चलती ट्रेन में प्यासी विवाहिता की चूत चुदाई

(Running Train Fuck Story)

राज 766 2024-03-08 Comments

रनिंग ट्रेन फक स्टोरी में मैं ट्रेन में था, कोरोना के कारण ज्यादा सवारियां नहीं थी, ट्रेन खाली थी. रास्ते के स्टेशन से एक लड़की चढ़ी. उसके साथ मेरी सेटिंग कैसे हुई और मैंने उसे चोदा.

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम राज है.
मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूं.
मेरी उम्र 27 साल है.

मैं आपके लिए एक सच्ची रनिंग ट्रेन फक स्टोरी लेकर आया हूं.

यह बात नवंबर 2020 की है. उस समय मैं दीवाली की छुट्टी के बाद नागपुर से दिल्ली जा रहा था.

कोरोना की वजह से ज्यादा लोग सफर नहीं कर रहे थे तो ट्रेन में भी भीड़ नहीं रहती थी.
मैं जल्दी से रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया और ट्रेन का इंतजार करने लगा.

ट्रेन पांच बजे आने वाली थी.

कुछ इंतजार के बाद ट्रेन स्टेशन पर पहुंच गई.
मैंने एसी टू-टियर का टिकट लिया था.

मैं भी सामान लेकर बोगी में जाकर अपने सीट पर जाकर बैठ गया.

मैंने देखा तो सब सीटें खाली थीं.
थोड़ी देर बाद ट्रेन स्टेशन से दिल्ली की ओर चल पड़ी.

कुछ समय बाद टीटीई आया और मेरा टिकट चैक करके चला गया.
फिर मैं मोबाइल में गेम खेलने लगा.

करीब एक घंटे के बाद ट्रेन एक स्टेशन पर रुक गई तो मैं चाय पीने स्टेशन पर उतर गया.

चाय पीने के बाद जब मैं अपनी सीट पर आया तो देखा एक लड़की मेरी सामने वाली सीट पर आ गई थी.
उसकी उम्र करीब 25-26 साल की होगी, मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ गया.

फिर मैं उसको छिपी नजरों से देखने लगा.

वह अपना सामान सैट कर रही थी.

उसकी हाइट लगभग पांच फीट चार इंच की रही होगी और फिगर का साइज 34-28-36 के करीब का रहा होगा.

उसने टॉप और जींस पहनी थी और अपनी इस ड्रेस में वह और भी ज्यादा मादक लग रही थी.

तभी उसने मुझे देखा और बोली- सुनिए जरा सामान सैट करने में मेरी मदद कर देंगे?
मैं बोला- हां ठीक है.

सामान सैट करने के बाद उसने मुझे थैंक्स कहा.

मैंने कहा- कोई बात नहीं, मेरी जगह कोई और होता तो वह भी मदद कर देता.

फिर मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ गया.

तभी मैंने ध्यान से देखा तो उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
टॉप के गले से उसकी चूचियां हिलती दिख रही थीं.

उसके दूध देखकर मेरा मन मचलने लगा.

तभी टीटीई ने वापस आकर उसका टिकट चैक किया और वह चला गया.

अब वहां पर सिर्फ हम दो ही लोग बचे थे.
कुछ देर बाद एक और स्टेशन आया.

मैं नीचे जाकर हम दोनों के लिए चाय और पानी का बोतल लेकर आ गया.

मैंने उसको चाय का कप दिया.
तो वह बोली- अरे, इसकी क्या जरूरत थी.

मैंने कहा- जरूरत तो मुझे भी नहीं थी पर खाली बैठे हुए चाय की चुसकियां लेना अच्छा सा लगता है न … इसी लिए ले आया हूँ.
वह हल्के से मुस्कुरा दी.

अब हम दोनों चाय पीते हुए एक दूसरे के बारे में जानकारी लेने लगे.
बातचीत से पता चला कि उसकी शादी हो चुकी है और वह मायके से अपनी ससुराल जा रही थी.

उसने मुझसे मेरा नाम पूछा तो मैंने राज बताया.

जब मैंने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम श्रुति बताया.

उस वक्त शाम के आठ बज रहे थे.
उसने अपने बैग से टिफिन निकालकर खाना खाने का उपक्रम किया.

उसने मुझे भी खाने के लिए बुलाया.
मैंने नहीं बोला.

उसने जोर दिया तो हम दोनों ने एक साथ खाना खाने लगे.

खाना खाने के बाद हम दोनों बातें करने लगे.
तो वह कुछ परेशान सी लग रही थी.

मैंने पूछा, तो बोली- घर पर थोड़ी परेशानी है.

