एक सुहागरात ऐसी भी- 3

(Desi Bahu Ki Chut Ki Kahani)

वैभव 7 2023-08-03 Comments

देसी बहू की चूत की कहानी में पढ़ें कि नयी बहू ब्याह कर आई तो उनकी भाभी और ननद ने उसकी सुहागरात की पूरी तैयारी कर दी. इधर दूल्हा दुल्हन दोनों पहली बार चुदाई करने जा रहे थे.

कहानी के दूसरे भाग
जीवन के पहले सहवास को आतुर दूल्हा दुल्हन
में आपने पढ़ा कि शादी के बाद दूल्हा दुल्हन अपनी सुहाग सेज पर हैं और दोनों पहली बार सेक्स करने जा रहे हैं.

अब आगे देसी बहू की चूत की कहानी:

कल्पेश कामिनी की जांघों के बीच में बैठ गया।
कामिनी ने अपनी टांगें खोलकर ऊपर उठा दीं।

लंड और चूत आमने सामने थे.

कल्पेश ने लंड को पकड़कर चूत की दरार में फिराया.
कामिनी आनन्द के सागर में गोते लगाने लगी।
उसकी चीत्कारें तेज होने लगीं ‘सीईई ईईई … ओह हहह … हहह हह हहम!’

कल्पेश का लंड भी पत्थर की तरह सख्त होकर फुंफकारने लगा।

कामिनी से भी रहा नहीं जा रहा था, उसने हाथ बढ़ाकर लंड को पकड़ा और चूत के मुंह पर लगा दिया।
कल्पेश समझ गया, उसने थोड़ा दबाव बनाया तो लंड का आगे का भाग होठों में फंस गया।

वह धीरे धीरे दवाव बढ़ाने लगा।

कामिनी की आहें अब कराहों में बदलने लगी. दर्द उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था।
उसने अपने होठों को जोर से भींच लिया और कल्पेश के कंधे मजबूती से पकड़ लिये.

चूत और लंड में पर्याप्त चिकनापन होने से लंड करीब एक इंच तक धंस गया।
दर्द कल्पेश को भी हो रहा था।

दोनों ही जानते थे कि आज तो दर्द बर्दाश्त करना पड़ेगा। दोनों के मुंह से कराहें निकल जाती अगर होठों को भींचा नहीं होता।

कल्पेश लगातार कामिनी को सहला रहा था।

कल्पेश को लिंग में हल्की जलन हो रही थी, उसके लिंगमुंड की त्वचा पीछे सिमट गई थी।

इस बार कल्पेश ने कामिनी के स्तनों को मजबूती से पकड़ा और जोर से कमर को धक्का दिया और करीब चार इंच तक लंड चूत में पेल दिया।

कामिनी अचानक हुए इस हमले को बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसकी हल्की चीख निकल गई- उईई ईईई!
वह हांफने लगी और दो आंसू उसके गालों पर लुढ़क गए।

कामिनी का शील, उसका कौमार्य पट टूट चुका था।

दर्द के बाबजूद उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे और मुस्कुरा रही थी।

कल्पेश ने दबाब डालना जारी रखा धीरे धीरे सरकते हुए कामिनी की चूत पूरा लंड निगल चुकी थी।

तब कल्पेश रूककर कामिनी को चुम्बन करने लगा और उसके बदन को सहलाने लगा.
कामिनी भी चुम्बन का जवाब देने लगी और कल्पेश की चौड़ी पीठ पर हाथ फेरने लगी।

अब कामिनी आश्वस्त होना चाहती थी कि लंड पूरा चूत में समा गया या कुछ बाकी है.
उसने लिंग की जड़ में हाथ फिराया तो देखा कि पूरा लंड समा गया है.
पर उसको हाथ में कुछ गीला महसूस हुआ उसने देखा तो उसके हाथ में खून लगा था।

चूत की झिल्ली फटने से निकला खून था जो कल्पेश के लंड की जड़ में लगा था.
और कुछ कामिनी की गांड की दरार में होते हुए कुछ बूंदें चादर पर भी पहुंच गई थी।

कल्पेश ने जब देखा तो एक कपड़े से पौंछकर साफ कर दिया।

अब दोनों का दर्द जा चुका था.

