मदहोश प्यासी मौसी की चूत चुदाई का मजा

(Mast Chut Ka Maja)

अजय दोस्त 2024-02-10 Comments

मौसी की मस्त चूत का मजा मैंने लिया. मैं अपनी मौसी से बहुत घुला मिला था. मैं उन्हें चोदना चाहता था. होली वाले दिन जब मौसी को पूरी नंगी देखा तो मुझे मेरी मंजिल करीब लगी.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अजय है. मैं 26 वर्ष का हूँ.
नियमित रूप से जिम जाने की वजह से मेरी कद-काठी काफी अच्छी है.

अभी मैं ग्वालियर में नौकरी करता हूँ. यहां ग्वालियर में मेरे एक दूर के मौसा मौसी रहते हैं.

मेरे मौसाजी का बिज़नेस है जिसके लिए वे कई बार शहर के बाहर आते जाते रहते हैं.

मैं और मौसाजी कई बार साथ में ड्रिंक भी करते थे और मौसी जी हमारे लिए चिकन आदि भी बना देती थीं.
वे भी साथ में एक दो पैग ले लेती थीं.

मौसी जी की उम्र 40 वर्ष है, रंग गोरा और फिगर 36-32-38 का है.
वे काफी गदराई हुई माल हैं.

उनका एक बेटा है, जिसका अभी अभी दूसरे शहर के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हुआ है.

मैं अपने मौसा मौसी के घर हमेशा आता जाता रहता हूँ.
मेरी मौसीजी से अच्छी बनती है.
जब भी हम दोनों मिलते हैं, तब हमारे बीच ढेर सारी बातें होती हैं.

वक्त के साथ हम दोनों आपस में काफी खुल गए थे.
मुझे भी मौसी से किसी तरह की कोई भी बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी.

मैं मजाक मजाक में मौसी से उनके अंडरगारमेंट्स का कलर, साइज और ब्रांड पूछ लेता था और भी बता भी देती थीं.

मुझे मेरी मौसी शुरू से ही पसंद हैं. और मैं मौसी की मस्त चूत का मजा लेना चाहता था.

मैं कई दिनों से मौसी को चोदने का प्लान बना रहा था पर हर बार बात बनते बनते बिगड़ जा रही थी और मैं लंड हिला कर रह जाता था.

कई बार मौसी की अदाएं देख कर लगता था कि बस आज तो मौसी मुझसे खुद ही चुदवा लेंगी, पर वह हो नहीं पाता था.

होली का समय था.
मैं मौसी जी के बुलाने पर होली मनाने उनके घर चला गया.

मौसा जी सुबह ही होली खेलने निकल गए.

मैं मौसी जी की किचन में मदद करने लगा.
मौसी आज अपनी नाइटी में मस्त माल लग रही थीं.
मैं बहाने से और मौका देख कर धीरे से मौसी को बार बार टच कर दे रहा था.

मौसी भी मेरे से बार बार चिपक रही थीं.

मैं मौका देखते हुए पूछ बैठा- मौसी, आज आपने किस कलर की ब्रा पहनी है?
मौसी- आजकल तुम्हें मेरी ब्रा पैंटी का बड़ा ध्यान रहता है, इरादा क्या है?

मैं- मौसी बताओ ना?
मौसी धीरे से बिल्कुल मेरे कान के पास आकर बोलीं- अभी नहीं पहनी है.

मैं- क्या?
मौसी- सच में, अभी नहीं पहनी, किचन में गर्मी लगती है न यार!

तभी घर की डोर बेल बजी और मौसी भाग कर अपने कमरे में चली गईं.

मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि मुहल्ले की सारी भाभियां आई थीं और वे सब मौसी को ढूंढ रही थीं.
मौसी भी कपड़े चेंज करके आ गईं.

भाभियों ने मौसी को ऊपर से नीचे तक रंग डाला.

मुझे देख कर वे सब मुझे भी रंग लगाने लगीं.
उनके साथ होली खेलने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

मैंने कई औरतों के गाल छुए, हाथ पकड़े और कुछ ने जबरदस्ती किया तो मौका देख कर मैंने उनके गले और छातियों पर भी मजे से छुआ.

