प्यार को तड़फती लुगाई हुई पराई- 2

(Sweet Love Affection Kahani)

सनी वर्मा 2025-05-05 Comments

स्वीट लव अफेक्शन कहानी में जब इंस्पेक्टर ने ठेकेदार को उसकी बीवी के प्रति दुर्व्यवहार के लिए उसे डांटा तो ठेकेदार की पत्नी के दिल में इंस्पेक्टर के प्रति प्यार उमड़ आया.

कहानी के पहले भाग
अच्छी लड़की को मिला बुरा पति
में आपने पढ़ा कि शराब का ठेकेदार अपनी पत्नी, भली लड़की के साथ मार पीट करता है. एक टैक्स इंस्पेक्टर ने यह देखा तो उसने ठेकेदार को धमकाया.

अब आगे स्वीट लव अफेक्शन कहानी:

शाम को सचिन को अचानक एक दिन के लिए लखनऊ जाना पड़ा।

जब वो आया, तो सीधे कोठी गया।

वहाँ उसे रामू से मालूम पड़ा कि सोनिया की कमर में फिसलने से चोट लग गई थी।
तो उसे कल हॉस्पिटल भर्ती किया है, आज आ जाएगी।

सचिन ने पूछना चाहा कि कैसे-क्या हुआ, तो रामू बोलते-बोलते रुक गया और वहाँ से चला गया।

सचिन को कुछ अजीब-सा लगा।
वो नहा-धोकर नाश्ता करके पहले तो ऑफिस गया और जरूरी काम निबटाकर उसने ओमी को फोन किया और सोनिया के बारे में पूछा।

ओमी पहले तो घबराया और फिर बोला, “साहब, लापरवाह है। पानी पड़ा था, उसे दिखा नहीं, फिसल गई। कोई खास चोट नहीं है। अब घर आ गई होगी।”
सचिन ने कहा, “आप नहीं गए हॉस्पिटल?”
ओमी बोला उसे कुछ काम था, तो उसने हेमा को ड्राइवर के साथ भेज दिया है।

सचिन रात को ही घर पहुँच पाया।
उसका खाना हेमा ने बना दिया था।

नीचे से उसे ओमी के चीखने की आवाज़ आई।
सचिन ने पूछा- क्या हुआ?

हेमा चुप रही।

सचिन के दोबारा पूछने पर वो सकुचाती हुई बोली, “साहब का तो ये रोज़ का काम है। हम इसलिए उनके आने के बाद उनके सामने नहीं पड़ते। मेमसाब बहुत अच्छी हैं। पर साहब…”
इतना कहकर हेमा चुप रही।

तभी नीचे से कोई बर्तन फेंकने की आवाज़ आई।

सचिन ने सोचा कि नीचे जाकर देखूँ।
पर दूसरे के घरेलू मामलों में पड़ना उसका स्वभाव नहीं था।

नीचे का उधम रोकने के लिए उसने हेमा से कहा कि वो नीचे जाए और ओमी से बस इतना कह दे कि इंस्पेक्टर साहब अभी-अभी आए हैं और पूछ रहे हैं कि ये बर्तन गिरने की आवाज़ कहाँ से आई है।
हेमा डरी, पर सचिन ने कहा कि आज से उसे डरने की जरूरत नहीं, डरेगा तो तुम्हारा साहब।
हेमा डरती-डरती नीचे गई।

सोनिया नीचे जमीन पर बैठी रो रही थी।
खाने की थाली से सारा खाना बिखरा पड़ा था।
ओमी के हाथ में चप्पल थी, संभवतः वो चप्पल से सोनिया को मार रहा था।

हेमा ने जैसा सचिन ने कहा था, कह दिया।
सचिन का नाम सुनते ही ओमी ढीला पड़ गया और चुपचाप अपने कमरे में चला गया।

हेमा ने सहारा देकर सोनिया को खड़ा किया और उसे हल्दी का दूध गर्म करके दिया।
फिर बिखरा खाना समेटकर वो हिम्मत से सोनिया से बोली, “मेमसाब, ये इंस्पेक्टर साब सब ठीक कर देंगे। आप हिम्मत मत हारना। और अब अगर साहब हाथ उठाए, तो आप मुझे आवाज़ दे देना।”

