मेरा गुप्त जीवन- 80

(Mera Gupt Jeewan-80 Dono Bahanon Ki Chut Chudai)

यश देव 2015-10-15 Comments

This story is part of a series:

दोनों बहनों की चूत चुदाई

टिन्नी बोली- दीदी का काम कर दिया सोमू?
मैं घबरा कर बोला- दीदी का कौन सा काम?
मिन्नी बोली- वही… जिसके लिए तुम पर दीदी बार बार दाना फैंक रही थी?
मैं बोला- कौन सा दाना और कैसा दाना? बताओ न प्लीज?
टिन्नी बोली- तुम मेरे सामने प्लीज वलीज़ ना करो और सीधे से बताओ कि मेरी बारी कब की है?
मैं बोला- कौन सी बारी और कैसी बारी?

टिन्नी चेयर से उठी और मेरे बेड पर आ कर बैठ गई और आते ही मेरे लंड को पैंट के बाहर निकाल कर उसको घूरने लगी और फिर बोली- अच्छा है मोटा भी है और लम्बा भी है, मुझको कब चखा रहे हो यह केला?
मैं चुप रहा और फिर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा, हँसते हुए बोला- तुम दोनों बहनें कमाल की चीज़ हो।
टिन्नी बोली- मैं रात को आपका केला खाने आ रही हूँ।

मैं बोला- मौसी जी और मौसा जी भी तो हैं क्या उनका डर नहीं है तुम को?
टिन्नी बोली- उनको मैं संभाल लूंगी वैसे भी दोनों रात को नींद की दवाई खा कर सोते हैं सो उनको कुछ पता नहीं चलेगा।
मैं बोला- मिन्नी को तो पता चल जाएगा न उसका क्या करोगी?
टिन्नी बोली- हम दोनों एक दूसरी से कुछ भी नहीं छुपाती।
मैं बोला- इतना भरोसा है तो आ जाओ अभी कुछ नमूना पेश कर देते हैं!
टिन्नी बोली- ठहरो, मैं ज़रा देख कर आती हूँ कि मिन्नी क्या कर रही है।

यह कह कर टिन्नी गई और जल्दी ही वापस आ गई और बोली- मिन्नी तो सो रही है तुमसे सेक्स करवाने के बाद शायद थक गई होगी।
जल्दी से उसने भी अपनी साड़ी ऊपर उठा दी और मैं उसकी काली झांटों से भरी चूत को साफ़ देख सकता था, काफी उभरी हुई चूत थी।
उसने मेरे लौड़े को पैंट से निकाला और झट से मेरे ऊपर बैठ गई, अपने आप ही उसने मेरे लंड को अपनी टाइट चूत में डाला और मेरे गले में बाहों को डाल कर ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगी।
मैंने उसके छोटे गोल चूतड़ों को अपने हाथ में थामा हुआ था और वो मज़े से झूला झूल रही थी।

उसकी चूत टाइट और बहुत ही रसीली थी और अपनी बड़ी बहन से वो ज़्यादा जानकार और चुदक्कड़ लगी। 5-6 मिन्ट में वो झड़ गई और मेरे जिस्म से चिपक कर हल्के से काम्पने लगी।
लेकिन अभी उसका मज़ा पूरा नहीं हुआ था, मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर पैंट और शर्ट पहने ही चढ़ गया, उसके छोटे और गोल मुम्मों को हाथ से सहलाने लगा और फिर मैंने उसको ठीक ढंग से चोदना शुरू किया।
तेज़ और धीमे धक्कों से मैं उसको फिर छूटने के कगार पर ले आया, पूरा निकाल कर पूरा अंदर डालने लगा और वो चंद मिनटों में फिर से झड़ गई।
मैं जल्दी से उसके ऊपर से उठा और अपने कपड़े ठीक ठाक करने लगा और वो भी साड़ी नीचे कर के कमरे के बाहर हो गई।

उसके जाने के बाद कम्मो कमरे में आई और मुस्कराते हुए बोली- वाह छोटे मालिक, दोनों लड़कियों का काँटा खींच दिया आपने?
मैंने हैरान होकर उससे पूछा- तुमको कैसे पता चला कम्मो डार्लिंग? तुम तो सारा टाइम बाहर थी ना!
कम्मो हँसते हुए बोली- मुझ से कुछ नहीं छुपा रहता, मैंने इन लड़कियों को कल ही भांप लिया था कि दोनों ही चुदक्कड़ हैं और फिर लंच पर आपके साथ वो जो कुछ कर रही थी उसको मैं दबी आँखों से देख रही थी।

