चचेरी भाभी का खूबसूरत भोसड़ा -3

(Chacheri Bhabhi Ka Khubsurat Bhosda- Part 3)

This story is part of a series:

दोस्तो.. अब तक आपने पढ़ा कि कैसे बड़े सब्र से काम लेते हुए मैं भाभी के भोसड़े तक पहुँचा।
चलो.. अब आगे बढ़ते हैं और जानिए कैसे मैं जन्नत में अन्दर दाखिल हुआ।

इतना कहते हैं कि उन्होंने चूत की दोनों फांके पकड़ कर अपनी चूत चौड़ी कर दी।
मैं तो उनकी गुलाबी गली देखता ही रह गया.. एकदम गुलाबी और छोटा सा छेद। मैं यह सोच रहा था कि एक शादीशुदा और दस साल की बेटी की माँ की चूत का छेद इतना छोटा कैसे हो सकता है।

मैं थोड़ा उनके नजदीक जाकर बिल्कुल उनकी चूत के पास बैठ गया।
जैसे ही मैंने उसे छूने के लिए हाथ बढाया.. उन्होंने मुझे अपनी शर्त याद दिलाई।
इस पर मैंने कहा- मैं उसे छूना नहीं चाहता.. मैं तो सिर्फ उसकी खुश्बू महसूस करना चाहता हूँ।
इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।

अब मैं जैसे ही अपनी नाक उनकी चूत के नजदीक ले गया और एक जोर की सांस ली.. आह.. एक अजीब सी खुश्बू मेरी नाक में भर गई।
उस खुश्बू में थोड़ी सी उनकी मूत की भी खुश्बू महसूस हुई क्यूँकि वो अभी-अभी ही मूत कर आई थीं.. पर क्या बताऊँ दोस्तो.. कितनी मादक और कमाल की महक थी।

मैं थोड़ी देर उसे सूँघता ही रहा.. फिर मैंने चालाकी करके अपनी नाक से उनकी चूत का दाना छू लिया और वहाँ रगड़ने लगा।
वो सिसिया कर बोलीं- देवर जी.. क्या कर रहे हो.. कभी चूत नहीं देखी क्या?
मैंने कहा- इतनी करीब से तो कभी नहीं और इसकी खुशबू इतनी मस्त है कि मुझसे रहा नहीं जाता।

इस पर उन्होंने अपने पैर थोड़े और फैला दिए.. ताकि उनकी चूत थोड़ी और चौड़ी हो जाए।
अब मैंने नाक से उनका दाना रगड़ना शुरू कर दिया और इस बीच कभी-कभी उनके छेद में भी नाक घुसा दिया करता था।

अब उन पर चुदाई का खुमार चढ़ने लगा था। जब भी मैं नाक से उनके दाने को रगड़ता.. उनकी एक हल्की सी ‘आह’ निकल जाती।

दोस्तो, अभी भी उन्होंने अपने हाथ से अपनी चूत चौड़ी की हुई थी। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद उन्होंने चूत से अपने हाथ हटा लिए और मेरे सर पर रख दिए।

उनके हाथ हटते ही मैं उनका मूड समझ गया और मैंने हाथों से उनकी दोनों टाँगें ऊपर उठा दीं और अपना मुँह उनकी चूत में घुसा दिया और मैं अपनी जीभ से उनकी चूत चाटने लगा।
वो अब मदहोश हो रही थीं और कुछ-कुछ बोल रही थीं.. और जोर से मादक ‘आहें’ भर रही थीं, बीच-बीच में वो बोलती थीं- देवर जी क्या कर रहे हो।
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और अपना काम चालू रखा।

दोस्तो, क्या बताऊँ.. चूत चाटने के बारे में.. क्या अद्भुत स्वाद.. क्या अद्भुत महक.. और क्या अद्भुत अहसास.. कोमल जाँघों के बीच में अपना सर घुसाने का.. आह.. अकथनीय अहसास है।

इस क्रिया की हर एक चीज अवर्णनीय होती है।
अब वो मेरा सर जोर से अपनी चूत पर दबा रही थीं। इस बीच मैं कभी उनकी चूत के अंदरूनी होंठ काट लेता.. तो कभी उनका दाना.. मींज देता.. आह्ह.. क्या मस्त चूत थी मेरी भाभी की..!

