जेम्स की कल्पना -4

(James Ki Kalpna-Part 4)

लीलाधर 2016-04-30 Comments

This story is part of a series:

कल्पना अलग पड़ी थी। योनि बाढ़ से भरे खेत की तरह बह रही थी और मन बिन बारिश के खेत की तरह सूखा। वह यों ही सोचती पड़ी रही। सब कुछ यंत्रचालित सा एक झोंके में हो गया था।
न चाहते हुए भी उसकी आँख गीली हो गई। औरत की नियति : पुरुष उसको भूखे भेड़िए की तरह ही देखता है।

जेम्स उससे लिपटा पड़ा हुआ था, उसकी साँसें कल्पना के नंगे कंधे और गर्दन पर पड़ रही थीं।

कल्पना का मन हुआ कि उसको वैसे ही छोड़कर कमरे से निकल जाए लेकिन उस अवस्था में उससे एक अंतरंगता का एहसास मन में आए बिना रह नहीं सका, उसके साँसों की गंध अच्छी थी।
कल्पना ने घूमकर उसे देखा, ताकतवर सेक्स के बावजूद वह उस समय बच्चे-सा लगा, कल्पना ने हाथ उसकी पीठ पर रखा, फिर हटा लिया।

उसे पति की याद आई: कहाँ है और क्या कर रहा है? उसे दूसरी स्त्री का स्वाद लेने की बड़ी इच्छा है। यह सब वह उसी के लिए कर रही है। मेरा हो जाने के बाद वह डायना को कर सकेगा। आह, अपनी ख़ुशी के लिए मुझसे क्या क्या करवा रहा है। ऐसा भावहीन सेक्स वह जिंदगी मे पहली बार भुगत रही थी।

कल्पना ने अपने पेट पर से जेम्स का हाथ हटाना चाहा, पर वह और लिपट गया और उसके बदन पर हाथ फेरने लगा।
‘तुम बहुत सुंदर है।’ वह उठा और उसके चेहरे को देखने लगा, ‘very young looking (बहुत कमसिन दिखने वाली)।’
कल्पना को शर्म आने लगी। उसने चेहरा घुमा लिया।

‘लगता नहीं तुम फोर्टी (चालीस) का है। 26-27 का लगता।’ जेम्स ने उसके घूमे हुए चेहरे को, गले को चूमा। ‘श्याम बहुत लकी है। तुम और श्याम का बहुत nice pair (सुंदर जोड़ी) है। श्याम भी क्या स्मार्ट और हैंडसम है।’

उसने उसके स्तनों पर हाथ फेरा। ‘तुमारा बूब्स, wow! कितना big, round और full…! डायना का बी boobs बड़ा है, लेकिन वो hang करता, तुमारा जैसा सॉलिड नईं।’ कल्पना उसके हाथों को हल्के हल्के रोकती सिर घुमाए सुन रही थी। कितनी आसानी से जेम्स अपनी पत्नी की बुराई कर दे रहा था !

कल्पना के स्तन संवेदनशील थे। उसके चूचुक फिर सख्त हो गए थे। जेम्स उन्हें छेड़ रहा था। कल्पना उसका हाथ पकड़ लेती थी, मगर जेम्स उसको धोखा देता कभी इस चूचुक से, कभी उस चूचुक से खेल रहा था। कभी सहलाता, कभी मौका पाकर उन्हें चुटकी में पकड़कर हल्के हल्के मसल देता- ऐसा सुंदर चूची rare (दुर्लभ) है। Like small dates (नन्हें खजूर जैसे), with big circles (बड़े वृत्तों के साथ)!’