मैं बोला- वो दोनों रात को भी आने का प्रोग्राम बनाना चाहती हैं लेकिन मुझको डर लग रहा है मौसी से, वो बड़ी ही तेज़ है।
कम्मो बोली- वही तो, मेरी मानो तो इनसे दूर रहो तो अच्छा है।
मैं बोला- वो टिन्नी कह रही थी कि मौसी और मौसा जी रात को सोने की दवाई खा कर सोते हैं, तो उनको कुछ पता नहीं चलता है।
कम्मो बोली- छोटे मालिक, आप की क्या मर्ज़ी है? दोनों को चोद तो बैठे हो, क्या अभी और चोदने की इच्छा है?
मैं बोला- वो तो जल्दी जल्दी की चुदाई थी, मज़ा नहीं आया ख़ास… तुम कहो तो रात को उन दोनों के साथ फिर हो जाए?

कम्मो मेरी मर्ज़ी जान गई थी, बोली- ठीक है मैं उन दोनों का इंतज़ाम कर दूंगी और मौसा मौसी को भी संभाल लूंगी।
मैं बोला- कम्मो रानी, तुम वाकयी में हीरा हो मेरे दिल में बसे प्यार का ज़खीरा हो।
रात को पारो ने खाना इस कदर लज़ीज़ बनाया कि सबने बड़ी तारीफ की ख़ास तौर से मौसा जी ने!

खाना खाने के बाद हम बच्चे बैठक में ही बैठ कर बातें करने लगे और वहीं कम्मो ने उन दोनों बहनों की मर्ज़ी जानने की कोशिश की।
मिन्नी बोली- 12 बजे तक मम्मी पापा गोली खाकर बड़ी गहरी नींद में सो जाते हैं, उस टाइम हम दोनों सोमू के कमरे में आने वाली हैं।
कम्मो बोली- वो तो ठीक है लेकिन अगर कहीं मौसी जाग गई तो फिर क्या होगा?
मिन्नी बोली- हम अभी उनके कमरे में जाएंगी और वो खुद मेरे हाथ से रोज़ की तरह अपनी दवाई खाएंगे। तब तो कोई प्रॉब्लम नहीं कम्मो दीदी?

कम्मो मुस्कराते हुए बोली- क्या कानपुर में भी यही सिस्टम था?
टिन्नी हँसते हुए बोली- काफी अरसे से यही सिस्टम चल रहा है, आप मुस्करा क्यों रहीं हैं दीदी?
कम्मो बोली- तभी शायद तुम्हारे मित्र घर में आते होंगे तुम दोनों का कल्याण करने।
मिन्नी और टिन्नी भी यह सुन कर मुस्कराने लगी।

फिर हम थोड़ी देर यों हीं ही बातें करते रहे और फिर दोनों उठ कर अपने कमरे में चली गई और मौसी भी एक बार सारे घर का क्कर लगा आई।
कम्मो मौसी के जाने के बाद मेरे कमरे में आ आकर बैठ गई।
मैंने पूछा- कम्मो तुमको मालूम था कि मौसी घर का चक्कर लगाएगी?
कम्मो बोली- मालूम तो नहीं था लेकिन ऐसा अंदाजा था कि शायद मौसी घर का चक्कर लगाएगी।

इतने में दोनों बहनें अपनी अपनी अपनी नाइटी पहन कर आ गई मेरे कमरे में और वहाँ कम्मो को देख कर चकरा गई।
मैंने कहा- कम्मो दीदी से आप लोग घबराओ नहीं, वो हमारे साथ ही रहेंगी और हम सबकी मदद भी करेंगी। पहले कमरे का दरवाज़ा तो बंद कर आओ प्लीज।
मिन्नी जा कर दरवाज़ा बंद कर आई।

मैं उठा और सबसे पहले मिन्नी और टिन्नी को होटों पर एक एक किस की और दोनों को बारी बारी से जफ़्फ़ी भी डाली।
कम्मो उठ कर आ गई और मिन्नी की नाइटी उतारने लगी और उसके बाद उसने टिन्नी की भी नाइटी उतार दी।
फिर उसने मेरा पजामा और कुरता भी उतार दिया।
जब हम तीनो नंगे हो गए तो वो खुद भी अपने कपड़े उतारने लगी।

अब हम सब एक दूसरे को देखने लगे। मिन्नी का जिस्म थोड़ा मोटापा लिए हुए था और टिन्नी का जिस्म एक कच्ची कली की तरह लग रहा था। दोनों की चूतें काले और घने बालों से ढकी हुई थी, मिन्नी के मुम्मे काफी सुन्दर लग रहे थे, एकदम सफ़ेद और मुलायम!
टिन्नी के मुम्मे अभी काफी छोटे लेकिन सॉलिड लग रहे थे। ऐसा लगता था कि दोनों बहनों के मुम्मों की चुसाई ज़्यादा नहीं हुई थी।

