कुंवारी पड़ोसन लड़की चुद गई मुझसे

(Teenage Girl Fuck Story)

समीर 21 2025-07-12 Comments

टीनऐज गर्ल फक स्टोरी में मेरे पड़ोस में एक नया परिवार आया. उनकी जवान लड़की थी. मैंने उससे दोस्ती की और एक दिन प्रोपोज कर दिया. उसने अगले दिन हाँ की.

मेरा नाम समीर है और मेरी उम्र 33 साल है.

यहाँ सभी की सुंदर और कामुक कहानियाँ पढ़ने के बाद मेरा भी मन हुआ कि मैं भी अपनी एक कहानी यहाँ साझा करूँ।

यह बात सन 2010 की है।
उस समय मैं अपनी ज़िंदगी के बीसवें बसंत में था।

कॉलेज के अलावा कोई ऐसा ज़रूरी काम था ही नहीं, जिसकी ज्यादा चिंता हो।
बस कॉलेज के बाद घर के छोटे-मोटे काम कर लिया करता था, जैसे किराने का सामान लाना या कपड़े इस्तरी करवाकर ले आना वगैरह।

अब मैं आपको बताता हूँ कि किस तरह मैंने अपनी ज़िंदगी की पहली चूत फाड़ी।

टीनऐज गर्ल फक स्टोरी में हुआ यूँ कि हमारे पड़ोस का एक मकान बिका।
उसमें नए मकान मालिक आए।

उन अंकल का दूसरे शहर में एक होटल था।

चूँकि वे पहले यहीं के रहने वाले थे तो बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए उन्होंने अपने शहर में ही रहना पसंद किया।
मकान लेते ही वे तुरंत शिफ्ट भी हो गए।

चूँकि अंकल का होटल दूसरे शहर में था, वे ज्यादातर वहीं रहते थे।

आंटी बहुत सीधी-सादी और घरेलू महिला थीं।

उनकी एक बेटी और दो बेटे थे।
दोनों बेटे तो छोटे थे, लेकिन उनकी बेटी शमा बिल्कुल मेरी हमउम्र थी।

साँवले रंग और बड़े नैन-नक्श वाली उस लड़की को याद करके मैं आज भी लंड को मरोड़ देता हूँ।
उफ्फ! क्या चीज बनाया था उसे ऊपर वाले ने!

शमा से मेरी पहली मुलाकात मोहल्ले की किराने की दुकान पर हुई थी।
सफेद सलवार-कमीज में उसकी गुलाबी ब्रा मुझे आज भी अच्छी तरह याद है।

संभलकर धीरे-धीरे उसका चलना और उसके 34 के चुचों और 36 की गांड के बीच में फँसी 26 की कमर, मानो कहीं लचक न जाए!

जैसे हर बार की तरह, मैं सुबह नाश्ते के लिए अंडा-ब्रेड लेने दुकान गया था।
वह भी अपने घर का कुछ सामान लेने आई थी।
मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया।

जब वह दुकान से चली गई, तो पता चला कि उसका कुछ सामान वहीं छूट गया था।

दुकानदार बोला, “समीर, जा, ये सामान अपने पड़ोस वाले मकान में दे देना। शायद ये लड़की इसे गलती से भूल गई है!”

मैं दुकानदार को ‘ठीक है; बोलकर अपना और उसका सामान लेकर चल दिया।
पहले मैंने अपने घर का सामान पहुँचाया, फिर उसके घर पहुँच गया।

दरवाजा नॉक करने पर आंटी ने दरवाजा खोला।

मैं बोला, “आंटी, ये आपका किराने का बैग है। शायद आपकी बेटी दुकान पर भूल आई थी!”

उन्होंने मुझे ‘शुक्रिया बेटा’ बोलकर अंदर आने को कहा।
मैं तो जैसे इसी मौके का इंतज़ार कर रहा था ताकि आंटी और उनकी प्यारी बेटी से जान-पहचान हो जाए।

आंटी ने मुझे बैठने को कहा और अपनी बेटी को आवाज़ दी, “शमा, जरा एक गिलास पानी तो लेकर आओ!”

