वो भीगी-भीगी चूत चुदाई की भीनी-भीनी यादें-2

(Vo Bhigi Chut Chudai Ki Bhini Yaden- Part 2)

This story is part of a series:

मैं और आईशा बगल में लेटे हुए थे और बारिश हो रही थी।

उसने आँखें नहीं खोली थीं.. शायद उसे लग रहा होगा कि उसकी बहन ने उसे हग किया है।

पर मैं अपनी आईशा को कुछ नहीं होने देना चाहता था इसलिए मैंने हम दोनों के ऊपर एक चादर ओढ़ ली ताकि उसे ठंड ना लगे।

मैं अभी भी सोया नहीं था.. ऐसा लग रहा था कि उसे बस प्यार करता रहूँ.. पर बहुत डर लग रहा था कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए।

फ़िर उसने धीरे से आँखें खोलीं तो देखा कि उसकी बहन तो अपनी जगह पर ही है, उसने यह भी देखा कि मेरी जगह पर कोई नहीं है.. तो वो समझ गई कि उसके पीछे मैं ही लेटा हूँ।

पर उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा क्योंकि शायद वो भी यही चाहती थी।

उसकी इस चाहत को समझ कर मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पर डाल दिया और उसके गले के पीछे धीरे-धीरे चूमने लगा।
भले ही मैं काँप रहा था, पर दिल में मीठी सी गुदगुदी भी हो रही थी।

उस वक़्त वहाँ इतनी ज़्यादा बारिश हो रही थी कि पूरा अंधेरा छा गया था और स्ट्रीट लाईट भी नहीं दिख रही थी।
मेरी साँसें गरम और तेज़ हो रही थीं।

फ़िर मैंने अपना पैर उसके पैर पर रख दिया और धीरे से सहलाने लगा। इन सबसे वो बहुत उत्तेजित हो गई थी.. इसलिए उसने भी अपने पैर भी मेरे पैरों में फ़ँसा दिए और अब हम दोनों अपने पैरों से ही मस्ती कर रहे थे।

उसकी साँसें भी तेज़ हो रही थीं, मैं अपना हाथ धीरे से ऊपर ले गया और उसके चूचों पर रख दिए और उन्हें सहलाने लगा।
उसके चूचे थोड़े छोटे थे नींबू की तरह पर फ़िर भी वो बहुत स्वीट और क्यूट लगती थी।

वो हल्के से सिसकारियाँ भर रही थी।
फ़िर वो मेरी तरफ़ मुँह करके लेट गई और मुझे घूर-घूर के देखने लगी।

हम दोनों की आँखें वासना से भर कर लाल हो उठी थीं लेकिन मैं थोड़ा डर गया था कि कहीं यह मुझे डांट ना दे.. इसलिए मैंने फ़िर सब कुछ बंद कर दिया और अपने हाथ वापिस ले लिए।

वो मेरे और करीब आई और मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखने लगी.. जैसे हम बरसों से एक-दूसरे से बिछड़ गए थे.. और अब मिले हों।

तभी ज़ोर से बिजली कड़की और वो मुझसे लिपट गई।
उसे इतना करीब पा कर मैं बहुत खुश था.. इतना खुश तो अपनी जिंदगी में कभी नहीं हुआ था।
मैंने उसको सिर पर चुम्बन किया.. यह साबित करने के लिए कि मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ और हमेशा उसका ख्याल रखना चाहता हूँ।

फ़िर मैंने उसे अपनी तरफ़ और जकड़ लिया.. जैसे कि हम दोनों एक ही हों.. और वो मेरे गले को चूमने लगी।
वो मेरे गालों पर पप्पी करने लगी और हमने पहली बार लिप-किस किया।

कुछ ही पलों की गर्मी के बाद हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे थे।
मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ डाली तो वो चूसने लगी।
फ़िर हम अपनी लार एक-दूसरे को देने लगे।

मुझे थोड़ा अजीब लगा.. पर बाद में बहुत अच्छा लगा।
यह करीब 5 मिनट चलता रहा।
आह्ह्ह.. कितने सुनहरे पल थे वो.. मेरी भीगी-भीगी यादें..