जेम्स की बातों से कल्पना के चूचुकों में और कड़ापन आ रहा था, चुटकी से पकड़ लेता तो सहना मुश्किल हो जाता – बड़ी गुदगुदी और सुरसुराहट होती।
एक बार उसने चुटकी ज्यादा जोर से दबा दी तो दर्द से कल्पना ने उसकी गरदन में दाँत गड़ा दिए।
इस डर से छुड़ाने की कोशिश नहीं की कि कहीं चुटकी में पकड़े चूचुक और न खिंच जाएं। लेकिन उस दर्द पर जेम्स की हथेली की अगली सहलाहट ने आनन्द की एक तीव्र लहर चढ़ा दी।

यह खेल बार-बार चल रहा था और कल्पना ‘उफ्फ उफ्फ’ कर रही थी। जेम्स इस खेल का पूरा आनन्द उठा रहा था। वह उसके विरोध को असफल करता हुआ कभी पूरे स्तन को ही हाथ में भरकर छाती के ऊपर इधर से उधर लचकाता, कभी उनके ऊपर हथेली को बस हल्का-सा चलाकर चूचुकों की सख्ती को हथेली की गुद्दी में महसूस करता, कभी चूचुकों को उंगली की नोक से दबाकर मांस में ही घुसा देता।

जेम्स ने पूरे स्तनों में चेहरा दबा-दबाकर उनकी मांसलता का आनन्द लिया और फिर अपने नजदीक के दाहिने चूचुक को मुँह में खींच लिया। उत्तेजना और सनसनाहट से कल्पना का हाथ चल गया और जेम्स के गाल पर एक जोर का थप्पड़ जा लगा।
जेम्स हैरान हो गया।
कल्पना ने चिंतित होकर कि जेम्स कुछ और न समझ ले उसके चेहरे को खींच लिया और उसके होठों को चूसने लगी।

जेम्स ने भी उत्साह से चूसकर जवाब दिया मगर अगले ही क्षण अपने होठों पर दाँतों की तीखी चुभन महूसस कर अपने होंठ छुड़ा लिए। वह चकित था।
‘कमाल की सेक्सी है यह औरत! क्या एक्साइटमेंट होता है इसको!’ कल्पना पहली बार के जबरन दैहिक शोषण -जैसे संभोग की हैरान अवस्था से निकलकर क्रुद्ध सिंहनी बन चुकी थी।

जेम्स ने स्तन छोड़े और पेट, कमर, जाँघों को सहलाता नीचे उतरा, जांघों के बीच जाकर उसका हाथ रिसते वीर्य से भीग गया।
कल्पना ने उसके हाथ हटाने चाहे, मगर जेम्स आग्रही था, उसने उंगली घुसाकर चुभलाया, कल्पना ने उसका हाथ पकड़ लिया मगर योनि में उंगली चलाने दी।

जेम्स ने पीछे खिसककर अपने और उसके बीच जगह बनाई और कल्पना का दायाँ हाथ खींचकर उपने लिंग पर लगा दिया।

ओह ! कल्पना को अजीब लगा- यही है जिसने पहली बार उसकी योनि खोली थी। जेम्स उसको पकड़ने के लिए दबाव दे रहा था।कल्पना करे भी तो क्या… इसी के लिए तो आई थी, कुछ देर तक दुविधा में रहने के बाद उसने उसे पकड़ लिया।

‘मेरा लंड कैसी डार्लिंग?’
सुनकर कल्पना ने वितृष्णा से चेहरा घुमा लिया। उसकी भद्दी भाषा को कब से सहती आई थी, हिंदी ज्यादा नहीं जानता सोचकर!
‘श्याम की लंड मेरे से बड़ा है या छोटा?’ कल्पना को हँसी आ गई।
इतना कर लेने के बाद भी पति की तुलना में अपनी आश्वस्ति खोज रहा था।

‘बोलो ना?’
‘बोलो ना, प्लीज?’
कल्पना ने उसके लिंग को जरा जोर से सहला दिया, जेम्स खुश होकर उंगली और जोर से उंगली चलाने लगा।
कल्पना की आहें निकलने लगीं, जेम्स के लिंग पर उसका हाथ भिंचने लगा, उसके चूचुकों को पुनः जेम्स ने मुँह में सम्हाला।
कल्पना के लिए चूचुकों पर चूसने के खिंचाव और गुदगुदी को संभालना हमेशा से मुश्किल होता था। उसके मुँह से उफ-उफ और सिसकारियाँ निकलने लगीं और सिर तकिए पर दाएँ-बाएँ होने लगा।

