गांव में नौकरी के साथ चुदाई की मस्ती- 2

(Xxx Dehati Chudai Kahani)

Xxx देहाती चुदाई कहानी में मैंने गाँव की रहने वाली 3 सहेलियों को चोदा. उनमें से 2 कुंवारी थी, एक चुदी चुदाई चूत थी. मजा लें विलेज सेक्स का!

दोस्तो, मैं विशाल पटेल एक बार पुन: आपकी सेवा में अपनी सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
सेक्स कहानी के पिछले भाग
गाँव की कच्ची कली की कुंवारी बुर
में आपने पढ़ा था कि मैं रश्मि की सीलपैक चूत को चोदने की कोशिश कर रहा था.

अब आगे Xxx देहाती चुदाई कहानी:

मैंने उसकी चूत में लौड़ा डालने के लिए बहुत ट्राई की पर लंड हर बार फिसल जाता था.
रश्मि की हंसी छूट गई.
तो मैंने उसे डांटा और कहा- मेरी मदद करो.

उसने अपने हाथ से मेरा लंड उसकी चूत पर सैट किया और कहा- अब धक्का मारो.
मैंने लौड़ा घुसाया तो वह चिल्लाने लगी थी क्योंकि उसकी भी पहली चुदाई थी.
बाद में उसको भी मज़ा आने लगा.

बीस मिनट चोद कर मैंने उसकी चूत में पानी छोड़ दिया.
हमने खड़े होकर अपने अपने कपड़े पहने और फिर वह जाने लगी.

जाते जाते भी हमने काफी चुम्मा चाटी की.
उसने कहा कि वो हमेशा से मेरे जैसे लड़के से ही अपनी पहली चुदाई करवानी चाहती थी.

दूसरे दिन जब शाम को वे तीनों मिलीं तो रश्मि मुझसे नज़रें चुरा रही थी और उसके मुखड़े पर काफी मुस्कान थी.
नम्रता और फातिमा मुझसे मज़ाक में बातें करने लगीं.

अचानक रश्मि ने कहा- मुझको पेट में बहुत दर्द हो रहा है तो मैं आपके साथ पास के गांव में डॉक्टर से दवाई लेती हुई घर जाऊंगी. यदि आपको कोई दिक्कत न हो, तो साथ चलूं?
मैंने हामी भर दी.

वह मेरी बाईक पर बैठ गयी.
बाकी दोनों पैदल चलने लगीं.

मैं और रश्मि उनसे आगे निकल गए.

एकाध किलोमीटर आगे जाकर रश्मि ने मुझे बाईक रास्ते के साइड में छोटे रास्ते में लेने के लिए बोला.

वहां झाड़ियों के बीचों बीच उसने बाइक रुकवाई और मुझसे कहा- जल्दी करो, उन दोनों के घर तक पहुंचने से पहले मुझे घर पहुंचना पड़ेगा.
वह मुझे खींच कर झाड़ी में ले गयी.

वहां थोड़ी साफ जगह पर हम बैठ गए.
वह मुझसे लिपट गई.

मैंने कहा- तुम्हें तो पेट दर्द था ना?
उसने कहा- नहीं मुझे कुछ नहीं है, वह तो उन दोनों से दूर जाने का बहाना बनाया था. अब आप जल्दी से कुछ करो ना!

मैं भी चक्कर खा गया कि यह लड़की साली बड़ी होशियार है.
उसने अपना दुपट्टा जमीन पर बिछाया और उस पर बैठ गयी.
मैं उसके होंठ चूसने लगा और बोबे दबाने लगा.

उसने कहा- यह सब कभी टाईम हो तब करना, आज मेरे पास टाइम नहीं है.
यह बोलकर उसने अपनी सलवार और निक्कर उतार दी.

मैंने भी अपनी पैंट की ज़िप खोल कर लौड़ा निकाल लिया और उसके ऊपर चढ़ गया.

