शालू की गुदाई-3

लीलाधर 2010-08-13 Comments

उसने कहा- लगातार चुभन से कभी कभी सिहरन होती है इसलिए उसे उसके हाथों को कुर्सी के हत्थों से बांधना होगा।

शालू तब तक शर्म पर काबू पा चुकी थी, उसने पूछा क्या ऐसा करना जरूरी है?

“No, but it will help !” (नहीं, लेकिन यह अच्छा रहेगा)

शालू एक सेकंड के लिए ठहरी, फिर बोली- Ok, do it !(ठीक है, करो)

कह कर उसने कुर्सी के हत्थे पर हाथ जमा दिए। राबर्ट ने हैंडल में लगी चमड़े की पट्टी उसके हाथ पर कसते हुए दूसरी ओर बक्कल लगा दिया। यही क्रिया उसने दूसरे हत्थे पर भी दुहराई। उसने उसे निश्चिंत किया, डरने की कोई बात नहीं है।

मैं समझ रहा था आगे वास्तव में क्या होने वाला है। शालू के बंधे हाथ देखकर मुझे खुशी हुई।

राबर्ट गन लेकर उसके सामने बैठ गया। उसने सीधे वेदी की फाँक पर हाथ टिकाया और गन से काम स्टार्ट कर दिया। शालू उछल पड़ी। पर पांच मिनट बाद उसे अच्छा लगने लगा। वह मज़ा लेने लगी। रॉबर्ट धीरे-धीरे अपना हाथ चूत के ऊपर गोल घुमाने लगा। शालू की योनि गीली होने लगी और होंठ और अधिक ‘पिसाई’ की इच्छा से फैलने लगे।

अचानक ही…

रॉबर्ट ने उंगली छेद के अंदर सरका दी।

शालू चौंक पड़ी, यह तो नहीं किया जाना था?

उसने मेरी ओर देखा कि मैं कुछ बोलूँगा। पर मैं बस मुस्कुरा दिया और वीडियो कैमरे से फिल्माता रहा। वह उलझन में थी और अपने को मुसीबत में महसूस कर रही थी… आखिरकार उसके हाथ बंधे थे और एक अपरिचित आदमी उसके पति के सामने ही उसकी योनि में उंगली कर रहा था। उसके उस अंग को मेरे सिवा किसी ने देखा भी नहीं था। वह और मैं किसी दंपति के साथ अदला-बदली या दूसरे व्यक्तियों के साथ सेक्स का इरादा कर रहे थे मगर यह अभी तक केवल बातों तक ही सीमित था।

रॉबर्ट अब गन चलाते हुए छेद में कन्नी उंगली अंदर-बाहर कर रहा था, उंगली भीगकर चमक रही थी। औरत की उत्तेजना की एक खास गंध कमरे में फैल गई। कभी कभी वह भगनासा को भी हल्के से रगड़ देता। जब-जब ऐसा होता शालू कुर्सी पर थोड़ा उछल जाती। वह समझ नहीं पा रही थी इसे किस रूप में ले। मैं सामने था और यह होने दे रहा था। वह कुछ देर तनी रही पर जल्दी़ ही उत्तेजना उसकी उलझन पर हावी हो गई। वह कुर्सी पर अपने को ढीला छोड़ दी। उसकी योनि अब सचमुच ही रस छोड़ने लगी। मैं दम साधे फिल्मा रहा था, हालाँकि मेरा लिंग फूल गया था और मुझे उस गीली योनि को चखने की बड़ी तीव्र इच्छा हो रही थी।

रॉबर्ट ने अब एक दूसरी उंगली घुसा दी और शालू के मुँह से ‘आह’ निकल गई। वह उसकी उंगलियों के अंदर-बाहर होने की गति से अपनी गति मिलाने लगी। जब उंगलियां अंदर जाती तो वह नितंब आगे ठेलकर उन्हें पूरा अंदर लेने की कोशिश करती। उसमें अब पीछे लौटने की कोई इच्छा नहीं बची थी।

