कामुकता से भरपूर मेरा परिवार

(Sexy Family Ki Chudai Kahani)

कानन 2022-05-30 Comments

यह सेक्सी फॅमिली की चुदाई कहानी परिवार के सस्दयों के बीच में सेक्स की है. एक दिन मैंने अपनी बड़ी बहन को आंगन में नंगी नहाती देखा तो मैं उत्तेजित हो गया.

मैं कानन बिलासपुर मध्य प्रदेश से हूँ. मेरी उम्र 19 साल है.

यह सेक्सी फॅमिली की चुदाई कहानी मेरी बड़ी बहन अरुणिमा और मेरी मम्मी के ऊपर है. वो बहुत खूबसूरत है. उसकी उम्र 21 साल है.

मेरे परिवार में हम चार लोग हैं, मेरे मम्मी पापा, मैं और बड़ी बहन है.
मैं गरीब परिवार से हूँ, मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है.

मेरे पापा कुछ काम की वजह से बाहर गये हुये थे.

यह बात करीब 15 दिन पहले की है.

मेरी बहन अरुणिमा एक दिन घर के आँगन में नहा रही थी.
उसी टाइम मैं स्कूल से घर आया.

माँ मार्केट गयी थी.
मैं अंदर गया तो मेरे होश उड़ गये.

मैंने देखा कि मेरी बहन अरुणिमा एकदम नंगी होकर नहा रही थी.
उसका चेहरा दूसरी तरफ था इसलिये वो मुझे नहीं देख सकी.

मैं तुरंत दूसरे कमरे में चला गया.
उस कमरे में बहुत अँधेरा रहता है.

मैं वहां खिड़की से नंगी बहन को नहाते हुये देखने लगा. उसकी गोरी चिकनी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने पहली बार अपनी सेक्सी जवान बहन की गांड देखी थी.

मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मेरी अरुणिमा दीदी इतनी सुंदर होगी.
वासनावश मैं अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा.

तभी अरुणिमा दीदी सीधी होकर नहाने लगी.
उसकी बड़ी बड़ी चूची और चूत देखकर मेरे लंड से पानी निकलने लगा.

मैंने कभी भी अरुणिमा दीदी को चोदने का नहीं सोचा था लेकिन मैंने आज सोच लिया था कि मैं अरुणिमा दीदी के कामुक शरीर का मज़ा ज़रूर लूँगा.

मैंने अरुणिमा को पूरा वक्त नंगी नहाते देखा.
फिर उसने कपड़े पहन लिये और अरुणिमा करने के लिये मंदिर वाले कमरे में चली गयी.

फिर मैं भी धीरे से बाहर आकर वापस घर में आया.

फिर उसी दिन शाम को दीदी बालकनी में खड़ी थी.
मैं भी उसी समय जाकर खड़ा होकर दीदी से बात करने लगा.
हमारी बालकनी बहुत छोटी है, उसमें सिर्फ़ एक जना ही खड़ा हो सकता है.

दीदी आगे झुक कर खड़ी थी और मैं उनके पीछे खड़ा होकर बात कर रहा था.
मेरा पूरा ध्यान उनकी गांड पर ही था.

मेरा लंड खड़ा हो गया.
तभी अनायास मेरा लंड उनकी गांड के बीच में अचानक लग गया.
मैं डर गया कि शायद दीदी समझ ना जाये.

लेकिन अरुणिमा दीदी को पता नहीं चल रहा था.
अब मैं अपना लंड उनकी गांड के बीच में जानबूझ कर दबाने लगा.

मेरा आधा लंड उनकी सलवार में घुस गया था लेकिन दीदी मुझसे बात करती जा रही थी.

अचानक दीदी ने और झुक कर अपनी टांगें और फैला दी.
और अब मेरा लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा.

मुझे डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था.

अचानक मम्मी ने दीदी को आवाज़ दी और दीदी तुरंत मेरे लंड को धक्का देकर नीचे चली गयी.
आज मेरा लंड पहली बार किसी चूत के ऊपर रगड़ रहा था.

मैंने सोच सोच कर रात में अपना लंड हिलाया.

फिर दूसरे दिन दीदी फिर शाम को बालकनी में खड़ी थी. मैं नीचे से देखकर ऊपर जाने से पहले अपना अंडरवीयर निकाल कर सिर्फ़ एक टावल लगा कर ऊपर गया.

वहां जाकर देखा तो मैं हैरान हो गया क्योंकि अरुणिमा दीदी ने आज अपना बहुत पुराना स्कर्ट पहना हुआ था जो उनके सिर्फ़ घुटनों तक ही आता था.
और वो बालकनी में झुक कर खड़ी थी.