सोनिया ने रोते-रोते उससे कहा, “इंस्पेक्टर साहब को कुछ मत बताना।”
“मुझे कुछ बताने की आवश्यकता नहीं है, सोनिया जी…” ये आवाज़ आई सचिन की।
जो पीछे-पीछे नीचे आ गया था और सारा मामला समझ चुका था।

उसने कहा, “आप आराम कीजिए। कोई बात हो, तो मुझे आवाज़ दे दीजिएगा या बस ठेकेदार से मेरा नाम ले लीजिएगा। मैं एक-दो दिन में इनसे बात करूँगा।”

अगली सुबह उसका नाश्ता बनाते-बनाते हेमा ने ओमी का सारा कच्चा चिट्ठा और सोनिया की भलमनसाहत की सारी बात सचिन को बता दी।

सचिन सोचता रहा कि वो किस चक्कर में पड़ गया।
उसने सोचा कि दिन में कोई और मकान देख ले और अपना सामान यहाँ से हटा ले।

वो नीचे उतरकर अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट कर ही रहा था कि उसे पीछे से सोनिया की मरी-मरी-सी आवाज़ आई।

तब वो रुका।

सोनिया हाथ जोड़े उसके सामने आई और बोली, “इनका कुछ नुकसान नहीं कीजिएगा। मेरा नसीब ही खोटा है।”
कहकर वो रो पड़ी।

सचिन का दिल पसीज गया।
वो मोटरसाइकिल खड़ी करके नीचे उतरा और सोनिया का हाथ पकड़कर उसे कोठी के अंदर ले गया।

सोनिया से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था।

सचिन ने कहा- मैं सोचकर तो ये जा रहा था कि आज इस मकान को बदल लूंगा। पर अब मैं जब तक तुम्हारी की जिंदगी ठीक नहीं कर देता, कहीं नहीं जाऊंगा।

तभी सचिन ने सोनिया और रामू को अपना नंबर दिया कि अब अगर कोई भी परेशानी हो, तो वो उसे बताएँ।

दिन में सचिन ज्यादा व्यस्त रहा।
देर शाम को कोठी के गेट के बाहर उसने बाइक खड़ी की और पैदल ही अंदर आ गया।

अंदर ओमी का हंगामा चालू था।
वो नशे में चीख-चीखकर सोनिया को भद्दी-भद्दी गालियाँ दे रहा था और मकान से निकल जाने की धमकी दे रहा था।

सचिन कोठी के अंदर पहुँचा, तो देखा कि सोनिया चुपचाप खड़ी है, कपड़े अस्त-व्यस्त।
ओमी उसे थप्पड़ मारने जा ही रहा था।

सचिन ने उसे चीखकर रोका और उसके पास पहुँचकर एक वजनदार थप्पड़ उसे रसीद किया।
सचिन के हाथ का थप्पड़ कोई तंदरुस्त नहीं झेल सकता था।
ओमी तो लुढ़कता-पुढ़कता जा गिरा।

सोनिया उठी और हाथ जोड़कर सचिन से बोली, “आप चले जाइए।”
सचिन बोला, “चला जाऊँगा, पर इस राक्षस को जेल भेजकर!”
कहकर उसने अंधाधुंध ओमी को पीटना शुरू कर दिया।

लात-घूँसों की मार से ओमी के एक-दो जगह से खून भी निकल आया।
ओमी सचिन के पैरों पर पड़कर माफी माँगने लगा।

सचिन ने उससे कह दिया, “आज के बाद तूने अगर भाभी की ओर आँख भी उठाई या इस कोठी के अंदर गाली या ऊँची आवाज़ भी सुनाई दे गई, तो तेरा वो हाल करूँगा। और तेरा लाइसेंस तो कल ही कैंसिल कराता हूँ, मुझे सब मालूम है कि तू क्या-क्या हेराफेरी करता है।”

अब ओमी तो दहाड़ मार-मारकर रोने लगा और सचिन के पैरों से लिपट गया।

सचिन बोला, “माफी मुझसे नहीं, भाभी से माँगो और वो भी पैर पकड़कर। अगर आज के बाद इनकी आँख से आँसू गिर गया, तो तेरी मौत हो जाएगी।”

उसकी लाल आँखें देख ओमी सोनिया के पैर पकड़ने भागा।
सोनिया ने उसे रोक दिया और चीखकर कहा, “मेरे पास आने की जरूरत नहीं है। मुझे छूना भी नहीं आज के बाद!”