आप भले ही इसे गंदा मानते होंगे, पर जब प्यार हो जाता है तब सब कुछ अच्छा ही लगने लगता है। उसमें कुछ भी गंदा नहीं होता, क्योंकि वो रिश्ता ही बहुत पवित्र बन जाता है।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसके सेक्सी चूचियों पर रख दिया।
यह देखकर उसने मेरा एक हाथ पकड़ लिया और अपने टॉप के अन्दर ले जा कर अपने चूचों पर रख दिया।

वो मेरी तरफ़ नशीली नजरों से देख रही थी और अपने होंठों पर जीभ फ़ेर कर उसे गीला कर रही थी।
फ़िर मैं बहुत ललचा गया था और उसके होंठों पर लिप-किस करने लगा।

हम फ़िर से एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे और गहरी सिसकारियाँ ले रहे थे।
अब वो मुझ से बहुत ज़ोर से चिपक गई और मेरे कानों में हल्के से कहा- मुझे कुछ-कुछ हो रहा है.. प्लीज़ कुछ करो ना!

मैं समझ गया था कि अब कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा.. क्योंकि मैं भी बहुत तड़प रहा था।

फ़िर मैंने उसे हर जगह चूमना शुरू किया, उसके होंठ चूस डाले.. उत्तेजना में उसके पूरे होंठ खा डाले।
फ़िर वो मेरे ऊपर आकर लेट गई और अपनी चूत को मेरे लण्ड से रगड़ने लगी, उसको बहुत मजा आ रहा था। यह उसकी सिसकारियों से साफ़ मालूम चल रहा था।

मैं भी अपना लण्ड उसकी चूत पर दबा रहा था, हम दोनों को बहुत अच्छा लग रहा था।
वो बहुत गर्म हो गई थी और मुझसे चुदने की भीख माँगने लगी।

वो मुझे बोल रही थी- आशू प्लीज़ मुझे कुछ करो जल्दी से.. मुझे नीचे कुछ हो रहा है। मैं तुमसे बहुत प्यार करना चाहती हूँ.. प्लीज़ मुझे कुछ करो।
‘क्या करूँ.. साफ़ साफ़ बोलो..?’
‘आशू मुझे जल्दी से चोद डालो.. अब नहीं रूक सकती मैं… मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी ही हूँ और हमेशा तुम्हारी ही रहूँगी।’

फ़िर शायद हमने किसी के आने की आवाज़ सुनी.. तो हमने अपने आपको ठीक किया और सोने का नाटक करने लगे।

आने वाले का चेहरा ठीक से तो दिख नहीं पाया.. पर वो जो भी था, बस टॉयलेट जाने आया था। थोड़ी देर बाद वो चला गया और हमने फ़िर से अपनी मस्ती शुरू कर दी।

हम दोनों फ़िर से एक हो गए और एक-दूसरे को बहुत लिप-किस करने लगे।
अभी भी बहुत तेज़ बारिश हो रही थी।

तभी उसे प्यास लगी.. तो वो उठी और किचन में चली गई। मैं उसके बिना एक पल भी नहीं रहना चाहता था और इसलिए थोड़ी देर बाद मैं भी किचन में चला गया।

वो बस फ़्रिज़ से पानी की बॉटल निकाल रही थी, मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया तो वो थोड़ी घबरा गई और बोली- कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर लो.. कोई हमें देख लेगा तो गड़बड़ हो जाएगी।

मैंने झट से दरवाज़ा थोड़ा लगा दिया और उसके पास चला गया।
वो मुझे नशीली आँखों से ताड़ रही थी और शर्मा भी रही थी।
वो अभी भी यही सोच में थी कि हमारे बीच में ये सब इतने अचानक से कैसे हो गया, हम तो अभी कुछ समय पहले ही तो मिले हैं।
पर वो मुझ पर बहुत फ़िदा थी.. क्योंकि उसे पता था कि मैं उससे बहुत ज़्यादा प्यार करता हूँ और वो तो उससे भी ज़्यादा करती है।
मैंने उसके लिए गिलास में पानी निकाला और उसे अपने हाथों से पिलाया।

उस वक़्त हमारी धड़कनें बहुत तेज़ चल रही थीं और हम दोनों एक-दूसरे को प्यार करने में ही डूबे हुए थे।
मैं उसे पूरे चेहरे पर चूमने लगा और वो मेरे कानों को हल्के से काट रही थी और मुझे और उकसा रही थी।

फ़िर वो थोड़ी दूर हट गई और पीछे खड़ी हो गई और अपने छोटे छोटे चूचों पर हाथ फ़ेरने लगी।
इससे मैं और तड़प रहा था, मन तो कर रहा था कि अभी उसके पास जाकर उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूस डालूँ.. पर फ़िर मैंने भी एक तरकीब सोची।

मैंने भी उससे तड़पाना चाहा। मैंने अपना ट्राउजर नीचे किया.. लण्ड बाहर निकाला और उसके सामने ही हिलाने लगा।
यह देखकर वो और भी ज़्यादा बेकरार होने लगी.. और गर्म होने लगी थी।

