जीजा ने कुंवारी साली को दोस्त से चुदवाया- 2

(Virgin Girl Chudai Sex Kahani)

वर्जिन गर्ल चुदाई सेक्स कहानी में मेरे दोस्त ने अपनी कुंवारी साली मेरे हवाले कर दी. वह अपनी पहली चुदाई का मजा लेना चाहती थी पर सील तोड़ना मेरे दोस्त के बस की नहीं थी.

दोस्तो, मैं राहुल आपको अपने दोस्त की कुंवारी साली स्नेहा की चुदाई की कहानी सुना रहा था.

कहानी के पहले भाग
साफ़ कुंवारी चूत के दर्शन
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने स्नेहा को पूरी नंगी कर दिया था और उसके साथ चूमाचाटी करने लगा था.

अब आगे वर्जिन गर्ल चुदाई सेक्स कहानी:

अब मैंने उसके तलवों, अंगूठे और उंगलियों को चूमा. चूत को जानबूझ कर नहीं छेड़ा था.

वह बहुत गर्म हो चुकी थी इसलिए मैंने उसकी चूत को छेड़ना शुरू कर दिया.

उसकी चूत इतनी छोटी थी कि बड़ी मुश्किल से दिख रही थी; बस एक लकीर-सी थी.
एकदम चिकनी चूत पर बाल का नामोनिशान नहीं था.

मैंने उसे धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया.
एक उंगली उसकी पतली लकीर में घुसा दी.

मेरी इस हरकत से स्नेहा तड़प उठी.
मैंने अपने मुँह से उसकी महकती हुई चूत को सूँघा.
चूत की अपनी एक खास महक होती है.

सूंघते हुए मैंने चूत की पप्पी ले ली.
चूमते ही उसके शरीर में 230 वोल्ट का करंट सा दौड़ा.

उसने मेरे होंठों को ज़ोर से लिपलॉक कर लिया.
मुझे चूत चाटने का बहुत शौक है.

स्नेहा चिल्लाई- अरे, छी-छी! कहां मुँह मार रहे हो!
मैंने कहा- पगली, इस जन्नत के दरवाज़े के लिए तो दुनिया पागल है!

वह नहीं मान रही थी और कहने लगी थी कि पहले अपना मुँह धोकर आओ!

मेरा उसकी चूत चाटने का मन था, लेकिन समय नहीं था.

इसलिए मैं बाथरूम गया, मुँह धोया.

वापस आकर मैंने कहा- स्नेहा, मैं चूत चाटे बिना किसी लड़की को चोदता और छोड़ता नहीं! लेकिन आज समय की कमी है, हमें डायरेक्ट चुदाई करनी पड़ेगी!
वह बोली- मैं क्या बताऊं? बस मुझे दर्द न हो, पहली बार है!
मैंने कहा- मैं तुम्हें बड़े प्यार और आराम से चोदूँगा!

मेरी बात सुनकर वह थोड़ी निश्चिंत लगी.

यह तो आप सब जानते हैं कि चुदाई में लड़की को विश्वास में लेना बहुत ज़रूरी होता है.

मैंने कंडोम निकाल कर अपने लंबे, काले लंड पर चढ़ाया.
उसे नीचे लिटा कर मेरे होंठ उसके होंठों पर जकड़ गए.
उसकी छाती मेरी छाती से दब गई.

मेरा लंड उसकी चूत के बाहर ठोकर मार रहा था.
मैंने अपना तपता हुआ लंड पकड़ कर धीरे से उसकी चूत के मुँह को स्वाइप किया.

लंड घुस नहीं पा रहा था.

मैंने उसकी गांड के नीचे हाथ डालकर उसकी टांगें ऊपर कर दीं.
चूत की पतली लकीर छत की ओर हो गई.
उसके पैर घुटने मोड़कर मेरी पीठ की ओर आ गए.

मैंने अपने लंड को भट्टी की तरह सुलगती चूत पर रखा.

चूत से हल्का-हल्का पानी निकल रहा था.
उससे लंड भी चिकना हो गया.

अब ज़ोर लगाने से लंड हल्का-सा अन्दर घुस गया.
हो सकता है स्नेहा पहले चुद चुकी हो, या चिकनाई की वजह से लंड चला गया हो!

जो भी कारण रहा हो, उसकी चूत बहुत टाइट थी.

लंड घुसते ही वह चिल्ला पड़ी- आह आह … मर गई! निकालो इसे … छोड़ो छोड़ दो!

दोस्तो, चूत में पहली बार लंड लेना कोई मज़ाक नहीं है.
दर्द वाकयी बहुत होता है.
लेकिन ऐसे मौके पर हर लड़की यही बोलती है.

