चालू माँ की चुदक्कड़ बेटी की वासना

(Daughter Father Sex Kahani)

डॉटर फादर सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं मां को उसके यार से चुदाई करती देखती थी। मैं भी वैसी ही होने लगी. एक दिन मेरी माँ को पापा ने सेक्स करते पकड़ लिया.

हाय, मेरा नाम बिंदु है और मैं दिल्ली की रहने वाली हूं।
मैं बीस साल की होने वाली हूँ. मैं बी ए के पहले साल में हूँ.

पिछले काफी समय से मैं अन्तर्वासना में गंदी कहानियों की मजे ले रही हूं. और अब मैंने सोचा कि मुझे भी अपनी कहानी सब लोगों को बतानी चाहिए।
यह कहानी डॉटर फादर सेक्स की है.

बात आज से करीब 6 महीने पहले की है जब मेरी मां अपने यार के साथ चुदाई करती पकड़ी गई थी।

इस घटना का मेरे पापा पर बहुत बुरा असर हुआ.
मेरे पापा ने मम्मी को कहा- इस अपमान का बदला मैं तेरी बेटी को खराब कर के लूंगा।

मगर मेरी मां को कोई फर्क नहीं पड़ा और वो अपने यार के पास चली गई।

अब घर में मैं, मेरे पापा और हमारे दो नौकर बबन और ललन रह गए।

एक रात पापा ने मुझे अपने कमरे में बुलाया।
उस समय पापा शराब पी रहे थे।

पापा ने मुझे अपने पास बुलाया और शराब पीने को कहा।
मैंने मना कर दिया.

तो पापा बोले- यह मेरा घर है. अगर तुझे इस घर में रहना है तो वही करना पड़ेगा जो मैं कहूँगा. वरना निकल जा मेरे घर से!

मगर मैं कहां जाती … पहले ही मेरी मां की वजह से हमारी बहुत बेइज्जती हो चुकी थी।
इसलिए मैं पापा के पास बैठ गई और शराब पीने लगी।

एक पैग पीने के बाद पापा ने मुझे सिगरेट जला के दी और कहा- ले बेटी, सिगरेट पीने से शराब का नशा दोगुना हो जाता है।
मैंने सिगरेट ली और पीनी शुरू कर दी।

मुझे कोई दिकत नहीं हुई क्योंकि मैं पहले से ही सिगरेट पीने की आदी थी।
पापा बोले- बेटी, आज के बाद तू रोज़ मेरे साथ शराब पिया करेगी और मैं नहीं कहूंगा, तू खुद आकर मुझे कहेगी कि पापा मुझे शराब पिलाओ।

फिर पापा ने मुझे दो पैग और पिलाए और तीन पैग पीने के बाद मुझे कमरे में जाने दिया।
कमरे में आने के बाद मैंने दरवाजा बंद किया और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी बिस्तर पर सो गई।

उस दिन के बाद से मैं रोज पापा के साथ शराब पीने लग गई।

हमारे दोनों नौकर शाम सात बजे खाना बना कर अपने कमरे में चले जाते और फिर मैं सारा घर बंद करके पापा के पास जाती और बोलती- पापा शराब पिलाओ!
और फिर पापा मुझे तीन पैग शराब और चार सिगरेट रोज पिलाते।

शराब पीते वक्त हम दोनों गंदी गंदी बातें करते।
कई बार पापा मेरे मुंह से चूत और लन्ड की गंदी बातें सुन कर मेरे चूचों और चूतड़ों को मसल देते थे।
मैं भी खुद यही चाहती थी क्योंकि मेरे यारों ने कई बार मेरे चूचों को मसला था लेकिन पापा से चूचों को मसलवाने में मुझे एक अलग ही किस्म का मजा आता था।

पापा मुझे रोज तीन पैग पिलाते थे।

एक दिन की बात है, तीन पैग पीने के बाद भी मुझे कुछ खास नशा नहीं हुआ और मैंने पापा से एक पैग शराब का और मांगा।
मगर पापा ने मना कर दिया।

मैं जिद करने लगी और पापा को कहा- आज कम नशा हुआ है, एक पैग पिलाओ!
लेकिन पापा नहीं माने और कहा- तीन पैग से ज़्यादा नहीं मिलेंगे।

मगर मैं जिद करने लगी मगर पापा फिर भी नहीं माने।
मुझे गुस्सा आने लगा और मैं गाली गलौज पर उतर आई-“बहन के लौड़े, टटी के कीड़े, गाँडू के पिल्ले, चुपचाप एक पैग और पिला।
तो पापा भी गाली बकने लग गए- रण्डी, कुतिया, एक बार बोल दिया ना कि तीन पैग से ज्यादा नहीं, समझ नहीं आता?

