माँ बहन संग चूत चुदाई -8
मां मेरा लण्ड दीदी को दिखाते हुए चूसने लगी तो दीदी की अन्तर्वासना भड़की, उसने माँ की गांद और चूत चाटनी शुरु कर दी, फ़िर मां ने दीदी को मेरे लंड से चुदवा दिया।
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मां मेरा लण्ड दीदी को दिखाते हुए चूसने लगी तो दीदी की अन्तर्वासना भड़की, उसने माँ की गांद और चूत चाटनी शुरु कर दी, फ़िर मां ने दीदी को मेरे लंड से चुदवा दिया।
फैजान- अरे यार कुछ भी गंदा नहीं होता.. इसे मुँह में लेकर तुम्हारी भाभी भी तो चूसती हैं ना.. जाहिरा इठलाते हुए बोली- वो तो आपकी बीवी हैं.. मैं आपकी क्या लगती हूँ.. बहन ना..
रात को मैंने बुखार का बहाना बना कर एसी में सोने से मना कर दिया, मैं दूसरे कमरे में लेट गई और दोनों भाई बहन को अपने बेडरूम में सोने को कह दिया। पढ़ें…
फ़ैज़ान के जाने के बाद मैंने जाहिरा की कुंवारी चूत को चाट कर रस निकाल दिया। शाम को जब फ़ैजान आया तो वो जाहिरा के कमरे में गया और उसे दबोच कर चूमाचाटी करने लगा।
फैजान मुस्कराया और खुद ही हाथ आगे बढ़ा कर उसके कन्धों से उसके टॉप की डोरी को नीचे खींचते हुए उसकी चूची को नंगा करते हुए बोला- तेरे जैसी गर्म बहन हो.. तो भाई खुद ही बहनचोद बन जाता है डार्लिंग..
फैजान ने अपने शॉर्ट्स को नीचे करते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और अब उसका नंगा लंड अपनी बहन की नंगी मुलायम जाँघों से टकरा रहा था। वो अपने लौड़े को जाहिरा की दोनों जाँघों के दरम्यान में घुसा रहा था।
ट्रेन में मामा की लड़की के साथ एक ही बर्थ पर सफर करते हुए कुछ रोमांटिक सेक्सी बातें, चूमाचाटी और टॉयलेट में बहन की चूत चटाई, चूचियों की और लौड़े की मसलाई!
फैजान ने अपनी उंगली जाहिरा की चूत से बाहर निकाली और उसे जाहिरा के बरमूडा से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाल लिया और अपनी बहन की चूत की पानी को चाटने लगा।
थोड़ा सा जोर लगाते हुए मैंने अपनी उंगली की नोक जाहिरा की चूत के सुराख के अन्दर दाखिल की, तो जाहिरा ने एक तेज सिसकारी के साथ अपनी दोनों जाँघों को खोल दिया।
ह तो मुमकिन नहीं था कि फैजान को मेरे और जाहिरा की जिस्म के फ़र्क़ का अहसास ना हुआ हो। लेकिन अगर उसे पता चल भी गया था तो अब वो इस अँधेरे में और गेम का फ़ायदा उठाते हुए अपनी बहन के जिस्म के मजे लेना चाह रहा था। मैं भी उसे रोकना नहीं चाह रही थी।
मैं और जाहिरा बनियान और कच्छी पहने बारिश में नहा रही थी कि फ़ैजान ने दरवाजे की घण्टी बजाई। मैंने दरवाजा खोला, फ़ैजान के कपड़े उतार उसका लंड चूसा और उसे भी बारिश में ले गई जहां उसकी बहन लगभग नंगी खड़ी थी।
मेरा बड़ा भाई बांका जवान है, मेरी सहेलियाँ उसकी दिवानी थी तो मेरी जवानी भी उसकी तरफ़ बह चली। बरसात की एक रात मैंने उसे अपना कौमार्य सौंप दिया। यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है।
मैं मामा की बेटी को पसंद करता था लेकिन वो डरती थी अपने पापा से. जब वो कॉलेज में आई तो अपनी सहेलियों को देख उसकी चूत भी फड़कने लगी. वो मुझसे कैसे चुदी? पढ़ें इस कहानी में...
जाहिरा सीना तान कर अपनी चूचियों को बाहर को निकालते हुए बोली- देखो.. कितनी बड़ी हो गई हूँ मैं और सुबह भी तो आपने देखा ही था ना.. मैं कोई बच्ची जैसी हूँ?
फैजान की नज़र भी सीधी-सीधी अपनी बहन की खुली ओपन क्लीवेज और चूचियों पर ही जा रही थी। मैंने महसूस किया कि फैजान नाश्ता कम कर रहा था और अपनी बहन की चूचियों को ज्यादा देख रहा था।
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर पहुँचा ही दिए और अपनी ननद की दोनों नंगी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में ले लिया और बोली- उउफफफफ.. क्या मजे की हैं तेरी चूचियाँ.. जाहिरा.. मेरा दिल करता है कि इनको कच्चा ही खा जाऊँ।
इस बात को समझते हुए कि दोनों बहन-भाई के चेहरे एक-दूसरे के इतने क़रीब हैं और दोनों ने एक-दूसरे को सोते में इस तरह से चिपका लिया हुआ है.. तो दोनों ही एकदम से पीछे हटे और शर्मिंदा से होते हुए उठ कर बिस्तर की पुस्त से पीठ लगाते हुए बैठ गए।
फैजान की हिम्मत बढ़ने लगी और उसने जाहिरा के कन्धों को किस करते हुए थोड़ा और आगे को आते हुए उसके सीने के ऊपरी हिस्से को और फिर अपनी बहन के गाल को भी चूम लिया। एक बार तो उसने हिम्मत करते हुए जाहिरा के पतले-पतले गुलाबी होंठों को भी किस कर लिया।
रात को फैजान को मैंने बीच में लिटाया और अगल बगल हम दोनों लेटी. मैंने फैजान को खूब गर्म करके बीच में छोड़ दिया तो तंग हो कर वो जाहिरा के बदन को सहलाने लगा.
अरे यार क्यों शर्मा रही हो? तुमको इसमें तुम्हारे भैया देख तो चुके ही हैं.. तो फिर घबराना कैसा है? चलो जल्दी से जाओ और यह ड्रेस पहन कर आओ और मैं भी पहन कर आती हूँ.. और हाँ नीचे जीन्स ही रहने देना.. उस मॉडल की तरह कहीं पैन्टी पहन कर ना आ जाना बाहर..