रैना की जबरदस्ती

विपुल की कहानी मेरी जुबानी…

लेकिन एक दिन तो गजब हो गया। उस दिन बुधवार था और मेरी साप्ताहिक छुट्टी थी इसलिए मैं घर में ही था। हम दोनों ही मौके की तलाश में थे। दोपहर को खाना खाने के बाद भाभी अपने कमरे में चली गई। दरअसल भाभी के सर में तेज दर्द हो रहा था। मैं पास के मेडिकल शॉप से विक्स और सरदर्द की गोली ले आया। भाभी ने गोली खा ली और नैना उनके सिर पर विक्स की मालिश करने लगी। मैं अपने कमरे में आ गया और लैपटॉप पर इन्डियनसेक्सवीडियोज डॉट कॉम खोल कर बैठ गया।

कुछ ही देर बाद नैना मेरे कमरे में आई और पीछे से ही मुझसे लिपट गई। मैं कुछ-कुछ तो उसके इंतजार में था ही।

पर मैंने पूछा- अरे भाभी घर में ही हैं नैना !

नैना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- हाँ हैं, पर वो गहरी नींद में सोई हुई हैं और लगभग दो घंटे तो जागने वाली नहीं है। तो मैंने सोचा कि क्यूँ मैं तुम्हारी छुट्टी को बरबाद करूँ !

मैंने कहा- अभी से इतना ख्याल रखने लगी? क्या तुम मुझसे प्यार करने लगी हो या यूँ ही मजे ले रही हो?

इस पर उसने जवाब दिया- देखो, प्यार तो मैं तुमसे नहीं करती हूँ पर तुम एक अच्छे इंसान हो। दूसरों का ख्याल रखने वाले हो, दिखने में स्मार्ट हो और औरतों को संतुष्ट करने की क्षमता रखते हो। तुम मुझे पसंद हो, तुम जैसे आदमी से प्यार किया जा सकता है।

मैंने उसे बांहों में भर लिया और वो भी मुझे लिपट गई, फिर शुरू हो गया खेल ! हमारे कपड़े उतरते चले गए और हम दोनों ही एक-दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे।

जब तूफान थमा तो मैं पसीने से लथपथ नैना के ऊपर ही लेट गया।

अचानक एक खटका सा हुआ। हम लोग चौंक गए, लगा जैसे खिड़की के पास कोई है। मैं झट से खिड़की के पास गया और बाहर झाँककर देखा पर कोई नहीं था।

तब तक नैना भी अपने कपड़े पहन चुकी थी, मैंने भी जल्दी से अपना पजामा पहना और दरवाजे से बाहर देखा, कहीं कोई नजर नहीं आया। मैंने भाभी के कमरे में भी देखा तो वो सो रही थी। मन कुछ आश्वस्त हुआ कि शायद यह हम लोगों का भ्रम रहा हो या फिर हवा के कारण खिड़की के पल्ले से आवाज आई हो।

अस्तु ! हम लोग निश्चिन्त हो गए।

कुछ देर बाद भाभी भी नींद से जगी और फिर दोनों बहनें काम में लग गई और मैं भी मार्केट की ओर चला गया।

शाम में भैया आए और उन्होंने कहा कि मोतिहारी ब्रांच के मैनेजर को छुट्टी में जाना है और उसका चार्ज उन्हें ही लेना है, एक सप्ताह के लिए, इसलिए अगली सुबह उन्हें मोतिहारी जाना पड़ेगा।

सुबह उनके जाने के बाद मैं भी तैयार होकर काम पर चला गया। साढ़े तीन बजे जब मैं घर लौटा और चाय-वाय पीकर टीवी के सामने बैठा तो भाभी मेरे कमरे में आई।

और कहा- विपुल क्या तुम फ्री हो अभी या कहीं जाना है?

मैंने कहा- हाँ, मैं बिल्कुल फ्री हूँ।

भाभी ने कहा- मैं अपनी सहेली से फिल्म ‘हम दल दे चुके सनम’ अपनी पेन ड्राइव में कॉपी करके लाई हूँ। तुम फ्री हो तो जरा अपने लैपटॉप में चला कर दिखला दो।

मैंने कहा- क्यूँ नहीं भाभी !

भाभी ने अपने ब्लाउज में हाथ डाला और मेरी ओर बड़े ही कामुक तरीके से देखते हुए अपने दोनों स्तनों पर हाथ फेरते हुए पेन ड्राइव निकाला। मैं कुछ अचंभित नजरों से उनकी ओर देखने लगा पर माजरा कुछ समझ नहीं आया।

फिर भाभी ने वहीं से नैना को आवाज देकर फिल्म देखने के लिए बुला लिया।

मैंने अपना लैपटॉप ऑन किया और पेन ड्राइव लगाकर फिल्म शुरू कर दिया।

पर जैसे ही फिल्म शुरू हुई, मैं चौंक गया।

फिल्म में मैं और नैना एक दूसरे से लिपटे हुए चुम्बन में खोये हुए थे। मैंने घबरा कर लैपटॉप बंद करना चाहा तो भाभी ने कड़कते हुए कहा- चलने दो पूरी फिल्म !

