भैया की साली की सीलतोड़ चुत चुदाई

(Indian Desi Chut Ki Kahani)

राज मौर्य 2023-01-18 Comments

इंडियन देसी चुत की कहानी में पढ़ें कि मैं अपने भाई की साली को पसंद करता था पर वो मुझसे पटी नहीं. एक बार उसे मेरे शहर में कुछ काम पड़ा तो वो मेरे कमरे पर आई.

सभी को नमस्कार, मेरा नाम राज है और मैं छत्तीसगढ़ में भिलाई से हूँ.

दोस्तो, इस वेबसाइट की कहानियां मैं 2013 से पढ़ता आ रहा हूँ पर आज पहली बार अपनी सेक्स कहानी लिख रहा हूँ.

तब से लेकर आज तक बहुत सी चीजें बदली हैं पर एक चीज नहीं बदली और वो है अन्तर्वासना!
इधर लोग अपनी अन्दर की दबी हुई बातों को सबके सामने बेझिझक रसीले अंदाज में पेश करते हैं.

यह इंडियन देसी चुत की कहानी उस समय की है, जब मैं 2018 में जॉब करने के लिए भिलाई आया था.

मैंने अपने शोरूम के पास ही रूम ले लिया था. उस बिल्डिंग में हम बैचलर ही रहते थे.

किसी लड़की को अपने रूम में लाना कोई मुश्किल काम नहीं था.
वहां जितने भी लड़के थे, सब अपनी अपनी प्रेमिका को वहां लाकर पेलते थे.

एक बार उधर ही मेरे कमरे में मेरे भैया की साली का आना हुआ और मैंने उसकी कुंवारी बुर को चोद कर फाड़ दिया.

दरअसल हुआ यूं कि मेरे बड़े भैया की शादी 2016 में हुई थी.
उनकी साली अंजलि से मेरी सामान्य बातें होती थीं. उसके ऊपर मैं लाइन तो मारता था और फिर नंबर भी शेयर किए थे लेकिन वो मुझसे पटी नहीं थी.

समय का पहिया आगे बढ़ता गया.
अब हुआ ऐसा कि एक दिन जब मैं ऑफिस में था, तब अंजलि का कॉल आया.

उसने कहा- यार, मैं कुछ काम से भिलाई आई हूं और मुझे यहां रात हो जाएगी. मैं आज घर नहीं जा पाऊंगी तो क्या तुम्हारे रूम में रुक सकती हूं?
मैंने थोड़ी देर सोचा, फिर हां बोल दिया.

मैं शोरूम से रात के 9.00 बजे छूटा और उसे लेने के लिए चला गया.
उसे लेकर मैं अपने रूम में आ गया.

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको उसके बारे में बता दूँ.
वो साधारण सी दिखने वाली लड़की है. उसकी चूचियां भी बहुत छोटी हैं, एकदम स्लिम है और देखने में उतनी सेक्सी नहीं लगती थी.
मगर तब भी मुझे उसमें एक कशिश सी लगती थी, जिस वजह से मैं उस पर फ़िदा था.

हम दोनों ने खाना खाया, इधर उधर की बातें की … फिर सोने चले गए.
मेरे रूम में केवल एक ही बेड था, तो हम दोनों साथ में सो गए.

वो मुझसे थोड़ा दूरी बना कर सोई थी.
मैं सोचने लगा कि इसे कैसे सेक्स के लिए मनाऊं.

फिर मैंने उससे कहा- यार मुझे तुम्हें किस करने का मन हो रहा है.
उसने एकदम से मना कर दिया.

लेकिन मैंने उसका चेहरा अपनी तरफ किया और सीधे उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
एक दो बार उसने मुझे हटाया लेकिन उसके बाद वो भी साथ देने लगी.

मैंने उसे चूमने में साथ देते हुए देखा तो समझ गया कि लौंडिया खुद ब खुद चुदने को मर रही है तो क्यों न ढंग से चुदाई का मजा लिया जाए.

मैंने उससे कहा- अंजू, आज तुमने मुझे साथ दिया, सच में मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है.
वो बोली- राज, मैं भी तुमसे अकेले में मिलना चाहती थी मगर कुछ संकोच था. यदि आज तुम पहल न करते, तो शायद मैं आज भी आगे नहीं बढ़ पाती.

मैंने उसे अपनी बांहों में खींच लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा.
वो भी मुझसे नागिन सी लिपट गई.

जल्द ही हम दोनों कामांध हो गए और एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे.

मैंने उसके छोटे छोटे चूचों को कपड़े के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया.
इससे वो और भी ज्यादा गर्म हो गई.

