बीवी की सहेली की चुदाई- 8
(Young Girl Wet Pussy Story)
यंग गर्ल वेट पुसी स्टोरी में जवान कुंवारी चूत फाड़ने के बाद मैं उसे गांड मरवाने के लिए तैयार कर रहा था. मैंने उसके जिस्म के साथ खेल कर उसे पूरी गर्म कर दिया पर चोदा नहीं.
कहानी के सातवें भाग
भाभी की गांड चाट कर चूत गांड मारी
में आपने पढ़ा कि मैंने भाभी के सामने उनकी जेठानी की जवान बेटी की कुंवारी चूत फाड़ी तो वे भी चुदाई करने की जिद करने लगी, मेरा लंड चूसने लगी. तो मैं उसकी गांड चाटने लगा.
उसके बाद मैंने उन्हें उनकी जेठानी की जवान बेटी के सामने चोदा.
अब आगे यंग गर्ल वेट पुसी स्टोरी:
अगले दिन आरती का स्कूल दस बजे था।
मैं नाश्ता करके नौ बजे भाभी के घर पहुँच गया।
मैंने बेल बजाई, तो भाभी की बड़ी बेटी ने दरवाजा खोला।
मैंने घर के अंदर घुसते हुए उसकी गाल पर हाथ फिराते हुए कहा, “बेटी, स्कूल नहीं गई?”
वो चहकते हुए बोली, “चाचू, हम निकलने ही वाले हैं!”
फिर मैंने उससे भाभी और आरती के बारे में पूछा.
तो वो बोली, “मम्मी किचन में हैं, और आरती दीदी अंदर तैयार हो रही हैं!”
फिर वो मुझे बैठने को बोलकर खुद बैग उठाकर छोटी वाली को लेकर चली गई।
उनके जाते ही मैं किचन में चला गया।
किचन में जाते ही भाभी मुझसे लिपट गई और बोली, “आप आ गए देवर जी!”
मैंने उसके चूतड़ भींचते हुए कहा, “हाँ मेरी रानी, जब तूने बुलाया, तो आना ही था!”
भाभी बोली, “देवर जी, अब तो हमारा सब कुछ आप ही हो!”
मैंने कहा, “आरती कैसी है?”
भाभी बोली, “एकदम मस्त है! रात को हमसे अपनी चूत चटवाकर पानी निकालकर मस्ती से सोई है! आप इसके स्कूल का काम निपटाकर आ जाओ!”
मैंने कहा, “ठीक है, हम जाकर आते हैं!”
हम दोनों बाहर हॉल में आ गए।
वहाँ आरती तैयार होकर आ चुकी थी।
वो इस समय स्कूल ड्रेस में बड़ी ही प्यारी लग रही थी।
उसने घुटनों तक लाल स्कर्ट और ऊपर सफेद शर्ट पहन रखी थी।
उसकी चूचियों के बीच टाई लटक रही थी।
उसके दूध जैसे गोरे बदन पर ड्रेस बहुत सुंदर लग रही थी।
उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि ये कुछ घंटे पहले अपने से दुगनी उम्र के मर्द के बहुत बड़े लंड से अपनी छोटी सी चूत की सील तुड़वा चुकी है।
आरती के गुलाबी चेहरे पर ताजगी थी और लाल सुर्ख होंठों पर प्यारी सी मुस्कान।
मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसे बाहों में भर लिया।
वो भी बिना झिझक मेरी बाहों में सिमट गई।
मैंने उसके होंठ चूमते हुए कहा, “बड़ी सुंदर लग रही है हमारी आरती रानी!”
फिर मैंने उसकी शर्ट का एक बटन खोलकर एक हाथ अंदर घुसा दिया।
उसकी छोटी सी चूची मेरे हाथ में आ गई।
मैंने कहा, “वाह मेरी रानी, तुम तो ब्रा भी नहीं पहनती!”
तभी भाभी बोली, “देवर जी, अभी तो इसकी चूचियाँ बहुत छोटी हैं! अभी इसको ब्रा की क्या जरूरत!”
मैंने उसकी एक चूची बाहर निकालकर उसकी निपल को अंगूठे से मसलते हुए कहा, “मेरी रानी, बहुत जल्दी तेरे ये रसीले आम मैं चूस-चूसकर बड़े कर दूँगा!”
आरती अपनी कमर मेरी कमर से सटाकर मुस्कुराते हुए बोली, “भैया, मेरा बहुत दिल है कि मेरे बूब्स बड़े हो जाएँ! मेरी कुछ फ्रेंड्स के कितने बड़े-बड़े हैं!”
