मेरे कुंवारे लंड का भोग लगाया मेरी सहकर्मी ने- 3

(Office Girl Xxx Story)

ऑफिस गर्ल Xxx स्टोरी में पढ़ें कि मेरी सहकर्मी लड़की मुझसे अपनी मालिश करवा रही थी. उसका असली मकसद था मुझसे सेक्स करना. ये सब कैसे हुआ?

पाठको, मैं संजू आपको अपनी शादीशुदा सहेली अंकिता के साथ हुई घटना को सेक्स कहानी के रूप में लिख रहा था.
कहानी के पिछले भाग
सहकर्मी दोस्त लड़की का नंगा बदन
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे सामने अंकिता सिर्फ एक पैंटी पहनी हुई लेटी थी. उसके मादक दूध देख कर मेरे लंड की हालत बहुत खराब हो गई थी.

मैंने किसी तरह से अंकिता की मसाज पर ध्यान दिया और उसकी नाभि में लोशन की कुछ बूंदें उसकी नाभि पर डाल दीं, जिससे वो सिहर उठी.

अब आगे ऑफिस गर्ल Xxx स्टोरी:

मैंने धीरे धीरे से उसके पेट को सहलाना शुरू किया और हल्की मसाज करना शुरू कर दिया.
उसकी थोड़ी गुदगुदी होने लगी थी.

मैंने थोड़ी देर उसके नाभि के चारों ओर मालिश की.
ये सब अंकिता को बहुत आनन्ददायक लग रहा था.

कुछ देर बाद मैंने अंकिता से कहा- अभी मसाज हो गयी है, अब चाहो तो अपनी बॉडी साफ़ कर लो.

वो थोड़ी देर तक कुछ नहीं बोली.
बाद मैंने ध्यान से देखा तो पता चला कि उसकी पैंटी थोड़ी सी गीली हो गई थी.

मैंने कहा- अंकिता, तुम्हारी पैंटी में कुछ निकल रहा है.
वो हंसने लगी, बोली- मेरा निकल गया है.

मैं बोला- मतलब, ऐसे कैसे निकल गया? मैंने तो सुना है कि लड़की का पानी इतनी जल्दी नहीं निकलता.
उसने अपनी आंखें खोलीं और बोली- बहुत दिनों बाद मैं ऐसे किसी के सामने बिना कपड़ों के लेटी हूँ और तुम्हारे हाथों का जादू बहुत ही उत्तेजित करने वाला था.

मैंने उससे कहा- तुम्हारे निप्पल्स भी खड़े हो गए हैं.
इस पर वो बोली- जब कोई भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता है तो उसके शरीर के सारे अंग तन जाते हैं, जैसे कि तुम्हारे लोअर में टेंट बना हुआ है.
इतना कह कर वो हंसने लगी.

वो बोली- यार, तुम बहुत सीधे हो, तुम्हारे सामने मैं इतनी देर तक ऐसे ही नंगी लेटी रही और तुमने मेरे साथ कोई गलत हरकत नहीं की.
मैंने कहा- मैं ऐसी हरकत करके तुम्हारे मन में अपने लिए गलत भाव नहीं बनाना चाहता.

ये सुनकर वो मुस्कुराने लगी.

फिर वो बोली- अच्छा इस भरोसे और धैर्य का तुम्हें कुछ इनाम दूंगी.
मैं उसकी तरफ एकटक देखता रह गया.

वो अभी भी सिर्फ पैंटी में लेटी हुई थी और ये सब देखकर सुनकर मुझे लग रहा था कि मेरा लंड आज फट जाएगा.
मेरी इस स्थिति का अंदाजा अंकिता को भी हो रहा था और अब अंकिता भी बराबर की उत्तेजना महसूस कर रही थी.

उसकी बातों से लग रहा था कि वो चाह रही हो कि मैं पहल करूं.
लेकिन मैं अभी कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था.

मैंने कहा- इनाम बाद में दे देना, लेकिन पहले ये पैंटी बदल लो, नहीं तो दाग पड़ जाएगा. मेरे सारे अंडरवियर्स मेरे दागों से बेकार हो गए हैं, अब तो मैंने पहनना भी छोड़ दिया है.
ये सुनकर वो बोली- तो क्या तुमने अभी मेरे लोअर के नीचे कुछ नहीं पहना है?

मैं हंस दिया और बोला- नहीं, तभी तो छोटे उस्ताद बाहर टहल रहे हैं.
ये सुनकर वो हंसने लगी.

