चुदने को बेकरार फुप्पो की लौंडिया-1

(Chudne Ko Bekarar Fuppo Ki Laundiya- Part 1)

नवीन सिंह 2016-09-14 Comments

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हिन्दी सेक्स स्टोरी साइट अन्तर्वासना पर मज़ेदार चुदाई की कहानियाँ पसन्द करने वाले मेरे प्यारे दोस्तो,
मेरा नाम नवीन है.. मेरी उम्र 23 साल है और अभी मैं जॉब कर रहा हूँ।

जो स्टोरी मैं आप लोगों को बताने जा रहा हूँ.. वो बिल्कुल सच है।

बात करीब 5 साल पहले की है, मेरी एक कज़िन है, मेरी बुआ की लड़की.. जिसका नाम सीमा है। उसकी उम्र तब लगभग 18 साल रही होगी जब हमारे बीच में रोमान्स शुरू हुआ था, उस समय मेरी उम्र भी 18 साल थी।

मैं कॉलेज की छुट्टियों को घर पर ही रह कर एंजाय कर रहा था।

एक दिन अचानक मेरी मम्मी मुझसे बोलीं- बेटा कुछ दिन के लिए अपनी को फुप्पो के घर चला जा.. वहाँ तेरा टाइम पास हो जाएगा।

इत्तफ़ाक से मेरी बुआ के लड़के रोहित भैया हमारे घर आ गए और मेरी मम्मी ने मुझे उनके साथ गाँव भेज दिया।
मैं इससे पहले भैया की शादी पर गया था.. जब मैं छोटा था। उस टाइम मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था।

अगले ही दिन सुबह भैया मुझे लेकर अपने घर चल दिए।
उनका गाँव दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर दूर है। हम लोग करीब एक बजे वहाँ पहुँच गए।

उस टाइम घर पर सब लोग थे। सब लोग आँगन में ही बैठे थे.. उन्हीं सबके साथ सीमा भी वहीं बैठी थी।
मैंने अपनी दूसरी भाभी से पूछा- यह कौन है?
तो उन्होंने कहा- अभी तुम्हें पता नहीं है ये तुम्हारी बुआ की दूसरी लड़की है और तुम्हारी बहन लगती है।

फिर यूं ही बातें चलती रहीं, कुछ थोड़ी देर में मेरे लिए ख़ाना आ गया। मुझे भी काफ़ी भूख लगी थी, सफ़र में कुछ नहीं खाया नहीं था।

सीमा मेरे पास आ गई और बातें करने लगी। उस टाइम तक हमारे बीच में ऐसा कुछ ग़लत भी नहीं था। मैं उसे बस अपनी फुफेरी बहन की नज़र से ही देखा करता था।

पूरा दिन इसी तरह गुजर गया, धीरे-धीरे रात के 8 बज गए।

उस टाइम गर्मियों के दिन थे तो बुआ और फूफा तो नीचे सोया करते थे और बाकी सब लोग छत पर सोते थे।

नीचे से खाना ख़ाकर जब हम सब लोग सोने के लिए ऊपर आए तो मैंने सीमा से पूछा- मेरा बिस्तर कौन सा है?
उसने कहा- मैंने दो पलंग एक जगह करके डबल वाली मच्छरदानी लगाई है। तुम एक पलंग पर सो जाना और दूसरे पर मैं और भाभी सो जाएंगी।

मैं जाकर एक पलंग पर लेट गया।

दूसरे पलंग पर सीमा और मेरी भाभी लेट गईं। लेकिन मैंने देखा कि सीमा मेरी साइड और मेरी भाभी दूसरी साइड लेटी हुई हैं। अब भी मैंने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। हम सब बात करते-करते सो गए।

रात में किसी टाइम मेरी आँख खुली.. तो मैंने देखा कि सीमा और मेरा मुँह एकदम पास-पास हैं और उसकी साँस लेने की आवाज़ भी मुझे सुनाई दे रही थी।

उस वक्त मुझे थोड़ा अलग सा फील हुआ और मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया। लेकिन मुझे नहीं पता कि उसे महसूस हुआ या वो गहरी नींद में सो रही थी।
कुछ देर बाद मैं भी ऐसे ही सो गया।

जब सुबह उठा तो तब भी हमारे बीच में एक-दूसरे के लिए कोई अलग से फीलिंग नहीं थी।
मैंने गाँव में खूब मस्ती की और शाम को सब छत पर चले गए और ऐसे ही बात करने लगे।

करीब 8 बजे मेरी छोटी भाभी ने कहा- चलो सब अपने अपने बिस्तर लगा लो और सोने की तैयारी करो।

