मेरे लण्ड का कौमार्य-2

(Mere Lund Ka Kaumarya-2)

अभिषेक2 2015-03-08 Comments

कहानी का पिछ्ला भाग : मेरे लण्ड का कौमार्य-1

मैं शिवानी के कमरे में गया तो मुझे लगा.. शायद उसके पेट में गैस बन रही है.. मैं तुरंत रसोई में गया और वहाँ से अजवायन और सेंधा नमक लाकर शिवानी को गरम पानी के साथ दिया।

दस मिनट में शिवानी को आराम आ गया और वो सोने लगी।
मैं भी अनुष्का के कमरे में आया और सोने ही वाला था कि तब तक किसी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया।

मैंने दरवाजा खोल कर देखा तो नीता बाहर खड़ी थी। मेरे दरवाजा खोलते ही वो अन्दर आ गई और मेरी रज़ाई में घुस गई।

मैंने पूछा- क्या इरादा है?

तो वो बोली- इस शिवानी ने मेरी नींद खराब कर दी.. अब मुझे नींद नहीं आने वाली.. तुम्हें नींद आ रही है?

अब तक 3 बज चुके थे.. मेरी नींद भी खराब हो चुकी थी और नीता से बहस की ताक़त मुझ में नहीं थी.. तो मैं भी रज़ाई में घुस गया और नीता से बात करने लगा।

आज पहली बार मैं नीता के साथ अकेले बैठा था.. पहले मैंने कभी ध्यान नहीं दिया.. पर नीता भी काफ़ी खूबसूरत थी।
अगर मैं उसके कंमेंट्स से बचने के लिए ना भागता तो शायद मैंने उसकी खूबसूरती को नज़रअंदाज़ ना किया होता।

मैं चुपचाप नीता की ओर देख रहा था और सर्दी में रज़ाई के अन्दर हम दोनों अपने पैर चिपकाए हुए थे।

धीरे-धीरे हमारे पैर गरम हो रहे थे और तभी नीता ने पूछा- क्या देख रहे हो?

मैं बोला- कुछ नहीं.. तुम बहुत खूबसूरत हो।

नीता हँसी और बोली- तो आइंस्टीन साहब को आज पता चला है कि मैं खूबसूरत हूँ.. गिनीज बुक लाओ.. आज एक नई खोज हुई है।

मैं बोला- आज तक मैंने तुम्हें कभी इतने गौर से नहीं देखा.. तो पता नहीं चला.. जैसे ही तुम्हारे सामने आता हूँ.. तुम कुछ ना कुछ ऐसा बोलती हो कि मुझे भागना पड़ता है.. मैं तुम्हारी खूबसूरती पर क्या खाक गौर करूँगा।

अब नीता हँसने लगी और अचानक गंभीर होकर बोली- ठीक है बताओ मुझ में ऐसा क्या है.. जो तुम्हें खूबसूरत लगा?

अब मेरी ज़बान अटक गई.. किसी को खूबसूरत बोलना आसान है.. पर एक लड़की के सामने उसकी खूबसूरती बयान करना.. नंगी तलवार पर चलने के बराबर है.. ज़रा सी ग़लती की और तुम कटे..

खैर.. मैंने ज़्यादा वक़्त बर्बाद करने की जगह बोला- तुम्हारा चेहरा इतना खूबसूरत है कि जो अब देख रहा हूँ तो कहीं और देखने का मन नहीं करता.. तुम्हारे बाल तुम्हें और खूबसूरत बनाते हैं। तुम्हारा फिगर किसी अभिनेत्री से कम नहीं है और क्या कहूँ..

इधर रज़ाई के अन्दर मेरे और नीता के पैर अभी तक मिले हुए थे और हम दोनों के शरीर में गर्मी भर रही थी।

तभी नीता अचानक मेरे बगल में आ गई और उसने मेरी जांघ पर अपना हाथ रख दिया। मेरा लंड खड़ा हो चुका था और मैं हिल-डुल कर उसे ठीक करने की कोशिश कर रहा था।

तभी इधर नीता ने पूछा- क्या तुमने कभी किसी को चुम्बन किया है?

मैंने मना किया.. तो उसने पूछा- क्यों?