उसने अपनी पैंटी ऐसे ही लेटे लेटे निकाल कर मुझे दे दी.
मैंने कहा- इसका मैं क्या करूं?
वो तुरंत बोली- वो ही, जो बाथरूम में मेरी रखी हुई पैंटी के साथ किया था.
मैं चुप रह गया.

फिर वो बोली- ये ठीक नहीं है यार, मैं ऐसे बिना कपड़ों के तुम्हारे सामने पड़ी हूँ और तुमने अभी तक पूरे कपड़े पहने हुए हैं. तुम भी अपने सब कपड़े निकालो अभी के अभी.

मैंने कहा- तुम्हारी मसाज की जा रही थी इसलिए तुम्हें कपड़े निकालने थे.

लेकिन उसने मेरी बात को नजरअंदाज कर दिया और मेरा लोअर खींच दिया, जिससे मेरे खड़े लंड को मानो आज़ादी सी मिल गयी और वो हवा में हिचकोले लेने लगा.
मेरा लम्बा मोटा लंड देख कर अंकिता की आंखें ऐसे चमक उठीं मानो उसे उसकी बहुत दिनों से तलाश थी.

मैंने अपनी टी-शर्ट भी निकाल दी.
अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे.

अंकिता फिर से लेट गयी और मुझसे बोली- क्या मेरे बूब्स छोटे हैं?
मैंने कहा- ऐसा कौन बोला? ये बिल्कुल मस्त हैं, हां लेकिन इनकी मसाज करती रहा करो ताकि ये शेप में रहें.

उसने कहा- इस लोशन से थोड़ा मसाज कर दोगे?
मैंने कहा- ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी.

मैंने उसकी टांगों को थोड़ा फैलाया और बीच में बैठ गया. फिर थोड़ा लोशन उसकी चूचियों पर गिराया और उसकी एक चूची को हल्के हल्के मसलने सा लगा.

अंकिता ने हल्की सी सिसकी ली.
मैं समझ गया कि उसे अब मज़ा आ रहा है.

मैंने उसके एक निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच में भरा और मसलना शुरू कर दिया; साथ ही मैं उसकी एरोला के चारों तरफ हल्की हल्की उंगलियां भी फेरने लगा.
अंकिता की कामुक सिसकियां बढ़ने लगीं.

मेरी भी हालत ख़राब हो रही थी. मेरा लंड उसकी चूत को बार बार टच कर रहा था.
उसके मम्मों की मालिश से अंकिता बेहतर ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी. वो अपने होंठों को काट रही थी.
उसकी आंखें बंद थीं.

मेरा लंड उसकी चूत के कंपन को महसूस कर पा रहा था.
ये सब मुझे एक कहानी सा लग रहा था.
मुझे ये विश्वास नहीं हो पा रहा था कि इतनी सुन्दर लड़की मेरे सामने कभी इस तरह से अपने आपको मेरे हवाले कर देगी.

अब मैंने अपने आपको थोड़ा हिम्मत दी और अपने होंठ उसके एक निप्पल पर रख दिए.
अचानक से उसने अपनी आंखें खोल लीं.

मैंने उसकी दोनों हथेलियों को अपने हाथों में लिया और उसकी सिर के पीछे ले गया.

मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे किस करने लगा.
ये सब मैं पहली बार कर रहा था. पोर्न मूवी और अन्तर्वासना से जो कुछ भी सीखा था, वो सब आज प्रैक्टिकल करने का मौका मिल रहा था.

हम दोनों की धड़कनें पूरे कमरे में आराम से सुनी जा सकती थीं.

मैंने हर तरह से उसके होंठों को किस किया, फिर मैंने बूब्स पर ध्यान केंद्रित किया और एक एक करके मैंने दोनों मम्मों को चूसना शुरू कर दिया.

चूचियों की चुसाई इतनी ज्यादा मस्त थी कि उसके दोनों दूध लाल हो गए थे.

धीरे धीरे मैंने उसकी क्लीवेज को चूमना शुरू किया और चूमते हुए मैं उसकी नाभि की तरफ बढ़ने लगा.
मैंने उसकी नाभि और कमर को भी बेतहाशा चूमा.