यह सुनकर सीमा ने दोनों पलंग मिलाने शुरू किए.. तभी छोटी भाभी बोलीं- सीमा दीदी तुम दूसरे पलंग पर सो जाओ और नवीन अलग अपनी मच्छरदानी लगाकर सो जाएगा।

यह बात सुनकर सीमा धीरे-धीरे पता नहीं क्या बड़बड़ाने लगी, उसने मेरा पलंग अलग कर दिया और अपना अलग करके छोटी भाभी को लेकर सोने चली गई।

हम थोड़ी देर बाद सब सो गए।

करीब रात में एक बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि सीमा मेरी मच्छरदानी ठीक कर रही है और कह रही थी- ठीक से सो जा.. तूने सोते हुए अभी ये अपनी टाँग से खोल दी थी.. इससे मच्छर घुस जाएंगे।

वो यह कह कर और मच्छरदानी ठीक करके अपने पलंग पर जाकर लेट गई।
उस समय सब सो रहे थे।
मुझे पता नहीं क्या हुआ और मैं अपनी मच्छरदानी के अन्दर ही उठकर बैठ गया।

सीमा बोली- क्या हुआ.. नींद नहीं आ रही क्या?
मैंने गर्दन हिलाते हुआ कहा- हाँ यार, नींद नहीं आ रही है।

यह सुनकर सीमा मेरे पलंग पर आकर लेट गई।

पता नहीं उस समय मुझे क्या हुआ.. मैं उसे अपनी बांहों में लेकर किस करने लगा।
पहले तो वो अचकचाई और फिर वो भी साथ देने लगी।

किस करते-करते मैं अपना हाथ उसके मम्मों पर ले गया.. लेकिन उसने हटा दिया।
मैंने फिर से हाथ मम्मों पर रखा.. उसने फिर हटा दिया।

इसी तरह मैं उसे कुछ मिनट तक किस करता रहा और फिर उससे वापिस उसके पलंग पर जाने के लिए कहा, तो वो चली गई और मैं सो गया।

सुबह जब मैं उठा.. तब हम दोनों बिल्कुल नॉर्मल थे। वो मुझसे बिल्कुल नॉर्मल तरीके से बर्ताव कर रही थी.. जैसे पहले करती थी।

फिर सारा दिन मैं इधर-उधर गाँव में घूमा और शाम को खाना ख़ाकर हम सब फिर छत पर सोने चले गए।

वहाँ जाकर मैंने देखा कि सीमा ने पहले से हमारे पलंग मिलाकर मच्छरदानी लगा रखी थी। उस दिन पता नहीं क्यों मेरी छोटी भाभी ने पलंग अलग-अलग करने को नहीं कहा।

हम सब बातें करते हुए सोने की तैयारी करने लगे.. रात में 11 बजे तक हम सब बातें करते रहे। मैंने चादर के अन्दर सीमा का हाथ अपने हाथ में ले रखा था।

जब सब सो गए.. तो मैंने सीमा को किस करना शुरू कर दिया।
लेकिन मेरा पलंग सीमा के पलंग से थोड़ा नीचा था.. तो मुझे उससे बहुत प्राब्लम हो रही थी।

लेकिन दोस्तो, पहली बार ये मौका आया था.. तो मैंने सारी समस्या को बर्दाश्त किया और उसके साथ मज़े करता रहा।

किस करते-करते मैं अपना एक हाथ उसके मम्मों पर ले गया.. तो आज उसने मना नहीं किया।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी ब्रा के अन्दर हाथ डालकर मम्मों को मस्ती से दबाने लगा और उसे किस करता रहा।

फिर थोड़ी देर बाद मैं अपना हाथ निकाल कर उसकी सलवार तक ले गया.. तब भी उसने कुछ नहीं कहा।
मुझे लगा कि ये तो सिग्नल ग्रीन है।
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसने अपने टाँगें थोड़ी फैला लीं।

फिर मैं धीरे-धीरे उसकी चूत तक अपना हाथ ले गया और धीरे से एक उंगली उसकी चूत में डालकर अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने दो उंगली अन्दर डाल दीं और अन्दर-बाहर करता रहा।

अब मैंने उससे धीरे से कहा- सीमा थोड़ी घूम जा और अपनी गाण्ड मेरी साइड कर ले और टाँगें भी थोड़ी मोड़ ले ताकि मुझे उंगली डालने में और आसानी हो जाए।

