भाई बहन का प्यार-2

(Bhai Behan Ka Pyar- Part 2)

ज़ील राज 2006-05-22 Comments

भाई बहन का प्यार-1

हेलो दोस्तो, कैसे हो आप!
आपने मेरी कहानी का पहला भाग अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ा! आशा है मेरी कहानी आपको पसंद आई होगी. अब आगे!

अगले दिन मैं फोन का इन्तज़ाऱ करने लगा. उसने फोन नहीं किया. करीब़ दो बजे तक इंतज़ार करने के बाद मैंने उसके सेल पर फोन किया पर उसने मेरा फोन नहीं उठाया और रिजेक्ट कर दिया. करीब़ 5-6 बार कोशिश की लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और फोन को स्विच-ऑफ़ कर दिया.

मैंने कपड़े बदले और उसके घर चला गया. घण्टी बजाई तो उसने दरवाज़ा खोला और बोली- तुम इस समय यहा क्यों आए हो?
मैंने जवाब दिया- तुम अपना फोन क्यों नहीं उठा रही हो? ओफ करके रखे हो! इसलिए मैं सीधा यहाँ आया हूँ!
और मैंने अंदर आकर दरवाज़ा बंद किया और पूछा- मम्मी है?
तो बोली- वो अभी बाहर गई हैं!
मैंने पूछा- कब आएँगी?
तो बोली- आने में देऱी होगी!
फिर मैंने कहा- भाभी तो वो मायके गई हुई है!
मैंने चैन की सांस लेते हुए कहा- भगवान का लाख-लाख शुकर है.

मैंने उसको अपने बाहों में लिया और उस किस किया तो वो मुझसे छुड़ाते हुए बोली- भैया, मुझे छोड़ो! प्लीज़ भैया!
मैंने कहा- निर्मला, क्यों मुझे इतना परेशान करती हो?
तो बोली- भैया परेशान तो आप कर रहे हैं!

फिर मैं किस करने लगा और एक हाथ चूची के ऊपर रख कर दबाने लगा. वो छटपटाने लगी और बोली- भैया प्लीज़! आप हाथ वहाँ से हटाओ!
मैंने कहा- क्या?
तो वो मेरा हाथ जो चूची के ऊपर था, हटाते हुए बोली- भैया दर्द करता है! प्लीज़ आप हाथ मत रखो!
मैंने कहा- ओके! और मैं उसका नीचे का होंठ को चूसते हुए दोनों हाथ उसकी पीठ पर फिरा रहा था और धीरे धीरे कमीज़ की ज़िप नीचे करने लगा.

मैं अब एक हाथ पीछे अंदर डाल कर उसकी नंगी पीठ पर फिराने लगा. जैसे ही मैंने उसकी नँगी पीठ को छुआ तो मुझे और उसे यानि दोनों को ऐसा करेंट लगा कि मैं व्यक्त नहीं कर सकता और वो एक दम घबराकर मुझे बोली- भैया, आप क्या कर रहे हैं!

मैंने कोई जवाब नहीं दिया और पीठ पर हाथ फिराता रहा. फ़िर एक ही झटके में उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. अब मैं उसे चूम रहा था और दोनों हाथों को उसकी नंगी पीठ पर फिरा रहा था.

और फ़िर उसको एक ही झटके में बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले जाकर बेड पे लिटा दिया. मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे, सिर्फ चड्डी रह गई तो इतने में वो खड़ी हुई और बाहर जाने लगी. मैंने उसका हाथ झट से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा.

मैंने उससे कहा- कहाँ जा रही हो?
वो बोली- भैया, आप क्या कर रहे हैं!
मैंने कहा- डार्लिंग मैं तो कुछ भी नहीं कर रहा हूँ, मैं तो कल की तरह तेरी सुंदरता देखना चाहता हूँ! और तुझे प्यार करना चाहता हूँ!
तो बोली- भैया, प्लीज़, आप मुझे हाथ मत लगाओ!
मैंने उसके पास जाकर कहा- क्यों? तुझे अच्छा नहीं लगता?
वो बोली- नहीं भैया!
मैंने कहा- ठीक है! मैं तुझे हाथ नहीं लगाऊँगा, तुम प्लीज़ एक बार मुझे अपनी सुंदरता दिखा दो!
वो बोली- प्लीज़, नहीं भैया!
मैंने कहा- कल भी तो मैंने सब देखा था!
तो बोली- मैं एक शर्त पर ही दिखाऊँगी!
मैंने कहा- ओके!
वो बोली- तुम मुझे दूर से ही देखोगे और मुझे हाथ भी नहीं लगाओगे!
मैंने कहा- ठीक है! पर तुम भाग गई तो?
निर्मला बोली- मैं नहीं भागूंगी!
मैंने दरवाज़े के पास जाकर कहा- अब तो तुम खुश हो?
वो बोली- ठीक है!

