दिल्ली में चाची की चूत का मज़ा- 2

(Sexy Chachi Hot Kahani)

सेक्सी चाची हॉट कहानी में मेरी चाची मेरी जवानी का ख्याल करते हुए मुझे मुठ मार कर मानसिक तनाव कम करने को कहती थी. तो मैं चाची से सेक्स के बारे में सोचने लगा.

दोस्तो, मैं राज एक बार फिर से अपनी चाची के साथ हुई चुदाई की कहानी के अगले भाग को लेकर हाजिर हूँ.

कहानी के पहले भाग
चाची के सामने मुठ मारी
में अब तक आपने पढ़ा था कि चाची मेरी मुठ मारने वाली आदत को जान चुकी थीं और वे मेरे साथ अब हस्तमैथुन को लेकर सहज होकर बात करने लगी थीं.

अब आगे सेक्सी चाची हॉट कहानी:

कुछ दिन बाद चाची और मैं एक साथ बैठे बात कर रहे थे.

चाची पूछने लगीं- आज यदि तुम बुरा ना मानो तो मैं एक बात पूछ सकती हूँ?
मैंने हां में सर हिला दिया.

चाची- तुम हफ्ते में कितनी बार हिलाते हो?
मैं- चाची आप ये क्या पूछ रही हैं?

चाची- तुम बताओ न यार, बात ही तो कर रही हूँ. बात करने में क्या जा रहा है?
मैं- ज़्यादा नहीं चाची, बस 10-15 दिन में शायद 1 बार होता होगा. कभी कभी तो महीने में 2 बार होता है.

चाची- इतना कम … और पढ़ाई पर कन्सेंट्रेशन हो पाता है?
मैं- नहीं चाची, कभी कभार दिमाग़ में सेक्स के बारे में ख्याल आते हैं, तो बाहर निकल जाता हूँ चाय वगैरह पीने या लाइब्रेरी में ही कोई मूवी देख लेता हूँ.

चाची- अरे बाप रे … और ये बताओ क्या तुमने कभी सेक्स किया भी है?

अब मैं थोड़ा असमंजस में था और डरा हुआ था.
साथ ही मैं कुछ सहज होने का सा भाव से रहा था और हल्की सी मुस्कान भी दे रहा था.
पता नहीं आज यह सब क्या हो रहा था.

चाची ने फिर से सवाल को पूछते हुए कहा- बताओ?
मैं- आ … एयेए … चाची मैं अभी वर्जिन हूँ.

चाची- तभी तो … तुम्हें पता है कि अगर तुम्हें पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए, तो तुम्हें हफ्ते में 2-3 बार मास्टरबेशन तो करना ही चाहिए. तभी इस सबका असर पढ़ाई पर नहीं पड़ेगा.
मैं- ठीक है चाची, अब से मैं ध्यान रखूँगा.

चाची- चलो खाना खाते हैं.
हम दोनों ने साथ में खाना खाया और सो गए.

फिर बाद में वैसे ही कुछ दिन सामान्य तरह से गुजर गए.

अब तक चाची को देखने का मेरा नज़रिया पूरा बदल चुका था.

दोपहर का समय था, चाची झाड़ू लगा रही थीं और उनके झुकते ही उनकी मैक्सी के खुले गले से मम्मों की घाटी का नजारा दिख रहा था.
बस हल्की नज़र पड़ते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया.

मैं चाची की हिलती हुई चूचियों को देख कर पजामे के ऊपर से ही लंड को सहलाने लगा.
ऐसे ही एक मिनट तक नजारा दिखा तो मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ.

मैं उधर ही मेरे पजामे के ऊपर से लंड को हिलाने लगा.
चाची को पता चल गया था तो वे बाहर चली गईं.
जाते समय वे बोलीं- पजामा और कच्छा गंदा मत करना.

यह सुनकर मैंने बिंदास अपने लंड को बाहर निकाल लिया और चालू हो गया.

वे दरवाजे की पीछे से देख रही थीं.

मैंने एक बार देखा, तो मुझे पता चल गया कि वे लंड देख रही हैं.

मैं थोड़ा सा सीधा होकर लंड हिलाने लगा ताकि उनको भी सही से दिख सके.

कुछ समय बाद मेरा माल निकलने को हुआ तो मैंने वहीं पड़े हुए एक कपड़े में माल निकाल दिया और सो गया.

जब उठा, तो देखा कि शाम होने को आई थी.
कुछ ही देर बाद चाची चाय लेकर आईं.

