मेरा गुप्त जीवन- 81

(Mera Gupt Jeewan-81 Lady Professor Ki Chut)

यश देव 2015-10-16 Comments

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लेडी प्रोफेसर की चूत

अगले दिन कॉलेज गया तो हिना गेट पर ही मिल गई और बोली- सोमू मैडम तुम को याद कर रही थी, लंच टाइम में उनको प्रोफेसर्स के कमरे में मिल लेना।
मैंने हामी में सर हिला दिया और अपनी क्लास में चला गया।

इंटरवल में मैं निर्मला मैडम से मिलने चला गया, वो अपने कमरे में अकेली ही बैठी थी तो मुझको देख कर बोली- थैंक यू सोमू, मैंने तुमको यह पूछने के लिये बुलाया है कि क्या तुम आज शाम फ्री हो?
मैं बोला- हाँ मैडम, अभी तक तो कोई प्रोग्राम नहीं बनाया है, आप बताओ क्या काम है?
मैडम बोली- आज छुट्टी के बाद मेरे साथ मेरे घर चल सकते हो क्या?
मैं बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं। आप कब जाने का सोच रही हैं?
निर्मला मैडम बोली- यही 2 बजे के करीब, वहीं तुम खाना भी खा लेना।
मैं बोला- ठीक है मैडम।

छुट्टी के वक्त मैडम मेरा कार के पास इंतज़ार कर रही थी, रास्ते में मैडम ने बताया कि उनके पति कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना आज सोमू को अपना घर दिखा दूँ।
मैं समझ गया कि घर देखने का तो बहाना है असली काम तो वही चोदम चोदाई है।

मैडम बोली- क्यों सोमू, तुमको बुरा तो नहीं लगा मेरा ऐसे बुलाना?
मैं बोला- नहीं मैडम, मुझको क्यों बुरा लगता? आप इतनी सुन्दर हैं कोई भी आपका दीवाना हो जाए!
मैडम हंसती हुए बोली- अच्छा तुमको तारीफ करना भी आता है। क्या यह कम्मो ने ही ही सिखाया है?
मैं भी हँसते हुए बोला- नहीं मैडम, कुछ कुछ तो सोहबत और संगत ने सिखा दिया है।
जल्दी ही हम मैडम के बंगले में पहुँच गए।

बैठक में बैठे ही थे कि उनकी नौकरानी शर्बत के गिलास लेकर आई, मैंने नौकरानी की तरफ कोई ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
खाने से फारिग होकर हम बैडरूम में आ गए।
इधर उधर की बातें चल ही रही थी कि वही नौकरानी भी बैडरूम में आ गई।

उसको देख कर मैडम ने कहा- सोमू तुम को ऐतराज़ तो नहीं अगर मेरी निम्मो भी कमरे में हमारी हेल्प के लिए रहे?
मैं बोला- नहीं नहीं मैडम। जैसा आप चाहें वही करें!
अब मैंने निम्मो को ध्यान से देखा और देख कर हैरान रह गया कि वो तो बिल्कुल कम्मो की कॉपी लग रही थी।

मैंने मैडम से पूछा- यह निम्मो तो हमारी कम्मो जैसी ही लग रही है। कौन से गाँव की है?
निम्मो बोली- मेरा गाँव यहाँ से ज़्यादा दूर नहीं है, 3-4 घण्टे में बस से पहुँच जाते हैं।
मैं बोला- गाँव का नाम क्या है?
निम्मो ने गाओं का नाम बता दिया।

मैं सुन कर हैरान हो गया क्यूंकि वो तो हमारे ही गाँव का नाम ले रही थी, मैंने उससे पूछा- क्या तुम कम्मो को जानती हो?
निम्मो बोली- हाँ वो तो मेरी चचेरी बहन है।
मैं बोला- तुम को मालूम है वो आजकल कहाँ रहती है?
निम्मो बोली- सुना था कि वो गाँव छोड़ कर कहीं चली गई है।

मैंने मैडम की तरफ देखा और वो समझ गई कि हमारे घर वाली कम्मो ही इसकी बहन है।
लेकिन वो चुप रही और निम्मो से बोली- चलो शुरू हो जाओ निम्मो।

निम्मो मैडम के कपड़े उतारने लगी लेकिन मैंने उसको रोक दिया और खुद ही यह काम करने लगा।
पहले मैडम की सिल्क की साड़ी उतारी धीरे धीरे और फिर उसके ब्लाउज को खोलने लगा लेकिन साथ साथ ही मैं मैडम के लबों पर गरमा गरम चुम्बन भी देने लगा।

