गर्लफ्रेंड की कजिन की सीलपैक फुद्दी का उद्घाटन

(Virgin First Sex Kahani)

वर्जिन फर्स्ट सेक्स कहानी में मेरी गर्लफ्रेंड की कजिन को पता लगा कि मैं उसकी बहन को चोदता हूँ. वह भी मुझसे चुदना चाहती थी. मैंने उसे चंडीगढ़ के एक होटल में चोदा. कैसे?

दोस्तो, कैसे हैं आप सभी? आशा करता हूं कि आप सभी अच्छे होंगे।

मैं आपका संचित ठाकुर, तलवाड़ा (होशियारपुर), पंजाब से।
हाजिर हूं आपके सामने मेरी एक और सेक्स गाथा लेकर … उम्मीद है आपको यह वर्जिन फर्स्ट सेक्स कहानी पसंद आएगी।

मेरी पिछली कहानी
सीलपैक लड़की को पटाकर चोदा
में आपने पढ़ा कि आरुषि की जवानी का मजा तो मैं लूट ही रहा हूं.
पर मिनिषा को अब हम पर शक हो गया था.
और ये बात मुझे आरुषि ने ही बताई थी।

मिनिषा आरुषि के ताया की लड़की है।
वो आरुषि की तरह गोरी-चिट्टी तो नहीं, पर फिर भी उसका सांवला रूप-रंग, लंबा कद, गोल चेहरा, मोटी-मोटी आंखें, गुलाबी होंठ, 32 साइज के तीखे मम्मे, गोल-मटोल गांड—उसकी चढ़ती जवानी पर चार चांद लगा देते हैं।

एक दिन मिनिषा मेरे घर आई, मेरी मम्मी को कुछ देने।
उसकी दादी ने कुछ भेजा था।

मैं भी बाहर लॉबी में ही बैठा था।

मैंने उसे देखा और पूछा, “मीनू मैडम, क्या देने आई हो?”
मिनिषा ने भी जवाब दिया, “हम क्या देंगे आपको? आपको देने वालों की कमी थोड़ी है!”

उसका जवाब सुनकर मैं उसकी तरफ देखता ही रह गया और वो मेरी मम्मी को आवाज देती हुई अंदर चली गई।
बात आई-गई हो गई।

फिर एक दिन मुझे चंडीगढ़ जाना था किसी निजी काम से!
और इत्तेफाक से उसी दिन मिनिषा और उसकी मम्मी को भी चंडीगढ़ जाना था।

मिनिषा का आगे की पढ़ाई के लिए किसी यूनिवर्सिटी में दाखिले का पेपर था और मिनिषा की मां ने चंडीगढ़ PGI से डॉक्टर से अपनी दवाई भी लेनी थी।

हम लोग सुबह पांच बजे निकले।
मिनिषा आगे मेरे साथ और इसकी मां पीछे बैठ गई।

थोड़ी देर में ही मिनिषा की मां की आंख लग गई।

ये पक्का करने के बाद कि मिनिषा की मां सो चुकी है, फिर मैंने मिनिषा के साथ बात शुरू की।

“उस दिन क्या बोल रही थी तुम…?”
मिनिषा, “मैंने तो कुछ नहीं बोला।”

मैं, “कुछ देने-लेने की बात कर रही थी।”
मिनिषा, “हां, तो आपको पता होगा कि आप क्या और कहां से कैसे लेते हो.”
उसने थोड़ा शरारती अंदाज में कहा।

“मिनिषा, साफ-साफ बोलो, क्या कहना चाहती हो?”
उसने पहले अपनी मां की तरफ देखा और फिर झट से बोली, “मुझे पता है कि आपका और आरुषि का क्या चल रहा है.”

मैंने अनजान बनते हुए पूछा, “क्या मतलब, क्या चल रहा है मेरा और आरुषि का?”
“मुझे पता है आप आरुषि को चोदते हो,” और उसने मेरे हाथ पर हाथ रख दिया।

अब जब खुद एक जवान लड़की आपके नीचे आने को मचल रही हो, तो कोई मूर्ख ही होगा जो ऐसा मौका गंवाए।
फिर हम दोनों की नजरें मिलीं और मिनिषा ने शर्माकर अपनी आंखें नीची कर लीं और एक कातिल मुस्कान दी।
मतलब कि लड़की फुद्दी देने को तैयार थी, बस सही मौका चाहिए था।

