भाभी को प्यार से चोदा-2

(Bhabhi Ko Pyar Se Choda- Part 2)

यश हॉटशॉट 2019-12-23 Comments

अब तक की सेक्स कहानी
भाभी को प्यार से चोदा-1
में आपने पढ़ा कि एक नवविवाहित भाभी मुझे एक पार्टी में मिली. उनसे दोस्ती होने के बाद हम दोनों ने काफी समय तक चैट की और आखिर में मैं अपने मकसद में कामयाब होकर उनको अपने एक दोस्त के कमरे पर चोदने के लिए ले ही आया.

कमरे में आते ही मैंने भाभी के मम्मों पर अपने हाथ जमा दिए. भाभी ने कसमसाते हुए मुझसे कहा कि इतनी जल्दी भी क्या है. सब धीरे धीरे करेंगे.

अब आगे:

मैं स्नेहा भाभी को चूमने लगा. भाभी ने भी मुझे नहीं रोका और वो भी मेरे हाथों के स्पर्श का मजा लेने लगीं. भाभी से बात करते हुए मैं एक हाथ उनके चूतड़ों पर फेरते हुए भाभी की गांड को सहलाने लगा. पर स्नेहा का मुँह अभी भी दरवाजे की तरफ ओर था और उनकी पीठ मेरी तरफ थी.

मैंने दूसरे हाथ से भाभी के कुरते को कंधे से नीचे की तरफ सरका दिया, जिससे स्नेहा भाभी की गोरी पीठ दिखने लगी. उसी के साथ में मैं अपने लंड को भाभी की गांड से बाहर से ही रगड़ रहा था.

स्नेहा भाभी भी मस्त होना चालू हो गई थीं. मैं उनको चूमता ही जा रहा था. कभी मैं उनकी पीठ को चूमता, तो कभी उनकी गर्दन को.
भाभी सेक्स से भरी आहें भरते हुए बोलीं- गर्दन पर आराम से करो … निशान पड़ जाएगा.

पर मैं कहां सुनने वाला था. मुझे तो ऐसा लग रहा था … जैसे आज मुझे पहली बार कोई भाभी चोदने के लिए मिली हो. मैं बस भाभी से लगा हुआ था.

फिर मैंने स्नेहा भाभी को हल्का सा आगे की तरफ झुका दिया, जिससे उनकी गांड पीछे से ऊपर हो गई और मैंने पीछे से उनका सूट उठा दिया. भाभी की पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूसने ओर चाटने लगा.

ये सब करना स्नेहा भाभी को भी और मस्त कर रहा था. इधर मैं भी भाभी की चूत को पहली बार देखने के लिए बेताब था. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भाभी की सलवार नीचे को सरका दिया. भाभी ने अन्दर नीले रंग की ही पैंटी पहनी हुई थी.

पहले तो मैंने भाभी की पैंटी में ही हाथ डाल कर उनकी चूत के दाने को मसला. दाने पर मेरी उंगलियों की हरकत महसूस करते ही स्नेहा भाभी ने मस्ती भरी आवाजें निकालना शुरू कर दी थीं. भाभी खड़ी थीं, तो मैं उनके लम्बे कुरते के अन्दर हाथ डाल कर चुत का मजा ले रहा था.

भाभी की गर्म सिसकारियों की आवाज से मुझसे रहा नहीं गया. मैंने भी देर न करते हुए उनकी पैंटी को बाहर निकाल दिया. आह भाभी की चूत एकदम साफ और गुलाबी रंगत लिए हुए थी. भाभी की चुत देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे अभी तक भाभी की चुत ने लंड का स्वाद ही नहीं चखा हो.

मैं देर न करते हुए जल्दी से नीचे हो गया और भाभी की चूत पर अपना मुँह रख कर जोर जोर से चुत चूसने और चाटने लगा. इससे स्नेहा भाभी की आवाज और भी ज्यादा तेज निकलने लगी थी. वो अब थोड़ी जोर से सिसकारियां भर रही थीं.

चूंकि भाभी की चुत भी गर्म हो चली थी, इसलिए मुझे उनकी चुत के टपकते पानी का स्वाद मिलने लगा था. भाभी की चूत से नमकीन पानी निकल रहा था. मैं बस आंखें बंद किए भाभी की चुत चाटने में लगा रहा.

कुछ देर ऐसे ही मैं कभी भाभी की चूत के दाने को चूसता, तो कभी चूत के अन्दर जीभ डाल कर चूसता. भाभी भी मस्ती भरी आहें भर रही थीं. उनकी सांसें अब कुछ ज्यादा ही भारी होने लगी थीं.

