बुआ की नादान सेक्सी बेटी लड़की की चुदाई- 4

(First Fuck Virgin Sex Kahani)

हर्षद मोटे 2023-06-20 Comments

फर्स्ट फक़ वर्जिन सेक्स कहानी में मेरी बहन ने अपनी चुदास के वशीभूत मुझे मजबूर कर दिया कि मैं उसकी कुंवारी बुर में अपना लंड डाल कर उसे कलि से फूल बना दूँ.

अन्तर्वासना के सभी दोस्तों का मैं अपनी इस सेक्स कहानी में फिर से स्वागत करता हूँ.

आपने पिछले भाग
फुफेरी बहन ने चूत में लंड डालने की जिद की
में पढ़ा था कि सोनी सेक्स, चुदाई की बारे में अनभिज्ञ थी. वह जैसे जैसे मेरे नजदीक आ रही थी, वैसे वैसे वह मेरे साथ सब कुछ अनुभव करना चाहती थी.

मैं उसकी दोनों चूचियां बारी बारी से चूस रहा था. नीचे मेरा तना हुआ लंड उसकी सीलबंद चूत पर रगड़ मार रहा था.

वह इस तरह का अनुभव पहली बार ले रही थी.
इसी लिए वह कसमसाकर मादक सिसकारियां लेकर झड़ने लगी.

उसने मुझे अपनी बांहों में कसकर अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और हांफने लगी थी.
उसकी चूत से निकला रस मेरे लंड को गीला करते हुए उसकी जांघों पर बहने लगा था.

अब आगे फर्स्ट फक़ वर्जिन सेक्स कहानी:

कुछ समय बाद वह सामान्य हो गयी थी.

बाद में उसने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा- अब चलो.

वह मुझे टेबल के पास ले गयी, खुद टेबल पर लेट गयी और अपनी टांगें फैलाकर बोली- भैया, अब कुछ भी होने देना … लेकिन अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दो. मैं अब और इंतजार नहीं कर सकती.

ये सब कहते हुए उसने अपनी उंगलियों से चूत को दोनों तरफ फैलाकर चूत का मुँह बड़ा कर दिया.

अब मैं उसकी तड़फ देखकर मजबूर हो गया था.
उसकी गीली, उभरी, गुलाबी चूत देखकर मेरा लंड भी फड़कने लगा था.

मैंने एक हाथ से अपने लोहे जैसे तने लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से सोनी कमर पकड़ते हुए अपने गीले लंड को उसकी चूत पर नीचे से ऊपर तक रगडने लगा.

दो मिनट बाद सही निशाने पर लंड का सुपारा रखकर मैंने एक जोर का धक्का मार दिया.
मेरा लंड सोनी की कुंवारी चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा अन्दर चला गया था.

इस धक्के से सोनी जोर से चिल्लाने लगी- ऊई माँ … मर गई आह फट गई मेरी … ऊई माँ इस्स आह बहुत दर्द हो रहा है भैया … अब और मत डालो.
वह यही सब कहती हुई रोने लगी.

उसकी चूत और झिल्ली फट गयी थी और खून बहने लगा था.

मैंने झुककर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा, साथ में उसके आंसू अपने होंठों से पीने लगा.

सोनी छटपटा रही थी.
कुछ पल बाद उसने आंखें खोलकर कहा- क्या भैया … इतनी जोर से कोई धक्का मारता है क्या? कितना दर्द हुआ मुझे!
ये कहते हुए उसने अपने नीचे हाथ लगाकर देखा तो उसके हाथ में खून लग गया था.

खून देखकर सोनी बोली- भैया, क्या सचमुच मेरी चूत फट गयी है?
मैंने कहा- हां सोनी, मैंने तुम्हें पहले ही बोला था कि तुम पहली बार लंड ले रही हो और वह भी इतना बड़ा, तो दर्द तो बडा ही होगा ना. लेकिन अब कोई बात नहीं, अब बिना दर्द के मैं पूरा लंड अन्दर डालूँगा. तुम चिंता मत करो. अब तुम्हें बहुत मजा आएगा.

वह कुछ नहीं बोली, बस मेरी आंखों में देखती रही.

मैं फिर से बोला- अब कैसा महसूस हो रहा है तुम्हें सोनी?
सोनी अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ और गांड सहलाती हुई बोली- हां, अब दर्द कम हो रहा है और मजा सा आने लगा है. तुम्हारा इतना बड़ा लोहे जैसा लंड अपनी चूत में लेकर मैं बहुत खुश हूँ भैया.

इसके साथ सोनी नीचे से अपनी गांड आहिस्ता से हिलाती हुई बोली- भैया, अब मुझे तुमसे वह सब खुशियां देना, जो मैं जानती नहीं … और चुदाई का मजा किस तरह लेना चाहिए, क्या क्या करना होता है, वह सब मुझे सिखाना भैया. तुम्हारे सिवाए मेरा और कोई फ्रेंड नहीं है … समझे भैया!