मेरा तो पूरे टाइम मेरा लंड खड़ा ही रहा.

उन सबके जाने के बाद मौसी जी मेरे पास आईं और मेरे कान पकड़ते हुए मेरी हरकतों के लिए झूठा गुस्सा दिखाती हुई नहाने को बोलीं.

मैं भी भोला बनता हुआ पूछ बैठा- मैंने क्या किया है?
मौसी तपाक से बोलीं- मैं देख रही थी कि तुम कैसे मिसेज़ शर्मा की छातियों में रंग लगा रहे थे … और वह भी मजे से लगवा रही थी. साली 2-2 मर्द रखी हुई है, फिर भी मुँह मारती फिरती है कुतिया!

मौसी की छातियों पर भी रंग लगा था, उनका कुर्ता भी ऊपर से थोड़ा फटा हुआ था, जिस वजह से उनकी रंगी हुई चूचियां दिख रही थीं.
मैंने भी तपाक से बोल दिया- और आपकी चूचियां किसने रंग दीं?

मौसी बोलीं- उसी मिसेज़ शर्मा ने किया, अन्दर रंग नहीं जा रहा था, तो साली ने फाड़ कर रंग लगा डाला.

यह बोल कर वे अपने चूचियों को दिखाने लगीं और बोलीं- देख कितना ज्यादा लगा दिया है, अब छुड़ाने में भी काफी टाइम लगेगा!

उनकी चूचियां और भीगा बदन देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया जिसे मौसी ने भी नोटिस किया.

मौसी नहाने चली गईं और मैं बालकनी से झांक कर नीचे होली खेलती भाभियों को देख कर नयन सुख लेने लगा.

थोड़ी देर बाद मौसी जी ने आवाज़ दी और मुझसे तौलिया मांगा.
उन्होंने गलती से तौलिया बाहर छोड़ दी थी.

मैंने बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा होकर मौसी जी को तौलिया लेने को आवाज़ दी.
मौसी जी दरवाजा खोला और तौलिया ले लिया.
वे मुझसे भी जल्द नहाने को बोलने लगीं.

मेरी तो आंखें फटी की फटी रह गईं.

मौसी जी के गीले बदन पर कपड़े के नाम पर कोई धागा तक नहीं था और वे बिना किसी संकोच के मेरे सामने नंगी ही अपने बदन को तौलिए से पौंछने लगीं.
उनका गोरा बदन, बड़ी बड़ी चूचियां और मस्त चूत के ऊपर घने बाल … मैं तो नजारा देखता ही रह गया.

मौसी मेरे सामने गोल गोल घूम कर अपने बदन की नुमाइश करने लगीं और मुझसे पूछने लगीं- सारा रंग निकल गया न?

मेरे हां बोलते ही मौसी जी तौलिया लेकर अपने बदन को ढकने की बजाए तौलिए को अपने सीने से लगाया और मेरे बदन से बचते हुए नंगी ही बाहर आ गईं.

उनके गोल गोल चूतड़ … हाय मेरे कलेजे में आग लग रही थी.
बाहर आकर उन्होंने मुझे डांटते हुए कहा- अब देखता रहेगा या नहाएगा भी!

मैं चुपचाप नहाने चला गया.

मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
तब सबसे पहले मैं अपने आपको शांत करने को अपना लंड हिलाने लगा.

तभी मौसी जी ने कहा- अब नहा भी ले … मुझे भूख लगी है.

मौसी की नंगी जवानी में खोया हुआ मैं दरवाजा बंद करना भूल गया था और मौसी मेरे सामने खड़ी बाथरूम के अन्दर मुझे मुठ मारता देख रही थीं.

फिर वह बाथरूम के अन्दर आईं और अपने कपड़े लेकर हंसती हुई बाहर चली गईं.
वे अब भी नंगी थीं.

मुझे रंग गहरा नहीं लगा था, जल्दी छूट गया.
मैं जल्दी से नहा कर बाहर आ गया.

मौसी अब भी मुझे देख कर हंस रही थीं.
मुझे थोड़ा संकोच हो रहा था पर खुशी भी थी कि मौसी भी मूड में हैं और शायद आज तो वे मेरे लंड को लेकर ही रहेंगी.