वह अंदर रूम में थी।
वहीँ से बोली, “जी अम्मी, अभी लाई!”

जब वह पानी लेकर आई, तो दुपट्टा डालना भूल गई।
मुझे घर में बैठा देख वह थोड़ा चौंक गई।

अब क्या बताऊँ दोस्तो, बिना दुपट्टे के उसके 34 साइज़ के कबूतर, जो गुलाबी ब्रा में क़यामत ढा रहे थे, मानो कोई इमारत ढह रही हो!

उसने मुझे पानी दिया।
मैंने उसके हाथ से गिलास लिया और उसकी उंगलियों को हल्का-सा दबा दिया।
वह चुप रही।

आंटी उसे बोलने लगीं, “तू वहाँ कुछ सामान भूल आई थी। ये उसे छोड़ने आए हैं!”
यह सुनकर उसने अपनी गर्दन नीचे झुका ली।

फिर मैं वहाँ से जाने लगा।

आंटी बोलीं, “बेटा, बातों-बातों में मैं तो पूछना ही भूल गई कि तुम कौन हो, कहाँ रहते हो, क्या करते हो? देखो, हम अभी यहाँ नए शिफ्ट हुए हैं!”

मैंने कहा, “आंटी, मेरा नाम समीर है। मैं आपके बराबर में ही रहता हूँ और बी.कॉम सेकंड ईयर में हूँ, पास के कॉलेज में!”

आंटी बोलीं, “अरे, कॉलेज से याद आया! हमारी शमा का भी दाखिला होना है। अगर तुम उसका दाखिला अपने कॉलेज में करवा दो, तो बड़ी मेहरबानी होगी!”
मैं बोला, “आंटी, इसमें मेहरबानी की कोई बात नहीं। ये तो अब मेरी ज़िम्मेदारी है!”

समझ रहे हो ना?

मैंने कहा, “कल ही इसका दाखिला करवा दूँगा। आप सारे कागज़ात तैयार रखना!”

तो दोस्तो, इस तरह हमारी दोस्ती शुरू हुई, जो बाद में चुदाई के हसीन अंजाम तक पहुँची!

अगले दिन मैं सुबह 9 बजे उनके घर पहुँच गया और शमा को साथ लेकर कॉलेज की ओर चल दिया।
कॉलेज ज़्यादा दूर नहीं था, फिर भी हम सवा 9 बजे पहुँच गए।

मैंने जानबूझकर बनावटी बात की, “अभी कॉलेज का स्टाफ नहीं आया। 10 बजे के बाद आएगा!”

ये मुझे पहले ही मालूम था।
मैंने शमा को कॉफी ऑफर की।

उसने “हाँ” बोला।
मैं उसे एक कॉफी शॉप में ले गया।

वहाँ जाकर मैंने दो कॉफी ऑर्डर की और हम बातें करने लगे।

मैंने पूछा, “तुम्हारे घर में कौन-कौन है?”

वह बोली, “मेरे अलावा दो छोटे भाई हैं, जो 5वीं और 6ठीं क्लास में हैं!”

मैं हँस दिया, “चलो, अच्छा है कि छोटे हैं। बराबर के होते तो तुम मेरे साथ यहाँ कॉफी कैसे पी पाती!”
वह बोली, “जी, मैं कुछ समझी नहीं!”
मैंने कहा, “कुछ नहीं, बस यूँ ही!”

फिर मैंने पूछा, “तुम्हें कौन-सी क्लास में दाखिला लेना है?”
उसने बताया, “इंटर के बाद मैं बी.ए. करना चाहती हूँ!”