मैडम का कद शायद 5 फ़ीट 5 इंच था लेकिन मेरे साथ वो एकदम फिट बैठ रही थी, उनका जिस्म भरा हुआ था, हर हिस्सा साँचे में ढला हुआ लग रहा था, कमर और पेट एकदम स्पाट और मुम्मे मस्त गोल और एकदम सीधे अकड़े हुए लग रहे थे जो 28-30 साल की उम्र में अक्सर कम ही होता है।

मैंने उनके मुम्मों को ब्लाउज के बाहर से चूसना चूसना शुरू किया और एक हाथ उनके गोल और मोटे चूतड़ों पर रख दिया और उन को धीरे से मसलने लगा।
उधर निम्मो मेरे कपड़े उतारने लगी थी, पहले कमीज और फिर पैंट उतार कर वो मेरे अंडरवियर को उतार रही थी। उसका मुंह मेरे लंड की सीध में था और जैसे ही उसने अंडरवियर को हटाया, मेरा खड़ा लंड उसके मुंह पर ज़ोर से लगा और वो पीछे की तरफ गिर गई।

यह देख कर मैडम हंसने लगी लेकिन मैं संजीदा हो रहा था और उससे प्यार से पूछा- निम्मो जी कहीं चोट तो नहीं लगी?
निम्मो पहले तो हैरान हुई और फिर ज़ोर से हंसने लगी और बोली- वाह, क्या लंड है, आँख पड़ते ही मारने लगा है यह तो?
यह कह कर वो मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।

मैं मैडम ब्लाउज का उतार चुका था और उसकी सिल्क की ब्रा से ढके गोल मोटे और सॉलिड मुम्मों को तारीफ की नज़रों से देख रहा था। फिर वो सिल्की ब्रा भी हटा दी और वो दोनों कबूतर की तरह बाहर उछल कर निकले, तभी मैं मैडम के मुम्मों का मैं आशिक हो गया।
पेटीकोट उतारा तो मैडम की बालों से भरी हुई उभरी चूत को देख कर मैं उसका शैदाई हो गया।
मैं थोड़ा सा हट कर मैडम को ध्यान से देखने लगा।

हुस्न का मुज़स्मा था मैडम का शरीर… देखो तो देखते ही रह जाओ!
काफी मेहनत से अपने शरीर के रख रखाव में लगी थी मैडम, ऐसा साफ़ दिख रहा था।
अब मैडम का यौवन उबाल पर था और मेरा लंड भी उस पर निहाल था और मैं पूरा बेहाल था।

दूसरी तरफ देखा तो निम्मो भी अपने कपड़े उतार चुकी थी। माशाअल्लाह क्या जिस्म था उसका!
कम्मो का दूसरा रूप था लेकिन शरीर थोड़ा कसा हुआ था।
कदोकाठी वैसी ही, शक्ल में उन्नीस बीस का फरक और आँखों में कामातुरता, जिसका मतलब यह था यह भी अपनी मैडम की तरह सेक्स की भूखी थी।

अब मैं पूरी नंगी मैडम को लेकर बिस्तर की तरफ आया और उनसे पूछा- आप की कोई ख़ास पोजीशन की इच्छा है क्या?
मैडम बोली- तुम्हारे ऊपर चढ़ कर तुम से करना है।
मैं बोला- मैडम क्या करना है आपने?
मैडम थोड़ी शरमाई और फिर बोली- वही जो उस दिन किया था।
मैं बोला- नहीं मैडम, आप नाम बताओ उस दिन क्या क्या किया था?
मैडम मेरे मज़ाक को समझ रही थी फिर भी बोली- वही न!
मैं बोला- नहीं मैडम आप साफ़ साफ़ बताओ क्या करना है मुझको?

मैडम अब थोड़ी बेबस महसूस कर रही थी और वो निम्मो की तरफ देख रही थी।
निम्मो मैडम की तरफ से बोली- यह वही चोदम चुदाई के लिए कह रही हैं!
मैं बोला- देखो, मैं भी कितना नादान हूँ इत्ती से बात नहीं समझ सका… अच्छा मैडम, मैं आज अपने तरीके से आपको चोदूंगा। क्यों मंज़ूर है न मैडम?
मैडम ने हामी में सर हिला दिया।