चाची- मास्टरबेशन करके तो तुम तो एकदम से घोड़े बेच कर सो गए थे?
मैं- हां चाची, पता नहीं कैसे … मैं कभी दोपहर में नहीं सोया … और अगर सोया भी हूँ तो इतनी देर तक नहीं सोया. आज कुछ ज़्यादा ही हो गया शायद!

चाची- होता है. चलो उठो, चाय पी लो और फ्रेश हो जाओ.

चाय पीते मैंने दोपहर वाली बाद छेड़ दी- चाची एक बात पूछना है दोपहर के बारे में!
चाची- हां पूछो?

मैं- क्या मेरी साइज़ ठीक-ठाक है?
चाची- पता नहीं राज, मैंने देखा नहीं.

मैं- मुझे कभी लगता है कि मेरी साइज़ बहुत छोटी है. मैं कभी किसी औरत को संतुष्ट नहीं कर पाऊंगा!
चाची- अब इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकती. ये संतुष्ट कर देने वाली बात दोनों पार्ट्नर्स के ऊपर निर्भर करती है.

मैं- अच्छा यह भी होता है?
वे- हां यह तो होता ही है. कुछ लोग थोड़े में ही संतुष्ट हो जाते हैं. कुछ बार बार करके ही और देर तक करने से संतुष्ट हो पाते हैं.

फिर हमारे बीच ऐसी ही कुछ बातें हुईं और मैं फ्रेश होने चला गया.

इस घटना के 15 दिन बाद चाची ने मुझे दोपहर में बैठा कर पूछा- राज एक बात बताओ, क्या तुम हफ्ते में एक बार मास्टरबेशन कर रहे हो?
मैं- नहीं चाची, उसी दिन आखिरी बार हुआ था … उसके बाद नहीं हुआ.
चाची- अरे तुम्हें बताया था ना कि हफ्ते में कम से कम दो तीन बार तो किया ही करो. वैसे उस दिन तुम्हारे हाथ में मोबाइल भी नहीं था … फिर अचानक से कैसे चालू हो गए थे?

मैं- अरे कुछ नहीं, बस ऐसे ही मन किया था, तो कर दिया.
चाची- पर बिना कुछ देखे एकदम से कैसे?

मैं- चाची अगर बुरा ना मानो तो एक कन्फेशन है … कर दूँ?
चाची- हां बोलो बेटा, इसमें पूछने वाली कौन सी बात है?

मैं- उस दिन आपकी क्लीवेज देख कर मैं थोड़ा हॉर्नी हो गया था और बस मैंने वही सब देख कर मास्टरबेशन चालू कर दिया.
चाची- हम्म!

मैं- सॉरी चाची, प्लीज़ आप गुस्सा मत कीजिएगा. सॉरी चाची.
यह कर मैं उनके पैर पकड़ने के लिए झुकने लगा- आपके पैर छूता हूं … प्लीज़ गुस्सा मत कीजिए सॉरी.

चाची- हां ठीक है … ठीक है.
मैं- सॉरी चाची.
चाची- अरे कहा न ठीक है, कोई बात नहीं है.

मैं तुरंत लाइब्रेरी के लिए निकल गया और रात को आकर खाना खाकर चुपचाप सोने आ गया.

तब चाची मेरे पास आईं और बात करने लगीं- राज सोने जा रहे हो क्या?
मैं- जी चाची, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ मुझे लगा कि अब आप मेरे साथ बात भी नहीं करोगी … सॉरी चाची!

चाची- अरे बेटा कोई बात नहीं, हो जाता है. तुम लोगों का कुछ इसी तरह की चीजों से बह जाता है … और तुम लोग उसी में खुश हो जाते हो.
मैं- सॉरी चाची.

चाची- कोई बात नहीं, इसी बहाने तुम मास्टरबेशन तो वीक्ली करोगे. मेरी एक बात याद रखना. हमेशा दिमाग को खाली रखने के लिए अपना जमा हुआ पानी निकालना ही पड़ेगा.
मैं- जी चाची जी!

चाची- अगली बार से तुम्हारा जब भी मन करे, तुम मास्टरबेशन कर लिया करो.
मैं- जी चाची.

अगले दिन जब मैं नहा कर बाहर आया, तब चाची कहीं बाहर गई हुई थीं.

तभी मुझे बेडरूम में चाची की फटी हुई ब्रा दिखी. मैंने ज़ैसे ही वह फटी हुई ब्रा हाथ में ली और सूँघी, तो मेरा लंड हिलाने का मन हो गया.

मैं ब्रा को अपने लंड कर लपेट कर हिलाने लगा.
मैं मुठ मारने में इतना मदहोश हो गया था कि मैंने अपने लंड का माल उसी में निकाल दिया और ब्रा वहीं एक कोने में छोड़ दी.