ये लड़कियों के नखरे होते हैं.
चाहे कोई लड़की सौ बार लंड ले चुकी हो, दो-चार बच्चे निकाल चुकी हो, या स्नेहा जैसी कुंवारी चूत हो, चूत में लंड डालते ही चिल्लाती है ‘हाय, मर गई!’

औरतों की इन बातों से घबराना नहीं चाहिए.

मेरा लंड धीरे-धीरे उसकी तंग चूत में घुस गया.
छेदा चुदा हो या अनचुदा, मुझे मतलब नहीं था लेकिन साली बहुत टाइट थी.

मेरा लंड छिलते हुए अन्दर जा रहा था.
बड़ी मेहनत के बाद मुश्किल से चार इंच ही गया था.

स्नेहा नीचे पड़ी छटपटा रही थी लेकिन मैं उसके ऊपर था इसलिए वह हिल भी नहीं पा रही थी.

मैंने लंड बाहर निकाल दिया.
उसे थोड़ा आराम मिला.

अब मैंने उसके दोनों कबूतर पकड़े और उन्हें चूमना शुरू कर दिया.

स्नेहा को अब सांस आई और वह बोली- आह आह … ओह ओह! मैं ये सब पहली बार कर रही हूँ!

मैंने कहा- कोई बात नहीं … अभी मजा आने लगेगा!
दोस्तो, हर औरत चाहती है कि उसकी पर्सनल लाइफ बाहर न जाए.
औरत के लिए उसका चरित्र बहुत मायने रखता है.

मेरी बात से वह आशवस्त दिखी और चुप हो गई.

अब मैंने उसकी दोनों टांगें आसमान में उठा दीं.
चुत का घायल छेद मस्त दिख रहा था. मैंने धीरे से अपना लंड एक बार फिर से उसकी चूत के दरवाज़े पर रखकर अन्दर डाला.

चिकनाई की वजह से लंड थोड़ा-बहुत घुस गया. ज़ोर लगाया तो करीब आधा घुस गया.
दर्द के मारे स्नेहा छटपटा रही थी.

वह बोली- अभी कितना और रह गया? मेरे ऊपर से हट जाओ … मुझे नहीं करना! और मत डालो! आह इसे निकालो … इतना ही काफी है बस करो. मुझे मज़ा आ चुका है … मुझे पता लग चुका है कि क्या मजा होता है!
मैंने कहा- जानेमन, बहुत हिम्मत वाली हो! काफी जा चुका है … बस थोड़ा सा ही बचा है. तुम्हारी चूत वह भी ले लेगी!

उसने कहा- फ्री का माल समझ रखा है? दोस्त की साली की जान लेकर ही मानोगे?
मैंने कहा- ये हर लड़की को झेलना पड़ता है! फिक्र मत करो, मैंने बहुत-सी कुंवारी सीलें तोड़ी हैं!

लंड चूत में आधा फंसा हुआ था.
मैंने पूरा ज़ोर लगाकर बचा हुआ लंड भी डालने की कोशिश की.

उसका छेद बहुत छोटा था.
पूरी कोशिश के बावजूद लंड आधे से ज़्यादा गया ही नहीं.

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि कुंवारी चूत को थोड़ा-सा ढीला करने में कम से कम 5-6 महीने लगते हैं.
तब जाकर उसके स्प्रिंग थोड़े लूज़ होते हैं.

लेकिन हर सेक्सी कहानी में लिखा होता है कि एक-दो बार लंड डाला और चार झटकों में बिना चुदा चूत ढीली हो गई.
क्या बकवास लिखा जाता है. ये सब बेकार की बातें हैं.
लड़की की चूत बहुत देर में ढीली पड़ती है.

स्नेहा दर्द के मारे छटपटा रही थी.
मैंने जबरदस्ती करना उचित नहीं समझा.
कोई ज़रूरी नहीं कि पूरा लंड पेलना ही हो.

मैंने धीरे-धीरे आधा लंड ही अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया.
मैं उसके ऊपर चुपचाप पड़ा था, उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ रखे चुदाई में बिज़ी था.

लंड उसकी चूत में कील की तरह गड़ा जा रहा था.

हम दोनों के शरीर से पसीना निकल रहा था.
लग रहा था जैसे AC चल ही नहीं रहा हो.

मैं कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा था.
कोई चीर फाड़ थोड़ी करना था.

मैं तेज धक्के नहीं मार रहा था.
जितना लंड वह ले पा रही थी, बस उतना ही डाल रहा था.

इतना मज़ा आ रहा था कि लगता था स्वर्ग यही है और इससे बेहतर क्या होगा?