जेम्स की उत्तेजना फिर उबाल खाने लगी, क्या गजब का माल है! उसने कल्पना को अपनी तरफ करवट किया और उसकी बाँयीं टाँग पकड़कर अपनी कमर के ऊपर चढ़ा लिया। कल्पना पाँव खींचने लगी तो उसने अपना पैर घुटने से मोड़कर उठा दिया और उसकी टाँग को अपनी कमर में फँसा लिया।
कल्पना की जाँघें खुल गईं और बीच की दरार अपने आप लिंग के मुख पर आ लगी। जेम्स ने वहाँ की चिकनाई में लिंग को कुछ बार ऊपर-नीचे फिसलाया, फिर निशाने पर लगाकर कल्पना के नितंब पर हाथ रखकर अपनी तरफ दबाया और स्वयं भी आगे खिसक गया।

इस बार रास्ता परिचित था, और चिकना भी, लिंग आराम से अंदर सरक गया। डबडबाती योनि से निकले वीर्य की बाढ़ कल्पना की गुदा की तहों के बीच चिपचिपाहट बढ़ाती हुई बिस्तर को भिगोने लगी।
‘आ… आ… आ… आ…!’ कल्पना का मुँह खुल गया और बहकी-सी आवाज निकलती रह गई।

जेम्स लिंग को अंदर रखते हुए करवट से ही उसके अंदर-बाहर होने लगा। कल्पना पीछे होना चाहती तो वह उसके नितंबों को अपनी तरफ दबा लेता, उसकी कमर में फँसी टाँग कल्पना को ज्यादा पीछे होने की गुंजाइश नहीं देती। लिंग का घर्षण कल्पना की गर्मी बढ़ा रहा था।
वह जेम्स को रोकने या खुद निष्क्रिय रहने की कोशिश करते करते कभी खुद भी कमर उचका देती।

कुछ देर की असुविधापूर्ण मेहनत के बाद जेम्स करवट से घूमकर उसके ऊपर आ गया, उसने अपने भार को लिंग पर स्थानांतरित किया और पूरी ताकत से उसमें घुस गया।
कल्पना फिर से उसी जबरदस्त भराव के एहसास से भर उठी, लिंग की चौड़ी जड़ उसके भग-होंठों को खींचकर फैलाती हुई अंदर की कोमल मांस को खुरचने लगी और लिंग का माथा एकदम अंदर तक घुसकर योनि के अंतिम सिरे पर गर्भद्वार पर दस्तक देने लगा।
कल्पना के लिए सहना मुश्किल हो रहा था लेकिन लिंग से ठुकी होने के कारण कमर को हिला पाने में भी असमर्थ थी।
जेम्स घमंड से कल्पना को कुछ देर यूँ ही अपने नीचे दबाए रहा फिर धीरे-धीरे आंदोलित होने लगा।
कल्पना को लग रहा था आज उसके शरीर ही नहीं मन के भी सारे बटन जेम्स के हाथों में हैं, उसकी बेबस आनन्दानुभूतियाँ फिर शुरू हो गईं।
योनि के अंदर गहराई से लेकर ऊपर पूरे पेड़ू में एक साथ घर्षण हो रहा था और उसका मन हो रहा था जेम्स को बाँहों में कसकर जकड़ ले, बिस्तर की चादर पकड़कर खुद को रोक रही थी।

तभी जेम्स के मोबाइल की घण्टी बजी, जेम्स के हाथ कल्पना की पीठ के नीचे दबे थे, कल्पना ने हाथ बढ़ाया और मेज पर से मोबाइल उठाकर जेम्स को दे दिया।
डायना का कॉल था।
“ಹಲೋ… ಏನಾಯಿತು? हलो… ईनायितु?’ कन्नड़ में अबूझ वार्तालाप। वैसा ही खाली, जैसा अभी उन दो शरीरों के बीच चल रहा था – किसी प्रेम या भावनात्मक तरलता से रहित खाली सेक्स!

अजीब था कि जेम्स एक दूसरी औरत में लिंग घुसाए अपनी पत्नी से बात कर रहा था। वैसे इस प्रकरण में बहुत कुछ अजीब था, माँ आईसीयू में, बेटी अपने स्वैप की बारी के इंतजार में, दामाद दूसरी औरत के साथ संभोगरत!

