मेरी सनसनी भरी कामुक बस यात्रा- 4

(Gand Fad Chudai Bus Me)

गांड फाड़ चुदाई बस में मेरी तो हुई ही … मेरी गांड मारने वाले युवक की जवान बीवी की गांड मारने का अवसर मेरे पति को मिल गया. मेरे पति का लंड लम्बा और मोटा है तो उसकी गांड फट गयी.

कहानी के तीसरे भाग
पराये मर्द से गांड मरवा कर मिला पूर्णानन्द
में आपने पढ़ा कि मैंने अपने पति आदित्य को जबरन अपने केबिन से निकाल दिया क्योंकि मुझे आकाश के साथ सेक्स का मजा लेना था.
आदित्य आकाश से मिला तो उन दोनों की आपस में सेटिंग हो गयी, आकाश ने आदित्य को अपने केबिन में अपनी बीवी के पास भेज दिया.

इसके आगे की गांड फाड़ चुदाई की कहानी आदित्य के शब्दों में :

यह कहानी सुनें.

शिल्पी की नई चूत का आनन्द लेने के नशे में मदमस्त, मैंने उसके केबिन में प्रवेश किया।

मैंने जैसे तैसे अपने कपड़े उतार कर एक तरफ रख दिए और शिल्पी के दोनों पैर मोड़ के ऊपर की ओर करे, जिससे मुझे चूत चाटने के लिए जगह मिल सके।

शिल्पी की गर्म चूत आकाश के वीर्य से महक रही थी।
मैंने अपने होंठ शिल्पी की चूत के बीचों बीच रखे।

चूत पर होंठ रखते ही मुझे अपने होठों पर जानी पहचानी वीर्य की परत महसूस हुई।

उसके बाद मैं जुबान से शिल्पी की चूत को कुरेदने लगा और उसमें से वीर्य रिस रिस के बाहर आने लगा।
इससे शिल्पी की नींद उचट गई, वह बोली- आकाश, आज पागल हो गए हो क्या? अभी तो आधा घंटा भी नहीं हुआ मुझे चोदे हुए … और आज पहली बार … तुम मेरी वीर्य से भरी हुई चूत चाट रहे हो?

शिल्पी की सांस भारी होने लगी।

मेरी जुबान ने उसकी चूत में कामवासना की तरंगें उठानी शुरू कर दी थी, वह लड़खड़ा कर, रुक रुक कर बोल पा रही थी।

उसके बाद वह बोली- एक बार चोदने के बाद … आज पहली बार … तुम इतनी जल्दी … फिर से मूड में आए हो।

शिल्पी की भड़की हुई वासना को देखते हुए मैंने उसकी भगनासा पर धावा बोला और उसे चूसने लगा।

वह एकदम बदहवास हो गई और बोली- निचोड़ ले, निचोड़ ले, आकाश!
मैं आकाश नाम सुनकर पहले तो चौंका, फिर मुझे समझ आया कि उसे क्या पता कि उसकी चूत आकाश नहीं, मैं चाट रहा हूं।

शिल्पी बड़बड़ाई- बहुत मजा आ रहा है यार … और थोड़ा सा … चूस और थोड़ा सा!
तब शिल्पी की चूत में स्पंदन शुरू हुआ, वह आवेश में बोली- अब लंड डाल दे … जल्दी से और रगड़ दे।

मैं उठा और शिल्पी की चूत में अपना कड़क लंड घुसेड़ दिया और आकाश के वीर्य और शिल्पी के चूत रस में भीगे हुए होंठ शिल्पी के होठों पर रख दिए।

शिल्पी ने आकाश के वीर्य में अपनी चूत का रस मिला हुआ मिश्रण पहली बार चखा था, उसने चटखारे लेते हुए कहा- यम्मी … अब रगड़ दे न … यार!

मैंने हाथों के बल पूरा उठकर कस के धक्के लगाना शुरू किया.
इस पोजीशन में लंड बिल्कुल सीधा क्लिटोरिस को रगड़ता हुआ चूत के अंदर जा रहा था।

शिल्पी शायद पहली बार इस आसन में चुद रही थी, वह आनन्द के समुद्र में गोते लगाने लगी।

हम दोनों के नंगे बदन चिपटे हुए थे और दोनों की कमर हिल रही थी।
शिल्पी उछल-उछल कर चुदाई के पूरे मजे ले रही थी।
औरत की फड़कती हुई चूत के ‘चरम सुख’ को केवल लंड के रगड़े ही ‘परम सुख’ में बदल सकते हैं।

हालांकि आधा पौन घंटा पहले ही मैं अपनी पत्नी दीपू को चोद कर आया था लेकिन शिल्पी की नई चूत को चोदने के अहसास ने एक बार फिर मेरे लंड में मस्ती का तूफान उठा दिया था।
कई करारे धक्के लगाने के बाद शिल्पी की लगातार फड़कती हुई चूत में मेरे लंड ने वीर्य का झरना बहा दिया।

शिल्पी भी उछल-उछल कर और कई ऑर्गेज्म प्राप्त करके मस्त और पस्त हो चुकी थी।
हम दोनों के बदन पसीने में नहा गए थे.