फिर मैंने उनको पकड़ कर घुमा दिया. भाभी का मुखड़ा अब मेरे मुँह के सामने था. हम दोनों एक दूसरे की आंखों में वासना से देख रहे थे.

भाभी से भी रहा नहीं गया. उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों के हवाले कर दिया. मैं उनके होंठों का रसीला रसपान करने लगा. मुझे बहुत ही मजा आ रहा था. मैंने भाभी के होंठों को कभी काट लेता, तो कभी जोर जोर से चूसने लगता.

स्नेहा भाभी भी मेरा पूरा साथ दिए जा रही थीं. कम से कम वो लिपकिस हमने 5 से 7 मिनट तक किया होगा. जब मुझसे रहा नहीं जाता, तो मैं भाभी के होंठों को काट लेता.

कुछ ही देर में भाभी भी पूरी गर्म हो गई थीं और खुल कर मेरा साथ दे रही थीं. मैंने एक हाथ को स्नेहा भाभी के चूचों पर रखा और दूसरे हाथ से उनकी कमर को प्यार से सहलाने लगा. मैं भाभी के कुरते के अन्दर से ही हाथ डाला और उनके पेट को सहलाने लगा.

मैंने जैसे ही स्नेहा भाभी के कुरते को निकाला, तो देखा कि स्नेहा ने नीले रंग की ही ब्रा पहन रखी थी.

स्नेहा भाभी ने भी थोड़ी मस्त हो कर मेरी शर्ट भी उतार दी और जीन्स को भी निकाल दिया. अब बस मैं अंडरवियर में रहा गया था. स्नेहा भाभी नीचे बैठ कर मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थीं. मैं भी स्नेहा भाभी के चूचों से मजे लिए जा रहा था.

फिर मैंने स्नेहा भाभी को गोद में उठाया और बेड पर लेटा दिया. मैंने भाभी की ब्रा खोल दी और उनके चूचों को सहलाने लगा. मैं भाभी के एक दूध को होंठों से दबा कर चूसने लगा. दूध चुसवाते ही भाभी की कामुक सिसकारियाँ शुरू हो गईं. मैं थोड़ी जोर तक भाभी के एक चुचे को दबाता रहा … और दूसरे आम को मुँह में लेकर चूसता रहा.

इस दौरान स्नेहा भाभी की मदमस्त आवाजें मेरे कान में गूंजती रही थी- आऊऊ … ओह्ह्ह … उम्मम्म … यस यश बेबी … आह ऐसे ही चूसो … आआहह.
फिर मैं स्नेहा भाभी की कमर में किस करने लगा और हाथ को प्यार से उनकी कमर पर सहलाने लगा, जिससे स्नेहा भाभी को और भी मजा आने लगा था.

इसके बाद मैं थोड़ा नीचे को सरका और भाभी की नाभि पर किस करने लगा. भाभी मस्ती से आवाजें निकल रही थीं वो भी मेरे ऊपर ही झुक गई थीं.

तभी स्नेहा भाभी ने हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को पकड़ा और मुझे लेटने पर मजबूर कर दिया. भाभी लंड जोर जोर से चूसने लगीं.

तब हम दोनों ने 69 का पोज़ किया. स्नेहा भाभी मेरे ऊपर लेट गईं … और वो मेरे लंड को चूस रही थीं. मैं भाभी की चूत को चाट रहा था, चूस रहा था. इस पोज़ में दोनों को बहुत मजा आया. हम दोनों ही एक दूसरे को प्यार कर रहे थे.

जब मैं स्नेहा भाभी की चूत चाट रहा था, तो उनकी मादक आवाजें उनके मुँह में ही रह जाती थीं … क्योंकि मैं भाभी की चूत को बड़ी तन्मयता से चाट रहा था. वो भी मेरे लंड को चूसे जा रही थीं. मेरा पूरा लंड भाभी के मुँह में ही था, तो आवाज उनके मुँह में ही दब कर रह जाती थीं.

इसी बीच मैंने स्नेहा भाभी की चूत में एक उंगली कर दी और अन्दर बाहर करने लगा. उधर स्नेहा भाभी ने मुँह में से लंड निकाल लिया था, तो अब उनकी मीठी सिसकारियां सुनाई देने लगी थीं. मैं भाभी की कराहें सुनता, तो और जोर-जोर से उंगली को चूत के अन्दर बाहर करने लगता. जिससे स्नेहा भाभी को और भी ज्यादा मजा आ रहा था.