और वो मुझे देखने लगी और अपने कपड़े खोलने लगी, पूरे कपड़े उतारे लेकिन पेंटी नहीं उतारी और मुझे कहा- भैया लो मैंने पूरे कपड़े उतार दिए, अब आप भी कपड़े पहन कर मुझे जाने दीजिए!

मैंने कहा- नहीं! तुमने पूरे कपड़े नहीं उतारे!
और मैं उसके पास गया, पेंटी पर हाथ लगाया और बोला- यह कौन उतारेगा?
तो बोली- भैया प्लीज़! आपने क़हा था कि मेरे पास नहीं आओगे!
तो मैंने क़हा- मैं तेरे पास अपनी मर्ज़ी से नहीं आया, तुमने पेंटी नहीं उतारी तो मैंने सोचा कि मैं ही उतार देता हूँ!
तो बोली- छोड़ो मुझे और जाने दो!
मैंने कहा- रानी, अभी तो शुरुआत है!

मैंने उसको बाहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया. और एक चूची मुँह लेकर चूसने लगा और एक हाथ से उसकी पेंटी उतारने लगा. पेंटी को घुटनों तक ले आया और हाथ को उसकी चूत पर रखकर बोला- कितनी प्यारी चूत है! ऐसी चूत तो मेरी पत्नी क़ी भी नहीं है.

अब मैं उसके मुँह को पकड़ कर चूमने लगा और उसका मुँह खोलकर जीभ अंदर डाल कर घुमाने लगा. एक हाथ उसकी चूत पर ही फिरा रहा था. अब चूत से भी पानी आने लगा था और मेरे हाथ गीले हो गए. मैंने गीला हाथ उसे दिखाते हुए कहा- निर्मला, देखा अब तेरी चूत भी साथ दे रही रही है!

निर्मला बोली- भैया मुझे जाने दो! मैं यह सब आपके साथ नहीं कर सकती!
मैंने उसको कहा- डार्लिंग, मैं नहीं करूंगा!

और एक हाथ से उसकी चूची पर रख कर मसलने लगा और उसकी चूत में उंगली को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. करीब पाँच से दस मिनट के बाद वो और गरम हो गई और सिसकारी लेते हुए बोली- भैया, प्लीज़ मुझे छोड़ दो!

मैंने कहा- अभी छोड़ देता हूँ!
और मैंने मुँह को उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत चाटने लगा, पेंटी को निकाल कर फेंक दिया.
जैसे ही मैंने उसकी चूत पर मुँह रखा तो उसको करेंट लगा और ज़ोऱ से चिल्लाई- हाय भैया! आप क्या कर रहे हो! प्लीज़ ऐसा मत करो! मुझे कुछ हो रहा है!
और वो सिसकारी लेने लगी उउउउ उउईईई ईईई मम्म्म्म्ममा भ्हहहया प्लीज़ मत क्रऊओ!

मैंने भी जीभ चूत में डालकर चूत को ज़ोऱ ज़ोऱ से चोदने लगा और दोनों हाथों से उसकी च़ूंची की घुंडी को अंगूठे और उंगली में लेकर ज़ोऱ ज़ोऱ से मसलने लगा.
निर्मला मेरे हाथों को पकड़ कर बोली- प्लीज़, ज़ोऱ से मत करो! ज़ोऱ से मत करो!
मैंने उसे पूछा- क्या नहीं करूँ ज़ोऱ से?
तो बोली- भैया, प्लीज़ आप मत करो!
मैंने उसे कहा- क्या नहीं करूँ?

और मैं फ़िर ज़ोऱ ज़ोऱ से करने लगा, वो तड़पने लगी और बोली- भैया प्लीज़!
वो ज़ोऱ से सिसकारी लेते हुए बोली- भैया, प्लीज़ जल्दी करो! नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी!

मैंने और स्पीड बढ़ा दी और जोर ज़ोऱ से करने लगा और वो लंबी सांस लेते हुए चिल्लाई- भय ईईईई ईमममम्म्म्मीईई ईईईईए और मेरे मुँह पर झड़ गई.

मैंने उसका पूरा चूत रस पिया और चाट कर साफ किया, थोड़ा सा रस मुँह में रख कर उसके मुँह के पास आया और उसका मुँह खोल कर मैंने उसके मुँह में डाल दिया और बोला- लो डार्लिंग! तुम भी अपना रस टेस्ट करो और बताओ कैसा है!
वो मुझे घूरते हुए बोली- भैया, आप कितने गंदे हो और बेशरम हो! अब मुझे जाने दो!
मैंने कहा- मैंने तेरे लिए इतना किया, तुम मेरे लिए कुछ भी नहीं करोगी?
बोली- अब मैं क्या करूँ?

मैंने अपनी अंडरवीयर उतारी और 8 इंच का लंड उसके मुँह के पास ले जाकर बोला- लो इसे भी चूसो ना!
वो बोली- नहीं भैया! मैं नहीं करूंगी!
शेष अगले भाग में!
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भाई बहन का प्यार-3

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