जुलाई 2018 की बेस्ट लोकप्रिय कहानियाँ

(Best and Popular Hindi Sex Stories Published In July 2018)

प्रिय अन्तर्वासना पाठको
जुलाई 2018 प्रकाशित हिंदी सेक्स स्टोरीज में से पाठकों की पसंद की पांच बेस्ट सेक्स कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…

प्रियंवदा: एक प्रेम कहानी

मेरी सेक्स कहानी को केवल वे लोग पढ़ें जो सच में यकीन रखते हों, जो धैर्य से मजबूरी, प्रेम, वासना को दिल की आँखों से पढ़कर अपने आप को कहानी के किरदार के रूप में अहसास कर एक एक शब्द में प्रेम रस को महसूस कर सकें!

मैं अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करता था लेकिन मुझे आज तक यह नहीं पता चला कि कंपनी का और इस आलीशान फार्म हाउस का आखिर मालिक कौन है। मैं जब भी किसी से पूछता तो मुझे कहते ‘धीरे-धीरे सब समझ जाओगे।’

एक दिन दोपहर में मेरे पास कंपनी से फोन आया- फार्महाउस तैयार रखना, मैडम दो-तीन दिन के लिए आ रही है.
तब मैंने वहाँ कई सालों से काम कर रहे माली को विश्वास में लेकर पूछा- यह मैडम कौन है?
माली ने बताया कि मैडम कंपनी के मालिक की माशूका है, और महीने में एक दो बार यहाँ अय्याशी करने जरूर आती है, और जब मैडम यहाँ आती है केवल तब ही मालिक यहाँ आते हैं, बाकी दिन कोई नहीं आता।

यह करीब 10-12 दिन से मैं भी देख चुका था।

उन्होंने बताया कि यह फार्म हाउस कंपनी के मालिक ने मैडम के लिए ही बनवाकर उनको गिफ्ट किया है। यह केवल उनके और मैडम की अय्याशी का अड्डा है, बाकी तुम खुद देख लोगे.
इतना कहकर और मुझे इस बारे में किसी से कोई भी बात ना करने की चेतावनी देकर चला गया।

बात मेरे समझ में आ चुकी थी।

पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…

योनि का दीपक

मैंने लीलाधर जी की एक कहानी पढ़ी थी
शालू की गुदाई
मुझे उसमें गुदना गुदवाने का सीन बड़ा अच्छा लगा था। मैंने लीलाधर जी से पूछा भी था कि वह टैटू आर्टिस्ट रॉबर्ट दिल्ली में कहाँ रहता है। पर उन्होंने मुझे कुछ खास नहीं बताया। तब मैंने अपने से तलाश किया।
एक मिला, अभी नया ही काम शुरू किया था, मगर हाथ में सफाई थी। जवान बंदा था, मुझे थोड़ा डर लगा कि कहीं यह मुझे एक्सप्लॉयट न करे। पर सोचा मामला भी तो ‘वयस्क’ का है। अगर कुछ इसने करना चाहा तो देख लूंगी। देखने में खूबसूरत भी था।

मैंने उसे अपनी जरूरत बताई। बॉयफ्रेंड को सेक्स का मजा तो देना चाहती हूं मगर  फ**** से बचना भी चाहती हूं, और यह मुझे दीवाली में गिफ्ट करना है। मैंने सोचा था कि दोनों स्तनों पर ही दीवाली से ताल्लुक रखता कोई संदेश टैटू करवाऊंगी। इस तरह मेरा ब्वायफ्रेंड मेरे स्तन देख लेगा और उनसे कुछ खेल भी लेगा।

लेकिन उस टैटू कलाकार का आइडिया इससे ज्यादा साहसी था। साहसी क्या, दुस्साहसी था। मैं संकोच में पड़ गई कि इतनी दूर पहली बार में ही जाना उचित होगा? भद्दा नहीं लगेगा? मैं कर पाऊंगी? लेकिन उसने मुझे आश्वस्त किया कि वल्गर नहीं लगेगा, कलात्मक ही होगा।
हैप्पी दिवाली का विश – सिर्फ छातियों तक ही क्यों? इससे तो वह धोखा खाया-सा महसूस करेगा। उसे लगेगा तुमने ऊपर ऊपर ही निपटा दिया। अगर गिफ्ट का मजा गाढ़ा बनाना चाहती हो तो और आगे जाओ।

सचमुच… मुझे भी लगा जहाँ वह पूरे सम्भोग की उम्मीद कर रहा है वहाँ केवल स्तनों तक ही सीमित रहने से बहुत फीका हो जाएगा। लेकिन टैटू कलाकार का आइडिया केवल जांघें खोलने तक का नहीं था, भगों को भी नंगा रखने का था। यह बहुत ही डेयरिंग था, पुसी भी दिखानी पड़ेगी। मैं कुछ देर ठिठकी, फिर बिंदास होकर उसका आइडिया कबूल कर लिया।