जेम्स बीच बीच में फोन पर हाथ रखकर कल्पना को बता रहा था कि डायना से क्या बात हो रही है। डायना की माँ की हालत और बिगड़ गई थी और वह उसे जल्दी बुला रही थी। फिर भी बोली थी कि उन लोगों का खयाल रखना, कल्पना को ‘फुल्ली सैटिस्फाई’ करना। वे लोग इतनी दूर से आए हैं। माँ अगर स्टेबल हो गई तो वह भी आएगी।

जेम्स वार्तालाप के दौरान कमर को धीरे-धीरे हिला रहा था – अपने को सख्त रखने के लिए। नीचे से कभी-कभी कल्पना भी बीच-बीच में हिलकर सहयोग कर रही थी।

वार्तालाप समाप्त कर जेम्स पुनः सक्रिय हुआ।
‘तुम बहुत सेक्सी है, डायना बार-बार बोला तुमको फुल्ली सटिस्फाय (पूरी तरह संतुष्ट) करना।’ उसने कल्पना की बगलों के नीचे हाथ टिकाया और फिर से शुरू हो गया।
फैल और झेल चुकी योनि में अब संकोच और अवरोध दोनों ही दूर हो गए थे, चिकनी राह पर आराम से गाड़ी चल रही थी पर उस चिकने संघर्ष में भी कसाव के एहसास की कमी नहीं थी।

‘मेरा फकिंग तुमको कैसा लगता? मैं तुमको अच्छा से चोदती कि नहीं?’
कल्पना आँख मूंदे चुप रहकर इस फूहड़पन को सह रही थी। एक कुलीन परिष्कृत औरत से पुरुष पूछ रहा था कि वह उसको अच्छे से ‘चोद’ रहा कि नहीं। कल्पना के लिए आज का दिन कई सदमों का था।

‘तुम तो आँख बंद रखता, मेरा चुदाई नहीं देखता।’ उसने कल्पना के सिर के नीचे दो दो तकिया लगा दिया ‘अब देखो।’
कैसा पागल है, ‘चुदाई’ को देखने के लिए बोलता है। किस तरह की औरतें मिली हैं स्वैपिंग में इसको?

जेम्स ने बिस्तर के सिरहाने लगा हेड लैम्प भी जला दिया, जलते ही उसकी रोशनी में ठुड्डी से लेकर कमर तक सब कुछ इतना बेपरदा हो गया कि कल्पना ने घबराकर छातियाँ ढक लीं।
जेम्स ने ‘नो नो’ करते हुए उसके हाथ खींचकर छातियों पर से हटा दिए- let me watch (मुझे देखने दो।) तुम भी देखो।’
उसने कल्पना के हाथ खींचकर अपने हाथों के नीचे दबा लिये।

कल्पना देख रही थी पानी में फूले मुनक्के की तरह तने चूचुकों को! कैसी ढिठाई से खड़े थे। जेम्स की नजर उन पर सुइयों की तरह चुभ रही थीं। कल्पना को उन्हें सहलाकर राहत पाने की तलब हो रही थी, मगर हाथ दबे थे।
जेम्स ने वह राहत जल्दी ही प्रदान कर दी।

सिर ऊँचा होने के बाद लिंग के अंदर-बाहर होने की क्रिया साफ दिख रही थी। लिंग पूरी लंबाई में अंदर जाता, फिर अंदर के रस से लिथड़ा हेडलैम्प और ट्यूबलाइट की रोशनी में चमकता हुआ बाहर निकलता।
उसकी गुलाबी गरदन की झलक मिलती और फिर वापस अंदर सरक जाता।
पेड़ू की दो सतहें – एक गोरी-चिकनी, एक साँवली बालदार – परस्पर सटतीं, अलग होतीं। इतनी ‘स्पष्ट’ चुदाई तो कल्पना ने पति के साथ भी नहीं की थी।

जेम्स उसको दिखाने के लिए धीरे-धीरे कर रहा था।
‘कैसा लगता?’
लाज से और घर्षण के आनन्द से कल्पना की आँखें मुंद जातीं, जेम्स उससे आँखें खोलकर देखने का अनुरोध करता।
‘बोलो ना, कैसा लगता?’
जेम्स धक्के कभी धीमे देता, कभी तेज- ‘तुम कैसा लाइक करता? फास्ट या स्लो?’