सचिन ने ओमी को ले जाकर उसकी मरहम-पट्टी करवा दी।

जब वो घर लौटा, तब तक सोनिया नहाकर कपड़े बदल चुकी थी।
उसे भी समझ आ गया था कि ओमी को कोई सुधार सकता है, तो वो सिर्फ सचिन है।

अगली सुबह ओमी के ठेके से फोन आया- इंस्पेक्टर साहब आए हुए हैं और उन्होंने कई गड़बड़ी पकड़ी हैं।
ओमी की तो हिम्मत ही नहीं पड़ी वहाँ जाने की … उसे मालूम था कि सचिन उसे जेल भेजे बगैर नहीं मानेगा।

उसे एक तरकीब सूझी।
वो वापस घर आया और हाथ-पैर जोड़कर सोनिया को अपने साथ लेकर ठेके पर पहुँचा।

वहाँ ऑफिस में सचिन चालान के कागज़ भरने ही जा रहा था।
सोनिया अंदर पहुँची और बस हाथ जोड़कर सचिन के सामने खड़ी हो गई।
उसकी आँखों में आँसू थे।

सचिन ने गुस्से में सारे कागज़ फाड़ दिए और चुपचाप वापस आ गया।
दिन में उसके बाबू ने उसे बताया- ओमी का फोन आ रहा है। वो मुझे रिश्वत देना चाह रहा है, क्या बुला लूँ?

सचिन बहुत गुस्से में था, उसने मिलने से साफ मना कर दिया।

अब उसके मोबाइल पर सोनिया का फोन आया।
उसकी बहुत मीठी और सधी हुई आवाज़ थी।

उसने सचिन से कहा कि वो उसकी मदद करने के लिए ही तो ओमी का नुकसान करना चाह रहे हैं। पर ओमी का नुकसान हुआ, तो क्या वो खुश रह पाएगी।
सोनिया ने उससे कहा, “मैं आपसे हाथ जोड़कर कह रही हूँ कि ओमी का नुकसान मत कीजिए, पर हाँ, उसे सुधार दीजिए। वो पहले बहुत अच्छा आदमी था।”

सचिन सोनिया की भलमनसाहत और संस्कारों से दंग रह गया।
उसने कहा, “आप निश्चिंत रहिए। मेरे से कोई नुकसान नहीं होगा ओमी का।”

दिन में ओमी उसके ऑफिस आया और उससे हाथ जोड़कर माफी माँगी कि आज से वो सोनिया को हाथ नहीं लगाएगा। शाम को खाना खाकर और पेग लगाकर चुपचाप अपने कमरे में सो जाया करेगा।

सचिन ने सोचा कि इतना ही काफी है, उसने कौन-सा सबको सुधारने का ठेका लिया है।

शाम को सोनिया का फोन आया और उसे धन्यवाद देते हुए वो बोली, “आज आपके लिए स्पेशल खाना बनाया है।”

सचिन बोला, “खाना तो मैं ऊपर ही खा लूँगा, आप क्यों परेशान हो रही हैं।”
सोनिया बोली, “ठीक है, ऊपर आकर खिला दूँगी।”

सचिन ने टालना चाहा कि मुझे तो देर हो जाएगी।
सोनिया बोली, “कोई बात नहीं।”

रात को सचिन लगभग 8 बजे कोठी पहुँचा।
रामू ने गेट खोल दिया।

सचिन ऊपर पहुँचा, तो पीछे-पीछे सोनिया आ गई।
उसने आज गुलाबी रंग का सूट पहना था।
बहुत प्यारी और खुश थी।

वो बोली, “आपने तो कमाल कर दिया। ओमी आज शाम को जल्दी ही आ गया और आते ही मुझसे माफी माँगी। और कहा कि आज आपने मेरी वजह से उसे छोड़ दिया, वरना बहुत नुकसान हो जाता। पर अब उसे शराब की इतनी लत पड़ चुकी है कि एक साथ छूटनी मुश्किल है। उसने पहले तो कमरे में अपनी शराब पी, फिर चुपचाप खाना खाकर सो गया है। अब सुबह ही उठेगा। और सच कहूँ, तो मैं भी नहीं चाहती कि वो मेरे नज़दीक आए। उसने इतना अपमानित किया है मुझे इन नौकरों के सामने कि मुझे नफरत-सी हो गई है उससे।”

