पर उसको इतना दर्द हुआ है वो मेरा ढाई इंच का लंड उसकी क्या हालत करेगा पर अब वो हर चीज़ के लिए तैयार थी.

मैंने भी अपने लंड को उसकी चूत पर घिसना शुरू किया तो मानसी ने अपनी चूत को उठाकर मेरे लंड का स्वागत किया. मैंने एक हाथ से अपने लंड को धारण किया हुआ था और दूसरे हाथ से उसके चूचों की मालिश कर रहा था.
इस पूरे वाकिये की खूबसूरती यह थी कि मानसी मेरे हर कारनामे का जवाब बराबर दे रही थी और उसके मज़े भी ले रही थी.

जब मानसी की चूत पनियाने लगी और मुझे लगा कि वो थोड़ी बेफिक्र हो गई है तो मैंने एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा और दूसरे से अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर काबिज़ करते हुए जबरदस्त झटका मारा जिससे मेरा लंड मानसी की चूत में करीब दो से ढाई इंच अंदर घुस गया, उसकी झिल्ली फट गई जिससे उसकी चूत से लावे जैसा गर्म खून बहने लगा, उसकी आँखें जैसे बाहर को निकल गईं और उसकी चीख उसकी खांसी में कहीं खो गई.

मानसी के चेहरे से उसके दर्द का अनुमान लगाना कोई बड़ी बात नहीं थी. उसका गोरा चेहरा लाल सुर्ख हो गया था और उसकी आँखों से बहते आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. मैंने दोनों हाथों से मानसी के चूचों का मर्दन करना शुरू कर दिया था, मेरे होंठ मानसी के होंठों पर थे और मैं नीचे से धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत में हिलाने लगा था.

उसके हाथ चादर को मुट्ठी में भींचे तड़प रहे थे और पूरा शरीर जैसे चिल्ला चिल्ला कर मुझे अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकालने को कह रहा था. कुछ ही देर में जब मानसी शांत हो गई तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत से पूरा बाहर निकालते हुए एक जोरदार झटका मारा जिससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समां गया.

इस प्रहार से मानसी तकरीबन बेहोश ही हो गई और उसने कोई प्रक्रिया नहीं दी सिवाए इसके कि उसकी फटती आँखें थोड़ा मरहम खोज रही थीं और उसके मुँह से बहुत सारा थूक रिसने लगा था. उसकी मुट्ठियाँ अपने आप ही खुल गईं थीं और अब वो एक लाश की तरह मेरे नीचे पड़ी थी.

चुदाई शुरू होते ही मानसी की ऐसी हालत देख कर मेरी तो जैसे गांड ही फट गई थी. मैंने जल्दी से साइड में रखी पानी की बोतल उठाई और मानसी के मुँह पर थोड़ा पानी छिड़का तो उसने सुध पकड़ी और कराहना शुरू किया.
मानसी अपनी टूटी हुई आवाज़ में मुझसे बोली- तूने वादा किया था कि कुछ नहीं होगा और तू मेरा ख्याल रखेगा. मेरी तो जान ही निकल दी तूने और ये जलता सरिया मेरी चूत में भोंक दिया. इतना ही प्यार करता है तू मुझसे मादरचोद?

मैं अपने हाथों से मानसी के सिर पर हल्की मसाज करने लगा और उसके चेहरे को प्यार से चूमने लगा. मैं नीचे अपने लंड को हल्के हल्के हिला भी रहा था जिससे मानसी जल्दी ही मेरे लंड को खुद में एडजस्ट कर ले.
मैंने उसको कहा- देख मानसी, ये सब एक बार तो होना ही था. मैं कितनी भी सावधानी क्यों ना रखता, तेरी चूत इतनी संकरी थी कि मेरा मूसल लंड उसमें कैसे भी जाता, तुझे दर्द जरूर होता. पर थोड़ी ही देर की बात है और फिर तेरी चूत इसके लिए खुद जगह बना लेगी. उसके बाद तुझे ये करने में सिर्फ मज़ा आएगा.

मैं चाहता था इसके नखरों का जवाब देना पर अब तक मैं मानसी के बेइंतेहा मोहब्बत करने लगा था और मुझे उसके दर्द से दर्द हो रहा था. मैंने उसका जितनी हो सके उतनी धीरे और सावधानी से घर्षण करना शुरू किया.
करीब 15 मिनट बाद मानसी अपने पूरे होश में आई और उसने मेरे हिलते लंड का जवाब देना शुरू किया.

अब उसका चेहरा भी सामान्य हो गया था और उसकी आवाज़ में कम्पन भी नहीं था. अपनी कमर को हिलाते हुए मानसी मुझसे बोली- अब क्या यूँ ही चींटियों की तरह हिलता रहेगा या अपना इंजन भी चालू करेगा. भड़वे, तूने तो आज मेरी जान ही निकल के रख दी, अब थोड़े मज़े भी दे दे. चल, धक्के लगा.