मेरे हाथ जहाँ के तहाँ रुक गए, यह पूरी फिल्म मेरे और नैना की पिछले दिन की रासलीला की थी। मैं तो शर्म से जड़ होकर रह गया। नैना की नजर भी झुकी हुई थी और वो डर से काँप रही थी।

फिल्म खत्म होने के बाद भाभी ने पूछा- कैसी लगी पिक्चर?

मेरे मुँह से कोई जवाब नहीं निकला।

भाभी ने नैना के गाल पर एक थप्पड़ लगाकर पूछा- बताती क्यूँ नहीं, कैसा लगा?

नैना के आँखों में आँसू भर गए, वो सुबकते हुए बोली- दीदी मुझे माफ कर दो, अब कभी भी हम ऐसा नहीं करेंगे।

भाभी ने हम दोनों को धमकाया- मैं इसकी और भी कॉपी करवाकर अपने पिताजी को भी और तुम्हारे पिताजी को भी भेज रही हूँ।

हम दोनों घबरा गए और भाभी का पैर पकड़ कर गिड़गिड़ाने लगे।

तब उन्होंने कहा- मेरी शर्त मान लो तो मैं किसी से कुछ नहीं बताऊँगी।

हम लोग भाभी की ओर देखने लगे।

भाभी ने मुझसे कहा- मेरी पहली शर्त है कि तुम नैना के साथ शादी करोगे। मैं यह रिश्ता तय करवाऊँगी। दूसरी शर्त है कि तुम मेरी प्यास भी बुझाओगे।

हम दोनों ही चौंककर उनकी ओर देखने लगे।

भाभी ने कहा- चौंकने की जरुरत नहीं है। तुम्हारे भैया मुझे संतुष्ट नहीं कर पाते हैं, इसलिए तुम्हें यह काम करना ही पड़ेगा। और नैना एक शर्त तुम्हारे लिए भी है।

नैना प्रश्नसूचक दृष्टि से भाभी की ओर देखने लगी।

भाभी ने कहा- तुम्हारी शादी के बाद भी विपुल मेरी प्यास बुझाता रहेगा और तुम कोई ऐतराज नहीं करोगी, कभी भी।

उस वक्त की तो ऐसी स्थिति थी कि भाभी यदि जान भी माँग लेती तो हम लोग ना नहीं कर पाते। हम दोनों के ही सर हाँ में हिल गए।

भाभी ने कहा- तो फिर हो जाए एक दौर?

और कहने के साथ ही भाभी ने अपना हाथ मेरे लिंग पर रख दिया, मैंने नैना की ओर देखा, उसने बड़े ही कातर भाव से मेरी ओर देखकर अपना सर हिला दिया, मैंने भी तब हथियार डाल दिए।

भाभी ने सीधा मेरे पाजामे को खींच कर नीचे कर दिया और मेरे नग्न लिंग को मुँह में लेकर चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद मेरा लिंग भी अपने पूरे आकार में आ गया।

भाभी ने कहा- अरे नैना, तुम क्यूँ खड़ी हो, आओ और तुम भी मजे लो। अब तो हम दोनों बहनों को साथ में ही मस्ती करनी है।

अब नैना भी खुल गई और आकर मेरा चुम्बन करने लगी।

अब मैं भी भय की सीमा-रेखा को पार करके उन्माद-क्षेत्र में प्रवेश करने लगा। मैं एक हाथ से नैना का और दूसरे हाथ से रैना भाभी के स्तनों को पकड़ कर मसलने लगा। दोनों के ही मुख से आह… उह्ह… निकलने लगा।

भाभी ने मेरे लिंग को चूस-चूस कर लाल कर दिया, फिर कब हम तीनों के कपड़े उतरते चले गए पता ही नहीं चला। अचानक भाभी ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया। मेरा लिंग छत की ओर तन कर खड़ा हो गया।

नैना ने मेरे लिंग को पकड़ना चाहा तो भाभी ने उसका हाथ झटक दिया और बोली- तुम्हारा मन नहीं भरा अभी तक? अब पहले मुझे करने दे तब इसे हाथ लगाना।

मैं तो भाभी के भूख को देखकर दंग रह गया।

भाभी मेरी जांघों पर बैठ गई और मेरे लिंग के सुपारे के ऊपर अपनी योनि को टिकाने लगी। सेट होते ही भाभी ने सीधा नीचे की ओर जोर लगाया। मेरा लिंग घपाक से भाभी की योनि में जड़ तक धँस गया। मैं अपूर्व आनन्द में गोते लगाने लगा।

अब नैना ने अपनी योनि को मेरे मुँह पर रख दिया और मैं योन्यामृतपान करने लगा।

भाभी अब अपनी कमर को काफी जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने लगी। किन्तु मुश्किल से दस-बारह धक्के के बाद ही वो झड़ गई। एक साथ मेरे मुँह में और लिंग पर रसों की बरसात हो गई।

अब भाभी थक भी गई। भाभी ने नैना को मेरे ऊपर से हटाया और खुद ही मुझे अपनी बाहों में लेकर पलट गई। अब भाभी नीचे और मैं ऊपर आ गए, मेरा लिंग अभी भी भाभी की योनि में ही फंसा हुआ था।

मैं नैना के निराश चेहरे को देखने लगा।

इतने में भाभी जोर से चिल्लाई- ओए मजनूँ, अपनी लैला को बाद में देखना। पहले अपनी ड्यूटी पूरी कर !