जैसे ही मैं थोड़ा और नीचे बढ़ा, मैंने उसे उल्टा कर दिया. अब मैंने उसकी गर्दन को किस करना शुरू कर दिया.
कभी कभी मैं धीरे से हल्का सा उसके कान को भी काट लेता था, जिससे उसकी सिसकारियां और भी बढ़ने लगी थीं.

अंकिता को अब पसीना आना शुरू हो गया था. मैंने उसके रूम के एसी की कूलिंग को और बढ़ा दिया.

मैंने उसकी पीठ का कोई भी हिस्सा बिना चूमे नहीं छोड़ा.
अब मैं उसकी गांड के पास पहुंच चुका था.
मैंने उसके चूतड़ों को चूमना स्टार्ट कर दिया.

यह उसके लिए चौंकाने वाली बात थी.
अंकिता ने कहा- वो गन्दा है, उधर मत करो.
मैंने कहा- अभी तो नहा कर आयी हो, अगर तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा, तो मैं नहीं करूंगा.

वो कुछ नहीं बोली, मैं समझ गया कि उसे बहुत मज़ा आ रहा है.
मैंने उसके चूतड़ों को चूमना जारी रखा, साथ ही मैं उसकी जांघों को भी किस करता रहा.

अब मैंने उससे सीधा लेटने को बोला.
अंकिता की सांसें बहुत तेज़ चल रही थीं.
मैं उसके कान के पास गया और पूछा- क्या तुम इसे एन्जॉय कर रही हो?

उसने आंखें खोलीं और मेरे होंठों पर एक जोरदार किस दे दी.
यह इस बात का प्रमाण था कि वो इस सबसे बहुत खुश थी.

मैंने उसके मम्मों पर फिर से एक और राउंड की चुसाई शुरू कर दी.

उसके दूध एकदम कठोर हो गए थे और निप्पल लगभग एक इंच बड़े हो गए थे.
मैं धीरे धीरे नीचे की ओर आया और उसकी चूत को निहारने लगा.

मेरी थोड़ी देर की रुकी हरकतों से अंकिता ने अपनी आंखें खोलीं और कहा- क्या हुआ … क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- लोग जिसे जन्नत कहते हैं, आज मैं उसे इतने करीब से देख रहा हूँ.

वो शर्मा गयी.
उसने कहा- अब ये जन्नत तुम्हारी है.

मैंने कहा- क्या कभी तुम्हारी चूत को किसी ने चूमा है?
वो चौंक गयी, बोली- छी: … वहां कोई क्यों चूमेगा? चूमने के लिए ये होंठ हैं ना!

मैंने बोला- लड़की के पास दो किस्म के होंठ होते है और आदमी का फ़र्ज़ बनता है कि वो इन दोनों होंठों के बीच कोई फर्क न करे.
वो शर्मा गई.

मैंने उससे कहा- आज मैं तुम्हारी चूत के होंठों के साथ फ्रेंच किस करूंगा.
मेरी इस बात पर वो अचंभित होकर देखने लगी.

मैंने हल्के से उसके चूत की फांकों को अलग किया जिससे उसके अन्दर की गुलाबी छटा दिखने लगी.
उसकी चूत पूरी लाल और गुलाबी रंग की आर्ट लग रही थी.

मैंने उसके भगनासा को अपने होंठों से हल्का सा चुम्बन दिया.
मेरे ऐसा करने से अंकिता के शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गयी.

मैंने फिर उसकी चूत को चूमना आरम्भ कर दिया.
फिर जैसे कि मैंने पोर्न में देखा था, अपनी जीभ निकाली और अपनी लम्बी जीभ से उसकी चूत को दो भागों में बांटने लगा.

ये अंकिता के लिए एक नया अनुभव था. वो उत्तेजना में मेरे सिर के बाल पकड़ रही थी और मेरे सिर को अपनी चूत की तरफ पुश कर रही थी.

मैंने अपने दोनों हाथों को उसकी चूचियों पर रख दिया और उन्हें मसलना शुरू कर दिया.
अंकिता का पूरा शरीर वासना से कांप रहा था.

मेरी जीभ उसकी चूत की गहराइयों को अन्दर तक नाप कर आ रही थी.
मुझे उसकी चूत से निकलने वाले हल्के नमकीन पानी का स्वाद आना शुरू हो गया था.

उसकी चूत को चाटते चाटते कभी कभी मेरी जीभ उसकी गांड के छेद पर भी लग जाती थी जिससे अंकिता अपनी गांड एकदम से उछाल देती.

