प्यार का इकरार और तन का मिलन- 2

(Wet Pussy Licking Story)

अविनाश 8 2022-07-18 Comments

वेट पुसी लिकिंग स्टोरी में पढ़ें कि मेरे दोस्त की बहन ने मुझे प्रोपोज किया और उसके बाद वो मेरे साथ अपनी पहली चुदाई का मजा लेने के लिए आतुर थी.

हैलो फ्रेंड्स, मैं अविनाश आपको अपनी कहानी के पहले भाग
पहले चुम्बन का वो अद्भुत अहसास
में सुना रहा था कि हमारे बीच पहले प्यार कैसे हुआ और इकरार हो गया.

अब आगे वेट पुसी लिकिंग स्टोरी:

मैंने ईशा को वीडियो डिलीट करने के लिए उसकी तरफ देखा ही था कि ईशा ने कहा- अवि डरो मत, मैं वीडियो डिलीट कर दूंगी, पर एक शर्त पर. तुम्हें शैली को हां करनी होगी.

मैंने कुछ देर सोच कर कहा- इतना कुछ होने के बाद मैं शैली को मना कर भी नहीं सकता.

शायद मेरे कहने की ही देर थी कि शैली मेरी तरफ आ गई और मुझे कसके अपने सीने से लगा लिया.
अब हम तीनों नीचे आ गए और रूम में जाकर बैठ गए.

शैली मुझसे चिपक कर मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर बैठ गई.
हम बातें करने लगे.

टाइम काफी हो गया था. रात के 2 बजने के करीब थे.

शैली को नींद आने लगी थी.
उसने कहा, तो मैंने भी कहा- नींद तो मुझे भी आ रही है.

ईशा ने मुझे छेड़ते हुए कहा- मुझे लगता है कि सोफे पर सोना पड़ेगा क्योंकि यहां तो तुम बेड हिला हिला कर मुझे परेशान कर दोगे और शैली की तो आवाजें भी बहुत निकलने वाली हैं.
मैंने कहा- हम ऐसा कुछ नहीं करने वाले, तू टैंशन न ले. तुम दोनों बेड पर सो जाओ, मैं सोफे पर सोने जा रहा हूं.

शैली की आंखों में देख कर लगा कि वो चाहती तो थी साथ में सोना, पर मेरे मना करने के कारण आगे कुछ नहीं कह पाई.

रात काफ़ी हो गई थी, हम सोने लगे और जल्द ही नींद भी आ गई.

सुबह मुझे शैली ने जगाया और सोफे पर बैठ कर खुद मेरा सर अपनी गोद में रख दिया.

मैंने फोन में टाइम देखा तो 5 बजे हुए थे.
सुबह का थोड़ा अंधेरा था तो मैंने शैली को दिल की बात कहने की सोची.

मैंने शैली से कहा- शैली यार देखो, मैंने हां कर दी है और मैं घर वालों को मनाने की अपनी पूरी कोशिश भी करूंगा. बस तुम्हें थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा ताकि मैं अपनी लाइफ में कुछ हासिल कर सकूं और तुम्हें अपनी बना कर घर ले जा सकूं.

शैली मेरे बालों में हाथ फेर रही थी और वो मुस्कुराने लगी थी- मुझे पता है अवि, तुम साथ कभी नहीं छोड़ोगे, तभी मुझे तुमसे प्यार हो गया है. ऊपर से तुम हो भी क्यूट!
मैंने छेड़ते हुए कहा- अच्छा मैं क्यूट हूं.
“हां बहुत क्यूट हो, मेरा मन कर रहा कि तुम्हें खा जाऊं.”
मैंने मुँह खोला ही था- कै…स …

तभी शैली ने मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिए और मेरे होंठों को अपने दांतों से काटती हुई अलग हो गई. मेरी सिसकारी निकल गई- आह.
‘ऐसे.’
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- बस इतना ही!

मेरी बात पूरी होने से पहले शैली ने मेरे कॉलर को पकड़ कर मुझे अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया और हम एक दूसरे में लीन हो गए.
वो जबरदस्त तरीके से मेरे होंठों को चूम रही थी.
मुझे मजा आ रहा था.

मैंने भी उसे खुश करने की सोची और अपने होंठों को बिना अलग किए हल्का सा खड़ा होकर उसके साइड में आते हुए उसे अपनी गोद में बैठा लिया.

अब मैं अपने दोनों हाथ उसकी गर्दन पर रख कर उसे अपने होंठों से अलग होने का एक भी मौका नहीं दे रहा था, उसका सिर पकड़ कर अपने होंठों के अन्दर घुसा रहा था और अन्दर ही अन्दर उसके होंठों का एक एक करके मुआयना सा कर रहा था.

