एक विवाहित महिला के साथ सम्भोग का मजा- 2

(Sexy Lady Hot Gand Chudai Kahani)

सेक्सी लेडी हॉट गांड चुदाई कहानी में मैंने होटल के कमरे में एक अनजान शादीशुदा लड़की को उसी के उकसाने पर चोदा. पहले मैंने उसकी चूत मारी, फिर उसकी गांड भी मारी.

कहानी के पहले भाग
रेलवे स्टेशन पर मिली महिला से दोस्ती
में आपने पढ़ा कि मैं ट्रेन से उतरा तो मेरे साथ एक सेक्सी लड़की भी स्टेशन से बाहर आई.
मैंने उसकी मदद की, उसे होटल में कमरा दिलवाया.
अगले सुबह उसने मुझे अपने कमरे में बुलवाया. और हम सेक्स के लिए तैयार हो चुके थे.

अब आगे सेक्सी लेडी हॉट गांड चुदाई कहानी:
मैंने अपने पूरी कपड़े निकाले, पैर लटकाकर बैठा और बोला- डियर, तुम अपने कपड़े मत निकालो, मैं तुम्हारे कपड़े निकालूंगा. मेरे सामने आकर खड़ी हो जाओ.

वह मेरे सामने खड़ी हुई.
मैंने पहले उसकी शर्ट के बटन खोले और उसकी जींस को निकालना शुरू करा.

बेहद गोरा रंग उसके जिस्म का … ऊपर से काले रंग की पैंटी और सफ़ेद डिज़ाइनर ब्रा में वह अपनी गर्म जवानी का प्रदर्शन कर रही थी.

उसकी जाँघें केले के तने की तरह चिकनी और सुडौल थी, उसकी नाभि मेरे मुँह के सामने मुझको आमंत्रित कर रही थी.

मैंने दोनों हाथों से उसको अपनी ओर खींचा और उसकी नाभि को चाटना आरम्भ कर दिया.

वह अब लम्बी साँसों के साथ मेरे कंधे पर अपने नाखूनों से दबाव बना रही थी.
मैं नाभि से होता हुआ उसकी पैंटी की इलास्टिक तक गया और उसके जिस्म की मादक ख़ुशबू का सेवन करने लगा.

जैसे मैं उसकी चूत की गंध लेने को चला, उसने मुझे अपने आप से दूर धकेला और लम्बी साँसों को रोक कर बोली- क्या यार, रुक तो जाओ … साँस फूल गयी है.

अब मैंने उसे बिस्तर पर बैठाया और उसकी पीठ से अपनी छाती लगा कर बैठ गया.
पोज़िशन समझिए!

अब मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया.
मैं धीरे धीरे अपने हाथों को आगे ले जा कर उसके स्तन का नाप लेने लगा जिसके वशीभूत होकर वह अंगड़ाई लेने लगी.

उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी तो नहीं थी पर मेरे हाथों में समा नहीं रही थी.

मैंने अपने होंठों से उसकी ब्रा के हुक को खोला.
वह लम्बी आह के साथ पीछे मुड़ी.
मैंने उसकी ब्रा को उसके जिस्म से निकाल फेंका.

जिसके परिणाम स्वरूप मुझे उसकी नग्न चूची के दर्शन हुए.
एकदम गोल और उन पर नुकीली घुंडियों ने ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा दिए थे.

अब उसने मुझे लेट जाने की बात कही.
मैं अपनी बानियान निकालकर लेट गया.

हम दोनों बस अंडरवीयर में आ गये थे.
अब वह अपने होंठों से मेरे निप्पल पर किस करने लगी और जीभ से निप्पल के चारों ओर किस करने लगी.

उसका हर एक किस मेरे लण्ड में सनसनी पैदा कर रहा था.
उसकी यह कला उसके अनुभवी होने का प्रदर्शन कर रही थी.

अब वह अपने दांतों से मेरे निप्पल पे काटने लगी और मैं दर्द से तड़पने लगा क्योंकि यह अनुभव मैं पहली बार महसूस कर रहा था.