कल्पना की आँखें जेम्स के दबाव में खुलतीं तो डूबी हुईं। अनुभवी जेम्स खूब समझ रहा था उसकी अवस्था को, मजे लेने के लिए उसे बार-बार पूछ रहा था- कैसा लगता, कैसा लगता?
एक बार उसने लिंग को योनि से निकालकर उसकी गुदा पर लगाकर बोला- इसमें अच्छा लगता?
‘नो नो…’ कल्पना ने हड़बड़ाकर उसको रोका।

जेम्स फिर भी वहाँ ठिठका, एक बार थोड़ा सा दबाया मगर कल्पना ने ठेलकर हटा दिया।
जेम्स ‘बाद में ट्राय करूंगा’ सोचकर पुरानी जगह लौट आया।

कल्पना घमंड से पुरुष को अपने ऊपर मेहनत करते देख रही थी – यह पुरुष की ड्यूटी है।
जेम्स के चेहरे पर पसीने की परत देखकर उसे ममता नहीं आई। अपने शरीर को ढीला छोड़कर धक्कों का आनन्द लेती ऊपर-नीचे हो रही थी।
कसाव के बावजूद अत्यधिक फिसलन ने घर्षण का मजा कम कर दिया था, जेम्स ने तौलिये से लिंग और योनिमुख पर से अतिरिक्त चिकनाई पोंछी और वापस योनि में उतर गया।
तौलिए में धब्बों में लाली देखकर चौंका, मगर संभोग की आतुरता में जाने दिया।
‘Now it feels better.(अब अच्छा लगता है।) है ना?’ जेम्स ने कहा- I feel I am in heaven.’ फिर हिन्दी में दुहराया- मेरे को लगता मैं हैवेन (स्वर्ग) में है।

ओह यह कितना बोलता है !

‘तुमको कैसा लगता?’
कल्पना ने जेम्स के बार-बार इसरार पर एक बार ठहरकर अच्छे से लिंग को अंदर-बाहर होते देखा, फिर आँखें बंद कर लीं।
‘कैसा है?’
कल्पना ने आँखें खोलीं, जेम्स ने प्रश्न पूरा किया- मेरा लंड, मेरा फकिंग?
‘तुमको मजा लगता ना?’

जेम्स का इतना बोलना-पूछना डिस्टर्ब कर रहा था, कल्पना ने टालने के लिए हाँ में सिर हिला दिया।

सेक्स में स्त्री की तारीफ से बढ़कर कामोत्तेजक चीज क्या हो सकती है!
‘good… good…’ बोलते हुए जेम्स ने एकदम से गाड़ी चौथे गियर पर दौड़ा दी- यू आर वंडरफुल! यू आर वंडरफुल!

‘आऽऽह…! आऽऽह… उफ्फ… उफ्फ…!’ कल्पना ने योनि को मथते लिंग को कमर उचकाकर और नजदीकी दी, जेम्स लहालोट हो गया, ‘wow…! wow…! (वाह…वाह…!)’

जेम्स और कल्पना एक मामले में एक जैसे थे – उत्तेजना में मुखर हो जाने में, एक उत्साह से, एक शरीर से मजबूर होकर!
जेम्स की गति बढ़ने के साथ ही कल्पना हिंसक हो रही थी, उसने जेम्स के होंठों को दातों से काट लिया, उसके नाखूनों ने जेम्स की पीठ पर गहरी खराशें बनाईं।
एक बार उसने कमर उछालकर जेम्स को अपने ऊपर से लगभग गिरा ही दिया था।

