तू सेर, मैं सवा सेर-2

(Tu Seir Mai Sava Seir-2)

इमरान 2012-01-21 Comments

This story is part of a series:

शहनाज़- खुश हो तो दिखाओ अपना लंड! मैं अभी देखना चाहती हूँ इसी वक्त! और सुनो साली आधी नहीं पूरी घरवाली होती है। चोदना के माने है लौड़ा चूत में पेलना। अब पेलो अपना लंड मेरी चूत में, तब जाने दूँगी।

सलीम ने उस दिन शहनाज़ को मजे से चोदा।

उधर मुनव्वर यास्मीन के चक्कर में घूम रहा था।

एक दिन उसने कहा- यास्मीन, चलो तुमको फ़िल्म दिखा लायें!

यास्मीन तैयार हो गई। मुनव्वर उसे उस पिक्चर हाल में ले गया जहाँ बहुत कम लोग थे।

दोनों जाकर पीछे बैठ गए। अगल बगल कोई नहीं था। पूरे हाल में 15-20 लोग ही थे।

मुनव्वर ने धीरे से अपना हाथ यास्मीन की बाजू पर रखा, फ़िर लापरवाही दिखाते हुए नीचे सरका कर उसके घुटने पर टिका दिया।

यास्मीन कूछ नहीं बोली।

फ़िर हिम्मत करके मुनव्वर ने अपना हाथ यास्मीन की चूचियों की तरफ़ बढ़ाया।

वह कुछ नहीं बोली। मुनव्वर ने हाथ फेरना शुरू किया, यास्मीन ने ऐतराज़ नहीं किया।

मुनव्वर की हिम्मत बढ़ी, उसने चूचियाँ दबा दी, यास्मीन तब भी कुछ नहीं बोली।

मुनव्वर और आगे बढ़ने की सोचने लग गया, तब तक उसका लंड खड़ा हो चुका था, उसने यास्मीन का हाथ पकड़ कर पैंट के ऊपर से ही अपने लंड पर रखा और कान में कहा- इसे पकड़ो ज़रा प्लीज!

यास्मीन ने लंड छुआ और हाथ फ़ौरन हटा लिया।

मुनव्वर ने कहा- अरे, क्या हुआ? नाराज़ हो गई हो क्या?

वह बोली- नाराज़ नहीं, कितना बड़ा है तुम्हारा?

मुनव्वर का लंड यह सुनकर और टन्ना गया।

मुनव्वर ने पूछा- क्या बड़ा है हमारा?

उसने जबाब दिया- तुम्हारा लंड और क्या?

अब तो उसका लौड़ा काबू के बाहर हो गया, मुनव्वर ने मौका देखकर लंड पैंट के बाहर निकाल लिया और उसका हाथ पकड़ कर लंड पर रखा और कहा- लो पकड़ लो न यार! यहाँ कोई नहीं है।

यास्मीन ने लंड मुट्ठी में लिया बोली- अरे कितना गरम है, कितना मोटा है, कितना सख्त है।

यास्मीन धीरे धीरे लंड को मुठियाने लगी। उसने भी मुनव्वर का हाथ अपनी चूचियों पर दबा दिया। लंड के साथ उसे भी चूचियाँ मसलवाने का मज़ा मिल रहा था।

फ़िल्म देखने के बाद वो दोनों घर आ गए।

दूसरे दिन मौका देखकर मुनव्वर ने यास्मीन को चोद दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

चोदते हुए मुनव्वर ने कहा- यार यास्मीन, एक मेरा दोस्त है, क्या तुम उसका लंड पकड़ लोगी?

यास्मीन- क्यों नहीं?

मुनव्वर- तेरी दीदी तो बुरा नहीं मानेगी?

यास्मीन- दीदी भी तो शादी के पहले लंड पकड़ती थी, मैंने तो कई बार देखा। दो तीन बार तो मैंने उनके साथ ही लंड पकड़ा। मेरी और दीदी की उमर में केवल दो साल का ही तो फर्क है।

मुनव्वर- मेरा दोस्त तुम्हें चोदने के लिए बेक़रार है।

यास्मीन- ठीक है मैं चुदवा लूंगी, लेकिन लौड़ा मस्त होना चाहिए। अगर लंड मेरे मन मुताबिक हुआ, मुझे पसन्द आया तो यकीन मानिये, ऐसा चुदवाऊँगी कि वह ज़िन्दगी भर भूल नहीं पायेगा। उसकी बीवी भी ऐसा नहीं चुदवा सकती।

दो दिन के बाद मुनव्वर और सलीम दोनों मिले।

मुनव्वर ने कहा- यार, तुम्हें मुबारक हो! मेरी साली मान गई है, बस तारीख और जगह तय कर लो!

सलीम ने कहा- वाह! क्या इत्तिफाक है, मेरी भी साली तैयार है। अब तो मज़ा ही मज़ा।

सलीम का एक दोस्त था, उसका घर खाली था, उसकी चाभी सलीम के पास रहती थी, सलीम ने कहा- बस काम बन गया, अब मैं उसके घर जा रहा हूँ अपनी साली के साथ, तुम भी वहीं आ जाओ अपनी साली को लेकर!