पहले ऊपर वाले होंठ को धीरे धीरे चूम कर … फिर धीरे धीरे उसे चूसते हुए अलग न होते हुए ही नीचे वाले होंठ को अपने होंठों की गिरफ्त में ले रहा था.
अपनी जीभ उसके होंठों पर फेरते हुए मैं उसे किस कर रहा था और हम एक दूसरे में खो चुके थे.

उसके होंठों का रसास्वादन करते हुए मुझे दस मिनट से भी ज्यादा समय हो गया था. मैं किस करते हुए होश खोने लगा था कि तभी मेरे हाथ उसकी पीठ पर चलने लगे.

उसके हाथ पहले ही मेरे सिर को पकड़े हुए थे. मेरे हाथों का स्पर्श अपनी पीठ पर पाकर उसकी सांसें तेज होने लगीं और मेरी गोद में होने के कारण उसकी छाती लगभग मेरे मुँह के सामने आ रही थी.

मैं अभी भी उसे किस कर रहा था और मेरे हाथ उसकी पीठ से होते हुए उसकी कमर पर आ गए थे.
मैंने अपने हाथों में लगभग उसके दोनों कबूतरों को पकड़ ही लिया था कि तभी मैंने झट से आंखें खोलीं और उससे अलग होते हुए उसकी आंखों में देखना चाहा.

शैली की आंखें बंद थीं, उसका मुँह अभी भी हल्का खुला था.
वो अभी भी किस करना चाहती थी और आगे आना चाहती थी कि मैं थोड़ा पीछे हुआ और बिना कुछ बोले उसकी आंखों में देखने लगा.

मैं उसकी इजाज़त पाने का इंतजार करने लगा.
शैली को भी मेरी आंखों का इशारा समझते हुए देर न लगी.
उसने मेरे सिर से अपने हाथों को हटाते हुए उसने अपने हाथ मेरे हाथों पर रखे. मेरी आंखों में बड़े प्यार से देखते हुए उसने मेरे हाथ पकड़ कर खुद अपने दोनों कबूतरों की कमान मेरे हाथ में दे दी.

जैसे ही मेरा हाथ उसने अपनी चूचियों पर रखा, उसकी आंखें, जो आधी खुली थीं, वो आनन्द के सागर में डूब कर पूरी बंद हो गईं. आंखों के बंद होने के साथ ही उसके होंठ दुबारा मेरे होंठों की गिरफ्त में आ गए.

मैंने उसके होंठों को दुबारा पकड़ते हुए अपने हाथों का काम शुरू कर दिया. अभी मैंने उसके दोनों कबूतरों को दबाया ही था कि उसकी सांसें ऐसी तेज हो गई मानो उसे करंट लगा हो.

उसी पल एक झटके से उसके होंठ मेरे होंठों से अलग हो गए.
उसकी बंद आंखें, खुले बाल, आधा खुला मुँह … और उस मुँह से अभी अभी निकली उसकी मादक सीत्कार ‘आआह …’
वो आवाज़ इतनी कामुक थी कि पूरे कमरे में गूंज गई और मेरा लंड जो पहले से ही खड़ा था, वो झटके मारने लगा.

मुझे हल्का सा होश आया कि हम कहां हैं … और हमारे अलावा कमरे में ईशा भी है.

तभी पीछे से आवाज आई ‘यस … आह …’

उस आवाज से शैली को भी होश आ गया और उसे महसूस हुआ कि ईशा भी यहीं है.

पर हमने जैसे ही उसकी तरफ देखा, उसकी हालत अस्त व्यस्त थी. उसके बाल बिखरे हुए थे.
उसका एक हाथ अपनी सलवार में था और दूसरा अपने एक कुर्ते के ऊपर से अपने मम्मे पर था जिसे वो उखाड़ कर फेंकने को हो रखी थी.

मेरी और शैली की सांसें अटक सी गई थीं … आंखें फटी रह गई थीं.

ईशा को इस हालत में देख कर हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और आंखें मिलते ही हम समझ गए कि ईशा ने हम किस करते हुए देखा और अपना काबू खोकर अपनी चूत में उंगली करने लगी.
अपनी आनन्द की सीमा पार करते ही उसकी सीत्कार काफी तेज हो गई थी.

हम दोनों हालात को समझते हुए वापसी ईशा की तरफ देखने ही लगे थे कि ईशा को भी पता लग गया कि हम उसकी तरफ देख रहे थे.

