हॉस्टल केयर टेकर की डबल चुदाई लाइव देखी

(Hindi Mein Blue Picture Story)

हिंदी में ब्लू पिक्चर स्टोरी का मजा लें. इसे पढ़ कर आपको पोर्न फिल्म देखने का मजा आने वाला है. एक हॉस्टल मेस में एक लेडी दो स्टाफ वालों से एक साथ चुद रही थी.

नमस्कार दोस्तो! आज मैं, आपका अपना प्रेम, आपके लिए लाया हूँ एक बिल्कुल अनोखी और मनोरंजन से भरपूर कहानी।
इस कहानी में सभी पात्र और स्थान काल्पनिक नहीं हैं।
बस कुछ खास वजहों से इनके नाम बदल दिए गए हैं।

तो हिंदी में ब्लू पिक्चर स्टोरी उन दिनों की है जब मैं घर से दूर एक हॉस्टल में पढ़ने के लिए गया था।

मेरी रुचि पढ़ाई में बहुत अधिक थी तो घर वालों ने मुझे पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इंटरमीडिएट में मेरे 93.5 प्रतिशत नंबर आए तो घर में जश्न का माहौल था।
मुझे आगे की पढ़ाई के लिए एक नामी कॉलेज में कोचिंग के लिए भेज दिया गया।

मेरी रुचि बायोलॉजी में बहुत अधिक थी तो नीट की कोचिंग के लिए मुझे शहर भेजा गया।

कॉलेज मेरे गाँव से लगभग 90 किलोमीटर दूर था इसलिए मुझे उसी कॉलेज के हॉस्टल में भी भर्ती कराया गया।

हॉस्टल का माहौल बहुत ही शांत रहता था।
मैं स्वयं भी ऐसे ही माहौल का आदी था तो बहुत जल्दी मैंने वहाँ स्वयं को एडजस्ट कर लिया।

हॉस्टल में रहने के दौरान मुझे पता चला कि हॉस्टल की देखरेख एक सुजैन नाम की लेडी करती थी।
उस लेडी का व्यवहार बहुत ही रहस्यमय था।
मैंने कभी भी उसके चेहरे पर मुस्कान नाम की चीज़ नहीं देखी!

सुजैन का असिस्टेंट रिषभ नाम का एक युवक था, जो लगभग 27-28 साल का लगता था।
सुजैन की उम्र लगभग 40-42 साल प्रतीत होती थी।

हॉस्टल में रसोई का काम संभालने के लिए मनोज नाम का एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति रखा हुआ था।

मनोज की सहायता के लिए एक लेडी, जिसका नाम आबिदा था, को नियुक्त किया गया था।
आबिदा एक औसत दर्जे की महिला थी, जिसकी उम्र मुझे 35-36 साल प्रतीत होती थी।

इसी शांत माहौल वाले हॉस्टल में धीरे-धीरे मुझे रहते-रहते लगभग 10 महीने हो गए।

मेरा BSc करने का कोई इरादा तो नहीं था मगर फिर भी मेरा एडमिशन BSc में भी करा दिया गया था।

उधर नीट की तैयारी पूरे जोश-खरोश के साथ चल रही थी, इधर BSc की परीक्षा की तिथि भी घोषित हो गई।

परीक्षा में अभी 25-26 दिन बाकी थे कि तभी मेरे सामने एक विचित्र-सी घटना घट गई।

हालांकि कॉलेज और हॉस्टल में इस बात की हमेशा चर्चा होती रहती थी कि आबिदा मैडम और मनोज जी के बीच कुछ-कुछ होने वाली स्टोरी चल रही है मगर मैं कभी ध्यान नहीं देता था।
मुझे तो वैसे भी अपनी पढ़ाई पूरी करने का जुनून सवार था, तो मैं बेफिजूल की बातों में कभी भी अपना दिमाग नहीं लगाता था।

तो हुआ यूँ कि एक दिन मैं मेस में भोजन करने पहुँचा, तो रात के लगभग 9 बज चुके थे और मेस बंद होने का समय हो रहा था।

वैसे तो मैं अक्सर शाम का खाना काफी जल्दी खा लेता था, मगर उस दिन मुझे भूख ही 9 बजे के लगभग लगी, तो मैं सीधा मेस में पहुँच गया।

मेस में पहुँचा तो आबिदा मैडम जो खाना सर्व करती थीं, वो अपनी ड्यूटी पर नहीं थीं।

मैं थोड़ी देर वहीं बैठकर इंतज़ार करने लगा।
मैंने सोचा, हो सकता है आबिदा बाथरूम वगैरह गई हों, तो थोड़ी देर में आ जाएँगी।

जब आबिदा को काफी देर तक मैंने नहीं देखा तो मैंने रसोई की तरफ जाने की सोची।

जब मैं रसोई की तरफ बढ़ा तो मैंने अंदर से कुछ अजीबो-गरीब-सी आवाज़ें सुनीं।

अब मेरा माथा ठनका, और मैंने रसोई में सीधे न जाकर बाहर से ही अंदर झाँकने का निर्णय लिया।

मैंने चारों तरफ नज़रें घुमाईं, तो मुझे रसोई की दीवार में कोई खिड़की नज़र नहीं आई।
मैं अब असमंजस की स्थिति में फँस गया।
फिर भी मैंने निगाहें चारों तरफ घुमाना जारी रखा।

मैं रसोई की दूसरी तरफ पहुँचा, तो मुझे एक आस की किरण दिखाई दी।

रसोई के दूसरी तरफ एक खिड़की नज़र तो आई.
मगर वो अंदर से बंद थी।

मैंने उँगली से उसे धक्का देकर खोलने की कोशिश की, मगर वो नहीं खुली।
अंदर से अजीब-अजीब आवाज़ें अभी भी आ रही थीं।

बल्कि अब आवाज़ों का साउंड कुछ ज़्यादा साफ-साफ सुनाई देने लगा था।
मेरे मन में जिज्ञासा बहुत बढ़ चुकी थी कि आखिर ये आवाज़ें रसोई में से क्यों आ रही हैं?