मैं उसके गदराये बदन पर निढाल होकर पड़ा हुआ लंबी लंबी सांसें ले रहा था।

शिल्पी बोली- आज तो ग़ज़ब कर दिया तुमने! मुझको मेरी जिंदगी का अब तक का सबसे बढ़िया ऑर्गेज्म दिया है मेरे राजा!

इतने में बस डीज़ल लेने पेट्रोल पंप पर रुकी.
खिड़की की झिरी से तेज रोशनी मेरे चेहरे पर पड़ी.

शिल्पी मुझे देख कर चौंक गई, हैरानी से बोली- आदित्य तुम??? तुम यहां कैसे? और आकाश कहां है??

मैंने कहा- मैं यहां तुम्हें तुम्हारे जीवन का सबसे ज्यादा आनन्ददायक ऑर्गेज्म देने आया हूं; तुम्हारी गर्म चूत को नए लंड का स्वाद देने! और आकाश गया है मेरी कामुक बीवी को फिर से चोदने!

शिल्पी एकदम चौक गई- क्या? फिर से चोदने? मतलब?
मैंने कहा- क्यों उसने तुम्हें बताया नहीं कि जोधपुर जाते समय उसने मेरी बीवी के केबिन में घुसकर उसे नींदों में चोद दिया था?

वह बोली- नहीं, मुझे पता नहीं था कि आकाश इतना बड़ा कुत्ता है। यह ठीक है कि हर मर्द को नई चूत चाहिए, हर औरत के मन में नए लंड की हसरत दबी होती है, यह भी मैं भी मानती हूं पर किसी औरत के केबिन में घुसकर उसे नींद में चोदने की हिम्मत भी आकाश कर सकता है, मुझे पता नहीं था।

मैंने उससे जिज्ञासावश पूछ लिया- जब तुमने यह देखा कि तुम्हें चोदने वाला आकाश नहीं, मैं हूं तो तुम क्या सोचकर चीखी, चिल्लाई नहीं?
तो वह हंस पड़ी।

फिर वह बोली- पहली बात तो यह है कि मैं जबरदस्त चरमसुख की मस्ती में चूर थी. दूसरी बात यह है कि मुझे इतना अद्भुत आनन्द देने वाले पर कैसे गुस्सा करती? तीसरा यह कि जैसे मर्द को औरत द्वारा लंड चूसते हुए वीर्य के गटकने पर अनोखा आनन्द मिलता है, वैसे ही मेरी भी फैंटेसी थी कि कोई मेरी वीर्य से भरी हुई चूत को चाटे जो आज तुमने पूरी की। अब तुम ही बताओ कि ऐसी स्थिति में कोई भी औरत उस मर्द पर गुस्सा कैसे हो सकती है? जिसने उसे जीवन भर याद रहने वाला आनन्द दिया है; जिसने एक ही बार की चुदाई में कई बार ऑर्गेज्म दिया हो।

मैं उसकी बातें सुनकर हैरत में था कि औरत के मन को समझना वास्तव में बहुत कठिन है.
मुझे यह भी पता नहीं था कि आकाश ने अपनी बीवी को जोधपुर के रास्ते में दीपू को चोदने वाली बात नहीं बताई थी।

मुझे तो लगा कि जिस आत्मविश्वास के साथ उसने मुझे अपनी बीवी के पास जाने को कहा था तो उसने पहले ही अपनी बीवी से नए लंड से चुदने की रजामंदी ले ली होगी.
पर वह शायद उसे सरप्राइज देना चाहता था।

सरप्राइज देने का एक कारण यह भी हो सकता है कि आकाश को दीपू ने औरत को संतुष्ट करने की मेरी चुदाई क्षमता के बारे में बता दिया होगा.
और अच्छी बात यह थी कि शिल्पी को आकाश का यह सरप्राइज बहुत पसंद आया था।

करीब एक घंटा हम एक दूसरे के जीवन साथी के बारे में बातें करते रहे।

फिर कुछ सोच कर मैंने शिल्पी से पूछा- अब तुम्हारा क्या इरादा है?
तो उसने कहा- यार आदित्य, तुमने तो आज मेरा तन मन खुश कर दिया इसलिए मेरी तरफ से तुम्हें पूरी छूट है, मेरे साथ, अपनी जो भी इच्छा तुम पूरी करना चाहो, कर सकते हो, मैं तैयार हूं।

उसकी बात सुनकर मेरा लंड फिर से हरकत में आने लगा.