मैंने उसकी दोनों चूचियां बारी बारी से चूसते हुए कहा- अब तुम चिंता मत करो सोनी, लेकिन ये बातें सिर्फ हम दोनों के बीच में ही रहेंगी … समझी!

सोनी ने मेरी गांड दोनों हाथों से मसलकर कहा- हां भैया, मैं समझ गयी … अब बचा हुआ लंड भी अन्दर डाल दो भैया … लेकिन जरा आहिस्ता से डालना!

मैं उसकी दोनों चूचियां अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी कमर आहिस्ता से आगे पीछे करने लगा था.
मेरा लंड अभी भी अन्दर बहुत टाईट जा रहा था.

मैंने कुछ सोच कर लंड थोड़ा बाहर निकाला और मुँह से ढेर सारा थूक लंड पर मल दिया और अच्छी तरह से लंड को चिकना कर लिया.

फिर मैं लंड अन्दर बाहर करने लगा.
चूत चुदाई के साथ में मैं सोनी की चूचियां भी मसल रहा था.

सोनी नीचे से गांड उठाकर चूत को लंड पर दबा रही थी.
अब लंड आहिस्ता आहिस्ता से चूत में उतरने लगा था.

सोनी की चूत अन्दर से भट्टी जैसी गर्म हो गयी थी.
चूत आहिस्ता आहिस्ता मेरे मोटे लंड को अन्दर लेने को जगह बना दे रही थी.

सोनी भी अब मादक सिसकारियां ‘स् स्स स्स्स हूँ हुं आह आ हम्म.’ करके मजे से लंड चूत में लेने लगी थी.

पंद्रह मिनट की इस स्लो मोशन चुदाई के बाद मेरा लंड अब दो इंच ही बाहर रह गया था.
मैं अब सुपारे तक लंड बाहर निकालकर अन्दर डालने लगा.
इससे सोनी भी कामुक होकर साथ देने लगी थी.

थोड़ी देर तक मैंने धक्कों की गति तेज करते हुए पूरा लंड निकाल कर आधे से ज्यादा लंड तेजी से अन्दर बाहर करने लगा.
सोनी सिहरने लगी.

लंड का चूत की दीवारों से होने वाले घर्षण से वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी.

सोनी अपने मुँह से मादक सिसकारियां लेने लगी थी और अपनी गांड उठा उठा कर लंड चूत में लेती हुई तेजी से उत्तेजित होकर झड़ने लगी थी.

उसने जोर से मुझे उसके ऊपर कस लिया.
मैं भी उसके ऊपर लेट गया.

सोनी ने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को कसकर लंड का दबाव चूत पर बनाए रखती हुई हांफने लगी थी.

मैं अपना सर उसके कंधे पर रखकर चूमने लगा.

थोड़ी देर बाद सोनी मेरे होंठ चूमकर अपने हाथों से मेरी पीठ और गांड को सहलाती हुई बोली- भैया, सच में बहुत मजा आ रहा है मुझे … कितना मजा आता है चुदाई में, मुझे तो लग रहा था कि मैं तुम्हारे साथ एक अलग दुनिया की सैर कर रही हूँ.

मैं उसे हँसते हुए देखने लगा.
वह पूछने लगी- भैया, अब पूरा अन्दर गया ना तुम्हारा लंड?

मैंने कहा- अभी थोड़ा सा ही लगभग सिर्फ दो इंच बाकी है.
सोनी बोली- तो अब पूरा डाल दो न भैया! मुझे पूरा लंड चूत में लेकर उसे महसूस करना है.

मैंने ओके कहा और फिर से अपनी पोजीशन में आकर लंड अन्दर बाहर करने लगा.
इससे उसका चुतरस हर बार लंड के साथ बाहर आकर नीचे जमीन पर टपकने लगा था.

लंड और चूत पूरी तरह से गीले होने से मस्त चुदाई चलने लगी थी. लंड पिस्टन की तरह लंड आराम से अन्दर बाहर हो रहा था.
साथ में पचा फच पच की मादक आवाजें निकलने लगी थीं.

मैं तेज गति से सोनी की चूत पर प्रहार करने लगा था.
सोनी के मुँह से भी मादक आवाजें निकल रही थीं.

पूरे रूम में मादक आवाजें गूंजने लगी थीं.
इसी वजह से हमारी कामवासना और बढ़ने लगी थी.

हम दोनों पूरी तरह से कामवासना में डूबकर एक दूसरे को साथ देकर चुदाई का आनन्द ले रहे थे.
मेरा पूरा लंड अब उसकी चूत में समा गया था और हर धक्के के साथ मेरी अंडगोटियां उसकी गांड के फूले हुए छेद पर दस्तक दे रही थीं.

साथ में मेरा लंड का मुलायम सुपारा चूत की जड़ तक जाकर गर्भाशय के मुख को चूमने लगा था.

