रश्मि और रणजीत-2

फारूख खान 2014-10-05 Comments

This story is part of a series:

रात को रणजीत को एक होटल में छापा मारना था, उसने अपनी टीम के साथ पूरे होटल को घेर लिया और फिर ऑपरेशन शुरू कर दिया।
बड़ी संख्या में अभिसार-रत जोड़ों को पकड़ा गया जो अवैध संबध में लिप्त थे।
इस ऑपरेशन को रणजीत ही लीड कर रहा था।

सभी को गाड़ियों में बिठाया कि अचानक रणजीत की नज़र एक कमसिन लड़की पर पड़ी जो काफ़ी उदास थी। उससे पूछने पर वो फफक कर रोने लगी।
रणजीत ने उसे चुप कराया- कोई बात नहीं, तुम चुप रहो, मैं देखता हूँ और यदि तुम निर्दोष होगी तो मैं तुम्हें अपने घर जाने दूँगा, पर कार्यवाही तो करनी ही होगी।

वो लड़की रणजीत के पैरों पर गिर गई- प्लीज़ सर.. मेरी रिपोर्ट दर्ज ना करें.. बड़ी बदनामी होगी.. सर मैं कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
रणजीत ने उसे गौर से देख रहा था, वो एक ब्लू-जीन्स और एक टॉप पहने हुए थी। ऐसा लगता है कि कोई कॉलेज-गर्ल हो।
‘ओके.. ठीक है, तुम इन सभी को ले जाओ और इसे छोड़ दो।’ रणजीत ने अपने असिस्टेंट को कहा।

सभी लोग चले गए अब सिर्फ़ रणजीत और वो लड़की ही रह गए।

रणजीत- तुम्हारा नाम क्या है?
लड़की- सीमा।
रणजीत- क्या करती हो?
सीमा- मैं स्टूडेंट हूँ और पास ही एक हॉस्टल में रहती हूँ।
रणजीत- कहाँ की रहने वाली हो?
सीमा- जी.. मैं वेस्ट-बंगाल की।
रणजीत- तुम इस होटल में क्या कर रही थी, मेरा मतलब है किस लिए आई थी?

उस लड़की ने कुछ नहीं बोला और नजरें नीचे कर लीं।
रणजीत ने अपना प्रश्न दुबारा पूछा। इस बार उसने पुलिसिया अंदाज़ में पूछा- सच-सच बता!
सीमा- जी.. एक लड़का लाया था.. मुझे कुछ पैसे की ज़रूरत थी.. तो!
रणजीत- ह्म्म.. इसका मतलब है कि पैसे के लिए किसी के पास भी जा सकती हो?
सीमा- जी नहीं… पर मुझे!

रणजीत- अच्छा चलो तुम्हारे घर में कौन-कौन है?
सीमा- मेरे पापा और माँ… पापा रिटायर्ड अध्यापक हैं और माँ गृहिणी।
रणजीत- तुम इतने अच्छे घर से हो तो फिर..!
सीमा धीरे से बोली- मैं बहक गई थी।

रणजीत उस लड़की को माल की नजर से देखता हुआ अपने लौड़े पर हाथ फेरने लगा।
रणजीत- वो लड़का कौन था और मुझे पूरा मामला एक बार में बताओ। अगर तुमने मुझे सच-सच बताया तो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा, अन्यथा मुझे तुमको गिरफ्तार करना पड़ेगा।

सीमा भी समझ गई कि इससे कुछ भी छुपाना बेकार है, उसने सच-सच बताना शुरू कर दिया।
साथ ही सीमा ने रणजीत की नजर को भी समझ लिया था और वो सोच रही थी कि यदि रणजीत उसको छोड़ देगा तो वो इसके ऐवज में रणजीत के साथ हमबिस्तर होने को भी राजी थी।