मैंने उसकी गांड की एक गोलाई को हथेली से मसलते हुए उसकी निपल को मुँह में भर लिया और थोड़ी देर चूसने के बाद कहा, “फिक्र मत कर, तेरी माँ से भी बड़े कर दूँगा इन्हें!”
आरती मस्ती से मुझे अपना निपल चुसवा रही थी।
तभी भाभी बोली, “देवर जी, पहले आप इसके स्कूल तो जाकर आओ! फिर कर लेना जो भी करना है!”
मैंने कहा, “थोड़ा रुको भी! इस लौंडिया को पहले मस्त कर लूँ!”
फिर मैंने आरती की जाँघों पर हाथ फिराते हुए उसकी पैंटी को साइड में करके उसकी चूत की लकीर में हाथ फिराया.
तो वो उछलते हुए बोली, “आह भैया, दुखता है!”
मेरी अंगुली गीली हो चुकी थी।
मैंने हाथ स्कर्ट से बाहर निकालकर अंगुली भाभी को दिखाते हुए कहा, “देख भाभी, साली की चूत पानी छोड़ रही है!”
भाभी हँसते हुए आरती के पास आकर उसकी कमर में हाथ डालते हुए बोली, “देवर जी, ये तो नई-नई जवान हुई चूत है! आपके हाथों से तो खेली-खाई औरत भी एक मिनट में पानी छोड़ देती है!”
फिर मैंने आरती की पैंटी नीचे सरकाते हुए उतारकर उसे बाहों में लेकर सोफे पर बिठा दिया और उसकी स्कर्ट ऊपर उठाकर टाँगें फैला दीं।
आरती की नन्ही सी चूत एकदम टमाटर की तरह लाल पड़ी थी।
उसके होंठ फूलकर आपस में चिपके हुए थे।
भाभी ने आरती के घुटने पर हाथ रखकर कहा, “देवर जी, आपके मूसल ने देखो कैसे इसकी चूत की शक्ल बिगाड़कर रख दी है! अब मुझे नहीं लगता ये आपका लौड़ा कुछ दिन इसमें ले पाएगी! अब तो आपको मेरी चूत से काम चलाना पड़ेगा!”
मैंने अपनी जीभ निकालकर आरती की चूत से लगा दी और चूत के होंठों में जीभ फिराने लगा।
आरती बोली, “आह सीसी, भैया दुखता है! आह, धीरे करो ना!”
मैंने उसकी बात की परवाह किए बिना उसकी गांड के नीचे हाथ डालकर उसकी चूत के छेद से चूत के दाने तक जीभ फिराने लगा।
उसके छेद से थोड़ा-थोड़ा नमकीन और बहुत ही खुशबूदार पानी रिस रहा था, जिसे मैं चाट रहा था।
थोड़ी देर में आरती की ‘ना-ना आह भैया, और करो! उफ्फ, बहुत अच्छा लग रहा है!’ में बदल गई।
आरती नीचे से गांड उठाकर अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।
मैं आरती को छोड़कर खड़ा हो गया और उससे कहा, “चल, तू भी अपने कपड़े सही कर ले! पहले स्कूल चलते हैं!”
आरती सवालिया नजरों से मेरी ओर देखने लगी।
उसकी आँखों में वासना के डोरे तैर रहे थे।
वो प्यासी नजरों से मुझे देख रही थी।
मैंने घड़ी की तरफ देखकर कहा, “चलो, जल्दी करो! दो मिनट में तैयार हो जाओ!”
मैं उसको इतना बोलकर बाथरूम की तरफ बढ़ गया और अपना लगभग खड़ा लंड निकालकर मूतने की कोशिश करने लगा।
तभी भाभी ने मेरे पीछे आकर कहा, “देवर जी, उसको ऐसे ही क्यों छोड़ दिया? बेचारी का पानी तो निकाल देते!”
मैंने मूतते हुए कहा, “भाभी, उसको तड़फने दे! वो जितना तड़फेगी, वापस आकर उतनी मस्ती से अपनी गांड मरवाएगी!”
भाभी ताली बजाकर बोली, “वाह देवर जी, आप तो बहुत बड़े औरतखोर मर्द हो! किसी लड़की को कैसे बस में करना है, कोई आपसे सीखे!”
वो आगे बोली, “बेचारी आरती की चूत में आग लगाकर छोड़ दी! अब वो जब तक झड़ेगी नहीं, तब तक तड़फती रहेगी! और आप उसकी तड़फ का फायदा उठाकर उसकी गांड भी मार लोगे! वाह मेरे राजा!”