अब वह मुझे तड़पाने लगी थी कभी गर्दन पर कभी निप्पल पर कभी कंधों पर कभी नाभि पर वह अपने नर्म होंठों व गर्म साँसों से मुझमें वासना भरने लगी.
मेरा लण्ड अब उत्तेजना से भर गया था मैं लगातार उसकी मख़माली पीठ और कड़क स्तन ना मुआयना करने लगा.

मेरी सहन शक्ति अब जवाब देने लगी.
मैंने उसे बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया.
उसके नर्म और गोरे चूतड़ अब ऊपर उठ गये थे.

मैं अपने हाथों से उसके चूतड़ों का मानो आटा सा गूँथ रहा था और उसके चूतड़ों का रस पी रहा था.
उसकी जाँघों को मानो मैं चाट चाट कर अब मैं साफ़ कर रहा था.

फिर उसको सीधा कर मैंने उसके स्तनों को चूसना आरम्भ कर दिया, उसके दोनों हाथों को ऊपर कर मैंने उसकी बगलों को चूसा जहाँ छोटे छोटे बाल थे और कमाल की गंध दे रहे थे.

अब मैंने उसकी पैंटी उतारने का मन बनाया.
दोनों हाथों से मैंने उसकी पैंटी सरकायी.

उसने हाथों से अपनी चूत को छुपाने की नाकामयाब कोशिश करी.
उसकी चूत लगभग दो दिन पहले शेव करी गयी थी.

चूत हल्के भूरे रंग की थी. उसकी चूत की लाइन में से रस की चमक आ रही थी जो उसकी वासना की पोल खोल रही थी.

मैंने सबसे पहले उसकी चूत का आँखों से निरीक्षण किया.
फिर उसके हाथों को अपने हाथों में पकड़ के अपनी जीभ को चूत के चारों तरफ़ फेरना शुरू करा.
वह अब उत्तेजना से भरपूर हो चुकी थी, मुझको चूत चाटने को मजबूर कर रही थी.

मैंने उसकी चूत को चूसना आरम्भ करा.
कभी आहिस्ता आहिस्ता तो कभी जंगली बन कर मैं उसकी चूत चाटने लगा. उसकी चूत से रिसता उसकी जवानी का रस अब मेरा गला तर कर चुका था.

अब मैं उसकी टाँगें उठा कर उसकी गांड के छेद को लगातार चाट रहा था. जीभ को नुकीला बना कर मैं उसकी गांड के अंदर दाखिल होने की कोशिश कर रहा था.
उसकी गांड से मुझे खट्टे और नमकीन स्वाद मिल रहा था जो मुझे लगातार वासना में डुबोता जा रहा था.

अब उसे मैंने सीधा खड़ा करा और मैं बिस्तर पे आ लेटा.
मैं अब उसके नंगे जिस्म का मुआयना कर रहा था.

सुंदर … बेहद सुंदर चेहरा, पतली गर्दन, उस पर बिखरे रेशमी बाल, गोल और सुडौल स्तन, चपटा पेट, गहरी नाभि, ऊपर उठी चूत चिकनी और गोरी जाँघें.
उसके चूतड़ एक विशेष बनावट के थे, ना मोटे ना पतले, मानो किसी कुशल कारीगर ने संगमरमर तराशा हो!

वह अब झुक कर मेरे कच्छे को निकाल कर मेरे लण्ड को अपने नर्म हाथों से सहलाने लगी.
मेरा लण्ड सामान्य मोटा और 7 इंच लम्बा गुलाबी टोपे वाला है.

लंड का टोपा फूल कर लण्ड से भी मोटा हो चुका था.

मैंने अभी कुछ दिन पहले ही झाँटों को साफ़ करा था, अब वह धीरे धीरे बिना कहे लण्ड को मुँह में ले रही थी.
मैं उसके सर को पकड़ कर आँखें बंद कर के नर्म होंठ, गर्म जीभ और नुकीले दांतों का स्पर्श ले रहा था जिसमें मुझे हद से ज़्यादा मज़ा आ रहा था.

मेरे लण्ड से निकले रस और उसके मुँह की लार के मिश्रण से उसका मुँह भर चुका था जिसको मैंने थूकने या निगलने से मना करा.