पापा नहीं माने मगर मैं कुत्ती, हरामजादी कहां मानने वाली थी।
मैंने पापा को बोला- पापा, अगर आप मुझे एक पैग शराब का और पिलाओगे तो मैं बदले में आपको अपना माल दिखाऊंगी।

मेरे मुंह से यह बात सुन कर तो पापा को जैसे करंट का झटका लगा।
पापा बोले- बेटी, तू सच्ची में ये काम कर देगी?
मैंने कहा- हां बिल्कुल … तू पैग तो पिला, तुझे कहना भी नहीं पड़ेगा, मैं खुद ये काम करूंगी, तेरे बिना कहे।

फिर पापा ने मुझे एक पैग और पिलाया।
पैग पीने के बाद में कुर्सी से उठी और अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया।

सलवार ढीली थी और एक झटके से नीचे उतर गई।
पापा मेरी इस हरकत को देखते ही रह गए।

फिर मैंने बेशरमों की तरह मुस्कराते हुए अपनी पैंटी को घुटनों तक उतार दिया और अपनी कमीज़ कमर के ऊपर उठा दी।
अब मेरी कमर का निचला हिस्सा बिल्कुल नंगा पापा के सामने खड़ा था।

मुझे इस हालत में देख कर कर पापा बोले- बेटी मान गए, सिर्फ एक पैग शराब के बदले में तूने ऐसा गंदा काम कर दिया, मान गए।
मैंने कहा- क्यों, है ना तेरी बेटी एक नंबर की कुत्ती? जरूर मेरी मां किसी गंदे नाले में जाकर दस कुत्तों से चुदी होगी तब मेरी जैसी कुत्ती पैदा हुई है। यार, एक पैग शराब का और पिला दे, बदले में मैं अपने ऊपर के बाकी कपड़े भी उतार दूंगी।

उसके बाद पापा ने मुझे एक पैग शराब का और दिया।

पैग पीने के बाद मैं उठी और मैंने अपना कमीज़ और ब्रा भी उतार के फेंक दी।
अब मैं अपने सगे बाप के आगे बिलकुल नंगी खड़ी थी।

वैसे तो मुझे मेरा आधा कॉलेज नंगी देख चुका था पर अपने सगे बाप के सामने नंगी होकर मुझे अलग ही किस्म का मजा आ रहा था।

मुझे इस हालत में देख कर पापा से रहा नहीं गया और वो कुर्सी से उठे और मुझे जोर से भींच लिया और पागलों की तरह मुझे चूमने लगे।
थोड़ी देर चूमने के बाद बोले- बेटी, तुझे आज चोदने का मन कर रहा है।
मैंने कहा- यार, तो चोद ना … मैं कब मना कर रही हूं, बस एक पैग शराब और पिला दे।

फिर हम दोनों ने एक पैग शराब और पी।

6 पैग शराब पीने के बाद अब मैं पूरी तरह से नशे में चूर थी।
मैं उठी और मैंने पापा के कपड़े उतार कर पापा को बिल्कुल नंगा कर दिया।

पापा मुझे पागलों जैसे चूम रहे थे।

थोड़ी देर तक चूमने चाटने के बाद पापा मुझे बिस्तर पर ले गए और फिर मुझे कस कर चोदा।
मुझे चोदने के बाद पापा साइड में गिर गए और फिर हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर सो गए।

सुबह सात बजे मेरी नींद खुली।

शराब का नशा उतर चुका था मगर मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं हो रहा था।
बल्कि मैं तो बहुत खुश थी कि मैंने ऐसा गंदा और गिरा हुआ काम किया।

फिर मैं जल्दी से नहा धोकर तैयार हुई और कॉलेज चली गई।

कॉलेज में भी मेरी सहेलियों ने भी मुझे कई बार टोका- आज तू बहुत ही खुश लग रही है, क्या बात है?
मैं टाल गई और कहा- कोई बात नहीं है, तुमको ऐसे ही लग रहा है।