अब मैंने अपने लंड को धीरे-धीरे बाहर निकाला.
उसकी सांसें थोड़ी कंट्रोल में आईं.

मैंने धीरे से दोबारा अन्दर डाल दिया.
जैसा कि मैंने कहा, चूत लगातार चुदाई के बाद भी कई महीनों में थोड़ी लूज़ हो पाती है.

उसने दर्द के मारे अपनी उंगलियां मेरी पीठ में गड़ा दीं.
मैं उसकी चौड़ी गांड के नीचे हाथ डाले उसे सहलाता रहा और धीरे-धीरे झटके मारता रहा.

मैंने जानबूझ कर तेज़ झटके नहीं मारे, जो मैं चुद चुकी औरतों को मारता हूँ.

स्नेहा की चूत मारते-मारते 25 मिनट हो चुके थे.
मेरा डिस्चार्ज टाइम काफी देर का है.

लेकिन मैंने सोचा कि इस काम को जल्दी फारिग करते हैं ताकि अपनी गांड टूटने की नौबत न आए.

मैंने पूछा- हो गया?
स्नेहा बोली- पता नहीं, पर लगता है अन्दर से कुछ निकलने लगा है!

मैंने अब लंड बहुत तेज़ी से अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया.
अचानक वह बहुत ज़ोर से हिली. ऐसा लगा जैसे भूकंप आ गया हो.
वह चिल्लाई- आह मैं गई … मैं गई … मैं गई … हाय!

इतने भूकंप के बाद वह शांत-सी पड़ गई.
मैं समझ गया कि शायद ये उसका ज़िंदगी का पहला डिस्चार्ज था.

मैंने उसके होंठों के बीच में अपनी जीभ अन्दर डाल दी और उसकी जीभ को चूसता रहा.
मैंने अभी तक वीर्य रोक रखा था.
लंड अभी भी उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था.

मैंने कहा- अगर तुम्हारा हो गया, तो क्या डिस्चार्ज कर दूँ?
स्नेहा बोली- हां, हां, करो … जल्दी करो!

मैं उसकी चुदाई करते-करते झटके भी मार रहा था.
मेरा हाथ जब उसकी गांड की साइज़ लेता था, तो सोचता था कि काश इसकी गांड मारने को मिल जाए, तो कितना मज़ा आए!
साला, इसका पति इसकी चौड़ी गांड मारेगा, तो कितना खुशनसीब होगा!

मेरा झड़ने का समय आ गया.
अब मैंने उसकी गांड के बारे में सोचना शुरू किया और 5-7 झटके बहुत तेज़ लगाए.

तभी एक विस्फोट हुआ और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.
कंडोम लगा हुआ था इसलिए कोई खतरा नहीं था.

हम दोनों छिपकली की तरह एक-दूसरे से चिपके थे जैसे कई मील दौड़कर आए हों.

दोनों ने धीरे-धीरे अपनी सांसों को व्यवस्थित किया.

दोस्तो, सेक्स के बाद 5 मिनट औरत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं.
लंड का पानी निकलते ही आदमी औरत को छोड़ कर निकलने की सोचता है.
लेकिन यही क्षण बहुत नाज़ुक होते हैं.

एकदम हटने पर औरत को लगता है कि आदमी ने उसे चोदकर सिर्फ यूज़ किया, काम निकाला है. चूसने के बाद आम की गुठली की तरह फेंक दिया.

मैं बहुत-सी औरतें चोदकर ये बात अच्छी तरह समझता हूँ.
इसलिए मैं उसकी छाती पर पड़ा लंबी सांस लेता हुआ उसके बूब्स सहलाता रहा.

मेरा हाथ उसके शरीर पर घूम रहा था.
उसके होंठ, कमर, बूब्स, टांगें … मैं धीरे-धीरे सब दबाए जा रहा था, जैसे रोटी बनाते समय आटे को दबाते हैं.

इसके दो फायदे होते हैं.
आप और औरत एक-दूसरे के ज़्यादा नज़दीक महसूस करते हैं.
दूसरा, शरीर की गर्मी धीरे-धीरे निकलती है.

हम दोनों ऐसे ही 5-7 मिनट पड़े रहे और मेरा शरीर धीरे-धीरे उसके शरीर से अलग हो गया.

मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में अटका हुआ था, पर बहुत छोटा हो गया था.

मैंने बाहर निकाला तो लंड निकालते समय सावधानी रखी कि रस न टपक जाए इसलिए मैंने कंडोम का छल्ला पकड़ लिया.
चूंकि चूत अभी भी टाइट थी इसलिए मैंने लंड को पकड़ कर कंडोम के साथ बाहर निकाल लिया.