कामिनी कल्पेश के कूल्हों को पैरों की जकड़ से छोड़कर दोनों पैर हवा में फैला कर चुम्बन करते हुए पीठ सहला रही थी।

कल्पेश इशारा समझ गया कि कामिनी धक्कों के लिए तैयार है।
तभी कल्पेश घर्षण करते हुए हल्के हल्के धक्के लगाने लगा.

अब कामिनी भी कल्पेश का पूरा साथ दे रही थी।
वह हर एक धक्के के जवाब में थोड़ा अपने नितम्ब उठा देती और मुंह से आहह हह … निकल जाती.
कामिनी कभी उसके होंठों को चूसती, कभी कल्पेश की पीठ सहलाती, कभी कल्पेश के कूल्हों को पकड़ कर चूत पर दबा देती।

कल्पेश को भी कामिनी की तंग चूत में घर्षण करने में बड़ा मजा आ रहा था.
वह धीरे धीरे धक्कों की गति बढ़ा रहा था।

सांसों की गति को दोनों नियंत्रण रखे हुए थे, फिर भी सासें तेज हो रही थी और कामिनी की आहें भी।

धीमे संगीत में कामिनी की पायल और चूड़ियाँ एक अलग संगीत पैदा कर रही थी।
कल्पेश की जांघें जब हर धक्के के साथ कामिनी के भारी चूतड़ों पर पड़ती तो थप थप … तो कभी पट्ट … पट …. की आवाज से कमरा गूंज रहा था।

तब कल्पेश ने कहा- कामिनी, ये हम क्या कर रहे हैं?
अब कामिनी शर्माई नहीं और तुरन्त बोली- आहह हह … चुदाई ईईई!

कल्पेश- किसकी चुदाई कामिनी?
कामिनी बोली- आहह हह … सीईई ईईई … मेरे लंड और तुम्हारी चूत की! आहह हहह … हहहह हहह … हम्मम … बहुत मजा आ रहा है कल्पेश … शशश मेरी जान निकलने वाली है।

कल्पेश बोला- दुनिया के किस काम सबसे ज्यादा मजा आता है?
कामिनी बोली- मुझे आज ही पता चला है कल्पेश कि चुदाई ईईई से ज्यादा मजेदार कोई चीज नहीं है हह!

कल्पेश समझ गया कि कामिनी झड़ने वाली है.
उसने कामिनी की पीठ के नीचे हाथ डालकर कामिनी के चूतड़ मुट्ठी में भींच लिये और पूरे जोर से धक्के लगाने लगा.

कामिनी भी कमर को जोर जोर से ऊपर उछालने लगी।

कमरे में थप थप थप थप की आवाज और लंड के गीली चूत में तेजी से अंदर बाहर होने पिच्च … पिच्च… पुच्च … किच्च … किच्च और आह हहहह … हहह हओह … ओहह … हम्मम सीईई ईईई से पूरा कमरा गूंज गया।
कामिनी ने अपने शरीर से नियंत्रण खो दिया, वह छटपटाने लगी, पूरा बदन थर्राने लगा उसका!
वह गुर्राने लगी और हहह हहह हह ओहह हहहह करते हुए स्खलित हो गई और निढाल होकर गिर गई जैसे सच में जान निकल गई हो।

उसकी चूत की पकड़ भी लंड के ऊपर बिल्कुल ढीली हो गई।

झड़ते समय कामिनी ने कल्पेश की कमर को इतनी जोर से पकड़ा जैसे तोड़ देगी।
कल्पेश भी अचंभित था कामिनी में इतनी ताकत देखकर।

कल्पेश कामिनी को सहलाता रहा.
कल्पेश का लिंग अभी भी कामिनी की चूत में था और पूरी तरह सख्त था।

थोड़ी देर कल्पेश कामिनी के ऊपर ऐसे ही लेटा रहा।

अभी कल्पेश को चरम सुख नहीं मिला था पर कामिनी को संतुष्ट करने के बाद जो सुख कल्पेश को मिला वह चरमसुख से कहीं बढ़कर था उसके लिए।

कल्पेश भी थोड़ा थक गया था।
कामिनी ने उसे धन्यवाद कहा और कल्पेश को चूमने सहलाने लगी.