मैंने मूतकर घूमते हुए अपना लंड भाभी की तरफ कर दिया।
मेरे लंड से अभी भी एक-दो ड्रॉप्स टपक रही थी।
मैंने भाभी को इशारे से लंड चूसने को कहा।
भाभी बिना कुछ बोले लंड चूसने लगी।
तभी आरती अपने कपड़े सही करके आ गई।
मैंने उससे पूछा, “पैंटी पहनी है?”
उसने कहा, “जी भैया!”
मैंने कहा, “उतारकर मुझे दे!”
आरती ने एक झटके से पैंटी उतारकर मेरी तरफ बढ़ा दी।
मैंने उसे सूँघते हुए अपनी जेब में रख लिया।
फिर मैंने भाभी के मुँह से लंड निकालकर आरती को अपनी तरफ खींच लिया और लंड उसकी स्कर्ट के अंदर डालकर उसकी चूत से भिड़ाकर चूत की लकीर में फिराते हुए आरती से कहा, “बोल, लंड चाहिए!”
आरती कंपकंपाते होंठों से बोली, “जी भैया!”
मैंने कहा, “खुलकर बोल, क्या चाहिए!”
आरती ने एक हाथ से मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुए कहा, “भैया, आपका लंड चाहिए मुझे, अपनी चूत में!”
मैंने आरती के हाथ से लंड छुड़वाकर अपनी जिप के अंदर किया और उसे चूमकर कहा, “चल, पहले तेरे स्कूल का काम निपटा देते हैं! फिर वापस आकर जमकर चुदाई करेंगे!”
आरती अनमने ढंग से बोली, “भैया, मेरी पैंटी!”
मैंने कहा, “चल, तू आज मेरे साथ बिना पैंटी पहने स्कूल जाएगी!”
आरती बिना कुछ बोले चल पड़ी।
उधर भाभी मुझे देखकर मुस्कुराकर रह गई।
हम दोनों बाहर आकर कार में बैठ गए और मैंने कार आरती के स्कूल की तरफ बढ़ा दी।
आरती चुपचाप मेरी बगल में बैठी हुई थी।
उसे चुपचाप देखकर मैंने अपना एक हाथ उसकी टाँग पर फिराते हुए पूछा, “गुस्से हो क्या, आरती?”
वो सिर हिलाकर बोली, “नहीं!”
मैंने कहा, “झूठ क्यों बोल रही हो? लंड लेना चाहती हो ना?”
आरती कुछ नहीं बोली।
मैंने कहा, “आरती, देखो, मुझे अपना बॉयफ्रेंड समझो और खुलकर बोलो! तुम्हें मजा आएगा!”
आरती उखड़ते हुए बोली, “आप मेरे बॉयफ्रेंड नहीं हो! आपकी इतनी उम्र और मैं आपसे इतनी छोटी हूँ! मैं अपनी दोस्तों के सामने आपको बॉयफ्रेंड नहीं बोल सकती!”
मैंने कहा, “ठीक है, मत बोलो! पर एक बात सच बताओ, तुम्हें मेरा लंड और मेरा प्यार करने का तरीका कैसा लगा?”
आरती थोड़ा शरमाते हुए बोली, “भैया, बहुत मजा आया! पर मैं आपको भैया बोलती हूँ, क्या हमें ऐसा करना ठीक है?”
मैंने आरती का हाथ पकड़कर उसे समझाया, “देखो आरती, तुम अब जवान हो चुकी हो! तुम्हारा भी दिल करता होगा कि कोई तुम्हें प्यार करे, तुम्हारे होंठ चूसे, तुम्हारे बूब्स मसले और तुम्हारी निपल्स को खूब चूसे! कोई तुम पर इतनी मेहनत करे कि तुम्हारे आम बड़े-बड़े हो जाएँ!”
आरती बोली, “जी भैया, होता है!”
फिर मैंने उसे समझाते हुए पूछा, “आरती, क्या तुम्हारा दिल नहीं होता कि तुम्हारी प्यारी सी चूत को कोई खूब चाटे और फिर मजबूत सा लंड डालकर कोई तुम्हारी खूब चुदाई करे?”
आरती अंगड़ाई लेते हुए हँसकर बोली, “पर भैया, आपका तो कुछ ज्यादा ही मजबूत है!”