वो झट से बाथरूम की तरफ भागी, शैली भी पीछे पीछे भागी … पर ईशा अन्दर घुस चुकी थी.
अन्दर से उसके रोने की आवाज आ रही थी और शैली के बार बार कहने पर भी वह दरवाजा खोलने को तैयार नहीं थी.

दस मिनट तक शैली उसे मनाने की कोशिश करती रही.
ईशा थोड़ी चुप होते हुए बोली- अविनाश को बाहर भेज पहले.

मैंने ये सुनते ही समझदारी दिखाई और सब शैली के ऊपर छोड़ते हुए कमरे से बाहर निकल गया.
मैं छत पर चला गया और ऊपर जाकर बैठ गया.

सुबह हो चुकी थी तो मैंने होटल के बाहर जाकर घूमने की सोची और मैं बाहर निकल आया.

मैं एक दुकान में घुसा ही था कि शैली का फोन आया.
मैंने उठाते ही उससे पूछा- सब ठीक है ना!
‘हां सब ठीक है, तुम टेंशन ना लो ईशा अब नॉर्मल है … तुम रूम में आ सकते हो.’
‘मैं बाहर कोल्डड्रिंक लेने आया था, अभी आता हूँ.’

‘अच्छा बाहर हो, सुनो आते वक्त पैड्स ले आना. मेरे पीरियड्स शुरू होने वाले हैं.’
‘ओके ले आऊंगा.’
फिर वो थोड़ा फुसफुसा कर बोली- अगर मन हो तो वो भी ले आना.’

मैंने कहा- यार तुम्हारी हीट आने वाली है … रहने देते हैं.
वो बोली- अभी चार दिन हैं उसमें.
मैं चुप हो गया.

उसने अब थोड़ा हक जताते हुए कहा- मैं कह रही हूं ना … चुपचाप ले आना.
‘ओके.’

मैंने दुकान से उसके लिए प्रो-ईस का पैकेट लिया और कंडोम का एक छोटा पैकेट मांगा.
उसके पास छोटा पैकेट नहीं था तो मैंने कहा- अच्छा कौन सा वाला है?
‘भाई 20 का पैक है.’
‘भाई कोई खुले पैकेट में से दे दे.’
‘अरे ये खराब थोड़ी हो जाएगा, दो साल की एक्सपायरी है … और सही है ना … भाभी जी के साथ एंजॉय करना.’

मन मन में मुस्कुराते हुए मैंने उससे वो पैकेट ले लिया और पैसे देकर होटल के लिए निकल लिया.
मैं होटल के रूम में पहुंचा, तो मैं पहले पॉलीबैग साइड में रखा और जाकर सोफे पर बैठ गया.

शैली खड़ी हुई और बोली- लाओ, मैं कोल्डड्रिंक सर्व कर देती हूँ, तुम ईशा के पास बैठो. उसे तुमसे कुछ बात करनी है.
‘क्या बात करनी है?’

मैंने सवालिया नजरों से उससे पूछा, तो वो बोली- जाकर खुद पूछ लो.
मैं खड़ा हुआ और ईशा के पास जाकर अभी बैठा ही था कि उसने सॉरी कह दिया.

मैंने कहा- यार, देखो नॉर्मल है. ये सब हो जाता पर असल में गलती हमारी है. हमें ये सब नहीं करना चाहिए था, कल भी तुमने हमें इसी हालत में पकड़ा और आज तो … यार होता है सब, जाने दो उस बात को.’

“थैंक्स यार, मुझे यूं लग रहा था कि कहीं तुम मेरे बारे में गलत न सोचो, इसलिए डर रही थी. पर शैली ने मुझसे कहा कि तुम बहुत समझदार हो, तुम मेरी हालत समझ रहे थे और तभी तुम मेरी तुम्हें बाहर भेजने वाली बात सुन कर शैली के कहे बिना बाहर चले गए. थैंक्स अवि … तुम्हारी जगह कोई और होता तो पता नहीं मेरे बारे में क्या समझता.”

“अरे कोई बात नहीं, जो हो गया, सो हो गया … जाने दो उस बात को.”
“थैंक्यू सो मच.”

वो बाथरूम में चली गई.

तभी शैली ने मेरा कान खींचा और बोली- साले कुत्ते, थोड़ी देर पहले तो कह रहा था कि रहने देते हैं, पीरियड्स आने वाले हैं. अब ये 20 वाला पैक लेकर आया है. तेरे इरादे नेक नहीं हैं.
“यार मैं क्या करूं, उसके पास कोई छोटा पैक था ही नहीं और न ही उसके पास खुले पीस थे. मैं क्या करता.”