चूत फिर से लंड पर अपनी जकड़ बनाने लगी।

कल्पेश ने कामिनी को ऐसे उठाकर घुमाया कि कामिनी कल्पेश के ऊपर आ गई और कल्पेश नीचे … पर लंड चूत के अंदर ही बना रहा।

अब कामिनी काउ गर्ल पोजीशन में थी और धीरे धीरे कमर हिला रही थी।
कल्पेश के हाथ कामिनी के चूतड़ सहला रहे थे.

कामिनी ने अपने स्तन कल्पेश से चुसवा रही थी।
कभी वह अपनी जीभ कल्पेश के मुंह में डाल देती।

कल्पेश भी मजे से चूस रहा था। कल्पेश कामिनी के नितम्बों को मुट्ठी में भींच रहा था और गांड के छेद पर उंगली फिरा रहा था।

उसकी इन हरकतों ने कामिनी को फिर से उत्तेजित कर दिया।
कामिनी कभी अपने चूतड़ों को गोल घुमाती, कभी हल्के धक्के लगाती, कभी पंजों पर बैठकर अपनी सुडौल और मजबूत पिंडलियों से लंड पर उचकती.
कभी वह घुटनों के बल बैठकर जांघों से उचकती।
वह मानो संगीत की धुन पर थिरक रही हो।

कामिनी के भारी चूतड़ों की थाप कल्पेश की कसरती जांघों पर ताल दे रही थी और कामिनी की मादक आवाजें ‘आह हह … हहह ओहह हह … सीईईई ईईई … हम्मम मममम जैसे राग भैरवी का आलाप छेड़ रही हों.

कल्पेश ने ठिठोली करते हुए पूछा- कामिनी क्या कर रही हो?
कामिनी बोली- मेरे लंड से तुम्हारी चूत को चोद रही हूँ।

कल्पेश ने पूछा- कब तक चोदोगी?
कामिनी बोली- आज मेरा लंड रातभर चोदेगा, आज तुम्हारी चूत की खैर नहीं है।
कल्पेश बोला- तो ठीक है, मेरी चूत भी रात भर चुदने के लिए तैयार है.
और दोनों हंसने लगे।

कामिनी बोली- मैं मेरे लंड के बिना एक दिन भी नहीं रह सकती और तुम?
कल्पेश ने कहा- मैं भी मेरी चूत के बिना एक दिन भी नहीं रह सकता।

कल्पेश ने कहा- हम 5 साल बाद बच्चा प्लान करेंगे।
कामिनी बोली- मैं भी यही चाहती हूँ।

कल्पेश बोला- तब तक एक नियम बनाते हैं कि जब भी हम अकेले होंगे, घर में बिना कपड़ों के रहेंगे और जब दिल करेगा तब चुदाई करेंगे।
कामिनी बोली- बिल्कुल … जब आप आफिस से आओगे तो मैं आपको नंगी ही मिलूंगी।

बातों बातों में कामिनी जोर जोर से कूदने लगी थी।
थप थप थप की आवाजों कमरा गूंज रहा था.

कल्पेश भी स्तन मसलते हुए कमर चला रहा था.
कामिनी पूरे लंड को अंदर बाहर कर रही थी।
सट … सट … सट … स्लर्रप …

कामिनी और कल्पेश की सांसें बेतरतीब हो रही थी।

कल्पेश- हह हहह … आहहह हह … हम्म म … सीईई ईईई
कामिनी बोली- जोर से चोदो!

और पूरी ताकत से कूदने लगी.
ठप ठप थप थप!

चूत की जकड लंड को भींच रही थी, मानो उसे चूस रही हो।

कल्पेश के शरीर में बिजली दौडने लगी.
उसने कामिनी की जांघों के नीचे से हाथ डालकर उसके चूतड़ पकड़ लिये और कामिनी को उठा उठा कर लंड के ऊपर किसी रबर की गुड़िया की तरह पटकने लगा.
कामिनी की सीत्कारें गुर्राहटों में तबदील हो गई.