मैंने पीछे से देखा तो उनकी पेंटी भी दिख रही थी.
मेरा लंड उनकी गोरी गोरी जांघ और पेंटी देखकर एकदम खड़ा हो गया.

मैंने सोचा कि आज कुछ भी हो जाये, मैं आज दीदी की पेंटी में अपना लंड का पानी ज़रूर लगाऊंगा.

तभी दीदी ने मेरी तरफ देखा और बोली- इधर आकर देख … लगता है कि आज बारिश होगी.
मैं तुरंत उनके पीछे से खड़ा होकर आसमान देखने लगा.

मेरा लंड एकदम खड़ा था इसलिये सीधा उनकी गांड में जाकर घुस गया.

मैं एक बार तो डर गया कि दीदी गुस्सा ना हो जाये.
पर दीदी हंसी और बोली- तुम अब बड़े हो गये हो!

मैं समझ नहीं पाया.
मैंने जब दुबारा पूछा तो सिर्फ़ हंसी और कुछ नहीं बोली.

और फिर अपनी गांड मेरी तरफ और फैलाकर खड़ी हो गयी.
अब मेरा लंड उनकी चूत पर लग रहा था.

मैंने सोचा कि दीदी को मेरे लंड का पूरा पता चल रहा होगा फिर भी नहीं बोल रही है.

तब मैंने सोचा कि शायद दीदी को मज़ा आ रहा होगा.
मैं सोचने लगा कि अब कैसे पता करूँ?

तो मैं अपना लंड धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.
दीदी कुछ नहीं बोली.

मैं समझ गया कि दीदी को मज़ा आ रहा है.
मैंने अपने तौलिये में से अपना लंड बाहर निकाला और दीदी का स्कर्ट थोड़ा ऊपर करके अपना लंड उनकी पेंटी पर लगा दिया.
और मेरा लंड दीदी की गांड की दरार में घुस गया.

अब दीदी को मेरा लंड पूरा मज़ा दे रहा था.
उनकी गांड इतनी नर्म थी कि जब मैं अपना लंड उनकी गांड पर दबाता तब उनके चूतड़ फैल जाते.

कुछ ही देर में दीदी की पेंटी चूत के पास में भीग चुकी थी. मेरे लंड और उनकी चूत को एक दूसरे के पानी का मज़ा मिलने लगा.

अरुणिमा दीदी मुझसे 2 साल बड़ी हैं.
मैं बहुत खुश था.

अचानक मेरे होश उड़ गये … जब दीदी ने अपना हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और पीछे मूड कर बोली- तुम क्या कर रहे हो? मैं अशुद्ध हो जाऊंगी. और तुम मेरे छोटे भाई हो और हम भाई बहन में यह सब नहीं होता.

वो मेरे लंड को अपनी पेंटी में से बाहर निकाल कर अपना स्कर्ट नीचे करके वहाँ से चली गयी.
मैं डर गया कि दीदी मम्मी को ना बता दे.

लेकिन दीदी मम्मी को भी नहीं बोली.

मैं रात में अपना लंड सहलाते हुये सोच रहा था कि जब मैं दीदी की गांड पर लंड रगड़ रहा था तब तो दीदी को मज़ा आ रहा था.
फिर उन्हें अचानक क्या हो गया?

अगले दिन दीदी मॉर्निंग में ही बालकनी में खड़ी थी.
मैं नीचे से देख रहा था और दीदी भी मुझे देख रही थी.

लेकिन मैं ऊपर बालकनी में नहीं गया और कुछ देर बाद स्कूल चला गया.

फिर रात में 10 बजे मेरी मम्मी सो चुकी थी, मैं सोने का नाटक कर रहा था.
मैंने देखा कि मुझे जागता देखकर दीदी बालकनी में आकर खड़ी हो गयी.
मैं समझ गया कि दीदी को लंड से मज़ा लेने का मन कर रहा है.

मैं भी अपना अंडरवीयर उतार कर ऊपर बालकनी में गया.
दीदी को देख कर मैं हैरान हो गया क्योंकि थोड़ी देर पहले दीदी सलवार और कमीज़ पहनी थी लेकिन अब सलवार के बदले नीचे स्कर्ट पहनी हुई थी.

घर में सिर्फ़ मम्मी थी. वो भी सो रही थी.
हम दोनों अकेले थे.

मैं पीछे खड़ा था पर उनके पास नहीं जा रहा था. मैं जानता था कि दीदी मेरी वजह से ही बालकनी में स्कर्ट पहन कर खड़ी है.
लेकिन कल दीदी ने मुझे मना किया था इसलिये मैं वहाँ नहीं जा रहा था.