लंड कड़क हो गया था तो मैं उसे चोदने लगा.
हम दोनों को काफी मज़ा आ रहा था.

वह बोली- कल आपने पहली बार मुझे चोदा था, तो दर्द हो रहा था. पर मेरे साजन आज बहुत मजा आ रहा है. आप और जरा जोर से चोदो.

मैं जोर जोर से उसकी चूत में अपने लंड से धक्के लगाने लगा.
पन्द्रह मिनट चोदने के बाद मैं झड़ गया.

फिर हम दोनों वहां से निकल गए.

मैंने सोचा कि रश्मि तो पट गयी, अब नम्रता की चूत कैसे मिलेगी.
यदि मैंने रश्मि से बोला तो रश्मि भी हाथ से जाएगी.

ऐसे ही एक सप्ताह निकल गया.

रश्मि कुछ न कुछ बहाने से मेरे साथ आ जाती और हम अच्छी तरह से चुदाई करते.

एक दिन हम चुदाई करके उठे तो रश्मि ने बताया कि हमारे रिश्ते के बारे में नम्रता और फातिमा को पता लग गया है.
उन दोनों ने मेरी बाईक देख ली थी और हमें ढूँढा था.
फिर चोदते हुए देख भी लिया था.

मैं जानकरी जुटाई तो मालूम हुआ कि उन दोनों को लग रहा था कि रश्मि मुझसे पैसे लेकर चुदवाती है.
रश्मि ने उन्हें काफी समझाया कि वह पैसे नहीं लेती. हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं.

पर वे दोनों नहीं मान रही थीं और उन दोनों ने रश्मि को धमकाया कि वह रश्मि के घर वालों को सब बता देंगी.

रश्मि के बड़े दो भाई थे.
दोनों भाई और रश्मि का बाप गुंडे जैसे ही थे तथा उसके रिश्तेदार भी भले ही ग़रीब और अनपढ़ थे, पर उन सब चीजों में वह काफी खूंखार थे.

अब रश्मि काफी डर गयी थी.
मुझे भी खतरा था.

उन दोनों ने रश्मि के सामने मांग रखी कि जैसे वह मुझसे चुदाने के पैसे लेती है, वैसे मैं भी उन दोनों को चोदूं और उनको भी पैसे दूं.
असल में वे दोनों भी मुझे पसंद करती थीं. पैसे का तो ड्रामा किया था.

जो भी रहा हो … पर इस सबसे रश्मि काफी दुखी थी.
वैसे भी मैं नम्रता को चोदना तो चाहता था और मेरे लिए तो यह अच्छा ही था.

मैंने रश्मि से कहा- हमारे पास और कोई चारा भी तो नहीं है …. तुम उन दोनों को हां बोल दो कि मैं उन्हें चोदने के लिए तैयार हूँ.

भले ही मैं रश्मि को खाली टाईम पास के तौर पर ही पटाया था पर अब मुझे वह मेरे लिए ऐसे परफेक्ट लग रही थी जैसे उसका मुझ पर केवल उसी का हक है.

हालांकि मुझे नम्रता को चोदने में झिझक भी हो रही थी क्योंकि नम्रता और फातिमा मुझे और मेरी प्रेमिका रश्मि को ब्लेकमैल कर रही थीं.

दूसरे दिन वे तीनों मिलीं तो मैंने नम्रता को बाईक पर बिठाया और जहां मैं रश्मि को चोदता था, उसे उस जगह ले गया.
रश्मि काफी नाराज़ मन से दूर खड़ी देख रही थी पर नम्रता काफी खुश थी.

नम्रता को मैं जैसी समझता था, वो उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत थी.
पर वह रश्मि जैसे स्वभाव की नहीं थी; वह थोड़ी जिद्दी और झगड़ालू स्वभाव की थी.
पर वो मुझसे काफी अच्छी तरह पेश आयी और चुदी भी.

उसकी भी चूत कुंवारी थी, तो वह काफी चिल्लाई … पर मैंने उसे अच्छी तरह से चोदा था.
मुझे तो जैसे जन्नत की हूर चोदने मिल गई थी.