फिर कपड़े को थोड़ा ऊपर करके मैं उसके पेट में और पीठ में हाथ फेरने लगा.

अन्दर हाथ चला गया था, तो मैंने सीधे उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया.
साथ ही मैं अपने होंठों से उसके होंठों को लगातार चूस रहा था.

वो और भी ज्यादा गर्म होती जा रही थी.

मैंने उसके कपड़ों को निकाला और अपने कपड़ों को भी निकाल दिया.
वो केवल पैन्टी में ही थी और मैं भी केवल अंडरवियर में ही था.

लगातार चूमने और मम्मों को दबाने के बाद मैं अपना हाथ उसकी पैंटी के अन्दर ले गया.
वो मुझे हाथ वहां ले जाने के लिए मना कर रही थी.
फिर भी मैं नहीं माना और हाथ अन्दर ले गया.

मैंने उसकी चूत पर हाथ रख दिया.
उसकी चूत तो पहले से ही पूरी गीली हो गई थी.
मैं चूत को सहलाने लगा.

जैसे जैसे मैं चूत को सहला रहा था, वो और जोर से मेरे होंठों को चूमती जा रही थी.
उसमें पूरा जोश चढ़ चुका था.

मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर ले गया लेकिन उसने हाथ हटा लिया.
तो मैंने फिर से उसे लंड पकड़ाया, अब भी उसने उसे नहीं पकड़ा.

मेरा लंड तनकर अकड़ गया था और उसने मेरी चड्डी में तंबू बना दिया था.

मैंने अपना अंडरवियर उतारा और उसकी पैन्टी को भी उतार फैंका.
अब वो मादरजात नंगी थी.

मैंने उसे बेड पर चित लिटाया और सबसे पहले उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाली.
मैं जब भी सेक्स करता हूँ, तो सबसे पहले एक उंगली ही डालता हूं, फिर दो उंगली डालता हूँ.

उसका फर्स्ट टाइम था तो वो पहले ही डर रही थी.
उंगली डालने पर उसे थोड़ा दर्द हुआ और उसने उंगली निकालने को कहा.

पर मैंने उसकी बात को नहीं सुना और चुत में उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
ऐसा करने से उसकी इंडियन देसी चुत पानी छोड़ने लगी. अब बारी थी दूसरी उंगली डालने की.

जब दूसरी उंगली डाली तो वो अन्दर डालने में दिक्कत हो रही थी, फिर भी अन्दर डालकर बार बार अन्दर बाहर किया.
सच कहूं तो दर्द से उसकी गांड फट चुकी थी. वो कराह रही थी और मुझसे उंगली निकाल लेने की कह रही थी.

मगर मैं भी उस वक्त तक तय कर चुका था कि आज इसकी बुर का भोसड़ा बनाना ही है.
वो चुदने को राजी थी और मेरा साथ दे रही थी, तो बस अब चुत में लंड देने भर की देर थी.

दर्द तो होता ही है.
ये सब सोच कर मैंने उसकी चुत में तेजी से उंगली करना शुरू कर दी.
उसकी चुत ने भी लिसलिसा पानी छोड़ दिया था, जिससे मुझे लगने लगा था कि अब लंड को चुत फाड़ने के लिए पेल दिया जाए.

मतलब अब बारी आ गई थी मेरे सनसनाते हुए लवड़े को चूत में डालने की.
मैंने लंड निकाला और उसके सामने लहराया.

वो सहम गई.
मेरा मूसल लंड पकड़कर ही पहले से उसकी हालत खराब हो गई थी.

वो बोली- इससे तो मैं मर जाऊंगी. मैंने आज तक कुछ नहीं किया है. इसे मत डालो.

पर मैं कहां मानने वाला था.
मैंने उसे समझाया कि मैं धीरे धीरे करूंगा, ज्यादा दर्द नहीं होगा. तुम डरो मत.

काफी समझाने पर वो मान गई क्योंकि चुदने का मन तो उसे भी हो रहा था.

मैंने उसकी दोनों टांगों को फैलाया और उसके चूतड़ों के नीचे तकिया लगा दिया ताकि चूत थोड़ा ऊपर हो जाए व लंड डालने में आसानी हो.
जैसे ही मैंने लंड को उसकी चूत में डालना शुरू किया, लंड छेद से फिसला जा रहा था.

फिर कैसे भी करके लंड को चूत में सैट किया और धीरे धीरे पेलना शुरू किया.
लेकिन लंड मुश्किल से जा रहा था और उसे बहुत दर्द होना शुरू हो गया था.