कुछ ही क्षणों में कल्पना की बाँहें जेम्स की पीठ पर जोर से कस गईं।
और वह यह जा, वह जा… उसे हैरान करता चरम सुख का फव्वारा बदन में फूट पड़ा – छुर्र… छुर्र… जेम्स मानों धक्कों के पंप दे देकर फव्वारे को और ऊँचा किए जा रहा था।

‘हाउ स्वीट… हाऊ स्वीट… ओह, यू आर ग्रेट… जेम्स चुम्बनों के साथ पेड़ू और योनि में चोटें दिए जा रहा था। कल्पना अनियंत्रित झड़े जी रही थी, स्खलन की एक लहर खत्म होती कि अगली उससे बड़ी लहर चोट करती, उसको ऐसा लग रहा था जैसे स्वयं उसका ही शरीर उसके साथ देह शोषण कर रहा है।
वह दिल से अफसोस, मगर नीचे कमर से पूरा सहयोग कर रही थी, अपने ऊपर उफनती उत्तेजना का नृत्य उसे विरक्तिपूर्ण, मगर आकर्षक भी लग रहा था।

जेम्स कल्पना के बदन के हिचकोलों को सम्हालता खुद भी स्खलन के करीब पहुँच चुका था। कल्पना की उग्रता देखकर उसने भी अपनी गति बढ़ा दी, ‘Oh fuck, oh fuck, oh fuck…’
‘ओ माँ…’ आनन्द के उच्चतम विन्दु पर कल्पना के बदन को मरोड़ती कहीं बहुत भीतर से एक पुकार निकली।

जेम्स ने कसकर उसे अपने नीचे दबा लिया, ऐसी रतिजन्य आवाजें उसने शायद ही कभी पहले देखी थीं! ऐसी जवाब देनेवाली औरत! माय गॉड! हैरानी और उत्साह में वह चिपटे चिपटे ही धक्के लगा रहा था।

और फिर दनदनाते हुए जेम्स की भी अंतिम क्रिया सम्पन्न होने लगी, जेम्स कसकर लिपट गया।
एक साथ अवसान का अद्भुत एहसास…
उसने अपना चेहरा कल्पना के चेहरे पर दबा दिया, दोनों एक-दूसरे की साँसें खींचते हुए एक साथ हाँफ रहे थे। कल्पना के हाथ जल्दी ही ढीले पड़कर गिर गए जबकि जेम्स स्खलन के बाद भी काफी देर तक उसे अपने से चिपटाए रहा।

ऐसा कमाल का लाजवाब सेक्स कम ही हुआ था, असीम आनन्द में निढाल होकर पड़ गया- गॉड, यू आर ग्रेट!
कल्पना की मरोड़ें शांत पड़ीं तो उसने पूछा- कैसा लगा डार्लिंग?

कल्पना क्या कहती? पगला कहीं का! योनि में कसकर भरनेवाले लिंग और उससे ऐसी जोरदार कुटाई का एहसास किस स्त्री को बुरा लगेगा?
कल्पना खाली आँखों से छत ताक रही थी।
‘डायना बोला कि कल्पना को फुल्ली सटिस्फाय करना।’ जेम्स की बात उसके दिमाग में घूम रही थी। जेम्स के उत्साह के विपरीत उसके मन में खालीपन था। सब कुछ हुआ था, वह शानदार रूप से स्खलित भी हुई थी लेकिन जैसे बादल बरसकर आकाश को खाली करके चला गया था।

अब मन में वह दुविधा भी नहीं बची थी, कि यह क्यों हो रहा है, और वह उसे होने दे कि नहीं, बस जो हो रहा है, सो हो रहा है। वह उसे होने दे रही है। इसे होने देने के सिवा और कोई रास्ता नहीं। इसी के लिए तो आई है। और फिर शरीर स्वयं ही आगे बढ़कर रतिक्रिया का जवाब दे रहा है, तो वह क्या करे। यह मजबूरी है, पर उसकी खुद की चुनी हुई। जब यही होना है तो वह क्यों न इसका आनन्द ले!

पर मन क्या इतनी आसानी से मानता है?
दो संभोग हो चुके थे, अब जेम्स को जाना चाहिए, डायना ने उसे जल्दी बुलाया है।

कहानी जारी रहेगी।
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