मैंने मैडम को पलंग पर लिटा दिया, मैंने निम्मो को कहा कि वो मैडम के मुम्मों को चूसे और चाटे।
मैं अब मैडम की जांघों को फैला कर उनके बीच मुंह से उनकी चूत को चूस कर उनकी खातिर करने लगा।
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निम्मो भी उनके मुम्मों को चूस रही थी, मेरे हाथ मैडम के गोल चूतड़ों के नीचे थे और उनको ऊपर उठा कर मैं अपने मुंह के समांतर ले आया था।
जीभ के कमाल से उनकी भग को चूसा और फिर उनकी चूत के लबों को चूसा और काफी सारी जीभ चूत के अंदर घुमाता रहा था।
मैडम एकदम बेसब्र हो गई थी, उनका जीभ से एक बार छूट ही गया था तो अब उनकी इच्छा थी कि लंड का स्वाद चखा जाए।

अब मैं लेट गया और उनको मेरे ऊपर आने के लिए कहा, वो तो तैयार बैठी ही थी झट से मेरे ऊपर बैठ कर लंड को चूत के अंदर डाल कर धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी।

मैं भी नीचे से उनके सॉलिड संगमरमरी मुम्मों के साथ खेल रहा था। उधर निम्मो भी मेरे जांघों में अपने मुंह से मेरे अंडकोष को चूस रही थी।
उसके गोल और सॉलिड मम्मे काफी सुन्दर थे।
मेरा बड़ा दिल था कि उन मम्मों का भी मज़ा लूँ लेकिन मैडम की तरफ से हाँ ही नहीं हो रही थी।

थोड़ी देर में मैडम छूटने के निकट पहुँच गई थी और मैंने अब नीचे से खुद धक्के मारने शुरू कर दिए ताकि वो जल्दी छूटें तो मैं निम्मो की लूँ।

अब वो खुद ही धक्के तेज़ी से मार रही थी और मैंने उनको सपोर्ट देने के लिए अपने हाथ उनकी पीठ पर रख दिये और उसके साथ मैचिंग धक्के नीचे से मारने लगा।
चंद मिनटों में ही मैडम का छूट गया और वो मेरे ऊपर पसर गई और उनका शरीर काफी कांप रहा था, मेरे लंड को भी चूत की पकड़ फ़कड़न महसूस हो रही थी।
पूरा छूट जाने के बाद वो मेरे ऊपर से उठ गई और साइड में बिस्तर पर लेट गई।

मैंने निम्मो की तरफ देखा, उसका एक हाथ अपनी चूत में था और दूसरे से वो अपने दूधी को मसल रही थी।
मेरे दिल में रहम आ गया, मैं उठा और निम्मो को बिस्तर पर हाथ रख कर खड़ा कर दिया और पीछे से उसकी प्यासी चूत में लंड घुसेड़ दिया।
वो बेहद पनिया रही थी और मेरे गरम लौड़े को महसूस करके उसकी आँखें मुंद गई और मैं धीरे धीरे धक्के मार कर उसकी चूत को जगाने की कोशिश कर रहा था, पूरा लंड अंदर डाल कर मैं फिर पूरा बाहर निकाल कर सिर्फ लंड की टिप को अंदर रख कर धक्का मार रहा था और साथ में मेरे हाथ उसके मुम्मों पर थे और उनको प्रेम से मसल रहे थे।
काफी दिनों से वंचित चूत बहुत ही जल्दी झड़ जाती है, वैसा ही हुआ निम्मो के साथ, वो चंद मिनटों की चुदाई में झड़ गई।
लेकिन मैं भी लगा रहा धक्कम धकाई में! मेरी इच्छा थी कि इस गरीब का भी काम हो जाए और थोड़ा बहुत आनन्द मैं उसको दे सकूँ तो अच्छा है।

दूसरी बार मैं बहुत ही धीरे धीरे शुरू हुआ और साथ में उसकी चूत पर हाथ रख कर उसकी भग को भी मसल रहा था। यह दोहरा हमला अक्सर औरतें ज़्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकती और जल्दी ही हथियार डाल देती हैं।
निम्मो के साथ भी यही हुआ, अब वो अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और 5 मिन्ट में वो दुबारा छुट गई।

जब उसकी कंपकपी कम हुई तो मैंने उसके लबों को चूमा और उसके कान में कहा- कम्मो, तुम्हारी बहन मेरे घर में रहती है।
उधर मैडम अभी भी आँखें बंद किये लेटी थी तो मैं निम्मो को छोड़ कर मैडम के पास जाकर लेट गया और उनके गालों और कानों पर चुम्मी देने लगा।