मैं और मौसी साथ में खाना खाने लगे.

घर में हम दो ही थे.
इस बार उनका बेटा नहीं आया था और मौसा जी भी अब तक होली खेल कर घर वापस नहीं आए थे.

मैं मौसी जी के चूचों को घूर रहा था.

तभी मौसी जी ने मेरे कान पकड़ते हुए कहा- पूरा तो दिखा दिया, अब भी मन नहीं भरा क्या?
मैंने भी तुरंत बोल दिया- क्या करूँ आपको नंगी देख कर मेरा रोम रोम खड़ा हो गया है.

मौसी जी बोलीं- गिरा तो आये हो बाथरूम में … अब क्या खड़ा होगा! खाना खाओ तो अच्छे से खड़ा होगा.
यह बोल कर वे हंसने लगीं और मैं झेंप गया.

मैंने आज ठान लिया था कि आज तो मौसी की चूत का भोसड़ा बना कर ही छोड़ूँगा.

मैं खाना खत्म भी नहीं कर पाया था कि मौसा जी रंग में नहाए हुए घर आ गए.

उन्हें देख कर आज मुझे बहुत बुरा लगा. मेरी तो KLPD (खड़े लंड पर डंडा) हो गई.
मौसी जी भी उदास हो गईं.

मौसा जी नशे में थे.
वे आकर तुरंत नहाने चले गए, फिर खाना खाकर सो गए.

थोड़ी देर बाद मैंने देखा मौसी किचन में कुछ काम कर रही हैं और मौसा जी सो रहे हैं.
मैं मौका देखते हुए मौसी के पास गया और हिम्मत करके उन्हें पीछे से बांहों में ले लिया.

आज पहली बार मैंने उन्हें बांहों में लिया था.
मुझे डर भी काफी लग रहा था.

मेरे इस तरह अचानक पकड़ने से वह भी डर गईं, फिर मुझे देख कर शांत हो गईं.

मैं निक्कर में था और मैंने अन्दर चड्डी नहीं पहनी हुई थी.

मैंने मौसी को पीछे से पकड़ा हुआ था.
उनके कंधे पर अपना सर रख कर उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था और उनके पेट पर नाभि के पास सहलाता हुआ बातें कर रहा था.

धीरे धीरे मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं उसे मौसी के चूतड़ों के बीच उनकी गांड पर सैट करने लगा.
मेरी इस हरकत से मौसी ने पलट कर मुझे देखा और मुस्करा दीं.

फिर किचन की स्लैब को पकड़ते हुए धीरे से अपने पैरों को थोड़ा फैला कर अपनी गांड पीछे की ओर निकाल कर थोड़ी झुक गईं.

उनके ऐसा करने से मेरा लंड उनकी टांगों के बीच में उनकी चूत पर लग रहा था.
मुझे इससे बड़ी उत्तेजना हो रही थी.

धीरे धीरे मैं उनके गले और कान को चूमने लगा.

वे भी धीरे धीरे आहें भरने लगीं.

फिर मैंने धीरे से उनके कान को चूमते हुए पूछा- अभी अन्दर कौन सी कलर की पैंटी पहनी है?

वे खुद को सँभालती हुई मुस्कराईं और बोलीं- अभी भी अन्दर कुछ नहीं पहना है.
यह कहते हुए मौसी ने मेरे हाथ को पकड़ा और उसे अपनी चूत पर रख दिया.

मैं उनकी बालों वाली चूत की दरार को महसूस करने लगा और न जाने कब मेरा दूसरा हाथ उनके पीछे उनके चूतड़ों पर चला गया.
मैं एक हाथ से उनकी चूत सहला रहा था और दूसरे से उनके चूतड़ों को दबाता हुआ उनकी गांड को महसूस कर रहा था.

मौसी ने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने चूचों पर रख दिया.
मस्त मुलायम चूचे थे.
हम दोनों काफी गर्म हो गए थे.

फिर मैं मौसी को दीवार से लगा कर उनकी चूचियों को प्यार से सहलाता हुआ उनके मुँह में जीभ घुसा कर उनकी जीभ को चूसने लगा.

मौसी काफी गर्म हो गई थीं.
वे मेरे निक्कर के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी थीं.