टिन्नी और मिन्नी ने जब कम्मो को नग्न देखा तो उनके मुख से अपने आप ही ऊऊह्ह्ह निकल गया।
दोनों कम्मो के पास गईं और उसके शरीर के साथ खेलने लगी, उसके मुम्मों, चूतड़ों से वो बहुत ही प्रभावित हुई थी।
कम्मो ने भी उसके मुम्मों को हाथ लगा कर देखा कि कैसे हैं।

कम्मो पहले मिन्नी को ले आई मेरे पास, उसने आते ही प्रगाढ़ आलिंगन किया मुझको और फिर मैं उसके लबों को चूसने लगा।
मिन्नी से मैंने पूछा- तुम मुझ से बहुत बड़ी हो इसलिए पूछता हूँ कि कैसे मुझसे चुदना पसंद करोगी?
मिन्नी ने मेरे लौड़े को देखा और उसको हाथ में लिया और फिर झुक कर उसको मुंह में लिया और थोड़ा सा चूसा और फिर खड़ी हो गई और बोली- लगता तो है कि यह लम्बी दौड़ का घोड़ा है, सबसे पहले मैं इस घोड़े पर खुद सवारी करूंगी।
कम्मो ने कहा- ठीक है आ जाओ मैदान में!

मैं जा कर बेड में लेट गया, मिन्नी आई मेरे दोनों तरफ टांगें रख कर बैठ गई और मेरा खड़ा लंड अपनी चूत में डाल लिया। मैं बड़े शांत भाव से लेटा रहा और उसको अपने घुड़सवारी के अहंकार को मिटाने के उपाय सोचता रहा।
मिन्नी ने लंड अंदर डालने की कारवाई पूरी की और अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगी, उसकी चूत काफी टाइट थी और गीली भी कुछ कम थी, तो रगड़ ज्यादा रही थी।
मैं उसके मुम्मों को छूने लगा और चूचियों के साथ गोलम गोलाई का खेल खलने लगा।

मिन्नी ने धीरे से शुरू करके अब अपनी स्पीड बढ़ा दी थी और आँखें बंद कर के ऊपर नीचे हो रही थी और उसके हर धक्के का असर उसके मोटे मुम्मों पर पड़ रहा था जो उछल रहे थे बेरोकटोक!
मैं और कम्मो उसके मुम्मों का नाटक देख रहे थे।
लेकिन कम्मो अपने हाथ से टिन्नी की चूत को गर्म कर रही थी और हल्के से उसकी भग को रगड़ रही थी।

मिन्नी 5 मिन्ट ऐसे ही मुझको चोदती रही और फिर उसके मुंह से यह शब्द निकल रहे थे- मार दूंगी साले, तुझ को छोडूंगी नहीं, हर बार बीच में छोड़ जाता है भड़वे।
ऐसी बातों के साथ वो पागलों की तरह चोद रही थी मुझको!
मैं और कम्मो थोड़ी हैरानी से उसके इस अजीब रवैये को देख रहे थे।
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फुल स्पीड से ऊपर नीचे होते हुए वो एक ज़ोर की चीख मार कर मेरे ऊपर पसर गई और उसका जिस्म ज़ोर ज़ोर से काम्पने लगा। मैंने उसको एक कस के जफ़्फ़ी भी डाली हुई थी फिर भी वो बेहद कांप रही थी।

कम्मो टिन्नी को बुला लाई और उससे कहने लगी- यह देख यह क्या हो रहा है तेरी बहन को?
टिन्नी बड़े आराम से बोली- दीदी को ऐसे ही होता है जब इसका छूट जाता है। आप फ़िक्र ना करें, अभी ठीक हो जायेगी।
मैं भी उठ कर कम्मो के पीछे खड़ा हो गया और मेरा मोटा खड़ा लंड कम्मो की गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था।
यह देख कर टिन्नी जल्दी से आई और कम्मो को हटा कर खुद खड़ी हो गई।
मेरी नज़र तो मिन्नी के नज़ारे पर लगी हुई थी तो मैंने ध्यान नहीं दिया।

टिन्नी अब मेरे लौड़े को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी और उसको अपनी चूत पर भी रगड़ने लगी।
मैंने कम्मो की तरफ देखा तो उसने आँख से इशारा किया कि मैं टिन्नी के साथ शुरू हो जाऊँ।
टिन्नी से पूछा- कैसे चुदवाना है?
तो वो बोली- घोड़ी बन कर यार सोमू!