उसने मुझे दिवाली के ही दिन सुबह-सुबह आने को कहा, बोला कि मैं उसकी पहली ग्राहक हूंगी।

पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…

बेशर्म साली

यह कहानी जो मैं प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, वह मेरी सगी वाली साली रेखा से मेरे शारीरिक सम्बन्ध जुड़ने की दास्तान है. रेखा को लेकर दो कहानियां पहले भी अन्तर्वासना में छप चुकी हैं. पहली थी
एक लौड़े से दो चूतों की चुदाई
जो 01-10-2015 को छपी थी और दूसरी थी
सगी बहन की सौतन रेखा रानी
जो 20-09-2017 को प्रकाशित हुई थी.
पाठकों पाठिकाओं से निवेदन है कि वो दोनों कहानियां भी पढ़ लें तो रेखा रानी वाला किस्सा बेहतर समझ पायंगे और उसका बेहतर आनन्द भी ले पायंगे.

यह बात काफी साल पहले की है. मेरी और जूसी रानी की शादी के करीब तीन या चार महीने के बाद की. शादी के दौरान जूसी रानी की बहन रेखा और उसके पति शशिकांत से एक बार परिचय तो हुआ था लेकिन शादी की भागमभाग में सब दिमाग से निकल गया था. सिर्फ यह याद था कि जूसी रानी की एक उसके जैसी ही सुन्दर सी, सेक्सी सी बहन है. तब तो सिर्फ जूसी रानी के पेटीकोट में मैं हर वक़्त घुसा रहता था और उसकी बुर के जूस के फुव्वारों में डूबा रहता था. 

हमारी शादी के तीन चार महीने बाद इन दोनों की चचेरी बहन की शादी भी थी मेरठ में. जूसी रानी ने हुक्म दे दिया था कि हमें शादी में जाना है, हर फंक्शन में अटेंड करना है और वापिस लौटने की कोई जल्दी नहीं मचानी है. इसलिए मैंने दस दिन की छुट्टी ले ली और शादी से दो दिन पहले और दो दिन बाद तक वहां रहने का प्लान बना लिया. यह तय हुआ कि शादी की बाद हम लोग बाकी की छुट्टी अपने अपने साले रितेश के घर पर बिताएंगे.
पाठकों को याद दिला दूँ कि यह वही रितेश है जिसकी बेटी रीना रानी है, जिसकी चूत का उद्घाटन मैंने ही किया था.   

खैर शादी से दो दिन पहले मैं और जूसी रानी मेरठ पहुँच गए शाम के चार साढ़े चार बजे. उन्होंने ठहरने का अच्छा इंतज़ाम कर रखा था. शहर के बाहरी इलाके में एक मैरिज हाल में सब घर वालों के रुकने का था और वहीं शादी के सभी रस्मो रिवाज़ होने थे.
बारातियों के रुकने के लिए नज़दीक के ही एक होटल में किया गया था.

पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…

कमसिन बेटी की महकती जवानी

पद्मिनी की माँ का उस समय ही देहांत हो गया था, जब पद्मिनी कच्ची उम्र की थी. उसका कोई भाई बहन न होने के कारण पद्मिनी अपने पिता की बड़ी दुलारी थी. एक ही औलाद होने के कारण छोटी उम्र से वह अपने पिता के साथ ही सोती थी. पिता को पद्मिनी से बहुत प्यार था और अपने दिल के टुकड़े को वो हमेशा अपने साथ रखता था. उस पिता को अपनी बेटी को लेकर कभी कोई बुरा ख्याल नहीं आया था. सब ठीक से चल रहा था और मोहल्ले के सभी बच्चों की तरह पद्मिनी भी स्कूल जा रही थी. स्कूल के बाद पद्मिनी ने अपने पिता से ही खाना पकाना सीखा. जब वो छोटी थी, तब से ही वो घर के सभी काम भी अच्छी तरह से करना सीख गई थी. पद्मिनी अपनी माँ के मरने के बाद अपने घर की मानो माँ बन गयी थी. वो अपने पिता का खूब ख्याल रखती थी.

परंतु कुछ सालों के बाद एक शाम को स्कूल की लड़कियां पद्मिनी के बारे में कुछ अनाप शनाप बक रही थीं, जो मोहल्ले के दूसरे लोगों ने सुना और वह बात पद्मिनी के पिता के कानों तक पहुंची. वह बात यह थी कि स्कूल के किसी किसी एक लड़की ने एक टीचर को पद्मिनी के साथ अकेले देखा था. यह बात इतनी बढ़ गयी थी कि सब कहने लगे थे कि वह टीचर हमेशा ब्रेक के वक़्त पद्मिनी को क्लास में अकेले पाकर अपने साथ रखता है और स्कूल खत्म होने पर पद्मिनी के साथ कहीं किसी जंगल के हिस्से में ले जाता है. इस तरह से पद्मिनी और उस टीचर को लेकर बहुत सी बातें हो रही थीं. जब बात गाँवों के मर्दों तक पहुंची, तब सबने खुल्लम खुल्ला यह कह दिया कि पद्मिनी को उस टीचर ने चोदा है. बाकी आसपास की गलियों की लड़कियां भी यही बात करने लगीं और पद्मिनी से दूर रहने लगीं.