सीमा- वो मेरे साथ पहले पढ़ता था। एक कॉलेज पार्टी में मिला था। उसने कहा कि वो मुझे पसंद करता है, काफ़ी दिनों से मेरे पीछे पड़ा हुआ है। एक दिन अचानक उसका फोन आया मैं उस समय परेशान थी क्योंकि कॉलेज की फीस जमा करने की आज आखरी तारीख थी। पापा का मनीऑर्डर नहीं आया था। मैंने उस लड़के से मदद के लिए कहा तो उसने कहा कि कोई बात नहीं तुम आ जाओ और ले लो।
उसने इसी होटल के कमरे का पता दिया था। मैं उसके पास 6 बजे आ गई, उसने 500 के 8 नोट दे दिए और जब जाने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपने सीने से लगा लिया।
मैं थोड़ा विरोध करने लगी तो उसने कहा कि मेरी जान में तुमसे प्यार करता हूँ, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। दरअसल मैं भी उससे प्यार करने लगी थी, पर ये प्यार का अंदाज़ देखकर मैं चौंक गई।
अब उसका दबाव बढ़ रहा था। उस कमरे में कोई नहीं था, सारे कमरे का माहौल बड़ा ही मोहक और शान्त था, उसके हाथों का स्पर्श पाते ही मेरा नारीत्व हिल गया। अब मुझे भी मज़ा मिलने लगा था, अब मैं विरोध नहीं कर रही थी।
वो मुस्कुराया और मेरे होंठों को चूमते हुए बोला कि मेरी जान आज मैं तुम्हें बताऊँगा कि जवानी क्या होती है।
तुम आज की रात मेरी बीवी हो… मैं तुम्हें एक मर्द का प्यार दूँगा और अपने कपड़े मेरे सामने ही खोलने लगा। देखते-देखते वो नंगा हो गया।
उसके लंड को देखकर मैं चौंक गई, ये लंड नहीं गधे का लंड था।
मुझे शर्म आ रही थी, पर मज़ा भी आ रहा था। वो मेरे पीछे आ गया और पीछे से मेरे दोनों चूचियों को दबाने लगा और मेरे गालों और होंठों को ‘किस’ करने लगा।
मैं भी काफ़ी गरम हो गई। उसके बाद उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़ों को खोल दिया और मुझे गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया।
वो एक हाथ से मेरी चूचियों को और दूसरे हाथ से मेरी जाँघों को सहला रहा था। मैं कराहने लगी, मैं भी जोश में आकर अपने चूतड़ उठाने लगी थी।
अब मैं उसके ऊपर आ गई थी और वो मेरे नीचे था। वो मेरी दोनों चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा, उसका लंड मेरी चूत के पास दस्तक दे रहा था।
अगर वो अपने हाथों से लगाता तो ज़रूर घुस जाता, पर वो बहुत संयम में था लेकिन अब उसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मुझे भी मस्त लग रहा था तो मैंने ही उससे कहा कि डार्लिंग मैं तुमको प्यार करती हूँ पर अभी मुझे छोड़ दो मैं अभी बर्दाश्त नहीं कर सकती।
जैसे ही उसने मुझे घुमाया कि पुलिस के सायरन की आवाज़ आने लगी।
वो घबरा गया और मुझे छोड़ कर वो उठ गया और कपड़े पहनने लगा। मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ। उसने मुझसे कहा कि तुम भी भागो नहीं तो पुलिस पकड़ लेगी।
वो जल्दी से कपड़े पहन कर भाग गया, मुझे जोरों से सू-सू लगी हुई थी, मैं नग्न अवस्था में गुसलखाने में चली गई और पेशाब करने के बाद अपने कपड़े पहन ही रही थी कि आपका कॉन्स्टेबल आ गया और मुझे पकड़ लिया।
बाकी की कहानी आपको मालूम है… सर ये मेरा पहला मौका है मैं वेश्या नहीं हूँ सर प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए।

रणजीत- हम्म.. ठीक है पर एक शर्त है और ये सिर्फ़ तुम पर निर्भर करता है अगर तुम मना करो तो कोई बात नहीं तुम घर जा सकती हो।

सीमा कुछ कुछ इशारा तो समझ गई थी पर फिर भी उसने पूछा- जी सर बोलिए.. मैं क्या कर सकती हूँ।
रणजीत- सीमा तुम जिस मकसद से आई थी, वो तो पूरी हो गई। पर जो कर रही थी, वो पूरी नहीं हुई.. क्या तुम मेरे साथ?
सीमा उसके वाक्य के मतलब को समझते ही बुरी तरह शर्मा गई।

रणजीत- यह सिर्फ़ तुम्हारी रज़ामंदी पर है मैं कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा और तुम्हें सुबह घर भी पहुँचा दूँगा। वैसे भी तुम काफ़ी गरम हो गई होगी, है ना?
सीमा ने अपनी आँखें नीचे कर लीं, यह एक लड़की का स्वभाव होता है।
रणजीत- क्या कहती हो?
लड़की ने सहमति में सिर हिलाया और दोनों जीप में बैठ गए।
रणजीत ने गाड़ी स्टार्ट कर दी, बगल में सीमा बैठी थी।

थोड़ी दूर जाने के बाद सीमा ने कहा- आप जो भी करना चाहते है, कर लीजिए पर मुझे हॉस्टल सुबह भेज दीजिए।

यह सुनते ही रणजीत खुश हो गया, आज उसे एक नया माल चोदने के लिए मिल रहा था। उसने अगले चौराहे से गाड़ी घुमाई और एक सस्ते से होटल में आ गया। साथ में कुछ खाने के लिए भी ले लिया।

कहानी जारी रहेगी।
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