भाभी की चूत काफी गीली भी हो गई थी और मेरा लंड भी तैयार हो चुका था. पर मैंने सोचा क्यों न भाभी को थोड़ा और तड़पाया जाए. जबकि स्नेहा भाभी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी.

मैं जैसे ही फिर से भाभी की चूत को सहलाने लगा, तो स्नेहा भाभी की चुदासी सिसकारियां और तेजी से निकलने लगी ‘आआहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब मत सताओ.’

मगर मैंने भाभी की बात को अनसुना कर दिया और उनकी चूत के दाने को मींजने लगा. इससे भाभी को और मजा आने लगा था और भाभी ने अपनी दोनों टांगें पूरी तरह से फैला कर मेरे मुँह पर लगा दी थीं. भाभी के मुँह से लगातार ‘आआह … उम्…’ की आवाजें निकल रही थीं.

इतना सब करने से मेरी भी हालत खराब हो रही थी. मेरा लंड भी कब से स्नेहा भाभी की चूत में जाने को बेकरार हो रहा था.

फिर मैंने स्नेहा भाभी की चूत में 2 उंगलियां डालीं.
भाभी- आआह्हह … मत सताओ राजा.
मैं अब भी जंगलियों की तरह भाभी की चूत में उंगली अन्दर बाहर कर रहा था.

कुछ पल बाद मैंने स्नेहा भाभी को पीठ के बल लेटा दिया और उनकी दोनों टांगों के बीच में आ गया. भाभी और मैं बहुत गर्म हो गए थे. मैं अपना लंड भाभी की चूत पर रगड़ने लगा. लंड के गर्म सुपारे के अहसास से भाभी को बहुत मजा आ रहा था.

वो लंड के टच से और भी पागल सी हो रही थीं और बार बार बोले जा रही थीं- आह मत सताओ … प्लीज़ अब डाल भी दो अपना लंड.
मैंने भाभी की चूत पर लंड को रखा और हल्के से धक्का दे दिया. स्नेहा ‘आआह्ह …’ की आवाज ने मेरे जोश को बल दे दिया.

मुझे लंड पेलते हुए ही समझ आ गया था कि स्नेहा भाभी की चूत अब भी बहुत टाइट है.
मैंने पूछा- जान, कितने दिनों से चुदाई नहीं हुई तुम्हारी?
स्नेहा भाभी बोलीं- क्यों क्या हुआ है … एक हफ्ता तो हुआ है.
मैं समझ गया कि भाभी की चुत तभी टाइट है. मैंने कहा- कोई गल नहीं जान … मैं तुम्हारी चूत को अभी ढीली और खुली कर दूंगा.

मैंने भाभी की चूत पर थूक लगाया और फिर से चूत में अपना लंड रखकर धक्का दे दिया.
भाभी ‘आआह्ह … ऊऊह..’ करते हुए गांड हिलाने लगीं.

सच में अभी भी भाभी की चूत टाइट थी. मैंने स्नेहा भाभी को जोर से पकड़ा और फिर से धक्का दे दिया. इस बार मेरा आधा लंड भाभी की चूत में चला गया.

स्नेहा भाभी हिलने लगी थीं. वो दर्द से हिल रही थीं. मैंने जल्द ही थोड़ी जोर से धक्का दिया जिससे स्नेहा भाभी की चीख निकल गई- आआहह … मर गई … बहुत मोटा है.
भाभी को मेरे मोटे लंड से दर्द हो रहा था इसलिए वो कसमसा रही थीं.

मैंने उन्हें जोर से पकड़े रखा और उनके चूचों को दबाने लगा. मैं एक हाथ से भाभी की पीठ सहलाने लगा. कुछ ही देर में स्नेहा भाभी अब अपनी गांड को पीछे करने लगीं. मैं समझ गया कि अब ये ठीक हो गई हैं. अब मैंने भी धीरे धीरे से धक्का देना शुरू कर दिया.

कुछ ही देर ऐसे ही करते हुए मैंने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर दी. इससे स्नेहा भाभी की सिसकारियां निकलने लगीं- ओओह … ह्ह्ह्ह्हा …

क्या बताऊँ दोस्तो, मैं इस बार इतनी सेक्सी भाभी की चुदाई कर रहा था कि लंड को तृप्ति मिल गई थी.

कुछ ही धक्कों के बाद स्नेहा भाभी भी जोर जोर से अपनी गांड को पीछे करने लगी थीं.