लेकिन अचानक दीदी पीछे मुड़ी और बोली- यहाँ आ और देख बाहर कितना अच्छा मौसम है.
मैं इसी बात का इंतजार कर रहा था कि दीदी मुझे खुद आगे से बुलाये.

बालकनी में अन्धेरा था इसलिये मैंने अपना लंड उनके स्कर्ट के उपर से उनकी चूत पर रख दिया.
वो कुछ नहीं बोली और मुझसे बात करने लगी.

मैं जानता था कि दीदी को मेरा लंड चाहिये.
मैंने बिना देरी किये अपना तौलिया उतार कर दीदी का स्कर्ट ऊपर करके अपना लंड घुसा दिया.

मैं अचानक चौंक गया क्योंकि मेरा लंड एकदम सीधा उनकी चूत के छेद के उपर आ गया.

मैंने दीदी की गांड पर हाथ डाला और देखा तो दीदी ने पेंटी नहीं पहनी थी.
मैं समझ गया कि दीदी आज चुदना चाहती है.

तो मैं अपने लंड को दीदी की चूत पर रगड़ने लगा.
दीदी झुक कर खड़ी थी.

मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और दीदी की चूत में अपना लंड घुसाने लगा.

मेरा आधा लंड दीदी की चूत में घुस गया.

दीदी मेरा लंड पकड़ कर बोली- भाई, अपनी बड़ी बहन को आराम से चोदना … मैं पहली बार चुदा रही हूँ. मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी चूत को मेरा भाई ही चोदेगा.

और वो मेरे लंड को अपनी चूत में से निकाल कर चूसने लगी.
मेरे पूरे शरीर में करंट जैसा लग गया.
मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी दीदी मेरा लंड भी चूसेगी.

फिर 15 मिनट के बाद वो बोली- मेरे भाई मम्मी सो रही है. चलो मैं तुम्हारे कमरे में चलती हूँ. आज मैं अपने पूरे शरीर का मजा तुमको देना चाहती हूँ.

मैं और दीदी दोनों कमरे में जाकर बेड पर लेट गये.
दीदी नंगी होकर मुझे भी नंगा करने लगी और बोली- तुम मुझसे छोटे हो फिर भी मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती हूँ क्योंकि तुम मुझे चोदना चाहते हो. और मैं तुम्हारी दीदी हूँ कोई और नहीं जो तुम्हें तड़पता छोड़ दूँ. जब तुमने पहली बार बालकनी में मेरी गांड पर अपना लंड रख दिया था. हम उसी वक़्त हम दोनों भाई बहन नहीं रहे हैं. लेकिन तुम किसी से भी हम दोनों के रिश्ते के बारे में कभी नहीं बताओगे.

मैं दीदी के होंठ पर किस करते हुये बोला- दीदी, आप जैसी दीदी सबको मिले!

उसके बाद मैंने दीदी की चूची को दबाने लगा और चूसने लगा.
फिर दीदी लेट गयी और बोली- आज मेरी चूत को अपने लंड से पूरी तरह से खोल डालो. मैं चाहती हूँ कि मेरी शादी से पहले मेरा भाई मेरी चूत का मज़ा ले ले.

मैं दीदी की जांघ उठा कर अपना लंड चूत में डाल कर चोदने लगा.
दीदी भी मस्ती से धक्के पर धक्के मार रही थी.

मैं दीदी की चूची ज़ोर ज़ोर से दबा दबा कर चोदने लगा और वो बोली- मेरे भाई अपनी बहन की चूत में अपना वीर्य भी डाल देना. मैं तुम्हारे वीर्य को अपनी चूत में महसूस करना चाहती हूँ.

मैंने दीदी को बहुत देर तक चोदा और वीर्य चूत में ही डाल दिया.

दीदी बोली- मेरे भाई, मैं प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाऊंगी ना?
मैंने कहा- नहीं!

फिर वो कपड़े पहन कर दूसरे रूम में जाकर मम्मी के बगल में जाकर सो गयी.

पर दो घंटे बाद फिर मेरा लंड फिर दीदी को चोदना चाहता था.

मैं कंट्रोल नहीं कर पाया मैं दूसरे रूम में जाकर दीदी के बगल में सो कर स्कर्ट उठा कर फिर से दीदी को चोदने लगा.
दीदी भी जाग गयी और मुझसे अपनी चूत चुदाने लगी.

उस रात मैं दीदी को सुबह तक चोदता रहा दूसरे दिन दीदी ठीक से चल भी नहीं पा रही थी और हम दोनों रोज ऐसे ही सेक्स करते रहे.

फिर एक दिन जो हुआ मैंने कभी नहीं सोचा था.