फिर वह धीरे से मेरे कान के बिल्कुल पास आकर बोलीं- अजय, मुझे तुम्हारा लंड देखना है.

मैंने यह सुनते ही अपनी निक्कर को नीचे करके उतार दिया और मौसी ने झट से मेरे खड़े लंड को हाथ में ले लिया.
वे मेरे लंड को ऐसे देख रही थीं, जैसे आंखों से ही उसकी पूरी लम्बाई चौड़ाई का नाप ले रही हों.

तभी मौसा जी आवाज सुन कर हम दोनों अलग हो गए और अपने कपड़े भी सही कर लिए.
हम दोनों एक दूसरे के लिए बस तड़प कर रह गए थे.

कुछ दिन यूँ ही गुजर गए.

हम बस एक दूसरे के लिए तड़पते रहे.

फिर एक दिन मौसी जी का कॉल आया उन्होंने बताया कि मौसा जी अपने बिज़नेस के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं. उन्हें वापस आने में 5-6 दिन लग जाएंगे.
उन्होंने मुझे अपने कपड़े लेकर आने को बोला.

यह सुनते में खुशी से पागल हो गया और मैंने हफ्ते भर की ऑफिस से छुट्टी ले ली.

मौसा जी की ट्रेन शाम को 5 बजे थी.

ट्रेन के छूटते ही मैं मौसी के पास उनके घर में था.

मौसी से मिलते ही पहले हम दोनों ने एक दूसरे को खूब चूमा.
फिर मौसी ने मुझे यह बोल कर रोक दिया कि शाम के समय वे मोहल्ले की औरतों के साथ वॉक पर जाती हैं. यदि हम लोग अभी आगे बढ़े तो हमें फिर रुकना होगा … और इस बार वे रुकना नहीं चाहती हैं.

उन्होंने तब तक मुझे एक व्हिस्की की बोतल लाने के लिए बाजार भेज दिया.

मैंने कंडोम के लिए पूछा तो वे शर्माती हुई बोलीं- आज हमारे बीच में कुछ नहीं रहेगा!

हम दोनों फिर से एक दूसरे को चूमने लगे.
मौसी ने अपनी चूचियों को मेरे सीने पर दबाते हुए कहा- तुम्हारे मौसा जी में अब वह बात नहीं रही. उनका देर से खड़ा होता है और जल्दी गिर जाता है. मैं कई दिनों से ठीक से चुदी नहीं हूँ. मैं चाहती हूँ कि तुम आज मुझे बड़े प्यार से चोदो या तुमको जैसे चोदना है, वैसे चोदो … पर मुझे आज सिर्फ प्यार करो. आज मेरी आग बुझाओ. मैं तुम्हारी आज नहीं, कल बुझाऊंगी. मैं आज केवल मजे करना चाहती हूँ.

फिर मौसी मुहल्ले की औरतों के साथ वाक पर चली गईं और मैं व्हिस्की लेने.

आधा घंटा में मैं वापस आ गया और मेरे आते ही मौसी भी आ गईं.
हम दोनों ने मिल कर पनीर पकौड़ा बनाए और चिकन चिली हमने आर्डर कर दिया.

मैंने चेंज करके निक्कर और टी-शर्ट पहन लिया और मौसी ने अपनी एक नाइटी पहन ली, जो सामने से ओपन होती थी.
उन्होंने नाइटी के अन्दर कुछ नहीं पहना.

मैं पैग बनाने लगा.

थोड़ी ही देर में पनीर पकौड़ा बनाने का काम खत्म हो गया और मौसी प्लेट में पकौड़े सजा कर डाइनिंग टेबल पर ले आईं, जहां मैं पैग बना रहा था.

मैंने मौसी को गोद में बैठने को बोला.
तो वे बोलीं- मैं तुम्हें भारी लगूंगी!
फिर वे मेरे जिद करने पर बैठ गईं.

मेरा लंड खड़ा था, जिस पर बैठने से मौसी को महसूस हो गया.

वे धीरे से बोलीं- तुम्हारा लंड हमेशा खड़ा रहता है क्या?
मैंने कहा- नहीं, बस आपको देख कर खड़ा हो जाता है.