इस तरह मेरी जीभ उसकी चूत में और अन्दर तक चली जाती थी.

लगभग 15 मिनट तक चूत चाटने के बाद मुझे उसकी चूत से नमकीन पानी की बाढ़ आती महसूस हुई.

अंकिता ने मेरे बालों पर पकड़ और मज़बूत कर दी और अपनी टांगें मेरी पीठ पर कस दी थीं.
उसका शरीर बुरी तरह कांप रहा था. उसकी चूत के होंठ मानो सिसकियां ले रहे थे.

मेरा मुँह पूरी तरह से चूत के ऊपर था, जिसे मैं अब हिला भी नहीं पा रहा था.
दो जोरदार आहों के बाद उसने अपनी चूत का मुँह खोल दिया और उसका सारा नमकीन पानी मेरे मुँह और चेहरे पर लग चुका था.

दो मिनट बाद उसने अपनी टांगों की पकड़ ढीली की.
मैंने उसकी चूत से मुँह हटा कर उसकी ओर देखा.

वो मुझे देख कर मुस्कुराई.
उसके चेहरे पर एक संतुष्टि, तृप्ति का भाव नजर आ रहा था.

इस पूरी प्रक्रिया में मेरा लंड पूरी तरह से दबा हुआ था, अब वो भी एकदम किनारे पर आ चुका था.
मैंने तौलिए से अपना चेहरा साफ़ किया और उसकी चूत को भी साफ किया.

अंकिता बोली- आज मज़ा आ गया, ये मेरे लिए बहुत अलग अनुभव था.
मैंने कहा- तुम्हारा तो ठीक है, लेकिन अब मेरे लंड में बहुत दर्द होने लगा है, इसे भी थोड़ा मज़ा लेना है.

अंकिता ने बिना देरी किये मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और ऊपर नीचे करने लगी.
मैंने उसको मुँह में लेने को बोला, पर उसने मना कर दिया.
लेकिन वो मेरे लंड से अब खेलने सी लगी थी.

मैंने उससे कहा- मैं ज्यादा देर नहीं रुक सकूंगा. मेरा बस होने ही वाला है.

थोड़ी ही देर में अचानक से मेरे लंड ने 5-6 पिचकारियों के साथ अंकिता के चेहरे पर हमला बोल दिया और सारा माल उसके मुँह पर निकाल दिया.

मेरे लंड में ना जाने कहां से पहली बार इतना पानी निकला था कि मुझे विश्वास नहीं हुआ.

अब मुझे थोड़ी रहत की सांस मिली.
लेकिन फिर भी मेरा लंड अभी भी अकड़ा हुआ था.

अब शाम हो चुकी थी.

हम दोनों उठे और नहाने के लिए बाथरूम में आने लगे.

मैंने अंकिता को बोला- साथ में नहाएं? उसने हां में सिर हिला दिया.

हम दोनों साथ में नहाने लगे और फिर से किसिंग और सकिंग का दौर शुरू हो गया.

मैंने नहाते हुए भी उसकी चूत को चाटा और उसे झड़ने पर मजबूर कर दिया.
इस बार वो थोड़ा जल्दी झड़ गयी थी.
उसने भी मेरे लंड को सहलाया और मेरा भी पानी निकाल दिया.

नहाने के बाद हम दोनों बाहर आ गए और अपने अपने कपड़े पहन लिए.
मैंने अंकिता से कहा- इतना सब होने के बाद मैं आज भी कुंवारा हूं.

वो आंख मार कर बोली- तुम्हारा इनाम अभी बाकी है … और मेरे होते हुए अब तुम कुंवारे नहीं रह पाओगे. थोड़ा इंतज़ार करो.
फिर हम दोनों कुछ खाने के लिए बाहर निकले. इस बार वो मेरी स्कूटी पर मुझसे बिल्कुल सट कर बैठी थी और अपनी चूचियां मेरी पीठ से बार बार रगड़ रही थी.

शाम का फ़ायदा उठा कर कभी कभी वो मेरे लंड को भी जींस के ऊपर से मसल देती थी.
हम दोनों ने खाना खाया, फिर वापस उसके रूम पर आ गए.

इस ऑफिस गर्ल Xxx स्टोरी में आगे क्या हुआ, यह जानने के लिए अगली कहानी का इंतज़ार कीजिए.

जैसे मैंने अपने इनाम का इंतज़ार किया. वैसे ही आप भी जरा इन्तजार का मजा लीजिए.

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