वह बाहर से जितनी गोरी और खूबसूरत थी, उससे भी ज्यादा अन्दर से गोरी थी.
उसने बताया कि वह मुझे पसंद करती थी और मुझसे चुदवाना चाहती थी. उसने रश्मि और मुझे चुदाई करते देखा तो उसका भी मुझसे चुदवाने का मन हुआ था.

मैंने उसे कुछ पैसे दिए, जो उसने बिना गिने ही रख लिए.

फिर नम्रता और मैं जब रश्मि और फातिमा के पास गए तो Xxx देहाती लड़की फातिमा मेरे साथ आने के लिए उतावली हुई पड़ी थी.
मैंने उससे कहा- आज नहीं, तुम्हारी बारी कल!

मैं घर पहुंच कर सोचने लगा कि रश्मि और नम्रता तो ठीक हैं, पर फातिमा काली और मोटी थी तो मैं उसे चोदना नहीं चाहता था. पर उन दोनों की शर्त तो निभानी ही थी, नहीं तो मेरी हालत रश्मि के भाई और बाप खराब कर देते.

अगले दिन मैं फिर से उन तीनों से मिला.
मुझे देख कर नम्रता बोली- आपकी जानेमन फातिमा कब से आपका इंतजार कर रही है.

मैंने कहा- फातिमा तुम्हें कहीं आने की जरूरत नहीं है. तुम्हें मैं ऐसे ही पैसे दे दूंगा.
ये कह कर मैंने अपना पर्स निकाला तो फातिमा बोली- नहीं, मैं ऐसे पैसे नहीं लूँगी. आपको मुझे लेकर जाना ही पड़ेगा.

तब नम्रता बोली- हां, इसे ले ही जाइए … यह हम दोनों से आपको ज्यादा मजा देगी.
रश्मि यह बात सुनकर तो ऐसे हो गई थी जैसे उसे सांप ने सूँघने की जगह सीधा काट ही लिया हो.

मैंने भी सोचा कि काली है तो क्या हुआ. साली की चूत तो होगी ही. ऐसे चोद लूंगा जैसे अँधेरे में चुदाई कर रहा हूँ.
बस अब काली फातिमा की चूत मारने का मन बना लिया.

मैं उसे भी वहां ले गया जहां रश्मि और नम्रता को चोदता था.

हम दोनों ने चूमाचाटी की.
फिर मैं उसके बोबे दबाने लगा.

फातिमा भी काफी जोर से मुझसे चिपकी थी और बहुत गर्म हो चुकी थी.
उसके 34 के बोबे दबाने में काफी मज़ा आ रहा था.

मैंने उसकी कमीज़ और ब्रा उतारी तो देखा कि उसका काला बदन भरा-पूरा और बेदाग था. मैं उसके दोनों बोबों को पागलों की तरह काट और चूस रहा था.

अब मुझे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था.
मैंने फातिमा के मुँह में अपना लंड दे दिया, वह मजे से रंडी की तरह मेरा लंड चूसने लगी.

फिर मैंने उसकी चूत में अपना लौड़ा घुसा दिया. वह कुंवारी नहीं थी, घप से लंड खा गई.
बाद में उसने बताया था कि वह अपने ममेरे भाई से चुदाई करवा चुकी थी तो उसे लौड़ा लेना आता था.

वह नर्म गद्दे की तरह थी, तो मुझे उसे चोदने में काफी मजा आ रहा था.
वह नीचे से कमर उठा कर मेरा साथ भी दे रही थी.

फातिमा को मैंने जैसा सोचा था, वह उतनी बुरी नहीं थी.
मेरी और फातिमा की काफी लंबी चुदाई चली.

तभी दूर से नम्रता की आवाज आयी- तुम दोनों जरा जल्दी करो, हमें देर हो रही है.
फातिमा और मैं दोनों हंसते हंसते चुदाई का मजा लेने लगे.