अब दस मिनटकी लण्ड चुसाई से हम दोनों संतुष्ट थे.

मैंने अब उसे किस करना शुरू करा.
जो मिश्रण उसके मुँह में भरा था, वह धीरे धीरे मेरे मुँह में डाल रही थी जो अनोखे स्वाद से भरपूर था.

वह बोली- तुम लेटो, मैं बाथरूम होकर आती हूँ.
मैंने उसको रोका और बोला- पेशाब लगी है क्या?
वह बोली- हाँ, कर के आती हूँ!

मैंने कहा- रुको, मुझे लेटने दो. अब तुम मेरे मुँह के ऊपर चूत रख कर बैठो.
वह बोली- अभी पी तो है चूत!
मैं बोला- चूत नहीं, अब अपना पेशाब पिलाओ.

वह बहुत ज़ोर से बोली- छी … पागल हो क्या?
मैंने कहा- हाँ पागल हूँ. तुम्हारे जिस्म की बनावट और तुम्हारी इस मादक जवानी में मैं पागल हूँ.

बहुत ज़ोर दबाव से वह मेरे मुँह के ऊपर बैठी.
अब मैं अपना मुँह खोले उसकी चूत से मूत आने का इंतज़ार कर रहा था.

वह बोली- यार, अब नहीं आ रही!
मैं बोला- लगाओ लगाओ … ज़ोर लगाओ. आएगी!

कुछ सेकंड बाद उसने बोला- आ गयी!
मैंने अपना मुँह और बड़ा खोला.

पहले उसकी चूत से पाँच – सात बूँद निकली, फिर मूत की मोटी और गर्म धार सीधा उसकी चूत से होते हुए मेरे मुँह में गिरने लगी.
मैं उसके मूत को गटागट पीने लगा.

उसका मूत मेरी अनुमान से ज़्यादा था.
मैं लगातार पीता जा रहा था तब भी मेरा मुँह भर गया था.

उसके मूत का स्वाद नमकीन था.
मेरा पेट मानो भर सा गया था.

वह मूत कर उठी और मेरे बग़ल में लेट गयी.
उसने मुझे अब किस ना करने की हिदायत दी.

मैंने उठ कर उसे बिस्तर के कोने तक घसीटा और उसकी टांग को अपने हाथों में थामा.
तब लण्ड पर थूक कर मैंने उसकी चूत पर लण्ड रगड़ना शुरू करा.

वह अपनी आँखें बंद कर के आनंद की अनुभूति लेने लगी.
शीघ्र ही वह बोली- अब डाल दो अंदर … और मत इंतज़ार कराओ!

मैंने अपना टोप उसकी चूत के अंदर सरकाया.
उसकी चूत बेहद गर्म थी.
धीरे धीरे उसकी चूत में मैंने अपना पूरा लण्ड सरका दिया.

उसने अपनी दोनों बाहों से मेरी गर्दन को पकड़ा, मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू करे.

वह बिना पलक झपकाए मेरी आँखों में देख रही थी.
उसकी आँखों से वासना साफ़ झलक रही थी.

मैं अब लगातार लण्ड को अंदर बाहर कर रहा था, वह भी सिसकारियाँ भर रही थी.

वह अब झड़ने की कगार पर आ गयी थी, वह बोली- मैं आने वाली हूँ!
मैं बोला- आ जाओ, अभी तो दोबारा झड़ोगी.

वह अपना बदन ऐंठने लगी थी.
उसने मेरी पीठ पर ज़ोर से जकड़ा, मेरे से चिपक गयी और गांड उठा उठा कर झटके लेने लगी.
और फिर उसकी चूत से गर्म और चिपचिपा माल छूटा.

तब उसने मुझे धक्का देकर अपने से अलग करा.
मैं भी अब थोड़ा सांस लेने के लिए रुक गया.

फिर उसे मैंने बिस्तर पे घोड़ी बनाया और पहले चूत को चाटना शुरू करा.

लण्ड पर थूक लगा कर उसकी चूत में एक ही बार में अपना पूरा लण्ड सरका दिया.
उसकी आह निकल गयी.

