हर चूत पर लिखा है किसी लंड का नाम- 6

(Triple Talaq Double Halala )

सनी वर्मा 2025-12-12 Comments

ट्रिपल तलाक़ डबल हलाला कहानी में एक लड़की ने अपने जीजू से मिलकर अपना और अपनी बहन का तलाक करवा के शौहर बदलने की योजना बनाई. उसने जानबूझ कर अपने ऊपर शक पैदा किया.

कहानी के पांचवें भाग
जीजा साली की चुदाई का खेल
में आपने पढ़ा कि उल्फत ने अपने जीजू से उसके बड़े लंड से चुदने का पूरा मजा लिया. वह इस लंड को जिन्दगी भर के लिए अपना बनाकर रखना चाहती थी.

अब आगे ट्रिपल तलाक़ डबल हलाला कहानी:

सुबह वो कुछ जल्दी ही उठ गये.

उल्फ़त ने मोहसिन की गोदी में आकर उसकी गर्दन में बाहें डाल दीं और उसकी आँखों में आँखें डालते हुए पूछा- मेरा साथ दोगे?
मोहसिन बोला- ऐसे क्यों पूछ रही हो?

उल्फ़त बोली- फायज़ा को तलाक दे दोगे?
मोहसिन चौंक गया, बोला- क्या कहना चाह रही हो तुम?

उल्फ़त बोली- मैं इकबाल से झगड़ा करुँगी और उससे दोबारा कहलवा लूंगी कि वो मुझे तलाक दे दे. सेक्स का शौक न इकबाल को है, न फायज़ा को. दोनों को अपने कैरियर का शौक है. तो अगर हम लोग अपने पार्टनर्स बदल लें तो चारों खुश रहेंगे. फायज़ा को केवल नाम का शौहर चाहिए. इकबाल एक अच्छा शौहर और अच्छे पद पर काम कर रहा है. बस उसे सेक्स का कोई शौक नहीं. यही फायज़ा को चाहिये. मैं और तुम एक दूसरे की जान हैं. हम तो खुश रहेंगे ही.

मोहसिन बोला- और फिर हाजी साहब और तुम्हारी मम्मी? वो इजाजत दे देंगे?
उल्फ़त बोली- जो कुछ मैंने कहा है, मजहबी तौर पर जायज़ है. अब बस शुरुआत ऐसे करनी है कि इकबाल कैसे कहे. उसके लिए मैं उसे भड़काऊँगी. पर तुम साथ दोगे न?
मोहसिन ने उसे कस के चिपटाकर चूमते हुए कहा- तुम तो मेरी जान हो. तुम्हारे लिए मैं कुछ भी करूंगा और वादा करता हूँ कि ताउम्र तुम्हें खुश रखूंगा.

दिन में उल्फ़त के कहने पर मोहसिन ने उसे एक नई फ्रॉक लाकर दी.

उल्फ़त ने अपनी प्लानिंग पूरी बनायी.

देर शाम को इकबाल आ गया.
मोहसिन अभी नहीं आया था.

उल्फ़त ने बड़े खुश होकर इकबाल का स्वागत किया और उसे गर्म पकोड़े का नाश्ता कराया.

इकबाल ने पूछा- आज पकोड़े किस ख़ुशी में?
तो उल्फ़त मुस्कुराते हुए बोली- मोहसिन को पसंद हैं.
उल्फ़त ने बातों बातों में इकबाल को बता दिया कि वो और मोहसिन कल मूवी देखने गये थे और डिनर बाहर ही किया था.
इकबाल थोड़ा सा चिढ़ा.

उसने पूछा- क्यों गये थे?
उल्फ़त तीखी आवाज में बोली- दो सालों में तुमने तो एक मूवी दिखाई नहीं. मोहसिन से मेरी अच्छी पटती है तो उसके बहुत कहने पर मैं चली गयी. दिन भर घर पर पड़े पड़े मेरा भी तो दम घुटता है.
इकबाल चुप हो गया.

थोड़ी देर में मोहसिन आ गया.
उसने हंसी मजाक कर माहौल हल्का किया.

पर इकबाल को उल्फ़त का मोहसिन से खुल कर हंसना और उसका ज्यादा ही ध्यान देना अखर रहा था.

रात को मोहसिन तो ऊपर चला गया.
उल्फ़त ने फ्रेश होकर वही दिन वाली फ्रॉक पहनी और बेड पर आ गयी.