मैंने कहा, “ओके, तुम्हारा एडमिशन तो हो गया समझो! बस, तुम मिठाई की तैयारी रखो!”
यह कहकर मैं हँस दिया और उसे हल्के से आँख मार दी।

वह भी मुस्कुरा दी।

कॉलेज में एडमिशन के बाद सबसे पहले मैंने उससे नंबर एक्सचेंज किया।

मैंने कहा, “अगर तुम्हें कोई ज़रूरत हो, तो कॉल कर लेना। बंदा हाज़िर हो जाएगा!”
उसने “ठीक है” बोला और हम अपने-अपने घर आ गए।

दिन धीरे-धीरे ऐसे ही गुज़रते गए।
उससे मेरी दोस्ती भी खूब जम रही थी।
लेकिन उसके महकते बदन को पाने की मेरी सारी कोशिशें बेकार जा रही थीं।

ऐसा नहीं था कि वह मेरे मज़ाक के लफ्ज़ों को समझती नहीं थी।
शायद वह दोस्ती से आगे बढ़ने से डरती थी।
और मैं उसकी 19 साल की पकी हुई जवानी को पाने के चक्कर में बेकाबू हो रहा था।

रात में लंड को पकड़कर मसलना अब रूटीन में था।
कभी-कभी तो हिला-हिलाकर उसके नाम की मुठ भी मार लेता था।

उसे पाने की चाहत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी।

एक दिन मैंने हिम्मत करके उसे फोन मिलाया और ‘आई लव यू’ बोल दिया।
पहले तो वह मना करने लगी, फिर बोली, “अच्छा, सोचकर जवाब दूँगी!”

दो दिन बाद उसका फोन आया, “समीर, मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। तबसे, जबसे तुम मेरे घर आए थे!”
मैं बोला, “तो फिर पहले क्यों नहीं बताया?”

उसने कहा, “मैं डरती थी कि कहीं कोई अम्मी को न बता दे!”
मैं हँसा और बोला, “पागल, प्यार तो मैं और तुम करते हैं। कोई तीसरा थोड़े ही बताएगा!”

तो इस तरह हमारी कहानी शुरू हो चुकी थी।
वह रोज़ मेरे साथ कॉलेज जाती थी।

एक दिन मैंने उसे कॉलेज बंक मारकर पिक्चर देखने के लिए फोर्स किया।
वह मान गई।

हमने शहर के एक मल्टीप्लेक्स में कई हफ्तों से चल रही “गोलमाल” मूवी के लिए पिछली सीट का टिकट लिया और थिएटर में जाकर बैठ गए।

मूवी काफी दिनों से चल रही थी, तो देखने वालों की संख्या कम थी।
मतलब, रोमांस का पूरा मौका था!

एक कॉमेडी सीन पर जब वह हँस रही थी मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन में डाल दिया और उंगलियों से उसकी गर्दन सहलाने लगा।
उसने मेरी तरफ देखा।

मैंने उसके होंठों पर किस कर दिया और दूसरा हाथ उसकी ब्रा में डालकर उसके सख्त चुचों को दबाने लगा।
वह भी मेरा साथ दे रही थी और गर्म हो गई।

मैंने देर न करते हुए उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को मसल दिया।
उसकी पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

पूरी मूवी के दौरान हमने एक-दूसरे का रसपान किया।
फिर हम वहाँ से चले आए।

दोस्तो, शमा के पूरे बदन पर हाथ फेरकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई मखमल की चादर हो।
उसके भरे हुए चुचे और मस्त समोसे जैसी चूत को छूने से ही मुझे अनोखा अहसास हुआ।
अब तो मैं उसे जी भरके चोदना चाहता था।

यह तो मुझे मालूम था कि शमा भी मुझसे जल्द-से-जल्द चुदना चाहती थी।
आखिर उसका गदराया हुआ, फुल पका हुआ यौवन भी मेरे लंड को दावत दे रहा था, “समीर, आओ और इस जिस्म की प्यास बुझा दो!”

शमा की चूत फाड़ने का मौका भी मुझे जल्द ही मिल गया।

जब उसकी अम्मी को शहर के किसी रिश्तेदार के यहाँ जाना था, शमा ने उनके साथ जाने से मना कर दिया।
उसने कहा, “मुझे आज कॉलेज जाना ज़रूरी है!”