ज्यादा बात को जोर देकर पूछा तो वह बोली- ससुराल वाले बोल रहे हैं कि शादी को चार साल हो गए हैं. फिर भी बच्चा क्यों नहीं हो रहा है?
इस पर मैं बोला- किसी डॉक्टर को दिखाना चाहिए. तब तो पता चलेगा कि प्राब्लम क्या है!

वह बोली- डॉक्टर बोल रहा है आपको कोई प्राब्लम नहीं है. आपके पति में प्राब्लम है. लेकिन ससुराल वाले इस बात को मानते ही नहीं है.
मैं चुप था.

उसके बाद वह रोने लगी.
मैंने उसको शांत किया- रोने से क्या हासिल होगा. आप धैर्य रखें.

वह बोलने लगी- मेरी पति की कमजोरी से मैं परेशान हूं. उनके पास बच्चा पैदा करने की ताकत ही नहीं है.

खाना खाने के लिए हम दोनों एक ही सीट पर बैठ गए थे और अब तक उसी अवस्था में बैठे थे.

बातचीत के बाद रोने से मैं उसे दिलासा देने उसके करीब हो गया था तो उसका शरीर मेरे शरीर से टच हो रहा था.

कुछ देर के बाद मैं बोला- बहुत रात हो गई है, चलो अभी सो जाते हैं.
उसने हां कहा.

मैं कपड़े बदलने चला गया.
मुझे रात को सिर्फ बनियान और लुंगी पर ही सोने की आदत है और मैं घर पर ऐसे ही सोता हूं.

जब मैं सीट पर आकर बैठ गया तो वह भी कपड़े बदल कर सिर्फ नाइटी में आ गई थी.
शायद उसने उधर ही अपने कपड़े बदल लिए थे.

अब ट्रेन सीधा दिल्ली में ही रुकने वाली थी तो कोई यहां पर आने वाला नहीं था.

हम दोनों लाइट बंद करके अपनी अपनी सीट पर लेट गए.

रात के बारह बजे मेरी नींद खुली तो देखा तो उसकी नाइटी उसकी जांघ तक पहुंच गई थी.

उसकी गोरी जांघें देखकर मेरे लंड में तनाव आने लगा.
उसके बाद मैं टॉयलेट जाकर पेशाब करके वापिस आया.

उसकी तरफ देखकर मुझे नींद नहीं आ रही थी.
जब रहा न गया तो मैंने उसकी सीट के पास जाकर उसकी जांघ पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा.

उसके बाद धीरे से मैंने उसके नाइटी को थोड़ा और ऊपर किया तो उसकी पैंटी दिखने लगी.
मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा.

चूत सहलाने से उसकी नींद खुल गई और उसने झट से उठकर अपनी नाइटी सही की.

वह मुझसे बोली- आप यह सब क्या कर रहे हो?
मैं बोला- सॉरी, ये सब देखकर मैं अपने आपको कंट्रोल नहीं कर पाया. आप इतनी खूबसूरत हो कि किसी का भी दिल मचल जाए.

वह बोली- लेकिन ये सब गलत है. मैं एक शादीशुदा लड़की हूं.
यह सब बोलते समय उसका ध्यान मेरे तने हुए लंड पर जा रहा था.

मैं समझ गया कि उसका भी मन है लेकिन ट्रेन में होने की वजह से उसको डर लग रहा होगा.
तो मैं बोला- कुछ गलत नहीं है. ट्रेन में कोई नहीं है और किसी को आना भी नहीं है.

यह कह कर मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर पुन: रख दिया.
इस बार उसने मना नहीं किया.

अब मैंने धीरे धीरे हाथ नाइटी के ऊपर से उसकी चूत पर रख दिया और सहलाने लगा.
इस सबसे वह भी अब गर्म होने लगी थी.

मैं अब उसकी चूचियों को सहलाने लगा और दबाने लगा.
धीरे धीरे उसके कान के पास किस करने लगा.
वह भी गर्म सांसें छोड़ने लगी थी.

अब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा.
वह भी मेरा साथ देने लगी थी.

लगभग दो मिनट किस करने के बाद मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया.
लंड पहले से ही तना हुआ था.

वह कड़क लौड़े को छूकर बोली- ये तो बहुत बड़ा है.
मैं बोला- तुमने इससे पहले इतना बड़ा लंड नहीं देखा था क्या?

वह बोली- मेरे पति का तो इससे बहुत छोटा है और जल्दी खड़ा भी नहीं होता है.

अब वह भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और धीरे धीरे मेरा लंड सहलाने लगी थी.

मैंने उसकी नाइटी को कमर तक ऊपर किया और उसकी पैंटी को उतार दिया.
हल्की रोशनी में उसकी चूत साफ चमक रही थी और पानी भी छोड़ने लगी थी.

मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिए और उसकी चूत का रस पीने लगा.
वह कसमसाने लगी.

पांच मिनट तक मैंने उसकी योनि का रसपान किया.
वह कामुक सिसकारियां लेने लगी थी.

मैंने उसकी चूचियों को नाइटी से बाहर निकाला और एक दूध पर अपने होंठों को रख दिया.
वह फिर से गर्म हो गई थी.

दो मिनट बाद मैं बोला- लंड को मुँह में ले लो.
वह झट से मान गई और लंड मुँह में लेकर अन्दर बाहर करने लगी.

पांच मिनट बाद मैंने उसको ऊपर उठाया और सीट पर लेटने के लिए बोला.
वह टांगें खोल कर लेट गई.

मैं उसके ऊपर लेट गया और चूत में लंड डालने लगा.
लंड फिसलकर बाहर आ रहा था क्योंकि उसकी चूत मेरे लौड़े के हिसाब से बहुत टाइट थी.

ऐसा लग रहा था कि उसकी चूत की अभी तक अच्छे से चुदाई ही नहीं हुई थी.

अब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक जोर से झटका मारा तो उसकी तो मानो सांस ही अटक गई थी.

वह दर्द से कराहती हुई बोलने लगी- आह … मर गई … इसे निकालो मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मगर मैं ऐसे ही रुका रहा.

कुछ देर में मेरा आधा लंड चूत में प्रवेश कर चुका था और अब वह थोड़ी सामान्य लग रही थी.
तभी मैंने एक और जोर का झटका मारा तो पुनः उसकी चीख निकल गई.

मैंने तुरंत उसके होंठों पर होंठों रख दिए ताकि कोई और न सुन ले.
हालांकि कोई था ही नहीं और ट्रेन की आवाज में सब कुछ दब जाने वाला था.

दो मिनट बाद वह भी अब चूतड़ उठाने लगी.
मैं समझ गया कि इसे भी अब मजा आ रहा है.

मैंने भी धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसकी चूत को चोदने लगा.

वह भी अब मादक सिसकारियां लेने लगी थी और बड़बड़ाने लगी थी- आह जोर से चोदो मुझे … आह मजा आ रहा है.

यह सब चलता रहा.
धकापेल चुदाई चलती रही.

इसी बीच वह झड़ने लगी तो मैं भी तेज हो गया.

अब मेरा भी पानी निकलने वाला था.
मैंने उससे पूछा- बच्चा लेना है?

वह बोली- हां लेना है. तुम अन्दर ही सारा पानी डाल दो. बहुत दिन के बाद मुझे पानी मिल रहा है.

उसके एक मिनट बाद मैं भी झड़ गया और मैंने पूरा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया.

उसके चेहरे पर खुशी दिख रही थी.

अब मैं उठकर टॉयलेट चला गया और आने के बाद उसको किस करने लगा.

उस रात हमने एक बार और चुदाई की.

दूसरी बार में मैंने उसे सीटों के बीच में फर्श पर लिटा कर चोदा.
सीट पर चुदाई करने में गिरने का डर लग रहा था और जगह भी कम थी.

नीचे फर्श पर पहले तो हम दोनों ने 69 किया.

फिर शुरुआत डॉगी स्टाइल में की, मैंने उसे पीछे से लंड पेल कर चोदा.

कुछ देर बाद वह लौड़े की सवारी करने की कहने लगी तो मैंने उसे अपने लौड़े पर उछाल उछाल कर चोदा.

रनिंग ट्रेन फक का मजा ले ले कर वह मस्ती से चुद रही थी और अपनी चूचियां मुझे पिलाती हुई बड़ी नशीली आंखों से देख रही थी.

सच में उस वक्त वह मुझे काम की देवी लग रही थी.

काफी देर तक चुदाई के बाद हम दोनों थक कर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए उसके बाद उठे और अपने अपने कपड़े पहन कर सो गए.

सुबह ट्रेन दिल्ली पहुंचने वाली थी, तो हम दोनों ने उधर ही कपड़े बदले और फ्रेश हो गए.

चुदाई के बाद उसके चेहरे पर चमक आ गई थी.
हमने एक दूसरे को अपना नंबर दे दिया.

अब ट्रेन भी दिल्ली पहुंच गई थी.
हम दोनों ने एक किस किया और दिल्ली में मिलने का वादा करके अपने अपने रास्ते चले गए.

तो दोस्तो, यह थी चलती ट्रेन में प्यासी विवाहित लड़की के संग मेरी चुदाई की कहानी!
रनिंग ट्रेन फक स्टोरी आपको कैसी लगी, प्लीज बताएं.
धन्यवाद.
[email protected]

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