ऐसा कहकर भाभी ने नीचे से कमर उचकाई, अब मैं भी थोड़ा आक्रोश में आकर धक्के लगाने लगा। मेरी नीयत थी कि जल्दी से भाभी को थका दूँ और फिर नैना के संग मौज करूँ पर मैं भुलावे में था।

करीब दस मिनट की धक्कमपेल के बाद मेरी मंजिल करीब आने लगी, भाभी भी एक बार और झड़ने के करीब थी।

मैंने पूछा- भाभी कहाँ निकालूँ?

भाभी ने कहा- अंदर ही निकाल मेरे हीरो ! अगर मैं तेरे बच्चे पैदा करुँगी तो होंगे तो हमारे ही खानदान के ना ! खून तो उसकी रगों में तुम्हारे भैया के खानदान का होगा।

फिर हम दोनों साथ साथ ही फारिग हुए।

भाभी ने नैना से कहा- अब तू भी कर ले अपनी मनमानी !

मैं रोआंसी हो चुकी नैना के पास गया और उसे चूमने लगा। कुछ ही देर में नैना भी उत्तेजित हो गई और मेरा लिंग भी तैयार हो गया।

फिर हम दोनों एक दूसरे में समा गए। लेकिन मेरा तो एक बार निकल चुका था इसलिए नैना के साथ सम्भोग करते समय स्खलन होने में वक्त ज्यादा लग रहा था।

भाभी ने कहा- ओए मेरे देवर हीरो, मेरे साथ तो इतनी जल्दी डिस्चार्ज हो गया, और अपनी माशूका के साथ तो जैसे टेस्ट मैच खेल रहा है। चल जल्दी कर, फिर मेरे साथ अगली पारी भी खेलनी है।

ऐसा कहकर भाभी ने मेरे गुदाद्वार में अपनी अंगुली पेवस्त कर दी।

मैं मस्ती में आकर तुरंत स्खलित हो गया, अब मैं भी बिल्कुल थक गया था।

किन्तु नैना के ऊपर से हटते ही भाभी ने मेरे लिंग को चाटना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद मेरा लिंग तो खड़ा हो गया पर मुझे जरा भी हिम्मत नहीं हो रही थी। फिर भी भाभी का मन रखने के लिए मैंने भाभी की योनि को चाटने लगा पर भाभी ने मुझे ऊपर खींच लिया और मेरे लिंग को अपनी योनि पर सेट करने लगी।

मैं एक बार फिर मैदाने-जंग में डट गया। इस बार करीब बीस मिनट तक मैं धक्के लगाता रहा, तब जाकर मेरा वीर्यपात हुआ।

हालाँकि भाभी का इस बीच दो बार हो चुका था पर भाभी मैदान से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।

खैर जैसे ही मैं भाभी के ऊपर से उठना चाहा, भाभी ने मुझे अपनी बाहों में दबोच लिया और कहा- अभी कहाँ चले मेरे हीरो, अभी तो और भी मजे लूटना है मुझे।

मैं तो पस्त होकर लेट गया, बिल्कुल चित ! मेरे लिंग में जरा भी जान नहीं रह गई था पर चूंकि मेरा स्वास्थ्य ठीक-ठाक था तो स्खलन के बाद भी मेरा लिंग सिकुड़ता नहीं था। सिर्फ उसका कड़ापन कम हो जाता था।

भाभी एक दो बार मेरे लिंग को फिर से चूसकर मेरे लिंग पर बैठ गई। लिंग में इतना कड़ापन तो था ही कि वो योनि में प्रविष्ट हो सके।

भाभी लिंग को योनि में घुसा कर खुद ही सटासट कमर चलाने लगी। इस बार करीब पैंतीस मिनट तक भाभी ने धक्के लगाये तब जाकर मेरे लिंग में भी सुरसुराहट हुई। और मैं बिना धक्के लगाए ही स्खलित हो गया।

मैं पसीना-पसीना हो गया। मेरी हालत देखकर बुरा सा मुँह बनाते हुए भाभी अपने कमरे में चली गई।

मैं और नैना उस मर्द-खोर औरत को अचरज से देखते रहे। मेरी इतनी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि बाथरूम भी जाऊँ !

किसी तरह नैना मुझे बाथरूम ले गई और हम दोनों साफ़ हुए।

और आने वाले तूफ़ान को समझने की कोशिश करने लगे।

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