वो गुस्से में थी, पर सचिन को मुस्कुराते देख वो भी मुस्कुरा दी।

सचिन ने मुस्कुराते हुए सोनिया से कहा, “आज आप मुस्कुराती हुई कितनी अच्छी लग रही हैं।”
सोनिया बोली, “इस मुस्कुराहट के हकदार आप हैं। मैं तो कब की आत्महत्या कर लेती, पर बस इसी ओमी का ख्याल आ जाता था। कई बार तो इससे पिटने के बाद सोचा कि इसकी रिवॉल्वर से इसे गोली मारकर खुद भी मर जाऊँ, पर बस हिम्मत नहीं पड़ी।”

सोनिया ने मुस्कुराते हुए बताया कि उसके पास अपनी लाइसेंसी पिस्टल भी है।
वो बोली, “सच कहूँ, तो मुझे जितना प्यार था इससे, अब उतनी ही नफरत हो गई है इससे। जब ये मेरे पास आता है, तो शराब की बदबू बर्दाश्त नहीं होती मुझसे।”

सचिन हँसकर बोला, “नहीं, आप आज भी इससे उतना ही प्यार करती हैं। तभी तो इसका नुकसान नहीं होने देतीं।”
सोनिया दृढ़ होकर बोली, “नहीं, मैं इससे अब प्यार नहीं करती, बस तरस खाती हूँ इस पर! खैर छोड़िए, आप नहा लीजिए, फिर खाना लगाती हूँ।”

सचिन हँसकर बोला, “आज तो आपको देखकर मेरा मन भी शराब पीने का कर रहा है।”
सोनिया ने भी हँसकर जवाब दिया, “ऐसे ही मुझे देखते रहिए, नशा हो जाएगा।”

सचिन ने नहाकर कपड़े बदले।
तब तक ट्रे में खाना रखकर सोनिया ऊपर आ गई।

सचिन ने पूछा, “हेमा और रामू कहाँ हैं?”

सोनिया बोली, “उन्हें तो 7 बजे ही छुट्टी दे दी। कोई काम ही नहीं था। आज आपको अपने हाथ की रोटी खिलाऊँगी।”
सचिन ने पूछा, “आपने खाना खा लिया?”

सोनिया बोली, “नहीं, मुझे आदत छूट गई है रात को खाना खाने की।”
कहते-कहते वो रुआँसी हो गई।
सचिन ने उसे अपने पास बिठाया, सोनिया के गालों पर मोती जैसे आँसू लुढ़क आए।

सचिन ने प्यार से पूछा, “क्यों आदत छूट गई रात को खाने की?”
तो सोनिया भरभराकर रो पड़ी और बोली, “अब गाली खाकर ही पेट भर जाता था, तो खाने का मन कहाँ करता है।”

सचिन ने उसके आँसू पोंछे और गिलास से भरकर पानी पिलाया।
सोनिया कुछ शांत हुई, तो सचिन ने उससे कहा, “जब तक मैं यहाँ हूँ, आपको रोने की जरूरत नहीं। और हाँ, आज खाना आप मेरे साथ ही खाएँगी।”

सोनिया ने खाना लगाकर सचिन को दिया, तो सचिन बोला, “आपकी प्लेट कहाँ है?”
सोनिया चुप रही।

सचिन ने उसे अपने बगल में बिठाया और अपनी प्लेट से एक निवाला तोड़कर उसे जबरदस्ती खिलाया।

पता नहीं सोनिया को क्या हुआ, वो सचिन से लिपट गई।
उसे इतना प्यार अब दो साल बाद मिल रहा था।

सचिन ने सोनिया को अपने साथ ही खाना खिलाया।

सोनिया अब स्वीट लव अफेक्शन से बहुत खुश थी। उसने सचिन से कहा, “अब आप सोइए, मैं जाती हूँ।”
सचिन ने उसका हाथ पकड़ लिया।

बाहर बादल कड़क रहे थे।
शायद बारिश आने को थी।

उन दोनों के अंदर भी तूफान उठ रहा था। अचानक बिजली जोर से कड़की और बत्ती चली गई।

सोनिया डरकर सचिन से लिपट गई।
अब सचिन ने भी उसे कसके भींच लिया।

शायद सचिन के लिए भी पहला मौका था किसी स्त्री से चिपटने का।
आज उसके सारे उसूल धरे रह गए थे।

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स्वीट लव अफेक्शन कहानी का अगला भाग: प्यार को तड़फती लुगाई हुई पराई- 3

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