हल्की-सी ‘पक्क’ की आवाज़ आई, जो लंड बाहर निकलने की थी.
स्नेहा शर्मा गई.

सेक्स का तूफान भी जा चुका था.
उसने अपने दोनों हाथों से चूत को छिपाने की कोशिश की.

मैंने उसका हाथ हटाकर चूत को ध्यान से देखा तो उसकी पतली लकीर अभी भी कायम थी.

ऐसा लगा ही नहीं कि चूत चुदकर हटी हो.
चादर ज़रूर थोड़ी गीली थी.

दोनों ने खूब पसीना बहाया था.
खू/न का दाग भी था.
इसका मतलब वह बिल्कुल अनचुदी चूत थी जो बस किस्मत से मिल गई थी.

हम दोनों धीरे-धीरे अलग हुए.
मैंने उससे पूछा- हां जी मैडम, कैसा रहा?

वह शर्मा गई और धीरे से अपना सिर सहमति में हिला दिया.
मैंने कहा- मज़ा आया?

वह फिर शर्मा गई और बोली- ऐसी बातें पूछने की होती हैं? मैं कैसे बताऊं कि मज़ा आया या नहीं?
मैंने कहा- तुम्हें मज़ा नहीं आया, तो मेरा मज़ा बेकार है!

उसने सहमति में सिर हिलाया और अपनी आंखें नीची कर लीं, जिसका मतलब था मज़ा आया.

दोस्तो, स्नेहा कोठे पर चुदने वाली रंडी नहीं थी.
किसी अच्छे घर की लड़की थी जिसकी लाज-शर्म अभी भी बाकी थी.

वह सिर्फ वासना के कारण चुदने आई थी.
इसका मतलब ये नहीं कि वह कोई चालू लड़की थी.

मैं उसकी इस बात को समझ गया, उसे धीरे से चूमा.

मैंने कहा- कोई बात नहीं, मुझे पता है तुम्हें भी अच्छा लगा!
उसने कहा- हाँ जी!

वर्जिन गर्ल चुदाई सेक्स का मजा लेकर हमने अपने-अपने कपड़े पहन लिए.
दोनों नहा-धोकर भी आ गए.

इस बीच मैंने प्रकाश को फोन कर दिया- भाई, तुम आ जाओ!

प्रकाश पास में ही था.
वह 2 मिनट में आ गया.

अन्दर जाकर उसने पूछा- सब ठीक रहा? कोई दिक्कत तो नहीं आई?

मैंने कहा- नहीं नहीं, क्या दिक्कत आनी थी?
फिर मैं स्नेहा से बोला- अपनी सुनाओ, तुम्हें कैसा लगा?

उसने कहा- अपने दोस्त से पूछो, मुझसे मत पूछो, मुझे शर्म आती है!
प्रकाश उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया.

मैंने कहा- भाभी के आने का टाइम हो गया है. उसने हम सबको देख लिया, तो बिना लंड के हम सबकी गांड मार लेगी!
वह बोला- भाई, तू अब जा … तुझसे फोन पर बात करूँगा!

उसके बाद मैंने स्नेहा को गले लगाया, उसका हाथ पकड़ा- बहुत-बहुत थैंक्स, जो तुमने आज मेरे साथ किया! मैं ये क्षण ज़िंदगी में कभी भूल नहीं पाऊंगा!
मैं वहां से निकल पड़ा.

दोस्तो, ये थी मेरी उसके साथ सेक्स की कहानी. उसके बाद मैं स्नेहा से कभी नहीं मिला.

कुछ दिन बाद उसकी शादी हो गई.

प्रकाश ने एक दिन उसे मेरे बारे में याद दिलाया.
उसने कहा- मेरी शादी हो चुकी है. जो हुआ, सो हुआ. रात गई, बात गई. मैं उस एपिसोड को भूल चुकी हूँ. पारिवारिक जीवन में खुश हूँ, बच्चा भी है.

मैंने भी उससे मिलने की कोशिश नहीं की.
प्रकाश मुझे बहुत छेड़ता है- साले, तुझे अपनी कुंवारी साली दिलवाई, तू ये अहसान का लंड कैसे उतारेगा? तू भी अपनी साली दिलवा, नहीं तो मैं तेरी सीलबंद गांड मारूँगा!

मैं हंस दिया.

आपको यह सच्ची वर्जिन गर्ल चुदाई सेक्स कहानी कैसी लगी? अपनी राय जरूर बताएं.
मुझे मेल फीमेल सभी के पत्रों का इंतज़ार रहेगा. मैं आगे भी ऐसे संस्मरण आपके लिए पेश करता रहूंगा.
ईमेल आईडी है
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