फ़िर वो मेरे पास को आई और उसने अपने नरम हाथों को मेरे गर्म और सख्त लौड़े पर रख दिया।

इतना कड़क लण्ड पकड़ कर उसके मुँह से ‘अह्ह्ह्ह..’ निकल गई, वो और भी मदहोश और दीवानी होती जा रही थी।

वो मेरा लण्ड ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी और कहने लगी- साले हरामी.. तुझे अपनी बहन जैसी लड़की को चोदने की इच्छा होती है.. तू अपने से तीन साल बड़ी लड़की को चोदेगा.. मैं भी देखती हूँ कि आज तू मुझे खुश करता है या मैं तुझे खुश करती हूँ। देखते हैं आज मेरी चूत तुझे पागल करती है.. या तेरा लण्ड मुझे दीवाना बनाता है।

मैंने उसे खड़ा किया और उसकी हाफ-पैन्ट भी नीचे उतार दी और उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फ़ेरने लगा। यहाँ वो मेरे फ़नफ़नाते लण्ड को हाथ में लेकर मुठ मारने लगी और मैं उसकी नर्म चूत को सहलाए जा रहा था।

फ़िर मैंने उसकी चड्डी थोड़ी नीचे कर दी और उसकी चूत पर अपनी उंगलियाँ रगड़ने लगा।
वो बहुत तेज़ी से मेरे लण्ड की मुठ मार रही थी।

मैं बहुत गर्म हो गया था और अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था- आईशा मुझे नीचे कुछ हो रहा है। मुझे बहुत ज़ोर से सूसू आ रही है।

आईशा- पागल उसे सूसू नहीं कहते.. उसे वीर्य कहते है। वो सफ़ेद रंग का होता है.. एकदम अमृत जैसा.. चलो मेरे मुँह में ही झड़ जाओ।

मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं और मैं हाँफ़ने लगा। फ़िर थोड़ी देर बाद मैं उसके मुँह में झड़ने को हो गया।

मैं- लो मेरी जान.. मेरा निकल रहा है। अपना मुँह खोलो.. मैं तुम्हारा पूरा मुँह अपने वीर्य से भर देना चाहता हूँ।
आईशा- हाँ मेरे पति-परमेश्वर.. पिला दो अपनी दासी को अपना अमृत आअह्ह..

उसका मुँह पूरा मेरे वीर्य से लबालब भर गया था।
यह मेरा पहली बार था इसलिए मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था।
मैंने उसकी आँखों में देखा और इशारे से पूछा कि कैसा लगा?

तो वो बोली- तुम्हारा रस तो बहुत ही मीठा है। तुम बहुत भाग्यवान हो क्योंकि मैंने सुना है कि जिसका यौन रस मीठा होता है.. वह व्यक्ति दिल का साफ़.. लाखों में एक.. और एकदम सच्चा होता है।

वो और भी बहुत कुछ बोलने जा रही थी.. पर मैंने उसी वक़्त उसके होंठों को चूम लिया और उसे अपनी गोद में उठा लिया।
हम फ़िर थोड़ी देर तक ऐसे ही एक-दूसरे से लिपटे रहे।

अब हम दोनों अपने बिस्तर पर आ गए और लेट गए।
बारिश अभी भी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी, बारिश की वजह से हमारा बिस्तर एकदम ठंडा हो गया था, हम एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे और निहार रहे थे।

हम बहुत थक चुके थे इसलिए हमें नींद भी आ रही थी.. पर सोने का मन नहीं कर रहा था।

मन में अभी भी दस मिनट पहले जो सब कुछ हुआ वो सब दिख रहा था, दिल में अभी भी चोदने और चुदने की चाहत थी, मन करता था कि पूरी रात बस उसे जी भर कर प्यार करूँ।

पता नहीं कब मेरी आँख लग गई।

फ़िर थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे बिस्तर पर से चल कर गया है और मेरे पैरों को भी लात मारते हुए गया है। उससे मेरी नींद खुल गई थी और मैंने थोड़ी से आँखें खोल कर देखा तो आईशा आँगन में खड़ी थी और बारिश की बूंदों का मज़ा ले रही थी।

मैं उसको देखने की कोशिश करने लगा। मुझे अब समझ आ गया था कि शायद आईशा की चूत चुदने के लिए कुलबुलाने लगी है।

अगले पार्ट में आईशा के साथ चुदाई का क्या मंजर रहा वो सब लेकर आऊँगा।
मुझे ईमेल करते रहिए।
[email protected]
कहानी जारी है।

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