मौका मैंने बना लिया।

मिनिषा की मां को अपनी बातों में फंसाकर कहा, “आपको अंधेरा हो जाएगा और मेरा भी काम देरी से खत्म होगा, तो आज रात यहीं रुककर हम कल सुबह घर के लिए वापस निकलेंगे।”
उसकी मां को मेरी बात सही लगी और उसने सहमति दे दी।

चंडीगढ़ पहुंचकर मैंने उन दोनों को PGI छोड़ा और उनको वापस लेने आने का बोलकर मैं अपने काम के लिए निकल गया।
फिर शाम को पांच बजे मैंने उन दोनों मां-बेटी को वापस उठाया और बातों-बातों में पूछा, “क्या कहा डॉक्टर ने और कैसा रहा तुम्हारा पेपर?”

मिनिषा ने कहा, “मां के सिर में बहुत दर्द रहता है और डॉक्टर ने इस बार दवाई बदलकर दी है। मेरा पेपर भी बहुत अच्छा हुआ है।”
इतने में मैंने गाड़ी होटल के सामने खड़ी कर दी और रिसेप्शन पर जाकर दो कमरे बुक कर लिए।

एक कमरे की चाबी मिनिषा को देते हुए मैंने उसका हाथ दबा दिया।
मिनिषा भी मुस्कुराकर अपनी मां के साथ कमरे में चली गई।
दोनों कमरे साथ में ही थे।

कमरे में आते ही फ्रेश होकर मेरी आंख लग गई और उठने के बाद हमने रात का खाना खाया।
इसी दौरान मैंने मिनिषा को एक पर्ची पकड़ा दी।

रात को 10 बजे के करीब मेरे कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई और मैंने दौड़कर दरवाजा खोला तो मिनिषा सामने खड़ी थी।

मैंने उसे खींचकर अंदर लिया और दरवाजा बंद करके मिनिषा को बाहों में भर लिया।
फिर उसके टी-शर्ट के पीछे से हाथ डालकर ब्रा का हुक खोला और उसकी लाल रंग की ब्रा को ऊपर करके मम्मे दबाने लगा।

इससे वह गर्म होकर मुझे किस करने लगी।

कोई 5 मिनट किस करने के बाद मैंने उसे लेटा दिया और टी-शर्ट और ब्रा को उतार दिया।
उसके मम्मों को दबाते हुए उनपर किस करने लगा, जिससे वह बहुत उत्तेजित होने लगी।

बाद में थोड़ा अलग होने के बाद मैंने उसके लोअर में हाथ डाला, तो उसने अंदर पैंटी नहीं पहनी थी।

मैंने उसके लोअर को उतारा और उसकी चिकनी फुद्दी पर हाथ घुमाकर दाने को दबाने लगा।

मिनिषा के मुंह से प्यार भरी “आह” की सिसकारी निकली।

उसे उत्तेजित करने के लिए उसकी चिकनी फुद्दी को चाटने और दाने को जीभ से जोर-जोर से दबाने लगा।
वह “आह… हम्म्म…” की सिसकारी निकालने लगी।

कोई पांच मिनट इसी तरह मिनिषा की फुद्दी चूसने के बाद उससे रहा नहीं गया।
वह बोलने लगी, “प्लीज कुछ करो अब…”
फिर मैंने पहले बेड पर अपना टॉवल बिछाया, क्योंकि मुझे पता था कि मिनिषा भी अभी सीलपैक है और बेड की चादर खराब हो सकती है।

तभी मैंने लंड पर कंडोम चढ़ाया और मिनिषा को टॉवल पर लेटाकर उसकी चूत में हल्के से लंड के टोपे को रखा और थोड़ा जोर से अंदर धक्का दिया, जिससे थोड़ा सा लंड अंदर चला गया।
वर्जिन फर्स्ट सेक्स में हुए दर्द के कारण मिनिषा की चीख निकल गई और वह बोलने लगी, “प्लीज निकाल लो!”

पर मैंने अनसुना करते हुए उसके होंठ जकड़ लिए और एक और जोरदार घस्सा मारा।
लंड फुद्दी की जड़ तक समा गया।

मिनिषा के मुंह से “गु गु” की आवाज ने और उसकी आंखों ने फैलकर उसके दर्द को बयान किया और आंसुओं की धारा बह निकली।
फिर अगले मिनट तक मैंने कोई हरकत नहीं की और उसका दर्द कुछ कम हुआ।

फिर मैंने उसे चोदना शुरू किया।
वह सिसकारियां भरने लगी, “ओह आह… आह!”
तभी मैंने उसके दोनों पैर अपने कंधों पर रखकर चोदने लगा.