धीरे धीरे धक्कों की रफ़्तार तेज करने लगा मैं!
उसके बालों को मैंने खोला.
उसके बाल बेहद पतले रेशमी और गांड तक की लम्बाई के थे जिन्हें मैंने एक हाथ में लपेट लिया और उसे खींच कर बहुत तेज रफ़्तार से धक्के लगाने शुरू करे.

हर धक्के में लण्ड टोपे तक बाहर आता और फिर एकदम जड़ तक उसकी चूत में घुस जाता.
अब उसके शरीर में ढीलापन आ गया था.

उसके बालों को ढीला कर मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ के ऊपर कर दिया.
अब पोजिशन कुछ ऐसी थी कि मैं फ़र्श पर खड़ा था उसके घुटने बिस्तर के कोने पर थे, चूची हवा में झूल रही थी और उसके हाथ मैंने पीछे कर के पकड़ रखे थे.
अब उसका पूरा वजन उसके घुटनों और मेरे लण्ड पर था जो उसकी चूत में जड़ तक घुसा था और उसकी बच्चेदानी में स्पर्श हो रहा था.

मैंने अब पूरे ज़ोर में धक्के लगाने शुरू करे.
इस प्रकार के झटकों में दोगुणी ताक़त मिल जाती है और चूत का भोसड़ा बनने में देर नहीं लगती.

अब वह एकदम थक चुकी थी.
मैं उसे अब झड़ना नहीं देने चाहता था क्योंकि उसकी गांड की बनावट में मुझे दीवाना बना दिया था और मैं गांड मारना चाहता था.

दो से तीन मिनट बाद उसे मैंने एकदम बिस्तर पे छोड़ दिया जिससे वह झटके से बिस्तर पे उल्टा हो कर पड़ गयी.
अब मैंने उसके पेट के नीचे तकिया लगाया जिससे उसकी चूत दिखाई देने लगी और गांड भी ऊपर उठ गयी.

उसकी चूत अब पूरी तरह से खुल चुकी थी और लाल हो गयी थी.
मैंने चूत पर थूक कर लण्ड घुसा दिया और उसके ऊपर उल्टा ही लेट गया.

अब मैंने अपनी कमर हिला हिला के उसकी चूत में धक्के मारने शुरू करे.
इस पोजिशन में वह मचल उठी और लण्ड निकालने को बोलने लगी.

मैंने 40-50 धक्के ही मारे थे कि वह बोली- मैं झड़ने वाली हूँ.

तुरंत मैंने लण्ड बाहर निकाल लिया क्योंकि अभी उसकी गांड मारनी थी.

अब मैं दो मिनट लेट गया मेरी साँसें फूल रही थी और वह एकदम चित पड़ी थी

पाँच मिनट बाद मैं उठा और उसकी गांड पर बहुत ज़ोर से थप्पड़ मारा जिसकी वजह से वह तिलमिला उठी.

मैंने कहा- जानेमन, अब गांड की बारी!
वह बोली- सोचो भी मत! मैं थक गयी हूँ और गांड में दर्द ज़्यादा होगा.
मैंने पूछा- क्यों तुम्हारा पति गांड नहीं मारता क्या?
बोली- मारता तो है. पर उसका लण्ड मोटा तो इतना ही है पर छोटा है.
मैंने कहा- मेरा माल अभी तक नहीं निकला. मैं गांड मार कर ही माल निकालूँगा.

कई बार मिन्नत के बाद वह मान गयी.
पर उसने शर्त यह रखी- आराम से करोगे और एक ही पोजिशन में करके माल निकाल देना. अब मैं थक गयी हूँ.

मैं होटल में मिलने वाली तेल की शीशी को बाथरूम से लाया और उसे घोड़ी बना कर उसकी गांड के छेद में मालिश करनी शुरू करी.
उसकी गांड का छेद गुलाबी था और बहुत गोरे और चिकने चूतड़ थे.

थोड़ा तेल लण्ड पे लगाया और पहले उँगली से उसकी गांड के छेद का मुँह खोला.
जब दो उँगलियां आराम से अंदर बाहर होने लगी तो मैंने लण्ड का टोप गांड के छेद पे लगाया अब धीरे धीरे दबाव बनाया.
फिर एक हल्के झटके के साथ टोपा उसकी गांड के छल्ले में फँसा दिया.