भाभी अब जोर-जोर से ‘आहें..’ भर रही थीं और गाण्ड उचका कर मेरा सर उनकी चूत पर दबाकर अपनी चूत चटवा रही थीं।
इस दौरान अब भाभी का भोसड़ा थोड़ा पानी छोड़ने लगा था.. मैं समझ गया कि आज मेरा नसीब खुलने वाला है और साथ में उनकी चूत का छेद भी।

अब मैंने अपने दोनों हाथ से उनकी जांघें पकड़ कर सोफे में आगे को खींच लिया ताकि मैं अच्छे से उनकी चूत चाट सकूँ।
क्या बताऊँ दोस्तो,.. उनकी चूत इतनी टेस्टी थी कि जी करता था कि कच्चा ही खा जाऊँ.. सो चाटने के बीच में मैंने अपने दांतों से धीरे से उनके दाने को काट लिया।
इस पर उनकी ‘आह’ निकल गई और मुझसे बोलीं- ओह.. धीरे देवर जी.. सच में खा जाओगे क्या?

थोड़ी देर में ऐसे ही चूत चाटता रहा.. अब उनकी चूत की खुश्बू और भी मादक हो गई थी.. क्योंकि अब उनकी चूत पानी छोड़ रही थी और वो अब आँखें बन्द करके इसका मजा ले रही थीं।
इस बीच मैंने अपना लण्ड पैन्ट से बाहर निकाल दिया था.. जो कि अब पूरी तरह टाईट हो गया था, शायद उतना जितना पहले कभी नहीं हुआ था।

अब मैंने अपने हाथों से उनकी चूत की दोनों फलक चौड़े किए और अन्दर तक जीभ घुसेड़ कर उनकी चूत चाटने लगा।
इस बीच मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी।
पहले तो वो थोड़ा कसमसाईं.. फिर अपनी टाँगें ऐसे चौड़ी कर लीं.. ताकि मुझे उसमें उंगली डालने में आसानी हो।

मैं एक तरफ उनकी चूत चाट रहा था और एक तरफ उंगली डाल कर उनका जी-स्पॉट भी टटोल रहा था, अब वो पूरी तरह मेरे काबू में आ चुकी थीं और लगातार अपना पानी छोड़ रही थीं।
जब वो चरमसीमा तक पहुँच जाती थीं.. तो गाण्ड ऊँची करके मेरा सर इतना दबा देतीं कि मुझे घुटन होने लगती थी। लेकिन दोस्तो, चूत के अन्दर घुटन का भी अपना एक अलग ही मजा है।

मेरा अन्तर्वासना के पाठकों से एक ही निवेदन है कि अब तक आपने चूत नहीं चाटी.. तो आपने कुछ नहीं किया.. आपका जीवन व्यर्थ है और मेरी प्यारी भाभी, आंटी और लड़कियों.. अगर अब तक आपने अपनी चूत नहीं चटवाई.. तो जरूर चटवाना।

यहाँ पर मैं एक बात कहना चाहूँगा दोस्तो.. कि मैं हमेशा से ही लड़कियों को सेक्स के बारे में किस्मत वाला समझता हूँ क्योंकि वो जितनी देर चाहें सेक्स कर सकती हैं, लड़कियाँ जितनी बार चाहें चर्म सीमा पर पहुँच कर परम आनन्द लेकर अपना पानी छोड़ सकती हैं।
हमें तो चोदते वक्त भी यह ख्याल रखना पड़ता है कि कहीं झड़ न जाएं.. वर्ना दोबारा लण्ड महाराज को तैयार होने में वक्त लग जाएगा और शायद चूत फिर चोदने दे या नहीं।

दोस्तो, बीवियाँ तो अक्सर रात को दोबारा चोदने ही नहीं देतीं.. लेकिन मेरी प्यारी भाभी की बात ही कुछ और है।

मैंने सोचा शायद मैं सीधा बोलूँगा तो वो मुझे चोदने नहीं देगीं.. इसलिए कोई आईडिया लगाना पड़ेगा तो मैंने थोड़ा और आगे बढ़ने का सोचा।