मौसी की चूचियों को सहलाते हुए और एक दूसरे को चूमते हुए हमने पहला पैग खत्म किया.

फिर दूसरा पैग बनाने के लिए मैंने मौसी को उठा कर धीरे से टेबल पर अपनी चेयर के ठीक सामने बैठा दिया.

मौसी टेबल पर बैठी थीं और उनके दोनों पांव फैले हुए थे.
बीच में मैं खड़ा होकर उनकी नाइटी से उनकी चूचियों को बाहर निकाल कर बीच बीच में चूसने लगा था.
मैं दारू का सिप लेकर चखने की जगह उनकी चूचियों को चूस रहा था और मौसी यह सब बड़े ध्यान से देख रही थीं.

वे अपनी चूचियों की नोकों को चूसता हुआ मुझे देखतीं और अपना पैग पीतीं.
तभी मौसी ने कहा- मैंने तेरे लिए आज कुछ और भी किया है.

मेरे पूछने पर उन्होंने सामने से अपनी नाइटी पूरी खोल दी.
वे अपने पांव फैलाकर अपनी चूत दिखाने लगीं.

उन्होंने अपनी चूत के बालों को साफ़ किया हुआ था.
अब उनकी गोरी चिकनी चूत मस्त फूली हुई दिख रही थी.

मैं अपनी कुर्सी खींच कर सामने ले आया और वहीं उनकी चूत के पास बैठ कर उनकी चूत को प्यार से देखने लगा.

तभी उन्होंने अपनी गांड को उठाया और अपनी चूत को मेरे सामने ऐसे पेश कर दिया जैसे मैं खाने के लिए बैठा हूँ और मौसी ने खाने में अपनी चूत मुझे परोसी हो.

मौसी धीरे से बोलीं- तुम्हारे मौसा जी मेरी चूत नहीं चाटते.
वे मुझसे अपनी चूत चटवाना चाहती थीं पर वह सीधे मुझसे बोल नहीं पा रही थीं.

मैं उनका इशारा समझ गया था.
मुझसे भी उनकी चिकनी चूत को देख कर रहा नहीं जा रहा था.

मैं उनकी टांगों को फैला कर उनकी चूत चाटने लगा और बीच बीच में अपना पैग भी पीता जा रहा था.
चूत नमकीन थी तो चखने का सही मजा मिल रहा था.

पहले तो मौसी पनीर पकौड़े के साथ व्हिस्की पीती हुई अपनी चूत चटवाने लगी थीं.

पर जब मैं उनकी चूत के होंठों को फैला कर उसे अपनी जीभ से चोदने लगा, तब वे आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो गईं और जोर जोर से आहें भरने लगीं.

मैं मौसी को खूब मजे करवाना चाहता था.

मौसी की आहों को मैं जितना ज्यादा सुनता, उतनी ही जोर जोर से चूसता और अपनी जीभ को अन्दर घुसा देता.

पहले तो मौसी मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत में ऐसे दबा रही थीं जैसे वे अपनी चूत में मेरे सर को घुसा लेना चाहती हों.
पर थोड़ी ही देर में वह मुझसे दूर होने की कोशिश करने लगीं.

मुझे जैसे ही यह अहसास हुआ, मैंने अपने दोनों हाथों से मौसी के चूतड़ों को पकड़ लिया और उनकी चूत को अपने मुँह में दबा कर जोर जोर से चूसने लगा.

कुछ ही पलों में एक लम्बी चीख के साथ मौसी ने ढेर सारा अपना रस छोड़ दिया जिसे मैंने चूस चूस कर पूरा निगल लिया.

मौसी मुझसे छूटते ही मेरे दोनों पांवों को जोड़ कर मेरे ऊपर बैठ गईं और मेरी जीभ को चूसने लगीं.
वे इस तन्मयता से मेरे होंठों को चूस रही थीं, मानो वे अपनी चूत के रस का स्वाद चखना चाह रही हों.

मैंने मौसी से पूछा- कैसा लगा?
वे बोलीं- पहले कभी भी मैं ऐसे नहीं झड़ी हूँ, पता नहीं कैसे इतनी जल्दी झड़ गई … वह भी तुम्हारे मुँह में!
अब वे मेरे निक्कर से मेरे लंड को निकालने लगीं.

