चार दोस्त, उनकी चार बीवियाँ और मौज मस्ती-2

(Char Dost, Unki Char Biviyan Aur Mauj Masti- Part 2)

This story is part of a series:

हम चार दोस्त अपनी अपनी बिवियों के साथ छुट्टियों में मस्ती करने एक फार्म हाउस पर गए. वहाँ स्वीमिंग पूल में दो बीवियाँ बिकिनी पहन कर आई लेकिन दो नहीं आई.

नीलिमा- अरे तुम दोनों बैठी क्या खुसुर फुसुर कर रही हो? जल्दी आओ न यहाँ पानी में!
रेशमा- पर मुझे तैरना नहीं आता.
दीपा- तो क्या हुआ वासु है न, वो तुम्हें सिखा देगा… वो अच्छा स्विमर है… अगर साहिल को ऐतराज न हो तो!
और दीपा ने रेशमा को आंख मारी.

साहिल- नहीं मुझे कोई दिक्कत नहीं… वासु तू सिखा उसे!
और हंसते हंसते कहा- सिर्फ सिखाना नहीं… तू मजे लेते रहना मेरी खूबसूरत बीवी के!
रेशमा- क्या साहिल तुम भी न… अगर ऐसा है तो तुम ही सिखा दो ना!
साहिल- अरे बाबा, मैं तो मजाक कर रहा था. और रही मजे की तो तुम्हारे साथ तो मजे मैं करुंगा रात में!
यह सुन कर रेशमा ने शर्म से अपनी आँखें नीचे कर ली.

रेशमा- क्या साहिल… ये क्या सबके सामने कहने की बात है?
साहिल- अरे बाबा, शर्माने की क्या बात है और मैं तो कहूँगा आज रात हम सबके गद्दे हॉल में ही लगा देते हैं, सबको पता होगा कि हम सब क्या कर रहे हैं पर अंधेरे में कुछ दिखेगा नहीं! पर ये सोचकर मजा भी आएगा.

तभी रजत ने कहा- मैं तयार हूँ!
और नीलिमा से पूछा- क्या नीलिमा तुम तैयार हो?
नीलिमा ने शरमाते हुआ कहा- हाँ मैं तयार हूँ.

बाद में सबने इस बात की हामी भरी, मैं भी खुश हुआ कि आज रात मुझे नीलिमा को चुदते हुआ देखने का मौका मिलेगा. ऐसा सोचने पर मेरा लंड और कड़क हुआ और तभी रेशमा पास आई और उसने तैरना सिखाने को कहा.
मैंने कहा- ठीक है, अब तुम रेलिंग को पकड़ कर पानी में आओ और पानी में आकर रेलिंग को पकड़े रखना और पैर पानी में सीधे करना!
उसने कोशिश की पर वो कर नहीं पा रही थी.
रेशमा- वासु, तुम ही मदद करो ना?

पानी में करीब से उसके पैर देख कर मुझे लगा कि काश ऐसे नीलिमा सामने होती और मैंने रेशमा की टाँगें अपने हाथों से सीधी की और उसे पैर ऊपर नीचे करने को कहा… पर वो ठीक से कर नहीं पा रही थी तो मैंने अपना एक हाथ उसके पेट के नीचे रखा और सहारा देकर कहा- अब पैर मारो!
रेशमा ने जोर जोर से पैर मारे और रेलिंग से थोड़ा और पीछे आई इसमें मेरे हाथ जो उसके पेट के नीचे थे वो उसके बूब्स के ऊपर आये और उसका एक बूब मेरे हाथ में आया.

उधर सभी पानी में मौज मस्ती कर रहे थे और एक दूसरे के ऊपर पानी उड़ेल रहे थे.
दीपा ने भी अब रजत की तरफ कदम बढ़ा लिए थे वो उस पर जोर से पानी डाल रही थी.
सब मस्त में मशगूल थे.

साहिल- वासु, तू ठीक तो है ना?
मैंने कहा- सालो, तुम वहाँ सब खेल रहे हो और मुझे यहाँ बिजी रखा है, खुद क्यों नहीं सिखाता रेशमा को?
साहिल- अरे बाबा, तू अच्छा स्विमर है इसलिए तुझे सिखाने को बोला… नहीं तो मैं ही सिखा देता!