एक दिन मैं दूसरे रूम में लगभग 12 बजे गया.
रोज की तरह मैंने अपना तौलिया उतारकर मैं दीदी की चादर में घुस गया.
कमरे के अन्दर बहुत अन्धेरा था.

मैं धीरे धीरे स्कर्ट उपर करने लगा लेकिन स्कर्ट बहुत सॉफ्ट लग रही थी.
मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और उठा कर गांड पर लंड रगड़ने लगा.

दीदी की गांड बहुत बड़ी लग रही थी, मैं गांड दबाने लगा, मुझे मज़ा आ रहा था.
फिर मैंने अपना लंड दीदी की चूत में डाल दिया चूत बहुत टाइट लग रही थी.

कुछ देर बाद दीदी भी जाग कर धक्का मारने लगी.
मैं ऊपर जाकर टांग उपर करके ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा.

तभी मैं डर गया.
मेरी जाँघ पर किसी का हाथ आया और मुझे वो बार बार टच हो रहा था.
तभी पीछे से मेरी दीदी मेरे कान में बोली- भाई ये क्या कर रहे हो? मैं तो यहा हूँ. तुम मम्मी को चोद रहे हो!
दीदी ये बोलकर सो गयी.

मेरा लंड मम्मी की चूत में था और मम्मी अपनी गांड उठा उठा कर चूत चुदवा रही थी.
अब मैं लंड भी बाहर नहीं निकाल सकता था.

फिर थोड़ी देर बाद मम्मी ने मेरी कमर को पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और बोली- मेरे बेटे, तूने तो आज मुझे खुश कर दिया. तेरे पापा ने तो मुझे 2 साल से नहीं चोदा है. आज तूने अपनी माँ की चूत को खुश कर दिया. तुम कब से मुझे चोदना चाहते थे?

मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं क्या बोलूं.
यह मैं नहीं बोल सकता था कि मैं अरुणिमा दीदी को चोदने आया था.
मैं समझ नहीं पा रहा था.

मम्मी ने फिर पूछा और अपना ब्लाउज खोलकर बोली- बचपन में मेरी चूची पीता था. आज भी मेरी चूची को पीकर मस्त कर दे. और जिस चूत में से तुम इस दुनिया में आये हो, उसे भी मस्त कर दो. तेरा लंड तो तेरे पापा से भी बड़ा है. तू रोज मेरे साथ इसी रूम में सोया कर!
मैंने कहा- फिर दीदी?
मम्मी बोली- वो भी यहीं सो जायेगी. तू मुझे खुश कर दे. फिर मैं तुझे तेरी बहन की भी चूत चोदने का मौका बताऊंगी.

मैं सुन कर खुश हो गया.
मैंने मम्मी को पूरी तरह से नंगी कर दिया और खुद भी पूरा नंगा हो गया.

अब मुझे घर में किसी से भी डर नहीं था.
मैं मम्मी को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और बहुत देर तक चोदता रहा और वीर्य मम्मी की चूत में ही डाल दिया.
मम्मी खुश हो गयी और बोली- मैं तेरे वीर्य से प्रेग्नेन्ट होना चाहती हूँ और तुम्हें भाई और तुम्हारा बेटा देना चाहती हूँ.

मैंने मम्मी से कहा- मैं आपकी चूत से अपना बेटा चाहता हूँ.
मम्मी खुश होकर बोली- मेरे बेटे, तूने मुझे खुश कर किया. अब मैं सो रही हूँ. अब से तू हर रोज रात में इसी रूम में सोना और तुम्हारा मुझे या तेरी बहन को चोदने का मन करे तो बिना डर के चोदना फिर मैंने एक घंटे बाद दीदी को चोदा और सो गया.

दूसरे दिन दीदी मुझसे नाराज़ थी.
मैंने जब दीदी से पूछा तो बोली- तुम रात में मुझे छोड़कर मम्मी को क्यों चोद रहे थे?
मैंने कहा- तुमने अपनी जगह पर मम्मी को क्यों सोने दिया?
दीदी बोली- मम्मी पहले से ही वहाँ सो रही थी.

मैंने कहा- मैंने तुमको समझ कर मम्मी को चोदा. लेकिन जब मम्मी ने पूछा तब मैं क्या कहता इसलिये मुझे मम्मी को चोदना पड़ा.
दीदी मान गयी.

फिर क्या था … मैं हर रोज रात में मम्मी और दीदी के साथ नंगा होकर सोता और सेक्सी फॅमिली में जिसको मन करता उसको चोदता.

9 महीने बाद मम्मी को एक बेटी हुई वो मेरी बहन भी थी और मेरी बेटी भी!

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी सेक्सी फॅमिली की चुदाई कहानी?
कमेंट्स में बताएं.

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