तभी डोर बेल बजी.
मेरे मुँह से निकल गया- किस भैन के लौड़े की मां चुदी!
मौसी के मुँह से हंसी छूट गई और वे बोलीं- चिली चिकन वाले की!

अपना निक्कर ठीक करता हुआ मैं उठा और मौसी कमरे में चली गईं.

मैंने चिली चिकन वाले से पैकेट लेकर उसे विदा किया और दरवाजा बंद कर दिया.

दरवाजा बंद होने की आवाज सुनकर मौसी ने कहा- क्या हुआ?
मैंने कहा- चिकन आया है मौसी … और वह देकर चला गया है.

मौसी यह सुनकर बाहर आ गईं और उन्होंने अपनी नाईटी उतार कर सोफे पर फेंक दी.
वे मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठ गईं.

मैंने उन्हें चूमा और उनके एक दूध को दबा कर कहा- एक एक पैग और हो जाए!
वे सामने रखी टेबल पर अपनी टांगें फैला कर बैठ गईं और अपनी चूची मसलने के साथ दूसरे हाथ से चूत को सहला रही थीं.

उस समय मौसी एकदम छिनाल रंडी जैसी लग रही थीं.
मैंने दो तगड़े पैग बनाए और चिकन का लेग पीस अपने मुँह में दबा कर मौसी के बाजू में बैठ गया.

मौसी ने अपने हाथ से पैग लिया और मुँह से मुँह लगा कर चिकन के लेग पीस का एक बाइट लेकर खाने लगीं और पैग मुँह से लगा लिया.

मौसी घूंट भरती हुई बोलीं- ज्यादा हार्ड बना दिया है?
मैंने कहा- मौसी, मस्त होकर चुदवाओगी तो ज्यादा मजा आएगा.

मौसी गाली देती हुई बोलीं- हां मादरचोद … तू तो मेरी गांड भी मारना चाहता है!
मैंने भी कहा- पहले आपकी मस्त चूत का मजा तो ले लूं, फिर गांड को भी मार लूंगा.

मौसी हंसने लगीं और बोलीं- एक सिगरेट पीने का मन कर रहा है. उधर मेरे कमरे में तेरे मौसा की डिब्बी रखी है, ले आ.
मैं हां में सर हिला कर गया और सिगरेट ले आया.

मौसी ने कहा- एक ही सुलगा ले, उसी से दोनों पी लेंगे.
सिगरेट पीने के साथ ही मौसी ने लंड चूसने की पोजीशन बनाई और मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगीं.

करीब बीस-पच्चीस मिनट बाद पैग भी खत्म हो गया और नशा भी खासा हो गया था.
मैंने मौसी को चित लिटाया और उनकी चूत पर लंड सैट कर दिया.

मौसी हंसने लगीं और बोलीं- जरा धीरे से पेलना, तेरा औजार बड़ा है.
मैंने नशे में एक जोरदार धक्का लगाया और मौसी के मुँह से गालियां निकलने लगीं- उई भोसड़ी वाले … मादरचोद फाड़ दी बहन के लंड … आह मर गई.

मैंने उनकी चिल्लपौं को नजरंदाज किया और धक्का-पेल मचा दी.
कुछ देर बाद मौसी भी मजा लेने लगीं.

कुछ बीस मिनट तक तगड़ी चुदाई के बाद मैंने कहा- मौसी अन्दर ही आ जाऊं क्या?
मौसी बोलीं- मुझे पीना है.

मैंने लंड चूत से निकाला और उनके मुँह में दे दिया.
मेरे लौड़े से वीर्य की पिचकारियां निकलने लगीं और मौसी ने पूरा वीर्य खा लिया.

हम दोनों ही थक गए थे तो लेट गए और कुछ देर बाद सो गए.

इसके बाद जब तक मौसा जी वापिस नहीं आ गए, तब तक मैंने मौसी को हर तरह से चोदा और मज़ा लिया.
उसके बाद भी मौसी के साथ चुदाई का खेल होता रहा.

तो दोस्तो, यह मेरी मौसी की मस्त चूत की सच्ची सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करें.
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