शायद रॉबर्ट का काम समाप्त हो गया था। उसने गन रख दी और बहाना छोड़कर सीधे काम पर उतर गया। योनि में उंगली करते हुए वह दूसरे हाथ से उसकी भगनासा भी रगड़ने लगा। शालू इतनी मग्न थी कि उसे पता नहीं चला कि रॉबर्ट कब गोदने का काम रोक चुका है। वह और जोर से ‘आह’ ‘उह’ करने लगी और नितम्बों को और अधिक उचकाने लगी।

क्या उसके इस तरह मेरे सामने निश्चिंत होने के पीछे उसके दूसरे मर्दों के साथ देखने संबंधी मेरी छेड़छाड़ का भी कोई योगदान है? मैं नहीं जानता था पर यह जरूर जानता था कि घर में इस वीडियो को दिखाकर उसे शीघ्र अदला-बदली या दो स्त्री-पुरुषों के संग एक साथ आनंदभोग के लिए प्रेरित कर सकूँगा। मैं इस अनमोल, अविस्मरणीय दृश्य को बिल्कुल सटीक फोकस करके पूरी सफाई से कैमरे में कैद कर रहा था। यह आज के दिन का यादगार रहेगा। इससे उसे याद दिलाता रहूंगा कि आज के दिन क्या हुआ था।

“Lick me, please (मुझे चाटो, प्लीज)” शालू के आँख मुंदे चेहरे के होठों से आधी फुसफुसाहटभरी आवाज निकली।

मैं खुशी से किलक पड़ा- अरे वाह !

मैं उत्कंठापूर्वक देख रहा था- रॉबर्ट की उंगलियाँ अनवरत चल रही थीं। उसका अंगूठा उसकी फूली भगनासा की जड़ों को सहला रहा था। उसने सिर झुकाया और चूत को हौले से चूम लिया।

शालू की साँस निकल गई। वह नितम्ब खिसकाकर अपने कटाव को उसके मुँह पर बिठाने की कोशिश करने लगी, ‘more… more… please…’ फुसफुसाती हुई उससे और चाटने की प्रार्थना कर रही थी।

रॉबर्ट एक हाथ से उसके होठों को खींचकर फैलाकर मुँह घुसा कर सीधे भगनासा को चूस रहा था। बीच-बीच में नीचे उतरकर फाँक के अंदर की गुलाबी सतहों की भी ‘खबर’ ले लेता। मैं कैमरे को खिसकाते हुए उस बिन्दु पर चला आया जहाँ से लेंस में रॉबर्ट की जीभ योनि के अंदर लपलपाती दिख रही थी। उसने उसके चूतड़ों के नीचे हाथ घुसाकर उठाया और फाँक में मुँह गाड़कर तरबूज की तरह चूसने लगा। मुझे उससे ईर्ष्या हो रही थी। वह चीज जो मैं करना चाहता था उसे वह कर रहा था। मैं अपने तने लिंग और कैमरे के साथ अकेला सा पड़ गया था। वह बीच-बीच में ठहरकर साँस लेता, फिर घुस जाता।

शालू की कराहटें और सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं। जैसे ही रॉबर्ट रुकता वह ‘don’t stop”don’t stop’ की गुहार लगाती। रॉबर्ट उसे तरह तरह से आनंदित कर रहा था। चूत झरने की तरह बह रही थी और मैं वीडियो बनाने में व्यस्त़ था।

रॉबर्ट उसकी हरकतों से समझ गया वह अब झड़ने के करीब है। वह और अंदर उतरा, जीभ से योनि का घर्षण बढ़ाया, भगनासा की घुंडी होठों में कस लिया… शायद एक बार उसमें दाँत भी गड़ाए… शालू चिल्लाई….’आह’.. ‘आऽऽह’.. मुझे लगा अब वह झड़ी… अब झड़ी…. झड़ी……

कि तभी रॉबर्ट अलग हो गया।

“O my God!!” शालू चिल्ला पड़ी, “Please don’t stop (मत रुको)

रॉबर्ट को पकड़ने के लिये कलाइयों को कसमसाने लगी- मुझे ऐसे मत छोड़ो। I’m so close to cumming (मैं झड़ने के एकदम करीब हूँ।)

रॉबर्ट हँसा। उसने अपने होंठों पर जीभ फिराई और चटखारा लिया- You have a good taste (तुम्हारा स्वाद बड़ा बढ़िया है।)