मैंने भी हँसकर कहा, “मेरी जान, लंड जितना बड़ा, मोटा और मजबूत होगा, उतना ही लड़की को ज्यादा मजा आता है! बाकी रही बात लंड की, सिर्फ लंड से ही कुछ नहीं होता! चोदने वाले में भी दम होना चाहिए! आजकल तो तुम्हारी जितनी उम्र की लड़कियों को अपनी से डबल उम्र के मर्द पसंद आते हैं!”
आरती बोली, “भैया, ऐसा क्यों?”
मैंने कहा, “क्योंकि बड़ी उम्र के मर्द ज्यादा मजा देते हैं! उन्हें एक्सपीरियंस भी ज्यादा होता है और बदनामी का डर भी नहीं रहता! तुम्हें शायद पता नहीं, तुम्हारी जैसी लड़कियाँ पता ही नहीं चलता, कब आस-पास के आदमियों को अंकल-अंकल बोलकर उनकी गोद में जाकर बैठ जाती हैं और अपनी चूत और गांड में लंड डलवाकर मजा लेती हैं! कोई शक भी नहीं करता!”
आरती सिर हिलाकर बोली, “भैया, ये बात तो सही है!”
फिर मैंने कहा, “आजकल के लड़के जल्दबाजी करते हैं! उनका चूत पर लंड रखते ही पानी निकल जाता है! लड़की तड़फती रह जाती है और ये भी पता नहीं कि वो कब लड़की को बदनाम कर दे! इसलिए ऐसे लड़कों से सिर्फ दोस्ती तक ठीक है!”
आरती बोली, “भैया, पर अपनी से बड़ी उम्र के आदमी से तो सिर्फ सेक्स ही हुआ ना, प्यार तो नहीं!”
मैंने कहा, “आरती, जो चीज मन और बॉडी को मजा दे, शांति दे, वही प्यार होता है! जो अधूरा छोड़ दे, बदनामी करे, वो किस बात का प्यार हुआ!”
आरती मेरी तरफ देखकर मेरा हाथ पकड़कर भींचते हुए मुस्कुराकर बोली, “भैया, हाँ, ये बात सही है! आई लव यू सो मच!”
मैंने भी उसे कहा, “लव यू टू बेबी!”
आरती बोली, “भैया, तो मैं आपको क्या बोलूँ?”
तब तक आरती का स्कूल आ गया।
मैंने गाड़ी पार्किंग में लगाई और नीचे उतरकर आरती की बगल में खड़े होकर एक हाथ पीछे से उसकी स्कर्ट में डालकर उसके नंगे चूतड़ों पर हाथ फिराते हुए जानबूझकर अंगुलियों को उसकी चूत से टच करवा दिया।
वो सिसकार उठी और उछलकर बोली, “आह भैया!”
उसकी चूत अभी भी बह रही थी, शायद मेरी गर्म बातों से।
मेरी अंगुलियाँ यंग गर्ल वेट पुसी के पानी से हल्की गीली हो गईं।
मैंने उन्हें चाटते हुए आरती की आँखों में देखकर कहा, “बड़ी नमकीन हो तुम तो!”
आरती शरमाते हुए मुस्कुराकर बोली, “चलो भैया, पहले प्रिंसिपल के ऑफिस चलिए! मेरा स्वाद आप बाद में ले लेना!”
हम दोनों प्रिंसिपल के ऑफिस में आ गए।
प्रिंसिपल मेरा जानकार था। मैंने उसे समझाया और उस लड़के को स्कूल से निकालकर आरती पर लिए गए एक्शन को वापस लेने को कहा।
प्रिंसिपल ने मेरी बात समझकर आरती को कल से स्कूल आने को बोल दिया और अगली बार कोई परेशान करने पर सीधा उसे कंप्लेंट करने को कहा।
उसने उस लड़के के माँ-बाप को आज ही बुलाकर उसे स्कूल से निकालने का भरोसा दिया।
थोड़ी देर बाद हम बाहर आ गए।
आरती के स्कूल में लंच टाइम हो चुका था।
बाहर हमें उसकी कई सहेलियाँ मिलीं जो आरती से स्कूल आने का पूछ रही थीं।
मैंने उन्हें कहा, “आरती की तबीयत खराब थी, इसलिए उसे कल इंजेक्शन लगाना पड़ा! आज फिर इंजेक्शन लगवाकर आरती ठीक हो जाएगी और कल से स्कूल आएगी!”
फिर हम दोनों कार में आ गए और भाभी के घर की तरफ चल पड़े।
आरती मुझसे बोली, “भैया, मुझे क्या हुआ था, जो आप मेरी फ्रेंड्स को मेरा बीमार होने का बोल रहे थे?”