“यार अवि, मेरा फर्स्ट टाइम है, सब ठीक होगा ना …मैं थोड़ी घबरा रही हूं.”
“देख लो, अगर दिल न हो और अभी ज्यादा डर लग रहा हो, तो रहने देते हैं, किसी दिन फिर कर लेंगे.”
“नहीं, करना तो आज ही है. बाद में मुझे पता नहीं मौका मिलेगा भी या नहीं … और तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं. मैं जानती हूँ कि तुम मुझे ज्यादा दर्द नहीं होने दोगे.”
“कोशिश करूंगा.”

तभी उसने एक किस की होंठों पर और बोली- चलो पहले कुछ खाते हैं, बाद में कुछ करेंगे.
हम तीनों ने खाना खाया और रात सोए नहीं थे, तो नींद भी भयंकर आ रही थी.
तीनों ही सो गए.

शाम 5 बजे उठे तो मैंने पाया कि शैली मेरे ऊपर सो रही थी.
मैंने उसे थोड़ा एडजस्ट करके सोफे पर लेटाया और देखा तो ईशा रूम में नहीं थी.
मैंने बाथरूम चैक किया, वो वहां भी नहीं थी.

तो मैंने उसे फोन किया तो उसने बताया कि वो बाहर खाना लेने गई है.

मुझे मौका अच्छा मिल गया था. मैंने शैली के होंठों पर किस की तो शैली की आंखें थोड़ी खुल गईं.
मैं थोड़ा दूर हुआ तो उसने मेरे कॉलर पकड़ कर मुझे करीब खींच लिया और होंठों पर होंठ लगा दिए.

मैंने उसे बैठाया और हाथ उसकी कमर में डाल कर उसे उठा लिया.
वो मुझे एकदम ऐसी हल्की सी लगी जैसे मैं किसी बच्चे को उठा रहा हूं.

मैंने उसे उठाया और होंठों को बिना अलग किए ही मैंने उसे बेड पर ले जाकर पटक दिया.
हम अलग हो गए, वो बेड पर पड़ी थी और मैं खड़ा था.

मैं अपनी शर्ट उतारने के लिए बटन खोलने लगा.
शैली की आंखों में मुझे खाने की भूख साफ झलक रही थी.

मैंने आंखें मिलाए रखीं और अपनी शर्ट को उतार फैंका.
शैली अपने नीचे वाले होंठ को अपने दांतों तले दबाने लगी और बहुत ही कामुक अंदाज से हमारे शरीर के मिलन की प्रतीक्षा करने लगी.

मैं शर्ट उतारते ही शैली के ऊपर टूट पड़ा और शैली के होंठों को अपने होंठों के बीच दबा कर उसे बेतहाशा चूमने लगा.

मेरा एक हाथ उसकी गर्दन को पकड़े था और दूसरा हाथ इस बार सीधा उसके वक्ष पर जाकर अपनी मजबूत पकड़ बना चुका था.

हम किस करते हुए खो से गए थे. कब दस मिनट निकल गए, पता ही नहीं लगा. हम दोनों की सांसें तेज हो चुकी थीं और हम भूल चुके थे कि हम कहां हैं.

मैंने होंठ अलग किए और शैली की संगमरमर सी गोरी गर्दन पर अपने होंठ टिका कर उसे फिर से चूमने लगा.
शैली की सांसें तेज तो थी हीं, वो अपना होश भी खोने लगी थी.

वो मेरे बालों में हाथ फेरते हुए खेलने लगी और उसकी टांगों ने मेरी कमर को अपनी पकड़ में ले लिया था.
मैं कभी उसकी गर्दन को चूमता, कभी उसके कान की लौ को, कभी उसके कंधों को चूमता.

इस वक्त मेरे दोनों हाथ शैली के मम्मों को पूरी अच्छी तरह से नापने में व्यस्त थे.

मैं उसकी चूचियों पर किस करने लगा तो उससे रहा नहीं गया, उसने मुझे तुरंत अलग करके बेड से सहारा लेकर अपनी पीठ को थोड़ा उठा लिया और अपनी शर्ट उतारने लगी.

मैंने उसकी सहायता की तो उसने शर्ट को फेंक दिया.
उसने अन्दर लाल सफेद रंग की सुंदर सी ब्रा पहनी थी जिस पर नीले रंग के फूल बने हुए थे.

मैं उसके मम्मों को दुबारा अपने हाथों में दबोच कर उन्हें दबाना तो क्या ही कहूं, बस उन्हें आटा समझ कर मसलने और गूँथने लगा था.

शैली के मुँह से कामुक आवाजों की मधुर ध्वनि निकलने लगी- आआ ह्ह्ह!