वह तीन बार झड़ चुकी थी पर मैं अब भी लगा हुआ था.

फातिमा बोली- जानू आप बहुत अच्छे हो … मेरे यार का लौड़ा आपसे छोटा है और वह कुल पांच ही मिनट मुझे चोद पाता है. मैंने आपको और रश्मि को चोदते देखा था, तब से मैं आपसे चुदाना चाहती थी. अब आपको जब भी मौका मिले, आप मुझे जरूर चोदना.

मैंने कहा- हां मेरी फातिमा रानी, अब मुझे पता चल गया है कि तुम्हारी काली चूत में भी कितना मजा है.
वह मेरी पीठ पर अपनी हथेलियां दबाने लगी.

तभी नम्रता वहां आकर हमारी बाजू में बैठ कर हमारी चुदाई देखने लगी.
वह बोली- मैं न कहती थी कि आपको मेरे और रश्मि से ज्यादा इस काली भैंस के साथ ज्यादा मज़ा आएगा. अब जल्दी भी करो, कितना चोदोगे विशाल साहब अपनी काली भैंस को!

मैं और फातिमा हंसते हंसते जोर जोर से धकापेल करने लगे.
तभी मैं फातिमा की चूत में झड़ गया.

जब मैंने अपना लंड फातिमा की चूत से निकाला, तो नम्रता ने फातिमा को कहा- तुम जल्दी से कपड़े पहनो.

उसने अपने दुपट्टे से मेरा लंड साफ कर दिया. मैंने और फातिमा ने कपड़े पहने और मैंने उसे पैसे दिए.
Xxx देहाती चुदाई के बाद हम सब निकल गए.

अब जैसे तय हुआ था रश्मि अगले दिन फिर मेरे साथ आ गयी और हम उसी जगह वापस गए.
रश्मि मुझसे लिपट गई और रोने लगी कि उन दोनों पैसे की लालची कुतियों ने मेरे साजन को भ्रष्ट कर दिया.

मैं भी भावुक हो गया. मुझे समझ आ गया कि रश्मि और मैं एक दूसरे से सच्चा प्यार करते थे.
उस दिन मैं रश्मि को चोद नहीं पाया; हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर प्यार भरी बातें ही करते रहे.

बाद में रश्मि और मैं लगभग रोज मिलते और चुदाई करते जबकि नम्रता और फातिमा हफ्ते में एकाध बार मुझसे चुदतीं और पैसे ले लेतीं.

फिर तो मैं उन दोनों को तो मैंने एक साथ ही चोदता जिसमें काफी मज़ा आता. एक मेरा लौड़ा चूसती तो मैं दूसरी के बोबे मसलता.

मेरी छुट्टी के दिन रश्मि शहर आ जाती और मैं उसे अपने रूम पर चोदता.
हम दोनों अब बाहर भी घूमने जाने लगे थे.
यह सब आठ नौ महीने चला.

रश्मि चाहती थी कि मैं उससे शादी कर लूँ.
मैंने भी हामी भर दी क्योंकि रश्मि मेरी जिंदगी में आने वाली पहली लड़की थी.
भले ही वह गरीब मजदूर की बेटी थी पर मुझे उससे प्यार था.

उसने अपने घरवालों को हमारे बारे में बताया पर उसके भाई नहीं माने और दो तीन महीने बाद रश्मि की शादी जबरदस्ती उसी के गांव के एक लड़के से करवा दी.

गांव में वह लड़का थोड़ा पढ़ा लिखा और अच्छा कमाता था, तो मुझे भी अच्छा लगा कि रश्मि दुःखी नहीं रहेगी.

हम दोनों ने तय किया था कि हम एक दूसरे से फिर नहीं मिलेंगे.
तो पाठको, कैसी लगी आपको मेरी Xxx देहाती चुदाई कहानी?
कमेंट्स में बताएं.

गांव में मेरी चुदाई की मस्ती की कहानियां जारी रहेंगी.

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