इकबाल ने उसकी फ्रॉक देखकर पूछा- ये कब ली?
उल्फ़त ने झूठ बोल दिया- पहले ली थी, पुरानी है. तुम्हारे सामने शायद पहली बार पहनी हो.

इकबाल को कुछ शक हुआ क्योंकि शाम को जब वो कमरे में आया था तो उसने अलमारी में अपना पर्स जब रखा था तो उसने एक कपड़े की दूकान का पैकेट अलमारी में रखा देखा था जिसमें कोई नया कपड़ा था.
उल्फ़त ने जानबूझकर ही वो पैकेट वहां रखा था.

उल्फ़त इकबाल की बाहों में आई तो इकबाल को उसकी फ्रॉक के कोरी नयी होने का अहसास हुआ.

इकबाल ने उसे हटाते हुए किसी बहाने से अलमारी खोली तो उसमें वही कपड़े का पैकेट खाली पड़ा था.
अब तो इकबाल को समझ आ गया कि ये नयी ड्रेस है.

उसने गुस्से में वो थैला उल्फ़त को दिखाते हुए पूछा- ये क्या है?
अब उल्फ़त ने मुंह ऐसा बना लिया जैसे कोई चोरी पकड़ी गयी हो.

वो हाथ जोड़ कर बोली- मुझे माफ़ कर दो. ये ड्रेस मुझे मोहसिन ने ही दिलाई थी कल.
अब तो इकबाल का गुस्सा सांतवें आसमान पर पहुँच गया.

वो कुछ बोलता, इससे पहले उल्फ़त ने उसके पैर पकड़ लिए- खुदा के वास्ते ऊँची आवाज में कुछ नहीं कहना. मोहसिन अब मेरा बहनोई है. तुम मुझसे कुछ भी कह लो.

इकबाल कुछ नहीं बोला, बस मुंह पलट कर सो गया.

नींद न तो उसे आ रही थी न उल्फ़त को.

उल्फ़त ने एक घंटे के बाद झटके से उसका मुंह अपनी ओर कर लिया और बोली- क्या चाहते हो तुम? मैं हंसू बोलूँ भी नहीं? ये तो है नहीं की इतने दिनों बाद आये हो तो मुझे प्यार कर लो। कितना तड़पती हूँ मैं सेक्स के लिए.

ये सुनकर तो इकबाल की आंतें फुक गयीं.
वह बोला- हाँ, तुम्हारे अंदर तो आग लगी है. वो भी बुझा लेतीं तुम मोहसिन से.

उल्फ़त ने पलटवार किया- जरूर बुझा लेती। पर क्या करूं बंधी हूँ तुम्हारे खूंटे से, कर भी क्या सकती हूँ?
इकबाल गुस्से में उठा और बोला- मैं तुम्हें खूंटे से खोल देता हूँ. कब आ रहे हैं हाजी साहब? अब मैं तभी आऊँगा जब वो आ जायेंगे और खुल कर बात होगी. मैं तुम्हें आजाद कर देता हूँ, फिर अपनी आग बुझाती घूमना.

उल्फ़त का काम हो गया था.
वो रोने का नाटक करती हुई दूसरे रूम में चली गयी और दरवाजा बंद करके चैन की सांस ली.

अगली सुबह इकबाल जल्दी ही बिना चाय नाश्ता किये चला गया.

उल्फ़त ने भी मुंह फुला रखा था.
वो बड़बड़ा रही थी- नौकरानी समझ रखा है मुझे!

उसके जाते ही मोहसिन नीचे आ गया.
दोनों लिपट गए.

उल्फ़त ने कहा- कर तो मैं गलत रही हूँ, पर बाद में हम चारों के लिए यही ठीक होगा. कल तो फायज़ा भी आ जायेगी. उसे तुम्हें सम्भालना होगा.

मोहसिन को ऑफिस जाने की जल्दी थी.
उल्फ़त बोली- आज नहीं जाना.
मोहसिन बोला- ऐसे रोज रोज छुट्टी नहीं मिलेगी. हाँ, शाम को जल्दी आ जाऊँगा.

रात को उल्फ़त ने लाल रंग का शादी वाला लहंगा पहना.
मोहसिन मुस्कुराया तो वो बोली- आज अपनी सुहागरात मनाऊँगी तुम्हारे साथ! कल को अगर इकबाल ने तलाक दे दिया और तुमने मुझे कुबूल नहीं किया तो जहर खाने के अलावा और क्या रास्ता होगा.