पद्मिनी सब लड़कियों से बहुत ज़्यादा खूबसूरत थी और उसका सबसे खूबसूरत जिस्म भी था. रंग में भी वो सबसे गोरी थी. उस छोटे से गाँव में पद्मिनी जैसे कीचड़ में खिला हुआ एक कमल थी.

अब बाकी के मर्दों की नज़र पद्मिनी की जवानी पर पड़ने लगी और सब मर्द उसके साथ सोने की इच्छा करने लगे. धीरे धीरे कानों कानों होते हुए यह बात पद्मिनी के पिता तक पहुंची.

एक रात उसने पद्मिनी को अपने पास प्यार से पूछने के लिए बुलाया. अब चूंकि पिता ने खुद सुना था कि पद्मिनी को एक टीचर चोदता है, तो खुद पिता भी अपनी बेटी से सवाल करते वक़्त उसके यौवन को देखने लगा.

पिता ने उस वक़्त ध्यान से पद्मिनी को देखा तो नोटिस किया कि उसकी चूचियां बड़ी हो गयी हैं, गांड के गोले उभर गए हैं, जिस्म एकदम एक जवान लड़की के जिस्म जैसे मादक हो गया है. हालांकि अभी उसकी उम्र उतनी नहीं हुई थी. पिता को पद्मिनी को अपने गोद में बैठाकर बात करने की आदत थी, तो उसको अपने गोद में बिठा लिया.

पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…

अधूरी ख्वाहिशें

मैं मूलतः भोपाल का रहने वाला हूँ लेकिन पिछले तीन साल से लखनऊ में जमा हुआ हूँ और अब तो यहाँ मन ऐसा लग चुका है कि कहीं जाने का दिल भी नहीं करता।
तो इस बीच गुज़रे वक़्त में से जो पहला किस्सा मैं अर्ज़ करूँगा वो एक ऐसी खातून से जुड़ा है, जिनके सऊदी में रहने वाले शौहर आरिफ भाई से मेरी दोस्ती किसी दौर में फेसबुक पर हुई थी।

यह दोस्ती सालों से थी लेकिन इसकी तरफ ध्यान तब गया जब एक दिन आरिफ भाई को मेरी मदद की ज़रूरत पड़ी। असल में मैंने पहले कभी इस बात पे ध्यान ही नहीं दिया था कि वे लखनऊ के ही रहने वाले थे और जिस टाइम मैं दिल्ली से लखनऊ शिफ्ट हुआ हूँ, ठीक उसी वक़्त में वे वापस सऊदी गये थे।

एक दिन उन्होंने मुझसे अर्ज की थी कि मैं उनकी बीवी रज़िया की थोड़ी मदद कर दूँ, क्योंकि उनके पीछे घर में जो माँ बाप थे, वे कोर्ट कचहरी करने की सामर्थ्य नहीं रखते थे और जो उनका छोटा भाई था वो किसी ट्रेनिंग के सिलसिले में बंगलुरु गया हुआ था।

दरअसल उनका एक बच्चा था जिसके एडमिशन के लिये बर्थ सर्टिफिकेट बनवाना था और इसमें कई झंझट थे जो कि उनकी बीवी के अकेली के बस की बात नहीं थी।
उन्होंने रज़िया का नंबर दिया और अपने घर का पता बताया.. हालाँकि यह झंझटी काम था और मैंने सोचा था कि चला जाता हूँ लेकिन किसी बहाने से टाल दूंगा।

पता सिटी स्टेशन की तरफ मशक गंज का था.. पूछते पुछाते किसी तरह मैं उनके घर तक पहुंचा।

डोरबेल बजाने पर सामना आरिफ भाई के वालिद से हुआ, मैंने उन्हें सलाम किया तो जवाब देते हुए उन्होंने अन्दर बुला लिया। शायद आरिफ भाई उन्हें बता चुके थे।
ड्राइंगरूम में बिठा कर वे मेरे बारे में पूछने लगे.. थोड़ी देर बाद चाय नाश्ता लिये रज़िया भी आ गयी। मैंने हस्बे आदत गहरी निगाहों से उसका अवलोकन किया।

चौबीस-पच्चीस से ज्यादा उम्र न रही होगी उसकी.. फिगर ठीक ठाक थी, तगड़ी तंदरुस्त थी। नाक नक्शा उतना अच्छा नहीं था लेकिन जो ख़ास बात थी उसमे, वो यह कि वो खूब गोरी, एकदम झक सफ़ेद थी और उसकी तवचा भी काफी चिकनी थी।

नाश्ते की ट्रे रखते हुए उसकी निगाह मुझसे मिली थी और एक लहर सी मेरे शरीर में गुज़र गयी थी। कुछ तो था उसकी निगाह में.. जो मैं समझ नहीं पाया।

पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top