तो उसकी अम्मी छोटे भाइयों को लेकर चली गईं।
असल में वह भी चुदने का मौका ढूँढ रही थी।

आंटी के जाते ही उसने मुझे कॉल किया, “समीर बाबू, जल्दी से मेरे घर आ जाओ! मुझे तुमसे ज़रूरी काम है!”

मैं उसके घर पहुँच गया।
उसने मुझे बैठने को कहा और मेन गेट अंदर से बंद कर दिया।

फिर मेरे पास आकर बैठ गई।

मैं बोला, “क्या काम है तुम्हें? और आंटी जी कहीं नज़र नहीं आ रही!”
शमा बोली, “अम्मी तो कहीं गई हैं और दोनों भाइयों को भी ले गई हैं। शाम को ही लौटेंगी। और पापा भी इस हफ्ते नहीं आएँगे!”

अब मैं समझ गया कि वह आज इतना शर्मा क्यों रही थी।
दोस्तो, कोई भी लड़की चुदने के लिए अपनी ज़ुबान से कभी नहीं कहेगी।
आपको खुद ही समझना पड़ता है!

वह आज नहा-धोकर चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार थी।
होंठों पर हल्की लाल लिपस्टिक और आँखों में गहरा काजल लगाए उसकी झुकी नज़र बहुत कुछ कह रही थी।
आंटी का गाउन पहने वह मुझे खुला न्योता दे रही थी।

उसने मुझे चाय के लिए पूछा।

मैंने उसके चुचों की तरफ इशारा करके कहा, “मैडम, हम आज सिर्फ दूध पिएँगे!”

और गाउन में हाथ डालकर उसका बूब पकड़ लिया।
उसने आज ब्रा भी नहीं पहनी थी।
मैं उसके सख्त चुचे को जोर-जोर से मसल रहा था।
वह मेरे सिर पर उंगलियाँ फिरा रही थी।

उसके गुलाबी निप्पल को बीच-बीच में धीरे-धीरे घुमाना और दबाना उसकी कामवासना को दुगना कर रहा था।
मैं एक चूची को मुँह में भरता, तो कभी दूसरी को।
कभी उसकी गर्दन के नीचे चूम लेता, तो कभी कान को काट लेता।
ऐसा करने से वह बहुत गर्म हो गई।

वह मुझे अपने बेडरूम की तरफ ले गई।
उसका गाउन उतारकर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया।
वह अब सिर्फ पैंटी में थी और गज़ब की क़यामत लग रही थी।
लंड लेने की चाहत में उसका पूरा जिस्म सुर्ख हो चुका था।

मैं भी कपड़े उतारकर उसके बाजू में लेट गया।
उसे अपनी तरफ मोड़कर फिर से उसके मस्त चुचों से खेलने लगा।
उसकी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही हाथ फेरने से वह बहुत आतुर हो गई।

वह बोली, “जानू, मुझे जल्दी से आसमान की सैर करवा दो!”

मैंने अपना 6 इंच लंबा, मोटा लंड उसके हाथ में देकर कहा, “आसमान पर उड़ने की चाबी पहले हाथ में पकड़ो!”

मोटा लंड हाथ में आते ही वह हल्का-सा डर गई और बोली, “इतना मोटा! ये मैं कैसे ले पाऊँगी?”
मैं बोला, “जानू, ये तो अपना रास्ता खुद बना लेगा। तुम्हें डरने की ज़रूरत नहीं!”

उसकी पैंटी उतारने के बाद उसकी समोसे जैसी तिकोनी चूत मेरे सामने थी।
चूत को देखकर लगता था जैसे आज ही इसकी शेविंग की गई हो।

हल्की गुलाबी रंग की फाँकों वाली चूत बहुत प्यारी थी और फूल की तरह खिलने को बेताब थी।
सिर्फ देर थी तो बस लंड बजने की।

उसकी चूत पर बैठा छोटा-सा कव्वा मैंने धीरे से रगड़ना शुरू किया।

दो उंगलियों से कव्वे को दबाना और छोटी उंगली उसकी चूत में डालकर मैंने उसे बहुत गर्म कर दिया था।
वह भी मदहोश होकर मेरे नेवले से खेल रही थी।