उसने पुन: बढ़कर उसके चूत के खुले होंठों के बीच एक चुम्बन लिया और उठ खड़ा हुआ- Let us celebrate it (चलो इसका जश्न मनाते हैं।)

शालू डर गई। कहीं यह उसके साथ असली सेक्स तो नहीं करने वाला है? उसे लग रहा था कि थोड़ा मजा लेने के लालच में वह काफी आगे चली गई है, अब नतीजा भुगतना पड़ेगा। वह उठने की कोशिश करने लगी।

राबर्ट ने उसे कुर्सी पर वापस ठेल दिया- ऐसी भी क्या जल्दी है माई डियर, आज का दिन तो यादगार बनाना है, है ना? नकली पूछने का अभिनय करके उसने अपनी जींस का बकल खोलकर लिंग को बाहर निकाल लिया।

मैं जानता था कि अंग्रेजों के बड़े आकार के होते हैं फिर भी प्रत्यक्ष चीज देखकर मुझे आश्चर्य हुआ। मेरी तुलना में वह काफी बड़ा था- मूसल जैसा मोटा, गुलाबी, तना हुआ, आक्रमण के लिए तैयार। उस पर की नसों का उभार भी साफ झलक रहा था। मुझे डर लगा, इतना बड़ा अंदर जाएगा?

शालू उस लंबे चौड़े हथियार को देखकर दहल गई, नहीं-नहीं करने लगी।

रॉबर्ट उसके करीब पहुँचा, उसकी छटपटाती कलाइयों को कुर्सी के हत्थे पर दबाया और उसकी आँखों में आँख गड़ाकर नकली नम्रता से बोला- I am obliged to please you, great lady ! (मैं आपको खुशी देने के लिए बाध्य हूँ, महान नारी।)

उसे छटपटाते, कसमसाते देखकर वह और अधिकार और व्यंग्य से हंसा- Madam must know what a great bitch she is ! (महोदया को अवश्य मालूम होना चाहिए वह कितनी बड़ी कुतिया है।)

मेरी चहेती, गरिमापूर्ण, गर्वीली पत्नी। मैं उसे अपमानित होते देखने का मजा ले रहा था। उसकी अंतिम पराजय की प्रतीक्षा कर रहा था। चुदना एक तरह की पराजय ही होता है। चुदकर औरत अपने पर उस पुरुष का आधिपत्य स्वीकार करती है।

रॉबर्ट ने विनम्रता और शिष्टाचार के अभिनय को छोड़कर उसे सीधे सीधे डांटा- चुपचाप बैठी रहो। The more you fight, the harder I’ll fuck you (जितना ज्यादा छटपटाओगी, उतनी जोर से चोदूँगा।)

मैंने कैमरा रख दिया। शालू को उम्मीद बंधी कि अब मैं हस्तक्षेप करूंगा। पर उसे हैरानी में डालते हुए मैंने उसका पैर पकड़ लिया और रॉबर्ट ने उसकी एड़ी को चमड़े की पट्टी से कुर्सी में बांध दिया। वह सदमे से जड़ रह गई। मैंने और रॉबर्ट ने मिलकर उसका दूसरा पैर भी बांधा और फिर दोनों बाँहें भी कुर्सी के हत्थे से बांध दी। वह संघर्ष करती, छटपटाती रही और हमने बिना कोई दया दिखाए उसकी छटपटाहट का आनन्द लेते हुए उसे पूरी तरह बेबस कर दिया।

कुर्सी की पीठ के निचले हिस्से से चमड़े का एक बड़ा पट्टा लगा हुआ था। रॉबर्ट ने उस पट्टे को खोला और उसे उसकी गोद पर से गुजारते हुए दूसरी तरफ ले जाकर कुर्सी से कस दिया। अब उसका हिलना भी मुश्किल था, हम उसके साथ बेरोकटोक जो चाहे कर सकते थे।