वो लंड को निकलवाने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उसके होंठों में अपने होंठ रख दिए और लंड को चूत में रोककर उसके होंठों को चूमने लगा.
वो भी मेरे होंठों को चूमने लगी.

थोड़ी देर चूमने के बाद मैंने लंड को और अन्दर घुसाना शुरू कर दिया लेकिन उसका पहली बार सेक्स होने के कारण उसे काफी दर्द हो रहा था.
लंड थोड़ा सा ही अन्दर गया था कि उसकी हालत खराब हो गई.

वो बोलने लगी- बहुत दर्द हो रहा है यार … इसे निकालो, मैं मर जाऊंगी.
मैंने लंड बाहर निकाला.

फिर उसमें ग्लिसरीन लगा कर चिकना किया, कुछ ग्लिसरीन उसकी चूत में भी लगाई.
उसके बाद मैंने उसे लेटाया.

मेरे बेड के सामने ही खिड़की थी और मेरा बेड उस खिड़की वाली दीवार पर टिका था.
इस बार मैंने लंड डाला और अपने हाथों से खिड़की की रॉड को पकड़ कर पूरी ताकत के साथ पेल दिया.

बहुत ज्यादा ताकत लगाने के बाद ही लंड पूरा घुस पाया.

लंड तो घुस गया था लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी चुत में घोड़े का लंड पेल दिया गया हो.
अंजलि से मेरा लंड जरा भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो लंड को चूत से निकालने की लगातार कोशिश कर रही थी.

सच में लंड फंस सा गया था. मुझे खुद से लग रहा था कि कैसे चुदाई हो.
चुत से कुछ रस निकलता, तो चिकनाई आती … और चुदाई होना शुरू हो पाती
मगर इधर तो कहानी ही ऐसी हो गई थी कि न खाते बन रहा था और न निगलते बन रहा था.

मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया और थोड़ी देर तक उसे सहलाया.
मैं उसका और अपना दर्द भुलाने की चेष्टा कर रहा था.

कुछ ही देर में वो भी जरा शांत सी हो गई थी और अब तक लंड ने भी चुत में अपनी जगह बना ली थी.
वो लगातार दर्द से उन्ह उन्ह कर रही थी.
उसके मुँह से इसके अलावा कुछ भी आवाज नहीं निकल रही थी.

फिर कुछ पल बाद मुझे हल्का सा चिकनापन सा महसूस हुआ, मैंने लंड हिलाया तो वो सरकने लगा.
अब मैंने धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करना शुरू किया. उसकी चूत ने थोड़ा ढीला होना शुरू कर दिया था.

मेरा लंड आगे पीछे होने लगा.
अंजलि को भी अब दर्द के साथ साथ मज़ा आने लगा.

वो कहने लगी थी- राज तुमने मुझे मार ही दिया है … मुझसे ये दर्द सहन नहीं हो रहा है.
मैं समझ गया कि ये सिर्फ़ कह ही रही है, जबकि इसकी कमर मेरे साथ कुछ कुछ चल रही है.

मैंने कहा- तो क्या करूं … लंड बाहर निकाल लूँ?
वो बोली- नहीं … अभी करते रहो.

मैंने कहा- इसका मतलब तुम्हें मजा आ रहा है न!
वो बोली- मजा नहीं आ रहा होता तो बाहर निकालने की न कह देती?

ये सुनकर मैंने लंड बाहर को खींचा और जोर से वापस पेल दिया.
वो एकदम से चीखी- आह मर गई … मैंने कहा न कि धीमे धीमे करो.

मैंने कहा- अरे यार, मैं चैक कर रहा था कि दर्द हो रहा है या मजा आ रहा है.
वो बोली- अभी दर्द भी हो रहा है और मजा भी थोड़ा थोड़ा आ रहा है.

इसी तरह से कई बार हल्के धक्के मारने के बाद मैंने लंड की रफ्तार बढ़ाई.
वो भी अब किसी तरह से मेरा साथ देने लगी.

कुछ ही देर में हम दोनों की चुदाई ने गति पकड़ ली और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.
जब लंड बाहर निकाला तो लंड और चूत खून से लाल हो चुके थे.

अंजलि की इतनी हालत नहीं थी कि वो लंड को अपनी चूत में दुबारा ले सके.
उसकी हालत को देखकर मैंने सोना ही मुनासिब समझा.

इसके बाद अंजलि को कई बार चोदा.
मैं अपनी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा कि कैसे अंजलि ने मेरे चोदने पर मूत निकाल दिया था.

दोस्तो ये, थी अंजलि की सीलतोड़ चुदाई की कहानी. आपको कैसी लगी यह इंडियन देसी चुत की कहानी, मुझे मेल करें.
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