मैंने कहा, “तुम्हें जवानी का बुखार चढ़ा था, जो कल लंड का टीका लगवाकर कुछ ठीक हुआ होगा! आज फिर एक बार अच्छे से चुदवा लेगी, तो बिल्कुल ठीक हो जाओगी!”
आरती हँसते हुए बोली, “उफ्फ भैया, आप भी ना, कुछ भी बोलते हो!”
आरती अब मुझे पहले से ज्यादा खुश लग रही थी।
मैंने उससे पूछा, “इतनी खुश क्यों लग रही हो?”
वो बोली, “भैया, थैंक्यू वेरी मच! इतने दिन बाद स्कूल आकर बहुत अच्छा लगा! मैंने तो स्कूल में वापस आने की उम्मीद ही छोड़ दी थी!”
मैंने कहा, “जानम, मेरे होते तुम्हें किसी बात की फिक्र करने की जरूरत नहीं! बस तुम खूब पढ़ो और अपनी जवानी के खूब मजे लो और हमेशा खुश रहो! किसी भी चीज की जरूरत या कोई तकलीफ होने पर मुझे बोलो!”
आरती खुश होते हुए बोली, “भैया, आप मुझे इतना प्यार करते हो!”
मैंने कहा, “तुम मुझे अपना बॉयफ्रेंड मानो चाहे न मानो, पर मैं तो तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड मानता हूँ!”
आरती बोली, “ऐसी बात नहीं है भैया, मैं भी आपको बॉयफ्रेंड ही बोलूँगी!”
फिर मैंने कहा, “ठीक है, फिर आज कुछ दोगी?”
आरती बोली, “सब कुछ, जो आप कहोगे! मेरा अब सब कुछ आपका है!”
मैंने कहा, “आरती, तुम्हारी सब सहेलियों के चूतड़ देखो, कितने बड़े हैं! बड़े चूतड़ और बड़े बूब्स वाली लड़कियाँ बहुत सुंदर लगती हैं!”
आरती आँखें नचाते हुए बोली, “तो क्या मैं सुंदर नहीं हूँ?”
मैंने कहा, “मेरी जान, बहुत सुंदर हो तुम! मैं तुम्हारे बूब्स तो चूस-चूसकर सुंदर बना ही दूँगा, पर मैं चाहता हूँ कि मेरी जान जब चले, तो उसके चूतड़ भी खूब थिरकें!”
आरती मासूमियत से बोली, “ठीक भैया, आप मेरे चूतड़ भी चूस-चूसकर बड़े कर देना!”
मैंने कहा, “पगली, चूतड़ चूसने से बड़े नहीं होते!”
आरती तपाक से बोली, “तो कैसे होंगे भैया?”
मैंने कहा, “उसके लिए तुम्हें हर रोज अपने चूतड़ों के बीच वाले गुलाबी छेद में मेरा लंड लेकर उछलना होगा! फिर मेरे लंड से जो पानी निकलकर तुम्हारी गांड में जाएगा, उससे थोड़े ही टाइम में तुम्हारे चूतड़ बाउंसी हो जाएँगे!”
आरती बोली, “नहीं भैया, मैं आपका इतना मोटा लंड वहाँ नहीं ले सकती!”
मैंने कहा, “यार, खुलकर बोलो, हर गंदा शब्द! और अगर चाहो, तो गालियाँ भी बोल सकती हो! मैं चाहता हूँ कि अब तुम खुलकर जियो!”
आरती बोली, “भैया, मुझे इतना गंदा बोलना नहीं आता! पर फिर भी मैं कोशिश करूँगी!”
मैंने कहा, “आरती, एक बार अपनी गांड में लंड लेकर तो देखो! कुछ नहीं होगा!”
आरती बोली, “भैया, मैंने सुना है पीछे बहुत दर्द होता है!”
मैंने पूछा, “तुम्हें किसने बोला?”
आरती बताने लगी कि उसकी सब सहेलियों के बॉयफ्रेंड हैं, वो ही बताती रहती हैं।
हम बातें कर ही रहे थे कि घर आ गया।
मैंने कार से उतरकर घंटी बजाई, तो भाभी ने दरवाजा खोला, हम दोनों अंदर आ गए।
आगे की कहानी का इन्तजार करें.
यह यंग गर्ल वेट पुसी स्टोरी आपको कैसी लगी?
कमेंट्स और मेल में बताएं.
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यंग गर्ल वेट पुसी स्टोरी का अगला भाग:
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