अब मैं अपने दोनों हाथों से उनके मम्मों को मसलने लगा।
क्या कमाल के मम्मे थे.. दोस्तों एकदम मुलायम और नर्म.. बर्फ के गोले.. जो एकदम सफ़ेद और उत्तेजित अवस्था में सख्त हो जाने वाले मस्त चूचे थे।
दोस्तो, चूत की तरह मम्मों का भी एक अलग ही मजा होता है।
कुल मिलाकर ऊपर वाले ने औरत चीज ही अद्भुत बनाई है। उनकी चूत.. उनके मम्मे.. उनकी मटकती गाण्ड.. उनके मांसल मदमाते चूतड़.. उनकी मखमली त्वचा.. हर एक चीज अवर्णनीय होती है।

थोड़ी देर बाद उन्होंने चुदास के चलते खुद ही अपनी कमीज़ ऊपर कर दी.. ताकि मैं अच्छे से उनके मम्मों को मसल सकूँ।
अब मैं भी थोड़ी हिम्मत करके उनकी ब्रा ऊपर करके उनकी निप्पल की ट्यूनिंग करने लगा.. जैसे हम रेडियो में स्टेशन मिलाने के लिए किया करते थे। मुझे यहाँ अपनी भाभी का स्टेशन सैट जो करना था।

इस बीच मैंने थोड़ा आगे बढ़ते हुए उनकी नाभि को चूमना शुरू कर दिया। मैं कभी उनकी नाभि में जीभ घुसाता.. तो कभी चूत में घुसेड़ देता।

दोस्तो, वो सच में अब अपने आपे से बाहर थीं और मेरे काबू में आ गई थीं, वो अपनी आँखें बन्द किए हुए मजा ले रही थीं।
मैंने चालाकी करते हुए अपने हाथ उनके पीछे ले जाकर उनकी ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की.. लेकिन मैं नाकामयाब रहा।

दोस्तो, मैं आज भी ब्रा के हुक नहीं खोल पाता हूँ.. पता नहीं ब्रा वाले भी क्यों ये हुक लगाते हैं।
कुछ देर मैंने ट्राई किया.. लेकिन सफलता नहीं मिली.. तो भाभी ने मेरे हाथ पकड़ लिए।

करीब आधे घंटे बाद हम दोनों की नजरें एक हुईं.. उनकी आँखों में एक अजब सी चमक थी और चेहरे पर कातिल मुस्कान छाई हुई थी।
मैंने कहा- भाभी प्लीज़..
और वो मान गईं.. उन्होंने खुद अपना कुर्ता उतार फेंका और अपनी ब्रा खोल दी।

क्या बताऊँ दोस्तो.. क्या मदमस्त नजारा था। एकदम दूध जैसे सफ़ेद और मखमली भरे हुए मम्मे.. और उन पर काले मस्त अंगूर घमण्ड से तने हुए थे.. और उन पर अंगूरों को एक चौड़ा सा उसी की रंगत का घेरा साधे हुए था।
मैं अब एक पल भी नहीं रुक सका और सीधे उनके दूधों को अपने मुँह में ले लिया। उनका एक निप्पल मेरे मुँह में था और एक हाथ में था।

दूध का भी अपना एक अलग ही मजा होता है। हालांकि चूत चाटने जितना मजा नहीं आता.. लेकिन फिर भी कोई कम मजा नहीं होता।
इस बीच वो मेरे सर को अपने मम्मों पर दबा रही थीं और इतने प्यार से मेरा सर सहला रही थीं कि मैं उनके इस प्यार से पागल हो रहा था।
काफी देर तक उनके मम्मों को मसलने और चूसने के बाद मैंने उनके मम्मों से अपना सर हटाया और उनकी तरफ कामुक निगाहों से देखा।
उन्होंने फिर से कातिल मुस्कराहट से मेरी तरफ देखा और मुझे अपनी तरफ खींच लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रखके चूसने लगीं। कभी उनकी जीभ मेरे मुँह में तो कभी मेरी उनके मुँह में होती थी।

सच में मैं जन्नत में था।

कहानी जारी है..
मेरा वादा रहा कि मैं आपको अगली बार में जन्नत के द्वार में अन्दर तक ले जाऊँगा।
दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी.. मुझे मेल ज़रूर कीजिएगा.. मुझे रिप्लाई जरूर कीजिए.. ताकि मेरा उत्साह बना रहे।
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