इधर सोनी बेहाल होकर अपनी गांड उठा उठाकर लंड को चूत में जड़ तक ले रही थी, वह साथ में अपने मुँह से मादक सिसकारियां निकालने लगी थी.

मैं उसकी चूचियां कसकर जोर से धक्के मार रहा था.
दस मिनट की इस धुआंधार चुदाई के बाद मेरा लंड अंतिम बिन्दु पर या कहें चरमसीमा पर पहुंचने वाला हो गया था.

मैंने सोनी से कहा- अब मैं झड़ने वाला हूँ सोनी … मैं अपना वीर्य कहां निकालूँ?
पहले तो सोनी बोली- वह क्या होता है भैया?

मैंने कहा- वह जो अपने इस खेल के बाद रस सा निकलता है उसे वीर्य कहते हैं. उसी से बच्चा पैदा होता है. इसलिए मैं पूछ रहा था कि वीर्य अन्दर निकालूँ या बाहर?
वह बोली- भैया, मुझे कुछ नहीं मालूम कि इसको अन्दर लेना चाहिए या नहीं. आप जो ठीक समझें, वह करें. मगर हां मुझे भी ऐसा लग रहा है कि मेरा भी कुछ निकलने वाला है.

मैंने कुछ सोचा कि इसे दवा दे दूंगा.
बस ये सोचते ही मैंने जोर जोर से कुछ ऐसे धक्के मारे कि टेबल तक सरकने लगी थी.

आखिरी धक्के के साथ सोनी भी झड़ने लगी. उसकी चूत ने ढेर सारा गर्म चुतरस मेरे लंड पर छोड़ दिया.
उसकी चूत के गर्म चुतरस से मेरा लंड बेकाबू हो गया और वह भी गर्म वीर्य की पिचकारियां चूत में मार कर चूत को भरने लगा.

मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियां मारते ही सोनी ने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ते हुए पूरा लंड अपनी चूत में समा लिया था.
सोनी ने चूत में लंड का दबाव बनाए रखते हुए मुझे अपने ऊपर खींच लिया और जोर से अपनी बांहों में कस लिया.

उसके नाखून मेरी पीठ में गड़ गए थे.
मैंने भी उसकी पीठ के नीचे हाथ डालकर उसे अपनी बांहों में कस लिया था.
हम दोनों मदहोश हो गए थे.

उसकी चूचियां मेरे सीने में दब गयी थीं.
हम दोनों बहुत ही ज्यादा थक चुके थे.

दोनों के मुँह से गर्म सांसें निकल रही थीं.
हम दोनों ही एक दूसरे के आगोश में रहकर एक अलग सी दुनिया की सैर कर रहे थे … ना कोई हमें देखने वाला था और ना ही कोई हमें रोकने वाला था.

अब मुझे अहसास होने लगा था कि सोनी की चूत मेरे लंड को निचोड़ कर वीर्य की एक एक बूंद पी रही थी.
मेरा लंड भी उसे साथ दे रहा था.

कुछ मिनट तक बाद हम दोनों ही शांत हो गए थे.

सोनी ने मुझे अपनी टांगों की पकड़ से आजाद कर दिया.
साथ में हाथों की पकड़ भी ढीली करके अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ और गांड सहलाने लगी थी.

अब मैंने अपना सर उठाकर उसके होंठों को चूम कर अपनी जीभ उसके मुँह में डालकर उसकी जीभ से जीभ लड़ाने लगा.

सोनी को इससे एक अलग सा अनुभव मिला और वह खुश होकर मजे लेने लगी थी.
फिर हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसने लगे तो पूरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी थी.

इस अनोखे फर्स्ट फक़ वर्जिन सेक्स अनुभव से सोनी का चेहरा और खिलने लगा था और उसकी आंखों में अलग सी चमक दिख रही थी.
साथ में वह फिर से गर्म होने लगी थी. इधर मेरा लंड भी उसकी चूत में अंगड़ाइयां लेने लगा था.

बात आगे बढ़ने से पहले मैंने अपने आपको रोका और उसके ऊपर से उठकर खड़ा हो गया.

सोनी मुझे उठते देख कर बोली- क्या हुआ भैया?
मैंने कहा- कुछ नहीं, मुझे जोर से पेशाब लगी है.

ये कहकर मैंने सोनी की चूत से आहिस्ता से अपना लंड बाहर निकाल दिया.

दोस्तो, अब तक की फर्स्ट फक़ वर्जिन सेक्स कहानी आपको कैसे लगी, जरूर बताएं और मेल करना मत भूलना.
शेष कहानी के भाग जल्द ही आपके सामने लेकर आऊंगा.
[email protected]

फर्स्ट फक़ वर्जिन सेक्स कहानी का अगला भाग: बुआ की नादान सेक्सी बेटी लड़की की चुदाई- 5

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