ऐसे ही दिन गुजरते गए.

फिर एक दिन दोपहर में चाची मेरे पास आईं.

चाची- और बेटा, कैसी चल रही है तेरी पढ़ाई?
मैं- ठीक चल रही है चाची!

वह मुझे देख कर मुस्कुराने लगीं.
मैंने मौका देखा और कह दिया- चाची, मेरा अभी हिलाने का मन कर रहा है.

चाची- ठीक है … कोई बात नहीं, हिलाओ. मैं दूसरे कमरे में चली जाती हूँ!

मैं- अरे नहीं चाची यहीं पर रूकिए ना. प्लीज़ मुझे बता भी दीजिए कि मेरा साइज़ ठीक है या नहीं?

चाची दो मिनट तक गुस्से से मुझे देखने लगीं.
बाद में जैसे ही मैं सॉरी कहने वाला हुआ कि वह अचानक से उठ कर चल दीं.

चाची- ठीक है अगर तुम्हें सही लगे, तो मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है.

फिर मैं मोबाईल पर अन्तर्वासना खोल कर सेक्स कहानी पढ़ने लगा और मेरा माहौल बन गया.
मेरा लंड अपनी पूरी ताक़त से तन गया.

चाची एकदम ध्यान से लंड को देख रही थीं.

मैं- चाची क्या मैं बाहर निकाल लूँ?
चाची- हम्म …

मैं- डर लग रहा है.
चाची- देख लो तुम अपने हिसाब से जो भी ठीक समझो.

मैंने लंड निकाल लिया.
हॉट चाची एकदम ध्यान से देख रही थीं और में हिलने लगा.
मेरा पूरा ध्यान चाची के मम्मों पर ही टिका था.

चाची भी बस देखे जा रही थीं और वे मेरे सामने वाले बेड पर बैठी थीं.
मैं बस उनके बूब्स को देख कर अपना लंड हिलाए जा रहा था.

यह पहला मौका था, जब मैं चाची के सामने बेखौफ लंड हिला कर मुठ मार रहा था.
यह मेरे लिए बड़ा ही कामुक पल था, तो मेरा माल जल्दी ही निकल गया.

इस बार बहुत सारा माल निकला था और बहुत जोर से पिचकारी के जैसे निकला था.
वीर्य की पिचकारी चाची के ऊपर भी जा लगी थी.

मैं- सॉरी सॉरी चाची … मुझे खुद पर कंट्रोल ही नहीं हुआ.

फिर जब सब कुछ साफ हो गया. चाची दोबारा से नहा कर आईं और बातें करने लगीं.

मैं- चाची सॉरी यार, वह ग़लती से आपके ऊपर हो गया.
चाची- कोई बात नहीं बेटा, ऐसे समय पर किसी से कंट्रोल नहीं हो पाता, पर इतना सारा माल निकलता है तुम्हारा?

मैं- नहीं चाची, यह इतना ज्यादा आज ही पहली बार निकला है. इतना ज्यादा माल इसलिए निकला है शायद कि आप मुझे करता हुआ देख रही थीं.
चाची- अच्छा!

मैं- आप वह बताओ जिसके लिए आपके सामने किया!
वे- क्या बताऊं?

मैं- क्या साइज़ ठीक है चाची?
चाची- हां साइज़ तो अच्छा खासा है. लंबाई और मोटाई बहुत सही है.

मैं- चाची एक बात बोलूँ … बस प्लीज़ आप गुस्सा मत करना!
चाची- हां बोलो न.

मैं- आपके बूब्स बहुत ही मस्त हैं. इनको देख कर ही कुछ ज्यादा माल निकला.
चाची- अच्छा तभी तुमने उस दिन मेरी ब्रा में मास्टरबेशन किया था?

मैं- स…सॉरी चाची.
चाची- कोई बात नहीं वैसे भी वह ब्रा खराब हो गई थी. तो तुम्हें मेरे बूब्स ज़्यादा गर्म कर देते हैं?
मैं- जी चाची!

चाची- अच्छा अगली बार से जब भी मन करे, तुम हिला लिया करो. तुम मेरे सामने भी कर सकते हो.
मैं- जी चाची.

अब हम और ज़्यादा खुल गए थे और ज़्यादा करीब आ गए थे.

वैसे मैं अपने बारे में एक बात बताना भूल गया.
एक बार मेरे सीधे हाथ की कलाई में छोटा सा फ्रेक्चर हुआ था.
उस वक्त मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया था, इसलिए वहां की हड्डी कभी कभी कुछ दर्द सी देने लगती थी.