हँसते हुए मोहसिन ने उसे चिपटा लिया अपने से.
उल्फ़त ने बेड को गुलाब के फूलों से सजा रखा था और भीनी भीनी खुशबू फैली थी.

उल्फ़त ने बाहें फैला दीं मोहसिन के आगे और कहा- मुझे गोदी में उठाकर बेड पर ले चलो.

बेड पर दोनों की चूमाचाटी के बीच कपड़े तो उतर गए पर उल्फ़त ने अपने जेवर नहीं उतारे.
उसकी घुंघरुओं की पायल तो रात भर शोर मचाती रही.

जैसा कि उल्फ़त ने बेड पर जाते ही कह दिया था कि सुबह तक सोने नहीं दूँगी, उसने अपना वादा पूरा किया.

सुबह तीन बजे उनकी सुहागरात मुकम्मिल हुई.
इस घमासान चुदाई का हश्र ये रहा कि पूरी बेड शीट मय फूलों के नीचे आन पड़ी थी.
कमरे में हर तरफ उनके कपड़े फैले पड़े थे.

और सबसे बड़ी बात उल्फ़त और मोहसिन के जिस्म पर दांत काटने और नाखूनों की धारीओं के बेहिसाब निशाँ थे.

अगले दिन फायज़ा भी आ गयी.
उसने बताया कि उसे अगले महीने मेरठ शिफ्ट होना है. वहीँ यूनिवर्सिटी में उसे रिसर्च करनी है.
उल्फ़त बोली- इकबाल भी तो मेरठ ही जाते हैं. कमिश्नेरेट में ऑफिस है उनका.

तीनों ने डिनर साथ किया और फिर फायज़ा और मोहसिन ऊपर चले गये.

जाते जाते उल्फ़त ने मोहसिन को आँख मारी. रात को क्या करना है ये मोहसिन और उल्फ़त दिन में ही तय कर चुके थे.

रात को बेड पर मोहसिन फायज़ा से नजदीकी बढ़ाने लगा.

फायज़ा ने उसके चूमने का तो चूम कर जवाब दिया पर इससे आगे वो नहीं बढ़ी.
मोहसिन ने उसके मम्मे पकड़ने चाहे तो फायज़ा ने हाथ झटक दिया और तमतमा कर बोली- तुम्हें हर समय यही क्यों सूझता है?

मोहसिन बोला- पूरा हफ्ता निकल गया हाथ से सहलाते, आज तो साथ दो.
फायज़ा बोली- परसों कोशिश करुँगी.

अब मोहसिन ने उसे कस के पकड़ कर झंझोर दिया, बोला- ये कोई निकाह की शर्त नहीं थी. निकाह किया है तो बीवी बनकर रहना होगा.
फायज़ा भी तुनक गयी- नहीं करुँगी वैसा जैसा तुम कहोगे. मैं अपनी मर्जी की मालिक हूँ.

अब दोनों चीखने लगे.
मोहसिन ने गुस्से में फायज़ा को बेड पर धक्का दे दिया.
फायज़ा जोर जोर से रोने लगी.

ऊपर शोर सुनकर उल्फ़त ऊपर आई और फायज़ा को गले लगाकर चुप कराने लगी और मोहसिन को कस के डांटा- खबरदार जो मेरी बहन से कुछ कहा.

फायज़ा रोते रोते बोली- मुझे तलाक दे दो. मुझे नहीं रहना तुम्हारे साथ. मैं तो मेरठ ही रह लूंगी. वहां इकबाल भाई कोई इंतजाम कर देंगे.
मोहसिन भी गुस्से में बोला- ठीक है तुम्हारे माँ बाप आ जाएँ तो तुम लोग तय कर लेना. मुझे भी नहीं रहना इस पागल के साथ.

उल्फ़त फायज़ा को नीचे ले आई.

एक हफ्ता इसे ही कशमकश में गुजरा.
हाजी मंजूर और आयरा बेगम आ गये थे.

उल्फ़त ने उनसे अपने और इकबाल के और फायज़ा और मोहसिन के झगड़ों के बारे में बताया.
आयरा बेगम तो सर पकड़ कर बैठ गयीं.

उल्फ़त ने ताना मारा- देख लिया आप लोगों ने अपनी जिद का नतीजा? मैं मोहसिन के साथ खुश रहती. फायज़ा को कोई इकबाल जैसा मिल जाता तो वो दोनों भी खुश रहते. अब कोई खुश नहीं.