कल्पेश भी शेर की तरह दहाड़ने लगा.
दोनों एक साथ आहह … आओह हहह … आहह … ओहह हहह ओह हहह … करते हुए स्खलित हो गये।

कल्पेश के लंड ने कई पिचकरियां कामिनी की चूत में चलाईं।
कामिनी साफ महसूस कर रही थी वीर्य की धार को!
इस बार कामिनी और ज्यादा जोर से झड़ी थी।

दोनों तृप्त होकर एक दूसरे के बेतहाशा चूम रहे थे मानो एक दूसरे को धन्यबाद कह रहे हों।

कल्पेश का लंड धीरे धीरे सिकुड़ कर बाहर आने लगा।
कामिनी के चूतड़, गांड, जांघें सब वीर्य से भीग गये थे।

कल्पेश कामिनी को उठाकर बाथरूम में ले गया, दोनों ने एक दूसरे को साफ किया।

पेशाब करने के बाद कल्पेश कामिनी को उठाकर बैड पर लेकर आया।
दोनों ने एक दूसरे को चूमते सहलाते हुए ड्रायफूट और फ्रूट्स खिलाये।
एक दूसरे की बाहों में लेकर दोनों आधे घंटे तक खेलते रहे।

12 बज चुके थे,
दूसरे राउंड में कामिनी को घोड़ी बनाकर चोदा इस राउंड में भी कामिनी दो बार स्खलित हुई।

सुबह को नहा कर कामिनी और कल्पेश नीचे आ गए।

कल्पेश किसी को फोन करने लगा और कामिनी किचन में जाकर चाय नाश्ता बनाने में सासू माँ और बुआ की मदद करने लगी।

अब रजनी भाभी और कुमुद भाभी सुहागरात वाले कमरे में सफाई करने पहुंची तो कमरा पूरी रात की कहानी बयां कर रहा था।
उन्होंने जब चादर पर लगा खून देखा तो दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराईं।

कुमुद भाभी बोली- देवर जी किस्मत वाले हैं।
रजनी ने कहा- सही कह रही हो. आजकल ऐसी लड़की किस्मत से ही मिलती है।

चादर को उठाकर उन्हौंने बाथरूम में डाल दिया और बैड पर नयी चादर बिछा दी.
कमरे में झाड़ू पौंछा करके कचरे को कूड़ेदान में डाल दिया और नीचे आकर अपने अपने घर जाने की तैयारी करने लगीं।

तभी भाभियों ने कामिनी को आती देखा तो कामिनी से मजाक करने लगी।

कुमुद भाभी बोली- आँखें बता रही हैं कि पूरी रात नहीं सोई हो।
कामिनी शर्म से लाल हो रही थी क्योंकि भाभी सच कह रही थी, वह बिल्कुल नहीं सोई थी।
फिर मन ही मन अपने पति पर अभिमान भी कर रही थी।
घोड़े जैसा पति पाकर वह बहुत खुश थी।

कल्पेश को चौधरी हिम्मत सिंह ने बुलाकर बताया- मैं और तुम्हारी मां कुछ दिन के लिए गांव जा रहे हैं। आठ दस दिन में लौट आयेंगे। जाते समय रजनी, कुमुद और तुम्हारी बुआ को इनके घर छोड़ना है। बहू को दो दिन बाद मायके घुमा लाना और तुम्हारी छुट्टी खत्म होने से पहले हम आ जायेंगे।

कल्पेश की मां ने नई बहू को घर की सब चाबी दे दीं और सबकुछ समझा दिया।
सबने साथ में नाश्ता किया।

कल्पेश और कामिनी ने सबके पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

चौधरी हिम्मत सिंह ने अपनी बोलेरो निकाली उसमें सबको बिठाया और चले गए।

कामिनी और कल्पेश अंदर आये मुख्य दरवाजा बंद किया और बैठ गए।

कल्पेश ने कहा- नियम भूल गई?
कामिनी ने कहा- बिल्कुल नहीं!

और उसने कल्पेश के कपड़े निकाल दिए और कल्पेश ने कामिनी के!

कल्पेश ने कामिनी को गोद में उठाया और बैड पर लिटा दिया और खुद भी उसके साथ लेट गया।

दोनों रात भर सोये नहीं थे इसलिए कुछ देर सोना चाहते थे.
वे दोनों लिपटकर सो गये।

देसी बहू की चूत की कहानी कहानी पढ़कर प्रतिक्रिया अवश्य दें।
आपकी प्रतिक्रिया ही मुझे प्रेरणा प्रदान करेगी।
धन्यवाद.
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