अब वहां हमेशा ही दर्द करने लगा था और जब भी दर्द करने लगता था, तो उस वक्त मैं अपने हाथ से कुछ नहीं कर पाता हूँ.
ऐसे ही कुछ दिन बाद मैं शाम को वॉलीबॉल खेल कर वापस आया.

उस दिन मैंने सर्विस बहुत ज़्यादा कर ली थी तो मेरा हाथ दर्द करने लगा था.

अगले दिन शाम को चाय के समय जब मैं और चाची बात कर रहे थे, तब की बात है.
चाची- बेटा राज बहुत समय हो गया तुमने हिलाया नहीं है. मैंने कितनी बार बोला है कि हफ्ते में 2-3 बार जरूर किया करो. पर तुम हो कि 10-15 दिन में एक बार करते हो!

मैं- अरे चाची, आज दोपहर में करने वाला था, पर कल वॉलीबॉल की वजह से हाथ बहुत दर्द करने लगा था इसलिए नहीं किया!
चाची- अच्छा देख लो, तुम अपने हिसाब से कर लेना.
मैं- जी चाची.

फ़िर अगले दिन दोपहर में मैं कोशिश कर रहा था.
जब सेक्सी चाची झाड़ू लगा रही थीं, तब मेरा लंड खड़ा हुआ.

पर कलाई में दर्द की वजह से नहीं कर पा रहा था.

चाची ने मुझे देख लिया.
चाची- क्या हुआ राज?

मैं- चाची हाथ बहुत दर्द कर रहा है. मास्टरबेट नहीं कर पा रहा हूं!
चाची- मेरी कोई मदद की जरूरत है?

मैं- जी नहीं चाची, कोई बात नहीं. मैं कर लूंगा.
चाची- ओके.

मैं धीरे धीरे बाएं हाथ से अंडरवियर नीचे करके सहलाने लगा और सीधा हाथ ऐसे ही संतुलन बनाने के लिए बाजू में रख लिया.
फिर कुछ ज़्यादा दबाव की वजह से हाथ में दर्द होने लगा, तो मैंने हिलाना एकदम से छोड़ दिया.

चाची मेरे सामने खड़ी थीं.

वह झुकी और बोलीं- बेटा कोई मदद चाहिए क्या?
मैं- जी चाची, हाथ बहुत दर्द कर रहा है, अंडरवियर ऊपर खींच दीजिए.

चाची- और इसको ऐसे ही छोड़ दोगे?
मैं- क्या करूँ यार चाची … दर्द कुछ और करने ही नहीं दे रहा है!
चाची- मैं कुछ कर दूँ?

मैं- तो क्या आप हिलाओगी?
चाची- हां … तुम तकलीफ़ में हो तो उसमें कैसी दिक्कत?

मैं- ठीक है चाची, अगर आपको बुरा ना लगे … तो ठीक है हिला दीजिए
जैसे ही चाची ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा, मुझे एक अजीब सा करेंट लगने जैसा हो गया.

मुझे सेक्सी चाची के हाथ से लंड पकड़वाने में बहुत अच्छा लगा.
तब सिर्फ़ कुछ ही स्ट्रोक में ही मेरा माल निकल गया … और पूरा माल चाची की चूचियों पर जा गिरा, मतलब उनके ब्लाउज पर गिरा.
ब्लाउज गीला हो गया था और अन्दर की काली ब्रा दिखने लगी थी.

हॉट चाची जल्दी से उठ कर सीधा बाथरूम में चली गई साफ करने.
पर जल्दबाज़ी में वे दरवाजा लगाना भूल गई थीं.

कुछ मिनट बाद मुझे लगा कि चाची का हो गया होगा इसलिए मैं सीधा बाथरूम में घुसता चला गया.

मैंने सामने देखा कि चाची सिर्फ़ पेटीकोट और ब्रा में थीं.
उनकी काली पैंटी नीचे थी और चाची ने दीवार से टिक कर अपनी चूत में उंगली डाल रखी थी.

आह क्या मस्त नजारा था दोस्तो … क्या ही बताऊं.
चाची की आंखें बंद थीं.

दोस्तो, अब चाची की चूत मिलने में मुझे देर नहीं थी. चाची की चूत चुदाई की कहानी को मैं अगले भाग में पूरा लिखूँगा.
यह सेक्सी चाची हॉट कहानी आपको कैसी लग रही है?
आप मुझे मेल जरूर करें.
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सेक्सी चाची हॉट कहानी का अगला भाग: दिल्ली में चाची की चूत का मज़ा- 3

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