शनिवार को इकबाल ने भी आकर खूब हल्ला काटा- उल्फ़त के तो मोहसिन से सम्बन्ध हैं.
ये सुनकर मोहसिन भी आग बबूला हुआ- इस घर में तो सभी पागल हैं.
फायज़ा भी चीखी- मुझे मोहसिन के साथ रहना ही नहीं है.

हाजी मंजूर और आयरा बेगम ने सबको बहुत समझना चाहा कि उन दोनों के घर टूट जायेंगे तो वो तो जीते जी मर जायेंगे. समाज क्या कहेगा.

पर इकबाल तो सुनने को तैयार ही नहीं थे.
उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि उसे शक है कि मोहसिन और उल्फ़त हमबिस्तरी करते हैं. और मैं उल्फ़त को तलाक देता हूँ.

सब सन्न रह गए.
सिर्फ एक ही आवाज गूँज रही थी ‘तलाक तलाक तलाक!’

सब सन्न थे.

फायज़ा भी चीख कर मोहसिन से बोली- जरूर तुम ऐसा करते होगे. भले ही उल्फ़त से नहीं तो बाहर किसी और से. तुम तो जंगली जानवर हो. मुझे भी तलाक दे दो.

उल्फ़त ने भाग कर फयाज़ा को चुप कराया।
मोहसिन उठ खडा हुआ और बोला- चल जा तू मत रह मुझ जंगली जानवर के साथ. मैं भी तुझे तलाक देता हूँ. तलाक तलाक तलाक!

ट्रिपल तलाक़ सुनकर आयरा बेगम छाती पीट कर रोने लगीं.

अब उल्फ़त बोली- आप सब मेरी सुनें. जो अल्लाह को मंजूर था हो गया. पर बात इस चारदीवारी में ही हुई है. इसमें कोई शक नहीं कि अब हमारे शौहरों ने हमें तलाक देकर अकेला कर दिया है. अब हमारे सामने दो ही रास्ते हैं कि या तो हम अकेली रहकर तन्हाई में अपनी जिन्दगी काटें या फिर अपनी पसंद का कोई जीवन साथी ढूंढ लें.

सब चुप थे.

फायज़ा बोली- मुझे अभी किसी सहारे की जरूरत नहीं. मेरी रिसर्च पूरी हो जाए तब सोचूंगी. तब तक के लिए मेरठ में इकबाल भाई मेरा ध्यान रख लेंगे.

आयरा बेगम बोली- तब बुढ़ापे में तुझे कौन मिलेगा. पागल हो गयी है तू तो.
अब मोहसिन बोला- अगर आप सब को मंजूर हो तो मैं और उल्फ़त पहले भी एक दूसरे को पसंद करते थे और आज भी करते हैं. अगर हाजी साब की रजामंदी हो तो मैं उल्फ़त को अपनाने को तैयार हूँ.

अब हाजी ज़ी इकबाल से बोले- तुम मेरे सबसे होनहार छात्रों में से थे. बहुत उम्मीद थीं मुझे तुमसे. तुम्हारे और फायज़ा के शौक एक से हैं. अगर तुम दोनों चाहो तो एक दूसरे के हमसफ़र बन सकते हो.

इकबाल चुप थे पर डबल हलाला पर उनकी स्वीकृति थी.

उन्होंने धीरे से कहा- मुझे मंजूर है.

अब आयरा बेगम ने फायज़ा को अपने से चिपटा लिया और बोली- मैं तेरे हाथ जोडती हूँ. कुबूल कर ले. इकबाल बहुत नेक और होनहार लड़का है. तुझे खुश रखेगा और तेरे अरमान पूरे करेगा.

फायज़ा जानती थी ये सब.
वो भी इकबाल की काबिलियत की कायल थी.
उसने धीरे से कहा- अम्मी, जैसा आप कहें.

अब सब बहुत खुश थे.

हाजी ज़ी बोले- मैं मौलवी साहब से बात करके सारी बातों को मुक्कम्मल करवाता हूँ.

तो दोस्तो, आपने देखा न की हर चूत पर लिखा होता है एक लंड का नाम.
बस वक्त की बात है कि कभी ऐसा कहानी के शुरू में हो जाता है कभी कहानी के आखिर में.
पर यह तय है कि हर चूत पर लिखा होता है एक लंड का नाम.

तो बताइयेगा कैसी लगी आपको ट्रिपल तलाक़ डबल हलाला कहानी और लिखिएगा मेरी मेल ई डी पर.
[email protected]

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