मेरे कहने पर उसने वैसा ही किया और फिर मैंने अपनी तीन उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं.. और खूब आगे-पीछे करता रहा।

ये करते-करते मुझे ध्यान आया कि गाण्ड के भी कुछ मज़े लिए जाएं.. तो मैंने अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डाली.. लेकिन उंगली बहुत टाइट जा रही थी.. और शायद उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन उसने मुझे मना नहीं किया और साथ देने लगी।

दोस्तो, सच बताऊँ तो लड़की की गाण्ड बहुत टाइट होती है। उसमें मेरी एक उंगली ही सही से नहीं जा रही थी.. तो लौड़े की तो बात ही अलग थी।

थोड़ी देर गाण्ड में उंगली डालने के बाद में फिर से उसकी चूत के मज़े लेने लगा। इसी तरह उंगली करते-करते काफी देर हो गई और मैंने फिर उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.. जिसे वो हाथ में लेकर हिलाने लगी।

देर तक यूं ही मज़े करने बाद मैंने सोचा क्यों ना इसकी चूत में लंड भी डाला जाए.. लेकिन यार पलंग की हाइट अलग-अलग होने से बहुत दिक्कत हो रही थी। फिर भी मैंने ट्राई किया.. तो आधे से ज़्यादा लंड अन्दर नहीं डाल पाया।

जैसे ही मैं लवड़ा अन्दर डालकर रुका तो मुझे महसूस हुआ कि मेरा झड़ने वाला है।
तभी मैंने अपना लंड बाहर निकाला और फिर से उससे हाथ से मुठ मारने को कहा।

उस वक्त मेरे पास उस समय कंडोम भी नहीं था तो दिक्कत हो सकती थी।

फिर मैं उसकी चूत में उंगली डालता रहा और वो मेरी मुठ मारती रही। ऐसे ही करते-करते मेरा स्पर्म निकलने लगा, मैंने सारा स्पर्म उसकी चादर पर ही गिरा दिया और फिर उसकी सलवार के अन्दर उसकी चूत पर हाथ रख कर सो गया।

फिर सुबह जब उठा तो देखा कि सीमा की नज़रें मुझे देखते हुए अलग-अलग सी हो रही थीं।

हम सब दोपहर को कमरे में सोने चले गए और वहाँ उस कमरे में सिर्फ़ मैं और सीमा ही थे लेकिन हम अलग-अलग पलंग पर लेटे थे।

थोड़ी देर बाद सीमा ने मुझसे मेरे पलंग पर आने के लिए कहा.. तो मैंने उसको बुला तो लिया लेकिन बहुत डर लग रहा था कि कहीं कोई आ ना जाए।

फिर थोड़ी देर बाद मैंने वापिस उसे उसके पलंग पर भेज दिया और रात होने का इंतज़ार करने लगा।

रात को फिर वही नजारा था, मैं, सीमा और मेरी भाभी एक ही डबल मच्छरदानी में सोने चले गए।
सीमा मेरी साइड लेट गई और दूसरी साइड मेरी भाभी को लेटा दिया।

फिर से हमारा खेल शुरू हो गया, मैं धीमे धीमे सीमा को किस करने लगा और थोड़ी देर उसके मम्मों को दबाने के बाद उसकी चूत में उंगली डालकर मज़े लेने लगा।
वो भी मेरे लंड के साथ खेलने लगी।

उसके हाथ खेत में काम करके बहुत बेकार हो गए थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि वो मेरे लंड को छील रही हो।

उस दिन भी मैं उसकी चूत नहीं मार पाया क्योंकि फुप्पो के गाँव में मुझे ज़्यादा कुछ पता नहीं था तो मैं कहीं से कंडोम ही नहीं ला पाया और भाभी भी साथ में सो रही थी।

थोड़ी देर यूं ही लंड की नोक उसकी चूत में लगाई और हटा लिया और उससे मुठ मारने को कहा।
वो मेरी मुठ मारने लगी.. मैं उसकी चूत में उंगली पेलने लगा।

ऐसे ही करते-करते कुछ मिनट के बाद मेरा माल निकल गया और मैंने उसकी चादर से साफ़ कर दिया। फिर उसे एक लंबा सा किस करके सो गया।

सुबह अगले दिन मैं वापिस दिल्ली आ गया और मैंने नौकरी तलाश करनी शुरू कर दी।

दोस्तो, फुप्पो की लौंडिया मुझसे चुदने को कितनी बेकरार थी इसका मजा अगले पार्ट में लेते हैं।

आप अपने ईमेल मुझे जरूर भेजिएगा।
[email protected]

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