मैडम थोड़ी चौकन्नी हुई, मैंने उसके होटों को चूमना शुरू किया और फिर उनके मोटे मलाईदार मुम्मों को बारी बारी से चूसना आरम्भ कर दिया।
अब मैडम की चूत में हाथ डाला तो वो गीली हो रही थी, मैंने उनको घोड़ी बना दिया और अपने खड़े लंड को चूत में डाल कर हल्का धक्का मारा और फिच्च कर के पूरा अंदर चला गया।
अब मैं मैडम को धीरे और तेज़ के मिलेजुले हमले से चोदने लगा।

थोड़ी देर में मैडम के अंदर से उनका खुश्बूदार रस निकल पलंग की चादर पर गिर रहा था।
मैंने थोड़ा सा अपने मुंह में डाला चखने के लिए और थोड़ा मैडम के मुंह में डाल दिया। अपने ही रस को चख कर मैडम तो जैसे पागल हो गई और लगी ज़ोर ज़ोर से पीछे की तरफ धक्के मारने।
मैंने मैडम के कान में कहा- मैं आज आपके अंदर छूटा रहा हूँ ताकि शायद आपका काम बन जाए।
मैडम ने मुस्करा कर हामी भर दी।

मैंने निम्मो को कहा- दो तकिये मैडम के नीचे रख देना।
वो झट से तकिये लाई और उनको मैडमके ठीक चूतड़ों के नीचे रख दिए।
अब मैं हर धक्के में मैडम के गर्भाशय के मुंह को लंड द्वारा ढून्ढ रहा था।
थोड़ी कोशिश के बाद मैंने उसको ढून्ढ लिया और अब जैसे ही मैडम का जोरदार छूटा मैंने भी उनके अंदर गर्भाशय के मुंह पर अपनी पिचकारी छोड़ दी।

वो कोशिश कर रही थी कि वो घोड़ी का पोज़ छोड़ कर नीचे लेट जाए लेकिन मैंने उनके चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था।
जब मेरा रस पूरा अंदर गिर गया तो मैंने लौड़ा निकाले बगैर ही उनको नीचे लिटा दिया और तकियों को एकदम चूत के नीचे एडजस्ट कर दिया।
फिर ही मैंने अपना लौड़ा निकाला और निम्मो को कहा कि वो उसको तौलिये से पौंछ दे।

फिर थोड़ी देर के लिए मैं मैडम के साथ ही लेट गया और एक छोटी सी झपकी भी ले ली।
आधे घंटे बाद उठा और कपड़े पहनने लगा।
मैडम भी उठ गई थी और कपड़े पहन रही थी।
मैं उनके खूबसूरत अंगों को देख रहा था जो धीरे धीरे आँखों से ओझल हो रहे थे जैसे चाँद बादलों के जमघट में ओझल हो जाता है।

जाने लगा तो मैडम बोली- मैं तुमको घर छोड़ आती हूँ!
लेकिन मैं बोला- मैं चला जाऊँगा, आप तकलीफ ना करें।
उनके बंगलो के बाहर से रिक्शा मिल गई, मैं आधे घंटे में घर पहुँच गया।

कम्मो को निम्मो के बारे में बताया सुन कर हैरान हुई कि उसकी चचेरी बहन लखनऊ में रहती है और यह बात उसको मालूम ही नहीं।
कम्मो ने मैडम का फ़ोन नंबर मेरे से लिया और मैडम के नंबर पर फ़ोन किया।
फ़ोन मैडम ने ही उठाया और कम्मो ने जब बताया वो कम्मो बोल रही है तो मैडम ने कहा- सोमू ने तुमको निम्मो के बारे में तो बताया ही होगा। मैं चाहती थी कि यह खबर मैं तुमको सुनाऊँ लेकिन लगता है सोमू ने तुमको पहले ही बता दिया है।
कम्मो बोली- मैडम, मैं निम्मो से मिलना चाहती हूँ अगर आप इजाज़त दें तो!
मैडम बोली- अभी तो मैं कहीं जा रही हूँ पर तुम और सोमू कल दोपहर में दोनों यहाँ आ जाओ तो तुम निम्मो से मिल लेना।
कम्मो ने कहा- ठीक है मैडम जी, हम दोनों कल आ जाएंगे।

मैं बोला- आज मैंने मैडम के अंदर छुटाया है।
कम्मो बोली- अभी कोई फायदा नहीं है, उनकी माहवारी कुछ दिन पहले ही खत्म हुई है।
फिर कम्मो ने बताया कि मौसा मौसी चले गए थे आपके कॉलेज जाने के बाद ही… दोनों काफी दुखी लग रहे थे।
कहानी जारी रहेगी।
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