मानसी का इतना कहना था कि मैंने धीरे धीरे अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और उसकी जोरदार चुदाई करने लगा. मेरा लंड उसकी चूत की संकरी चट्टान जैसी दीवारों को भेदता हुआ उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था और हर बार जब उसके किले की दीवार से मेरे लंड का टोपा टकराता तो वो अपने रोमांच को मुस्कराहट बिखेर कर दर्शाती.

मानसी मेरे पूरे चेहरे को चाट चाट कर गीला कर चुकी थीं और हम दोनों पसीनों से नहाये अपने प्यार की रेलगाड़ी को सरपट दौड़ा रहे थे. मैं बीच बीच में मानसी के चूचों का मर्दन भी कर रहा था और उसको लव बाईट भी दे रहा था. उसका गोरा बदन अब तक मेरे चुम्मों से लाल हो चुका था और ये निशान उसके मखमली जिस्म से महीने भर भी कहीं नहीं जाने वाले थे.

नीचे, मेरे हर धक्के का जवाब मानसी अपने धक्के से दे रही थीं और इसके कारण हम दोनों को ही तनाव महसूस होने में बहुत ज्यादा देर नहीं लगी. वैसे तो हम दोनों को फोरप्ले और सेक्स करते अब तक बहुर देर हो चुकी थी, मानसी का शरीर अब अकड़ने लगा था और उसके धक्के भी तेज़ हो गए थे.

इधर मेरे भी लंड में तनाव पैदा होने लगा था और मेरे टट्टे सिकुड़ने लगे थे. हम दोनों किसी भी वक़्त फट सकते थे और उस पल के इंतज़ार में ही ये सारी काम-क्रीड़ा चल रही थीं. मानसी ने मेरे होंठ को अपने दांतों से बहुत ज़ोर से काट लिया था जिससे मेरे होंठ से खून निकलने लगा था और वो उसको चूस चूस कर पी रही थीं. हमारा लावा फटने की कगार पर ही था कि…
‘आआआह्ह ह्ह… जस्सी… मेमेमे… रीरीरीरी… जान…’ कहते हुए मानसी ने मेरे लंड को अपने तपते हुए रसों से भिगो दिया.

वो अहसास इतना लाजवाब था कि मैं भी खुद को उसमें समाते महसूस करने लगा और मेरे मुँह से आवाज़ आई- आअह्हह्ह… मानसी, आई लव यू…
और मेरे लंड ने अपना बीज सीधा मानसी की बच्चेदानी में गिरा दिया.

हम दोनों ही बेलगाम बौछारों से एक दूसरे की प्यास को बुझा रहे थे और कभी ना ख़त्म होने वाले प्यार के पेड़ को सींच रहे थे.

इसके बाद हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए और जब आँख खुली तो रात के दो बजे थे. मैं बाथरूम जाने के लिए उठा तो मैंने देखा कि पूरी चादर मानसी के खून से लाल हुई पड़ी है और जो कसर बाकी थीं वो हम दोनों के रसों ने पूरी कर रखी थी.
खून से सनी चादर देख कर एक बार मानसी घबराई पर फिर मैंने उसको बताया कि पहली बार तो चूत से खून आता ही है और ये सामान्य बात है. फिर उसने भी बाथरूम जाने की इच्छा जताई तो मैंने उसको सहारा देकर उठाया.

उसकी चूत से खून और रसों का मिश्रण उसकी जाँघों से होता हुआ नीचे टपक रहा था और वो ऐसी क़यामत लग रही थीं कि देखने वाले को झट से प्यार हो जाए.

इस समय मानसी अपने पीजी नहीं जा सकती थी तो हम दोनों ने होटल से सुबह निकलने का प्लान बनाया. वैसे भी, उसका सूट मैं पहले ही फाड़ चुका था और उसको वापस जाने के लिए नए कपड़ों की जरूरत थी. हम दोनों ने फ्रेश होने के बाद एक और राउंड लगाया और फिर हम एक दूसरे की बाँहों में सो गए.

इसके बाद हम दोनों ने कई बार संसर्ग किया. मैंने उसके पीजी में भी उसकी चुदाई की और कई बार अपने दोस्तों के कमरे पर भी हम दोनों ने प्रोग्राम लगाया. हम दोनों ने कामसूत्र के तकरीबन हर पोज़ में सेक्स किया और उन सभी में उसको सबसे ज्यादा मज़ा उस स्टाइल में आता जिसमें वो एक पैर पर खड़ी होकर दूसरे को मेज पर रखती और मैं उसके पीछे खड़ा, हल्का नीचे होकर उसकी चुदाई करता.

आपको हमारी देसी चुदाई स्टोरी कैसी लगी, जरूर बतायें.

मैं आपके ईमेल और कमैंट्स का इंतज़ार करूँगा. आप मुझे मेरी ईमेल id [email protected] के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं. आशा करता हूँ आप सभी को मेरी ये नई चुदाई स्टोरी पसंद आई.

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