मैंने अपने होंठ उसके जिस्म से अलग कर दिए और उसे थोड़ा ऊपर उठा लिया.
फिर उसकी ब्रा को खोलने के लिए हाथ पीछे ले गया लेकिन उससे पहले ही शैली के हाथ वहां पहुंच चुके थे और वो अपनी ब्रा के हुक खोल चुकी थी.

मेरा काम बस ब्रा को निकाल कर फेंकना था.
मैंने ब्रा उतारी तो सामने उसके दूधिया सफेद मम्मे तने हुए थे.
उन पर हरी नसें साफ दिखाई दे रही थीं. उसके दूध ऐसे लग रहे थे कि जैसे मोटे मोटे संतरे हों.

मुझसे ज्यादा देर रुका नहीं गया और मेरे होंठों ने सहसा उन्हें चूम लिया.
मैं उसके दूध चूम भी रहा था, साथ ही साथ मैं उन्हें अपने दूसरे हाथ से निचोड़ भी रहा था.

मैं कभी एक को चूमता तो दूसरे से खेलने लगता तो कभी दूसरे को चूमता और पहले को मसलने लगता.

शैली आंखें बंद करके बेहद कामुक सीत्कार करती जा रही थी.

तभी उसके हाथों ने मेरे सिर को पकड़ कर उसके निप्पल का रास्ता दिखा दिया.

जैसे ही मैंने निप्पल को जीभ से चाटा, शैली छटपटाने लगी और उसके हाथों ने मुझे उसके दूध के बीच में दबा दिया.

अब मेरे मुँह में शैली का एक निप्पल था जिसे मैं चूस भी रहा था और अन्दर मेरी जीभ उसे टटोले जा रही थी.

शैली का बुरा हाल हो चुका था; उसकी गर्म सांसें और कामुक सीत्कारें मुझमें और जोश भर रही थीं.

मैंने दो मिनट तक उसके एक निप्पल को चूसा, फिर दूसरे की तरफ गया तो वह तो जैसे एक बटन बन गया था.
वो निप्पल फूल चुका था.

मैंने दूसरे की तरफ देखा तो पाया कि दोनों ही फूल चुके थे.

मैंने झट से दूसरे निप्पल को मुँह में पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया.

पांच मिनट तक मैं बदल बदल कर उसके निप्पल चूसता चूमता रहा, फिर धीरे धीरे उसके पेट की तरफ जाने लगा.

उसके पेट के हर हिस्से को चूमते हुए मैं उसकी नाभि के पास आ पहुंचा.

उसकी नाभि को चूमते ही वो जैसे पागल हो गई और अपने दोनों हाथों का जोर लगा कर मेरे सिर को नीचे धकेलने लगी.

मैंने झट से उसकी शॉर्ट्स उतार दी और उसकी पैंटी भी साथ ही निकल आई.

ज्यादा विचार ना करते हुए मैंने उन्हें दूर फेंक दिया.

सामने देखा तो पाया कि एक प्यारी सी गुलाबी चूत मेरे लिए रो रही थी.
उसकी चूत बिल्कुल अनछुई और मासूम सी लग रही थी.
वह एकदम चिकनी थी और मेरे लंड का इंतजार कर रही थी.

शैली ने आज ही शायद अपने बाल साफ किए थे, उसकी एकदम चिकनी चूत अपना पानी छोड़ रही थी.
वो खुलने के लिए शायद मेरे लंड के प्रहारों का इंतजार कर रही थी.

मैंने धीरे धीरे उसकी चूत की फांकों के नीचे जांघ को चूमा और साथ ही धीरे धीरे उसे उकसाने के लिए उसकी चूत के आस पास एक मिनट तक किस करता रहा.
वह अपना पूरा दम लगा कर मुझे चूत चूमने का निमंत्रण दे रही थी, पर मैं उसके मुँह से सुनना चाहता था.

फिर उसने अगले ही पल कह दिया- अविनाश प्लीज़ यारर … क्यों तरसा रहे हो.
मैं उसकी इस कामुक इच्छा के आगे झुक गया और उसकी चूत चूमने के लिए आगे बढ़ा ही था कि तभी कमरे की घंटी बज गई.

ये शायद ईशा ही आई थी.

दोस्तो, चुदाई कहानी को बीच में रोकने के लिए माफी चाहता हूँ. पर सेक्स से लबरेज कहानी अभी बाकी है.
अगले भाग में कुंवारी चूत चुदाई की कहानी आपको जल्द ही मिलेगी.

वेट पुसी लिकिंग स्टोरी पर आप अपने विचार मुझे मेल करेंगे तो मुझे अच्छा लगेगा.
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वेट पुसी लिकिंग स्टोरी का अगला भाग:

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