मैं इधर नीलिमा के साथ के लिए तड़प रहा था और रेशमा के बूब्स हाथ में थे. क्या नसीब है… मैंने रेशमा की तरफ देखा, मुझे लगा वो मुस्कुरा रही है यानि उसे मेरा उसके बूब्स को हाथ लगा, इसका बुरा नहीं लगा, मैंने सोचा क्यों न तब तक रेशमा पर ट्राई मारूं?
मैंने भी उसकी तरफ स्माइल की.
रेशमा- मुझे पता है वासु, तुम नीलिमा को पसंद करते हो!
मैं हैरान हो गया और कहा- नहीं तो?
अभी भी मेरे हाथ उसके बूब्स पे थे.

रेशमा- ठीक है, जाने दो… मैंने सोचा, अगर वो तुम्हेँ पसंद है तो मैं तुम्हारी कुछ मदद कर देती!
और उसने मेरी तरफ देख आंख मारी. मैंने सोचा चलो चिड़िया खुद मदद कर रही है तो क्यों ना कहें!
मैंने कहा- ठीक है, मैं मानता हूँ, वो मुझे पसंद है.
रेशमा- तो क्या करना चाहते वो उसके साथ?
मैंने कहा- बस उसे अपने दिल का हाल बताना चाहता हूँ.
रेशमा- बस? मुझे लगा तुम उसमें कहीं ज्यादा इंटरेस्टेड हो… और तुम्हारा बम्बू तो कुछ और कह रहा है.
उसने मेरे नीचे इशारा करके बोला.

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मैं शर्मा गया और उसके बूब्स को छोड़ दिया और उसके पेट के नीचे हाथ रखा.
रेशमा- उन्हें छोड़ दोगे तो मैं मदद क्यों करूं?
मैंने कहा- मैं समझा नहीं?
रेशमा- अरे अभी जिन पर हाथ था उन्हें छोड़ोगे तो…
मैंने कहा- उन्हें किन्हें? उनका कुछ नाम नहीं है क्या?
रेशमा- मुझे शर्म आती है!
मैंने कहा- नहीं, नाम तो लेना पड़ेगा!
रेशमा- मेरे बूब्स पकड़े रखो!
मैंने कहा- ठीक है…

और मेरा एक हाथ उसके बूब्स को पानी में दबाने लगा और रेलिंग से हाथ हटा उसने नीचे पानी में मेरी चड्डी में डाला और मेरे लंड को सहलाने लगी.
तभी सभी लोगों की चिलम पों शुरू हो गई- बस चलो, अब खाना खाते हैं!
और हमें भी पानी से बाहर आना पड़ा और सभी हाल में कपड़े बदल कर चले गए.

मैंने देखा कि दीपा और रेशमा कुछ बातें कर रही हैं.
दीपा- ओय रेशमा जान… क्या क्या किया? मौका लिया या दिया?
रेशमा- मुझे शर्म आ रही है.
दीपा- हाय हाय रे, शर्मा रही है, वासु का लंड लेना है तो शर्माना छोड़ना पड़ेगा.

रेशमा- क्या दीपा तू भी… हाँ मौका लिया भी और दिया भी… उसके हाथ में बूब्स दिए और उसका लंड हाथ में लिया!
दीपा- वाह… तू तो बड़ी फ़ास्ट निकली, पहले ही दिन दो बड़ी बातें… पर एक बात याद रखना, नीचे के बाल साफ़ रखना… वासु को चूत चूसना बड़ा पसंद है पर उसे बाल पसंद नहीं!
रेशमा- अरे तू तो ऐसे कह रही है जैसे मैं अभी उससे चुदवाने जा रही हूँ? पर दीपा काश वह पानी में मुझे चोदता… बाय गॉड बड़ा मन कर रहा था उस वक़्त उसके लंड को मुंह में लेके चूसने का… उसके लंड से निकला पानी पीने का…

रेशमा- पर दीपा, वासु को मैंने एक शर्त मान कर राजी किया है.
दीपा- कौन सी शर्त?
रेशमा- कि मैं उसको नीलिमा को पटाने में मदद करूंगी.
दीपा- वाह, तो मेरा पति नीलिमा को लेना चाहता है और उस चाहत में तुझे पेलेगा.
रेशमा- क्या तू भी… कितना गन्दा बोलती है तू!
दीपा- अरे रेशमा, इसमें बड़ा मजा है, तू कभी ट्राय कर… मैं और वासु गन्दी बात करते हुए ही मजा करते हैं!
रेशमा- मेरा भी मन करता है पर साहिल को पसंद नहीं है.

नीलिमा- अरे तुम लोग क्या बातें कर रही हो?
दीपा- कुछ नहीं बस ऐसे ही बात कर रही थी कि आज स्विमिंग पुल में कौन किस पे लाइन मार रहा था.

यह सेक्स कहानी जारी रहेगी.
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