अब मैंने उनके दोनों हाथों को पकड़ा और अपनी स्पीड बढ़ा दी. भाभी की चूत पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी. इससे मुझे भाभी की चुदाई करने में और भी ज्यादा मजा आ रहा था. मैं और जोर जोर से स्नेहा की चुदाई करने लगा.

पूरे रूम में बस भाभी की सेक्सी सिसकारियां ही गूंज रही थीं- आह … ऊऊओहह … यश … ऊऊह्ह … जान … और जोर से … ऊऊह्ह् चोदो मुझे … ऊऊओह … मजा आ गया.
मैं भी रुका नहीं … और जल्दी ही जोर जोर से भाभी की चूत की चुदाई करने लगा. भाभी तो जैसे पागल ही रही थीं और जोर जोर से सिसकारियां ले रही थीं.

करीब 5 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद मैं पीठ के बल लेट गया और भाभी मेरे लंड के ऊपर बैठने लगीं. उन्होंने अपनी दोनों टांगों को फैला लिया और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में फंसा लिया. लंड लेने के बाद भाभी ऊपर नीचे होने लगीं.

इस पोज में मुझे भी थोड़ा आराम मिल रहा था और भाभी भी कुछ ही देर में जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगीं. स्नेहा भाभी पूरे जोश में चीखते चिल्लाते हुए लंड पर ऊपर नीचे हो रही थीं. जब भाभी उछलतीं, तो उनके चुचे जोर जोर से हिलते थे.

मैंने ये देख कर भाभी को अपनी तरफ झुका लिया और उनकी गांड को हाथ से ऊपर करके भाभी की चूत को चोदने लगा. इसी के साथ भाभी के मम्मे मेरे मुँह पर हमला करने लगे थे. मैं बार बार भाभी के चूचों के निप्पल दबा कर चूसता और हर बार भाभी का दूध मेरी पकड़ से छूट जाता.

भाभी- आउह्ह … यश … स्सस्स … पूरा लंड अन्दर तक जा रहा है.

इस बीच मैं भी उनकी चूची को जोर से दबा कर चूसने लगा था.

कुछ देर बाद मैं रुका और मैंने भाभी को घोड़ी बना कर पीछे से उनकी कमर पकड़ कर खड़ा हो गया. मुझे भाभी की गांड इतनी मस्त लग रही थी कि बस पूछो मत. मुझे भाभी की गोरी गोरी गांड को देख कर और भी जोश आ रहा था.

मैंने फिर से भाभी की चूत पर लंड रखा और एक जोर के धक्के में आधे से ज्यादा लंड चूत में पेल दिया. भाभी चीखीं पर अगले ही पल उन्होंने लंड लील लिया था. मैं भी लंड को अन्दर बाहर करने लगा और भाभी की चुदाई जोर जोर से करने लगा.

स्नेहा भाभी की आवाज पूरे रूम में गूंज रही थी- ऊऊहह … उम् … ऊओह्ह … आह चोदो और जोर जोर से!

कुछ ही देर ऐसे चुदाई करने के बाद मैंने भाभी को बेड पर वापस पेट के बल लेटा दिया और मैं भी पेट के बल ही भाभी के ऊपर चढ़ गया. मैंने भाभी की चूत में फिर से लंड को डाला और जोर जोर से चुदाई करने लगा.

स्नेहा भाभी और मेरी, हम दोनों की आवाजों से रूम में मदहोश कर देने वाली आवाजें गूंज रही थीं.

मैंने काफी देर तक भाभी की चुदाई करना जारी रखा.

कुछ देर में स्नेहा भाभी बोलीं- आह यश … मेरा होने वाला है.
मैंने कहा- हां जान … मेरा भी बस आने वाला है, किधर लोगी … अन्दर या बाहर?
स्नेहा भाभी बोलीं- तेरी मर्जी है.

मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और पूरी जोर से स्नेहा भाभी की चुदाई करने लगा.

इतने में स्नेहा भाभी ने ‘आआह्हह्ह … मैं गई..’ कहते हुए अपना पानी निकाल दिया. मैं अभी भी जोर जोर से स्नेहा की चुदाई कर रहा था. अगले कुछ ही पल में मेरा भी पानी निकल गया और मैंने सारा माल भाभी की गांड पर बाहर निकाल दिया.

मैं झड़ कर भाभी के साथ ही लेट गया.

उसके बाद पूरी रात में मैंने भाभी को 4 बार चुदाई का मजा दिया और सुबह 6 बजे ही उसके घर के पास उनको छोड़ कर आ गया.

दोस्तो, ये थी मेरी अनजान भाभी सेक्स स्टोरी … आप लोगों को कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताएं.

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