थोड़ी देर में वे चारों मिले। यास्मीन और शहनाज़ दोनों बुर्के में थी।

सलीम ने अपनी साली शहनाज़ से सबको मिलवाया और मुनव्वर ने अपनी साली यास्मीन से सबको मिलवाया। दोनों लड़कियों ने अपने नकाब हट लिये तो अब उनकी सूरते नजर आने लगी।

सलीम ने कहा- यार थोड़ी हो जाए तो मज़ा और ज्यादा आएगा, क्या यास्मीन पी लेगी? शहनाज़ तो पीती है। मुझे मालूम है।इतने में यास्मीन ने कहा- मुझे कोई परहेज नहीं है, मैं भी मजे से पीती हूँ।

अब चारों के हाथ में दारू के गिलास, अय्याशी का कार्यक्रम चालू हो गया।

सलीम ने कहा देखो- शहनाज़, मेरा दोस्त मुनव्वर तुम्हें बहुत चाहता है।

शहनाज़ ने जबाब दिया- ठीक है, मैं मुनव्वर के साथ बैठ जाती हूँ।

मुनव्वर ने कहा- यार यास्मीन, मेरा दोस्त सलीम तुमको बहुत पसंद करता है।

यास्मीन उठी और सलीम के बगल में बैठती हुई बोली- अच्छा, तुम दोनों अपनी अपनी सालियाँ बदल कर मज़ा लूटना चाहते हो? ठीक है! लूटो, हम भी अपने अपने जीजा बदल कर मज़ा लेंगी।

सलीम बुर्के के ऊपर से ही यास्मीन की चूचियों पर हाथ फिराने लगा, उधर मुनव्वर ने कपड़ों के ऊपर से शहनाज़ की चूचियाँ पकड़ लीं।

सालियों ने देर नहीं लगाई, दोनों मर्दों को नंगा कर दिया और झट से उनके लंड पकड़ लिए।

दोनों ही लंड हाथ में आते गनगना उठे।

शहनाज़ बोली- वाह क्या मस्ती है यास्मीन, देख तेरे हाथ में मेरे जीजा का लंड, मेरे हाथ में तेरे जीजा का लंड!

यास्मीन ने जबाब दिया- दोनों लौड़े साले एक से एक बढ़कर हैं, आज तो मैं खूब मस्ती से चुदवाऊँगी।

इतना कह कर वह लंड चूसने लगी।

शहनाज़ ने भी लौड़ा मुँह में लिया।

सलीम और मुनव्वर दोनों पागल हो गये, उन्होंने लड़कियों के बुरके हटाने चाहे तो दोनों ने खुद खड़ी होकर अपने बुर्के उतार दिए।

नीचे कुछ था ही नहीं सिवाय ब्रा और पैंटियों के!

दोनों दोस्तों के मुंह से निकला- ओ तेरी बहन की चूत मारूँ! मादरचोद कुछ पहन के ही नहीं आई!

मुनव्वर और सलीम ने उनकी ब्रा पर हाथ डाल कर खींचा तो दोनों की चूचियाँ नंगी होकर बाहर आ गई और दोनों की ब्राओं को फेंक दिया गया।

फ़िर शहनाज़ ने मुनव्वर का लौड़ा पकड़ कर अपनी चूत में घुसेड़ कर कहा- ले भोंसड़ी के! चोद ले मेरी चूत, कस कस कर चोद, पूरा लौड़ा पेल दे!

उधर यास्मीन ने सलीम का लंड बुर में पेलवाया और कहा- ले इसी बुर के लिए तरस रहा था तू मादरचोद, ले बहनचोद! चोद ले मुझे, घुसेड़ दे अपना घोड़े जैसा लंड!

इन दोनों सालियों ने अपने जीजा बदल कर खूब जम कर चुदवाया।

शहनाज़ बोली- देख मुनव्वर, तेरी माँ की चूत, साले मुझे चारों तरफ़ से चोद ले और आखिर में मैं मुठ्ठ मार कर लंड झड़वाऊँगी।

उधर यास्मीन ने भी यही कहा।

सलीम और मुनव्वर ने उस दिन इन दोनों सालियों को कई बार चोदा। कई बार लंड चुसवाये।

सलीम ने कहा- यार ऐसा मज़ा चुदाई का आज मिला है जो पहले कभी नहीं मिला।

सलीम- हाँ! जानते हो क्यों? यह सालियों को अदल बदल कर चुदाई का करिश्मा है।

दोनों सालियाँ बोली- अपनी बीवी के दलालो! हमने अपने जीजे बदल कर मजा लिया है बहन के लौड़ो!

मुनव्वर- यार अब हम दोनों अपनी अपनी बीवियाँ अदल बदल कर चोदेंगें। मेरी बीवी तो बिल्कुल तैयार है।

सलीम- हाँ मैं तैयार हूँ और मेरी बीवी भी तैयार है। चलो आने वाले शनिवार की रात को हो जाए, मैं तेरी चोदूं, तू मेरी चोदे!

दोनों सालियाँ बोली- हराम के जनों! हमारी चूतें कौन मारेगा तब? तुम्हारे अब्बा?

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