जब मुझसे भी नहीं रहा गया, तो मैं उसके ऊपर आ गया।
टाँगों के बीच जगह बनाकर लंड का टोपा उसकी चूत पर सेट किया।
उसकी टाइट फुद्दी में लंड जा ही नहीं रहा था। शायद ये उसका पहला चांस था।

दूसरे ट्राई में मैंने लंड पर थोड़ी कोल्ड क्रीम लगाई और दोबारा उसकी करारी बुर पर सेट करके एक जोरदार धक्का मारा।
आधा लंड उसकी चूत में फँस चुका था।
वह दर्द से छटपटा रही थी।

वह चीखी, “समीर, छोड़ो! ये दुखता है!”

मैं हल्के हाथों से उसे सहलाने लगा और इधर-उधर की बातें करके उसका ध्यान बँटाने लगा।
फिर कमर का पूरा जोर लगाकर एक और जोरदार शॉट मारा।
इस बार पूरा लंड फर्रर… की आवाज़ के साथ उसकी चूत फाड़ चुका था।

उसके मुँह से बस यही निकला, “आई अम्मी! मर गई!”

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक कर दिया।
जब वह थोड़ी नॉर्मल हुई, तो मैंने पूछा, “जानू, तू ठीक तो है ना?”

वह बोली, “तुम बड़े बदमाश हो!”

और मुझे किस कर दी।
उसकी किस दर्द कम होने का सिग्नल थी।

मैंने उसकी 26 साइज़ की कमर दोनों हाथों में दबाकर धीरे-धीरे उसे चोदना शुरू किया।
वह भी टाँगें फैलाकर मेरे लंड का इस्तकबाल कर रही थी।

हल्की “आह… उह… मर गई” जैसी आवाज़ों के साथ वह मुझे पूरा सहयोग कर रही थी।

चूत से निकला खून किसी लुब्रिकेंट का काम कर रहा था।
चूत पर बैठा वह छोटा कव्वा भी लंड को चूम रहा था।

शमा भी नीचे से धक्के लगाकर आसमान छूने को बेताब थी।
उसने मुझे कमर से कसकर पकड़ लिया था।

टीनऐज गर्ल फक करते हुए मैंने अपने धक्कों की स्पीड तेज कर दी।

थोड़ी देर बाद शमा बोली, “जानू, मेरे शरीर में कुछ अजीब-सा हो रहा है। शायद मेरा होने वाला है!”
और वह छूट गई।

मैं अभी नहीं हुआ था।

उसके छूटे हुए पानी में लंड और समुद्री चलने लगा।
फच-फच की आवाज़ें मेरा उत्साह बढ़ा रही थीं।

जब मेरा भी छूटने को हुआ, तो मैंने कहा, “जानू, मैं अंदर ही झाड़ दूँ क्या?”
वह बोली, “नहीं!”

मैंने लंड बाहर निकालकर उसके मुँह में पेल दिया।
दो-चार धक्कों में ही उसका मुँह मेरे गाढ़े माल से भर गया।

उसने एक भी बूँद बाहर नहीं टपकाई और चाटकर मेरा पूरा लंड साफ कर दिया।

उसके बाद हम दोनों बाथरूम में जाकर फ्रेश हुए।
एक-दूसरे को नहलाने के बाद हमने साथ में खाना खाया।
फिर दूसरे राउंड की चुदाई शुरू की।

दूसरे राउंड की चुदाई और कैसे मैंने शमा की अम्मी को चोदा, ये मैं आपको अगली कहानी में लिखूँगा।

तो दोस्तो, ये थी मेरी पहली बार चूत फाड़ने की स्टोरी।
उम्मीद है आपको टीनऐज गर्ल फक स्टोरी हॉट लगी होगी!
मुझे आपके रिप्लाई का इंतजार रहेगा.
आपकी प्रशंसा प्राप्त करने हेतु मेरी मेल आईडी है
[email protected]

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