मैंने कहा- ऐसी बात है तो फिर मुझे अब तुम्हारी गांड मारनी है.
उसने कहा- बड़े शौक से मारो मेरे राजा, मेरे प्रीतम, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।

मैंने उससे पूछा- क्यों, आकाश तुम्हारी बजाता रहता है क्या?
तो उसने कहा- अरे, बहुत बड़ा गांडू है वो, एक बार चूत चोदता है तो चार बार मेरी गांड मारता है।

शिल्पी की यह बात सुनकर मैं समझ गया कि आज आकाश दीपू की भी गांड ही मारेगा।

मैंने उसकी गांड मारने से पहले उसे आकाश और मेरे दोनों के मिले-जुले वीर्य और उस की चूत रस में सने हुए लंड को चूस के खड़ा करने के लिए कहा।

मेरा मन यह देखकर गदगद हो गया कि शिल्पी बिना नानुकुर किये मेरी अंटियों को सहलाते हुए बहुत मजे लेकर मेरा लंड चूसने लगी।

मेरे ख्याल में जब दिमाग में वासना हावी हो जाती है तो कुछ भी बुरा नहीं लगता, केवल आपकी मन:स्थिति आनन्द लेने वाली होना चाहिए।

कुछ मिनट के लंड-चूषण से ही मेरा लंड शिल्पी की गांड के मजे लेने के लिए तैयार था।

पहले तो मैंने उसे घोड़ी बनाया.
लंड तो मेरा चिकना था ही, उसकी गांड में थोड़ा सा थूक लगाया और घुटनों के बल होकर अपना फनफनाया हुआ लंड उसकी गांड में घुसेड़ने लगा।

बस के केबिन की छत इतनी ऊंची नहीं थी कि मैं घुटनों के ऊपर होकर ठीक से उसकी गांड मार सकूं.
इसलिए मैंने शिल्पी को करवट से लेट जाने को कहा और मैं शिल्पी के पीछे लेटा।

शिल्पी ने एक हाथ से अपनी गांड चौड़ी करी और मैंने अपना लंड उस की गांड के छिद्र पर लगा कर दमदार झटका दिया।

मेरा लंड उसकी गांड को चौड़ा करता हुआ आधे से ज्यादा घुस गया।
उसके मुंह से घुटी हुई सी चीख निकल गई।

मैंने पूछा- क्या हुआ? तुम तो कर रही थी कि आकाश तुम्हारी गांड मारता रहता है।
तो वह बोली- अरे यार, लगता है तुम्हारा लंड आकाश के लंड से अधिक मोटा है। तभी मैं सोचूं कि मेरे को चुदाई में भी इतना ज्यादा मजा क्यों आया था। यह सब तुम्हारे इस मोटे लंड का कमाल है, जिस कारण मुझे अपनी जिंदगी के सबसे बेहतरीन ऑर्गेज्म मिले।

मुझको यह सुनकर एक गर्व की अनुभूति सी हुई कि चलो मेरी बीवी को चोदने वाले तीन मर्दों में मेरा लंड सब से अधिक मोटा है।
मैंने अब हौले हौले उसकी गांड की गुड़ाई चालू की, गांड फाड़ चुदाई बस में होने लगी.

शिल्पी को अपनी गांड की रिंग पर मेरे मोटे और मांसल लंड के रगड़े बहुत अच्छे लग रहे थे।
उसके मुंह से हल्के हल्के दर्द और बहुत ज्यादा मस्ती से भरी हुई सिसकारियां निकल रही थीं।

वह मेरी बाजू पर सर रखकर लेटी हुई थी इसलिए मेरा बांया हाथ उसके दाहिने स्तन को सहला रहा था और दाहिना हाथ बांए स्तन को।

शिल्पी ने अपनी कमर पीछे की ओर की हुई थी और मेरी कमर पूरी हरकत में थी और उसकी गांड में मेरे लंड से रगड़े पर रगड़े लगाए जा रही थी।

करवट से रगड़े लगाने में घर्षण दमदार नहीं होता इसलिए मैंने उसे औंधा लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ के दमदार धक्के लगाने लगा।
शिल्पी ने कुछ सोच कर अपना दाहिना हाथ अपनी चूत पर ले जाकर, दो उंगलियां क्लिटोरिस के आजू बाजू रख लीं।