मैंने कैमरा उठा लिया।

राबर्ट ने कुर्सी की पीठ में कोई लीवर घुमाई। इससे कुर्सी की पीठ पीछे झुक गई और दोनों पावदान ऊपर उठ गए। शालू के कूल्हे सीट में आगे खिसक गए और उसके उसके चूतडों के नीचे दबा तौलिया आगे थोडा लटक गया। होंठ और खुल गए और गुदा का गुलाबी छेद भी प्रकट हो गया। मैंने नोटिस किया होंठों के बीच चिपचिपे योनि द्रव का एक तार खिंच गया था। राबर्ट ने कुर्सी की सीट के नीचे एक हैंडल घुमा घुमाकर सीट को अपने मनोनुकूल ऊँचाई तक उठाया और लॉक कर दिया।

रॉबर्ट ने मुझे एक क्षण देखा- I’m going to fuck your wife (मैं तुम्हारी पत्नी को चोदने जा रहा हूँ।)” वह जैसे मुझसे कह और पूछ दोनों ही रहा था।

”यदि तुम करते हो…” मैंने भी उतने ही गंभीर स्वर में कहा, बात में नाटकीय प्रभाव लाने के लिए थोड़ा रुका, शालू पर एक नजर डाली और बोला-…तो ठीक से करो।

“भाड़ में जाओ तुम दोनों !” शालू चिल्ला पड़ी। वह आवेग में भरकर फीतों से छूटने के लिए जी-जान से जोर लगाने लगी। “You fucking bastards” उसकी गाली सुनकर मुझे मजा आ गया।

इसने रॉबर्ट और मुझे दोनों को एक स्तर पर उतार दिया। हम दो पुरुषों के सामने एक औरत – मेरी पत्नी – टांगें फैलाए, योनि परोसे, बंधनों में छटपटाती, गालियाँ देती अपने चुदने का इंतजार कर रही थी।

रॉबर्ट ने ज्यादा इंतजार नहीं कराया। वह आगे बढ़ा और लिंग के मुँह को उसके होठों के बीच लगाकर दरार में ऊपर-नीचे फिराया। लिंग का माथा उसके रस में भीगकर चमकने लगा। अब उसने उसके मुँह को छेद के उपर लगाया और ठेला।

शालू उसकी हरकत को भय से देख रही थी। मैं भी डर रहा था उसकी योनि इतने मोटे की अभ्यस्त नहीं थी। कहीं फट… (मैं उन शब्दों को सोच भी न पाया।)

लेकिन कुदरत ने उसे कमाल का लचीला बनाया है। और फिर वह रॉबर्ट की उंगलियों के संचालन से काफी गीली और किंचित फैल भी चुकी थी। लिंग का मुंड उसमें शीघ्र ही अंदर चला गया। शालू की आँखें फैल गर्इ्रं- ओ ग्गॉड… अब यह जरूर पूरा अंदर चला जाएगा…… भयानक ख्याल से वह सिहर गई।

शालू ने जिस गॉड से फरियाद की थी, मैंने उसी गॉड को धन्यवाद दिया। वह महान था। शालू का पूर्ण मर्दऩ, स्खलन…

पैंट के अंदर मेरा लिंग दर्द कर रहा था। ऐसी दुर्दम्य उत्तेजना को सम्हालने की मशक्कत शायद ही उसे कभी पहले करनी पड़ी थी।

रॉबर्ट ने मुँह को को थोड़ी देर फैलने का समय दिया। शालू की घुटी-घुटी सांसें… रुआंसी सिसकारियाँ…

रॉबर्ट ने उसकी डरी अवस्था का और मजाक उड़ाया- लगता है इतने से तुम्हें संतोष नहीं हो रहा है। तुम्हें पूरा ही चाहिए, है ना…?

“तो यह लो !” कहते हुए उसने जोर का धक्का दिया।

शालू की चीख निकल गई।

लंबे चौड़े मजबूत अमरीकी शरीर के शक्तिशाली वार से पूरा लिंग सरसराता हुआ अंदर घुस गया। शालू की तंग ‘भारतीय’ योनि कोई रुकावट पैदा कर ही नहीं पाई। इतनी गीली और कोमल थी वो। शालू की साँस रुक गई। मुझे डर लगा कि कहीं उसे कुछ हो न गया हो। मन हुआ कि आगे बढ़कर रोक दूँ। रॉबर्ट उसमें वैसे ही धँसा था। उसकी कसावट और कोमलता और गर्माहट का आनन्द ले रहा था। उसे फैलने का समय दे रहा था।