लेकिन 3-4 मिनट चोदने से ही वह एक बार झड़ गई।

पोजीशन चेंज करने के लिए मैंने अपना लंड बाहर निकाला, तो लंड खू.न से सना हुआ था।
टॉवल से मैंने उसकी फुद्दी और अपने लंड को साफ किया और उसे अपने ऊपर आने को कहा।

ऊपर आकर मिनिषा की चिकनी चूत की वजह से लंड अंदर-बाहर करने में बहुत मजा आ रहा था।
मैं उसके दोनों मम्मों को दबाकर मुंह में लेकर चूस रहा था।

वह “आह… आह…” सिसकारियां लेती हुई जोर-जोर से मेरे ऊपर उछलकर मेरा साथ दे रही थी।

फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसे नीचे उतारकर घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी फुद्दी में लंड डालकर चोदा।

कोई 5 मिनट बाद ही मिनिषा के साथ मेरा भी वीर्य निकल गया और मैं साइड में होकर लेट गया।

थोड़ी देर बाद मिनिषा लंगड़ाती हुई उठकर बाथरूम में फ्रेश होने चली गई।

मैंने टाइम देखा।
तब साढ़े ग्यारह ही बजे थे।

उसके थोड़ी देर बाद मिनिषा फ्रेश होकर मुझे किस करके मेरे से लिपट गई।

मैंने भी उसे बाहों में भरकर किस किया और हम दोनों की आंख लग गई।

फिर सुबह के 4 बजे मेरी आंख खुली, तो मैंने देखा कि मिनिषा टांगें खोलकर बेसुध होकर सो रही थी।

मिनिषा की नंगी जवानी देख मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके मम्मों पर टूट पड़ा; हल्के-हल्के से उसके निप्पल को काटने-दबाने लगा।
मैं उसकी नाभि में जीभ से चाटने लगा।

फिर नीचे जाकर उसकी फुद्दी को भी चाटने लगा।

मेरी इस हरकत से उसने अपनी टांगें बंद करने की कोशिश की, पर वो असफल रही।

फिर उसने मुझे धीरे से अपने ऊपर खींचकर लिप्स पर जोरदार किस किया।

मैंने एक उंगली उसकी फुद्दी में घुसा दी.
जिससे मिनिषा उत्तेजित होने लगी थी।

फिर जब मैंने दूसरे राउंड की चुदाई के लिए कॉन्डम निकाला, तो मिनिषा ने बिना कॉन्डम के फुद्दी मरवाने की इच्छा जाहिर की।
तभी एक ही झटके में मैंने पूरा लंड अंदर डाल दिया।
मिनिषा की दर्द भरी आवाज तो निकली, पर उस आवाज में अब दर्द नहीं, मजा था।

मैं ऐसे ही धीरे-धीरे घस्से मारता रहा और उसके मम्मे चूसने लगा।

थोड़ी ही देर में मिनिषा की फुद्दी का झरना बह निकला और पूरे रूम में “पच-पच” की आवाज के साथ मिनिषा जोर-जोर से “उम्म्म… हा… ह… ह” करके मस्त होकर सिसकारियां निकाल रही थी।

फिर पोजीशन बदलकर मैंने मिनिषा की कोई 15 मिनट और फुद्दी मारी और मिनिषा मेरे साथ “उम्म्म… हा… आह्ह्ह” करती हुई झड़ गई।
इस चुदाई में हमने बहुत एंजॉय किया।
फिर हम दोनों ऐसे ही नंगे लेट गए।

वर्जिन फर्स्ट सेक्स में मिनिषा पूरी थक गई थी।

फिर उसने टाइम देखा और अपने कपड़े पहनकर अपनी मां के कमरे में जाने लगी।

तभी मैंने उसे अपनी ओर खींचकर उसके लिप्स पर एक जोरदार चुम्मा जड़ दिया.
और फिर वो चली गई।

सुबह 10 बजे नाश्ता करके हम घर की तरफ चल पड़े।

इस तरह मिनिषा ने अपनी जवानी का रस मुझे और फुद्दी का रस मेरे लंड को पिलाया।
तो दोस्तो, वर्जिन फर्स्ट सेक्स कहानी पर अपनी राय जरूर बताएं.
धन्यवाद।
आपका संचित
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