मेरे हर धक्के से उसकी क्लीटोरिस को उंगलियों के माध्यम से अतिरिक्त उत्तेजना मिलने लगी।
शरीर का सबसे संवेदनशील अंग क्लीटोरिस जो कि काम ऊर्जा का पावर हाउस भी कहलाता है, शिल्पी के शरीर में प्रचुर मात्रा में काम तरंगें उठाने लगा।

एक स्थिति ऐसी आई कि जब शिल्पी झड़ने के बिल्कुल नजदीक पहुंच गई, आनन्द अतिरेक में उसके मुंह से निकल रही कामुक आवाज़ें, मेरी मस्ती को बढ़ा रही थीं।

कुछ ही पल में उसकी चूत जोर-जोर से फड़कने लगी।
जिसका असर मुझे उसकी गांड में भी महसूस हो रहा था.

यही वह क्षण था जब मेरे लंड में भी वीर्य का तूफान उठा और मेरे लंड के अगले सिरे पर आकर इकट्ठा हो गया।
मैंने पूरा दम लगा के अपना लंड शिल्पी की गांड के जितना अंदर जा सकता था, उतना घुसेड़ दिया और उसकी गांड की गहराइयों में अपने वीर्य का छिड़काव करने लगा।

मैं इस कड़ी मगर आनन्ददायक मेहनत के बाद पसीने पसीने हो कर शिल्पी की पीठ पर पड़ा लंबी लंबी सांसें ले रहा था।
यही हाल शिल्पी का भी था जो मेरे नीचे दबी हुई अब मेरे पूरे शरीर का वजन झेल रही थी।

कई मिनट तक हम इसी अवस्था में पड़े रहे।

जब स्थिति पूरी तरह सामान्य हो गई, तब वह पलटी और उसने कहा- यार आदित्य, आज तो तुमने गजब कर दिय। वाकयी में तुम चुदाई के बहुत बड़े एक्सपर्ट हो। तुमने न केवल चूत चोदते हुए मुझे शानदार ऑर्गेज्म दिया बल्कि यह मेरी जिंदगी का पहला अवसर है जब गांड मराते हुए भी मैं इतनी जोरों से झड़ी हूं। आज तुमने मुझे जीत लिया है। अब जब भी हमें कभी मौका मिलेगा, तुम्हारी हर इच्छा पूरी करने के लिए, मैं हमेशा तैयार रहूंगी फिर भले ही तुम मेरी चूत चोदो, गांड मारो या मुंह में डिस्चार्ज करके वीर्यपान करवाओ। मैं तो कहूंगी तुम अजमेर आकर आकाश को चुदाई की ट्रेनिंग दो और मुझे एक साथ दो लंड का मजा भी दो।

उसके बाद उसने भावावेश में मुझे बाहों में कस लिया और दीवानों की तरह मेरे होंठ चूमने लगी।

कहानी का समापन दीपाली के शब्दों द्वारा :

अजमेर अब आने ही वाला था.
हम चारों ने कपड़े पहने और बस के रुकने का इंतजार करने लगे।

जब अजमेर बस स्टैंड पर बस रुकी तो हम चारों बाहर आए।

मैं देख रही थी कि सबके चेहरे पर तृप्ति भरी मुस्कान थी पर मेरे और आकाश से ज्यादा आदित्य और शिल्पी प्रसन्न दिखाई दे रहे थे क्योंकि मेरे और आकाश के बीच तो जो भी हुआ, वह अपेक्षित था लेकिन आदित्य और शिल्पी को तो अनायास ही नए आनन्द की प्राप्ति हुई थी।

उस पर शिल्पी को तो आदित्य ने दो बार विलक्षण आनन्द दिया था, वह विदा लेते समय भी आदित्य को एकटक बड़े प्यार से निहार रही थी … इतना कि मुझे ईर्ष्या होने लगी।

हम चारों ने एक दूसरे को आलिंगन करके विदा ली।
जाते-जाते मैंने देखा कि आदित्य को निहारती शिल्पी की मंत्रमुग्ध आंखें सजल थीं।

मुझे पूरा विश्वास है कि यह कहानी भी मेरी अन्य कहानियों की तरह आप सबको बहुत पसंद आई होगी।

गांड फाड़ चुदाई कहानी के बारे में आपकी राय और सुझाव आप निःसंकोच भेज सकते हैं.
मैं हर एक अच्छे मेल का जवाब ज़रूर दूंगी।
मेरी मेल आईडी है
[email protected]

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