शालू की अटकी साँस निकली और मेरी जान में जान आई। राबर्ट बाहर निकला, बस इतना कि बस लिंग का सिर होठों के बीच रह जाए और फिर से पूरा आठ इंच अंदर उतार दिया। मैं उस दुर्लभ घटना का एक एक विवरण टेप पर उतार लेने के लिए नजदीक चला गया। मेरे पाँच इंच के मुकाबले यह काफी ताकतवर और जानलेवा था। शालू की क्या गति हो रही होगी मैं अंदाजा भी नहीं लगा सकता था। उसकी योनि इतनी अधिक तनी हुई थी कि लिंग के बाहर आते समय अंदर की दीवारें भी बाहर खिंच जा रही थीं। राबर्ट आहिस्ते-आहिस्ते धक्के लगा रहा था।

कुछ मिनटों के बाद शालू शांत पड़ने लगी और उसने धक्कों के डर से पेड़ू को भींचना बंद कर दिया। धीरे-धीरे उसकी योनि अजनबी, उद्दंड घुसपैठिये से परिचय बढ़ाने लगी। जल्दी ही वह नितम्ब उचकाकर उसके प्रवेशों का स्वागत भी करने लगी। उसकी आँखें मु्ंदने लगीं और वह अपना निचला होठ दांतों से काटने लगी।

मैंने रॉबर्ट को संकेत किया कि अब वह मज़ा लेने लगी है। वह उत्साह में आ गया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

अचानक आई तेजी से शालू के जैसे होश उड़ गए। जोरदार घर्षण ने उसकी योनि में आग की लपटें उठा दीं। वह सारा लाज संकोच भूल बैठी और बढ़कर धक्कों का जवाब देने लगी। भूल गई कि वह एक ब्याहता, कुलीन स्त्री है और पति के सामने ही वग गैर मर्द द्वारा भोगी जा रही है। लाज-शरम, सभ्यता, मर्यादा और मान-अपमान के सारे संस्कार छोड़कर शुद्ध कामोत्तेजित भोग्या स्त्री के रूप में रति क्रिया का तुर्शी-ब-तुर्शी जवाब दे रही थी। संभोग के धक्के से उसके नितम्ब पीछे खिसक जाते तो वह उतनी ही जोर से उन्हें आगे ठेलकर अगली चोट से राह में ही मिलती। उसकी कराहटें और सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं और मैं उसके इस अभूतपूर्व शुद्ध यौनोत्तेाजित रूप पर फिदा हो रहा था। स्तन ब्लाउज से ढँके मगर यौनांग खुले हुए, हाथ-पाँव बंधे, कलाइयों और एड़ियों में चूड़ी और पायल की जगह चमड़े के फीते, भिंचती-खुलती गुलाबी नाखूनपॉलिश लगी उंगलियाँ, चित्रपट की तरह खुली जाँघें, उनके बीच उभरे बड़े से चूतक्षेत्र को चीरती लम्बी गहरी गुलाबी दरार और दरार को चौड़ी करती शक्तिाशाली लिंग की संयोग क्रीड़ा।

रॉबर्ट थोड़ा किनारे खिसक गया ताकि मैं अच्छे से देख और फिल्मा सकूँ।

इतनी देर से मुझे दरार के नीचे गुदा की गुलाबी कली की लुका छिपी बार-बार आकर्षित कर रही थी। योनि से निकलते रसों से भीगकर वह भी चमक रही थी। मुझे सुबह वहाँ पर हेयर रिमूवर लगाते वक्त का ख्याल याद आया, ”आज इसका भी बेड़ा पार होगा क्या?” मैं जानता था अंग्रेज लोग पृष्ठभाग के बड़े प्रेमी होते हैं। मैं इसका प्रेमी नहीं पर शालू पर इसकी आजमाइश का इच्छुक जरूर था।

योनि से लिंग के आलाप के क्रम में गुदा भी भिंच–खुल रही थी। मैंने उसकी ओर रॉबर्ट का ध्यान खींचा। रॉबर्ट ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया।
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कहानी का अगला भाग: शालू की गुदाई-4

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