मगर आज कॉलेज में मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था। मैं एक बार फिर से डॉटर फादर सेक्स का मजा लेना चाह रही थी.
मैं करीब बारह बजे ही कॉलेज से चल दी और घर आ गई।

घर पहुंचने के बाद मैं सीधा पापा के कमरे में गई।
पापा मुंह लटकाए कुर्सी पर बैठे थे।

मैंने दरवाजा बंद किया और पापा की गोद में जाकर बैठ गई।
फिर मैंने पापा का हाथ पकड़ कर अपने चूचे पर रख दिया।

मैं बोली- क्यों बहन के लौड़े, मुंह क्यों लटका रखा है, कल मजा नहीं आया क्या?
पापा बोले- हरामजादी, तूझे तो कोई पछतावा ही नहीं है अपने किए का?
मैं बोली- अबे लोडू, पछतावा शरीफ़ लड़कियों को होता है, मेरी जैसी कुत्ती पछताती नहीं बल्कि खुश होती हैं ऐसे गंदे काम कर के! और यह तो कुछ भी नहीं है, देख मैं आगे और क्या क्या गुल खिलाती हूं. अभी तक तो मुझे आधा कॉलेज ने नंगा देखा. एक दिन मुझे पूरा का पूरा देश नंगा देखेगा। मैं दूसरी सिल्क स्मिता बनूंगी, जैसे सिल्क स्मिता ने अपने नाम को इतना गंदा कर दिया था कि किसी भी बाप ने अपनी बेटी का नाम फिर कभी भी सिल्क नहीं रखा, मैं भी अपने नाम को इतना गंदा कर दूंगी कि कोई भी बाप अपनी बेटी का नाम बिंदु नहीं रखेगा।

मेरे मुंह से ये बात सुन कर पापा ने ज़ोर से मेरे चूचों को मसल दिया और कहा- शाबाश बेटी, अब तू एक काम कर, बाथरूम में जाकर बिल्कुल नंगी हो जा और जब तक मैं आवाज़ नहीं लगाऊं तब तक बाहर मत आना।
मैंने कहा- ऐसे क्यों?
पापा बोले- बेटी सवाल मत कर, बस जैसा मैं कहता हूं बस वैसा कर, आज तुझे जिंदगी के वो मजे कराऊंगा कि तू सारी जिंदगी याद रखेगी।

फिर मैं पापा की गोद से उठी, पास में रखा सिगरेट का पैकेट और माचिस ली और बाथरुम में चले गई।

बाथरूम में जाकर मैंने अपने सारे कपडे उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई और फिर फर्श पे लेट कर सिगरेट पीने लगी।

करीब पांच सात मिनट बाद पापा ने आवाज़ लगाई- क्यों बेटी, तैयार है?
मैंने कहा- हां पापा, बिल्कुल तैयार हूं।

पापा ने फिर आवाज़ लगाई- बेटी, जैसे मैं कहा था, वैसा ही किया है ना?
मैंने कहा- हां पापा, बिल्कुल नंगी हूं मैं अब!

पापा बोले- शाबास बेटी, अब आ जा कमरे में!
और फिर मैं अपनी गांड मटकाती हुई कमरे के अंदर आई।

मगर जैसे ही मैं कमरे के अंदर आई, वहां का जो गंदा नजारा मैंने देखा, मैं पूरी तरह अंदर तक हिल गई।

मैंने देखा कि मेरे पापा और हमारे दोनों नौकर, बबन और ललन, तीनों के तीनों बिलकुल नंगे खड़े हुए थे।
मैं बिलकुल पत्थर सी खड़ी थी।

पापा आगे बढ़े और मेरी बाजू पकड़ कर मुझे उनके सामने ले गए।
अब पापा बोले- ललन बबन … तुमने मेरी चालू राण्ड बीवी की चूत के मजे खूब लिए होंगे. आज उसकी हरामजादी की एक कुतिया बेटी के गर्म गोश्त के मजे ले लो.

यह सुन कर उन दोनों की बांछें खिल गयी.
मैं भी खुशी से पागल हो गयी.
मैंने कई बार अपनी माँ को इन दोनों नौकरों के लंड एक साथ लेती देखा था. तब से मैं भी चाहती कि मुझे ये दोनों एक साथ आगे पीछे से चोदें.

मेरी तमन्ना आज पूरी होने को थी.

प्रिय पाठको, कैसी लगी यह डॉटर फादर सेक्स कहानी?
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