उसी वक्त उसके बदन ने ऐंठन ली और उसके मुँह से ‘अई …’ की आवाज़ निकली.
क़रीब दस सेकंड मैं रुका और उसके चिकने चूतड़ों को सहलाने लगा.

फिर मैंने आराम से लण्ड पे दबाव बना कर लण्ड थोड़ा सा उसकी गांड में सरकाया.
वह लगातार आह आह करने लगी थी जिससे उसके दर्द का पता लग रहा था.

लण्ड जब तीन चौथाई घुस गया तो मैंने थोड़ा ओर तेल लगाया और अब धक्के मारने की शुरुआत करी.
वह ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी.

अब गांड में लण्ड आराम से आने जाने लगा था तो मैंने थोड़ा तूफ़ानी करने को सोचा.
उसके चूतड़ों को मैंने अपने हाथों से जकड़ लिया और एक ज़ोर का धक्का मारा. मेरा पूरा लण्ड उसकी गांड के अंदर घुस गया था और उसकी एक दबी सी चीख निकली जो कमरे से बाहर तक चली गयी होगी.

उसने अब गालियाँ देनी शुरू करी- अबे साले भड़वे … बहनचोद … भोसड़ी के आराम से नहीं कर सकता क्या … साले रंडी नहीं हूँ मैं!
मैं अब उसके चूतड़ों को जकड़ के लगातार धक्के लगाए जा रहा था.
पूरा कमरा थप थप की आवाज़ से और गालियों से भर गया था.

हर धक्के पर उसके चूतड़ों की थपकी आवाज़ और उसकी सिसकारियाँ निकाल रही थी.
एक हाथ से मैं उसकी चूत को रगड़ रहा था.

वह अब अपनी वासना की चरम सीमा पर आ गयी थी.
उसकी चूत का पानी अब दोबारा निकल गया था और मेरा हाथ सारा चिपचिपा हो गया था जिसे मैंने चाट के साफ़ करा.

अब मैंने 20-25 धक्के बहुत ज़ोर ज़ोर से मारे जिसकी वजह से उसने मुझे अनगिनत गालियाँ दी.

जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने उसे घुमा के सीधा लेटा लिया. वह अब दो बार झड़ चुकी थी और सेक्सी लेडी हॉट गांड चुदाई हो चुकी थी.

मैंने हाथों से मुठ मार के अपने वीर्य की बारिश उसके नाभि से लेकर मुँह तक करी जिसको मैंने की वापस चाट चाट कर साफ़ करा … मैंने अपना वीर्य खुद चाटा.

वह अब उठी और फ़्रेश हो कर आयी, आकर कपड़े पहनने लगी.
मैं भी उठ कर तैयार हुआ.

मैंने पूछा- क्यों नीलू जी, कैसा लगा?
वह बोली- हटो यार, थका दिया एकदम! अब मुझे कुछ खिलाओ और मेरे जाने का प्रबंध करो.

मैंने समय देखा, दस बजने वाले थे.

वह मुझे गले लगा कर बोली- इतना आनंद देने के लिए शुक्रिया.

मैंने कहा- अरे यार, कोई नहीं … मज़ा तो मुझे भी आया. तुम जैसी शादीशुदा हसीन और सेक्सी लेडी के साथ अपनी वासना को शांत करना तो किसी किसी के ही नसीब में होता है!

बाद में मैंने उसे बेहतरीन खाना खिलाया और एक टैक्सी भी बुक करा कर दी अपने पैसों से!
हालाँकि उसने बोला कि मैं कोई पेशेवर थोड़ी हूँ.
पर मैंने अपनी इच्छा से टैक्सी का भुगतान किया था.

तब मैंने उसे विदा किया.

अभी भी उससे वार्तालाप होती रहती है.
वह अभी पेट से है.
जब स्तिथि सामान्य होगी तो शायद पुनः वह मेरे साथ सेक्स करने को राज़ी हो जाये.

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