अचानक मेरी नज़र जब हॉल और रसोई की छत की तरफ गई, तो मुझे एक रोशनदान नज़र आ गया, और मेरी आँखों में एकदम से चमक आ गई।

मगर रोशनदान थोड़ा ऊँचाई पर था, लगभग 8-9 फीट की ऊँचाई पर।

मैंने फिर चारों ओर नज़र दौड़ाई, तो मुझे कोने में एक सीढ़ी नज़र आई।
मैंने तुरंत वो सीढ़ी रोशनदान पर लगाई और अंदर की ओर नज़र डाली।

अंदर नज़र डालते ही मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं!
मुँह भी अंदर के दृश्य को देखकर खुला का खुला रह गया!

अंदर तो पूरी फिल्म चालू थी!
मनोज तो रसीले आम चूसने में बुरी तरह व्यस्त था.
और आम वाली अपने मुँह से मस्ती भरी सिसकारियाँ निकालने में व्यस्त थी।

रसीले आम रोशनदान से बहुत ही फूले-फूले लग रहे थे, जैसे कि उन्हें मुँह से हवा भर-भरकर फुलाया गया हो।

मेरी नज़र जब थोड़ा ऊपर को हुई, तो मैं उस चेहरे को देखकर हक्का-बक्का रह गया।
वो कोई और नहीं, बल्कि हमारी हॉस्टल प्रबंधक सुजैन मैडम थीं!

इस उम्र में भी उनके चेहरे पर नूर चमक रहा था।
वो आसमान से उतरी कोई हूर परी लग रही थीं।

मनोज पूरी तरह से सुजैन मैडम के स्तनों को निचोड़ने में लगा हुआ था।
तभी मेरी नज़र थोड़ा नीचे चली गई।

नीचे का सीन देखकर तो मेरा चंपकलाल भी अंगड़ाइयाँ लेने लगा।
नीचे से भी सुजैन बिना कपड़ों के थीं, और उनके मुख्य भाग में कोई जवान-सा लड़का जीभ और होठों से ठीक किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था।
बहुत ध्यान से देखने पर मुझे वो लड़का कोई और नहीं, बल्कि मैडम का असिस्टेंट रिषभ ही लगा।

अब मेरी खुद की हालत भी थोड़ी-थोड़ी खराब होने लगी।
मेरा हाथ सीधा मेरे लोअर के अंदर पहुँच गया।
मेरा पप्पू अकड़ने लगा था ये नंगी रंडी मैडम का सीन देखकर।

इधर मैंने अपने छोटू को संभाला, उधर अंदर का सीन बदल चुका था।

मैडम अब अपना मुँह खोलकर मनोज के मोटे हथियार को चूसने की कोशिश कर रही थीं।
मोटा होने की वजह से मनोज का हथियार सुजैन के मुँह के अंदर नहीं जा पा रहा था।
फिर भी मैडम बार-बार मुँह में भरने की कोशिश कर रही थीं उस विशालकाय औज़ार को।

मेरा हाथ भी अब धीरे-धीरे गतिमान होने लगा था।

बहुत सारे निरर्थक प्रयासों के बाद अब सुजैन मैम घुटनों के बल आगे को हाथ करके ठीक किसी डॉगी की तरह झुक गईं।

अब इस मौके का फायदा उनके असिस्टेंट रिषभ ने उठाया और मैडम के मुँह के सामने अपना फलन्तरू पेश कर दिया।

रिषभ का लंड मनोज के हथियार के मुकाबले आधा ही था।
मैडम ने भी आव देखा न ताव, बस लंड को झट से अपने मुँह में समाहित कर लिया और मुँह को आगे-पीछे चलाने लगीं।

उधर मनोज अपने मिशन में लग गया।

अपने हथियार पर कोई मक्खन जैसा पदार्थ मलने लगे और सुजैन की सूजी हुई मुनिया में उसको रगड़ने लगे।

उधर मेरा भी अब बहुत बुरा हाल हो गया था।

मैंने अब अपना पप्पू लोअर से बाहर निकाल लिया था।
मेरा हाथ भी अपने शैतान पप्पू पर हरकत करने लगा था।

अंदर का सीन कुछ इस प्रकार था कि मनोज ने काफी प्रयासों के बाद अपना हथियार सुजैन की सूजी हुई मुनिया में इंसर्ट कर दिया था और धक्कमपेल शुरू कर दी थी।
उधर रिषभ भी फुल स्पीड से मुखचोदन का काम बहुत तल्लीनता से कर रहा था।

हिंदी में ब्लू पिक्चर देख मेरा पप्पू अपना माल बाहर फेंक चुका था और मुरझा गया था।

अब मेरी भूख भी भाग चुकी थी।
मैं सीढ़ी से नीचे उतर आया और वापस अपने कमरे में आकर सोने की कोशिश करने लगा।
मगर अभी भी मेरे दिमाग में वो रसोई के अंदर का सीन ठीक किसी मूवी की तरह गतिमान था।

तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली कहानी।
इस हिंदी में ब्लू पिक्चर स्टोरी में कुछ भी गलती हो तो मैं आप लोगों से क्षमा प्रार्थी हूँ।

मुझे मेरी मेल… id [email protected] पर मेल करके अपने कीमती विचार रखिएगा.

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