उधर कम्मो मिन्नी को होश में लाने की कोशिश कर रही थी और उसके गले और मुंह पर पानी के छींटे मर रही थी। थोड़ी देर में वो कुछ संयत हुई।
टिन्नी अपनी बहन की बीमारी की परवाह किये बगैर चुदाई के लिए घोड़ी बन गई थी और मुझको जल्दी घोड़ी पर चढ़ने के लिए उकसा रही थी।
मैं बड़ी बेदिली से टिन्नी पर चढ़ा और बगैर कुछ सोचे समझे चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी। जितनी तेज़ी से मैं उसको चोद रहा था वो और भी तेज़ी के लिए मुझको उकसा रही थी।

मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथो में कस कर पकड़ा और अंधाधुंध चुदाई शुरू कर दी, टिन्नी ज़ोर से चिल्लाने लगी- तेज़ और तेज़!
कम्मो उठी और और टिन्नी के मुंह पर हाथ रख दिया और कहा- साली सबको जगा देगी, धीरे बोल!
पर उस पर कोई असर नहीं पड़ा और वो अपने चूतड़ तेज़ी से मेरे लंड की स्पीड के साथ मैच करते हुई चुदवा रही थी।
मैंने अब गहरे और तेज़ धक्के शुरू किए और साथ में उसके भग को भी हाथ से मसलना शुरू किया।

भग का मसलना जैसे निशाने पर तीर लगाना था, वो कुछ ही क्षण में ‘यह जा वो जा’ हो गई और वहीं ढेर हो गई।
कम्मो ने दोनों को कोकाकोला पिलाया और उनके कमरे में छोड़ आई।
मैंने कहा- कम्मो रानी वो तो दोनों बेकार निकली। अब क्या होगा?

कम्मो मुस्कराते हुए बोली- मैं हूँ न छोटे मालिक, चलो जी भर के चोदते हैं एक दूसरे को!
कम्मो गई और दरवाज़ा बंद कर आई और फिर शुरू हुई गुरु और शिष्य की जंग-ऐ-आज़म!

अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया और बैठक में गया तो पता चला कि मौसा मौसी कल कानपुर वापस जा रहे हैं।
उनसे पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने मिन्नी से पूछा तो वो बोली- सगाई वाली बात पूरी नहीं हो सकी है तो हम वापस जा रहे हैं।

मिन्नी ने मुझको बैठक में अकेले देखा तो मेरे पास आकर बोली- आज रात एक बार फिर से मेरी चूत चुदाई दो ना सोमू।
मैं बोला- मिन्नी, कभी नहीं, तुम को चोदना तो बहुत ही खतरनाक साबित हुआ, तुमको तो अपने ऊपर कंट्रोल ही नहीं।
मिन्नी बोली- नहीं, ऐसा है तुमने मेरे साथ बहुत अरसे के बाद सैक्स किया बल्कि किसी पुरुष ने मेरे साथ बहुत अरसे बाद सैक्स किया था तो उस कारण मैं अपना आपा खो बैठी थी।

मैं बोला- बिलकुल नहीं, तुम्हारे साथ चुदाई करना बहुत ही महंगा पड़ सकता है।
मिन्नी बोली- प्लीज सोमू, सिर्फ एक बार कर दो ना?
मैं बोला- क्या कर दूँ? बोलो तो सही, क्या चाहती हो तुम मुझसे?
मिन्नी बेशरम हो कर बोली- तुम्हारा लंड चाहिए मुझको।

यह शोर सुन कर कम्मो भी आ गई वहाँ- क्या बात है? क्यों शोर मचा रही हो तुम?
मैं बोला- इसको मेरा लंड चाहिए और आज ही!
कम्मो बोली- चुप रहो छोटे मालिक, मैं बात कर रहीं हूँ ना, आप जाओ न यहाँ से!
कम्मो मिन्नी को लेकर दूसरे कमरे में चली गई।

और फिर थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में आ कर बोली- छोटे मालिक, अब थोड़ा सब्र से काम लीजिये। मैंने उसको समझा दिया है वो रात को एक बार चुदाई के लिए आयेगी। उसकी इच्छा पूरी कर देना, नहीं तो ख्वामखाह में यह बवाल खड़ा कर देगी।

रात को जब मौसा मौसी सो गए तो कम्मो मिन्नी को लाई और मैं जब गहरी नींद सोया हुआ था उसने उसको मेरे खड़े लंड से चुदवा दिया।
बाद में कम्मो ने बताया कि मिन्नी आई थी और 3 बार अपना छूटा कर चली गई थी।
कहानी जारी रहेगी।
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