मैं बोला- कभी मौका नहीं मिला।

नीता हंसते हुए बोली- मौका बनता या मिलता नहीं.. ढूँढना पड़ता है।

अब मुझे अपनी बेवकूफी समझ में आई, रात के 3.30 बजे एक लड़की बिस्तर में मेरे साथ चिपक कर बैठी थी और मैं हाथ आया मौका गँवा रहा था।

बिना एक सेकेंड की देरी किए मैंने नीता को अपनी बाँहों में भर लिया और उस पर चुंबनों की बरसात कर दी।

नीता अचानक के मेरे इस हमले से हड़बड़ा गई और उसने मुझे धकेल दिया मेरी फट के हाथ में आ गई और मुझे लगा कि आज तो मैं गया काम से..

पर नीता शांत थी.. वो बोली- अगर कुछ करना ही है.. तो आराम से करो और प्यार से करो.. अभी हमारे पास कम से कम 2 घंटे हैं.. अगर सेक्स करना ही है तो ऐसे करो कि एक यादगार बने..

ऐसा बोल कर नीता मेरे पास आई और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे चुम्बन करने लगी।

मैंने भी उसी की तरह चुम्बन करना शुरू किया.. अब मैं खुद को भूल चुका था और इस पल के मज़े ले रहा था।

एक लंबे चुम्बन के बाद हम अलग हुए और नीता ने पूछा- क्या ये तुम्हारा पहला चुम्बन था?

मैंने जबाब में सिर हिला दिया.. नीता अब बिस्तर में रज़ाई में घुस गई और उसने अपने कपड़े एक-एक करके उतार कर मुझ पर फेंकने शुरू किए।

उसने पहले स्वेटर उतारा.. फिर टॉप.. फिर पायजामा, ब्रा और आख़िर में पैन्टी निकाल कर वो रज़ाई में नंगी हो चुकी थी।

अब मैं भी रज़ाई में घुसने लगा.. तो नीता ने मना कर दिया और बोली- मैं तुम्हें नंगा देखना चाहती हूँ।

मैंने एक-एक करके कपड़े उतारे और आज मैं पहली बार किसी लड़की के सामने आदमजात हालत में खड़ा था।

अब नीता ने मुझे बुलाया और मैं तुरंत रज़ाई में घुस कर नीता के नंगे बदन को चूमने लगा। नीता सिर्फ़ देखने में ही खूबसूरत नहीं थी.. उसका बदन किसी साँचे में ढली मूरत क़ी तरह था।

मैं उसके स्तनों को चूसने लगा और फिर उसकी नाभि के पास अपनी गरम सांसों को छोड़ते हुए दुबारा उसके होंठों को चूमने लगा।

इस ठंडे मौसम में हम दोनों को एक-दूसरे के बदन की गर्मी स्वर्ग जैसा सुख दे रही थी।

मैं जब-जब अपनी गरम सांसों को उसकी गर्दन के पास छोड़ता था.. वो सिहर कर मुझसे और चिपक जाती थी।

अब नीता पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और वो मेरे लंड को पकड़ कर उससे खेलने लगी थी। मेरे लौड़े से खेलते-खेलते उसने अपने मुँह में लंड को डाल कर चूसना शुरू किया.. तो मैं इस नए अनुभव को पूरी तरह से मजा ले रहा था।

मेरा लंड चूसते हुए वो 69 की अवस्था में आ गई और अपनी चूत मेरे मुँह के सामने रख कर लेट गई।

मैं उसका इशारा समझ कर उसकी चूत चाटने लगा और अपनी जीभ अन्दर तक घुसा-घुसा कर चूत चाटने लगा।
थोड़ी देर में ही नीता का बदन अकड़ने लगा और वो बड़े ज़ोर से मेरे मुँह में झड़ गई।

मुझे भी लगा की मेरा माल निकलने वाला है.. तो मैंने नीता को रोक दिया और टिश्यू पेपर से अपना मुँह साफ किया।

अब नीता पूरी तरह से चुदने के लिए तैयार थी। उसने दीवार के पास जाकर अपनी एक टाँग उठा दी और मुझे खड़े-खड़े चोदने के लिए कहा।

मेरा लंड सख़्त हो गया था.. मैं उसके पास गया और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। मुझे थोड़ी जलन हुई.. पर उसकी भट्टी जैसी चूत में जाते ही जैसे लंड का इंजिन चालू हो गया और मैंने कुछ ही झटकों में 3-4 ज़ोर-ज़ोर के शॉट लगा दिए.. पर इसके साथ ही मेरी जलन बढ़ गई।

मैंने तुरंत लंड को बाहर निकाल कर देखा लंड की चमड़ी पलट चुकी थी और 1-2 जगह से हल्का खून निकल रहा था।

ये देख कर नीता की हँसी छूट पड़ी- तो तुम सच में अब तक वर्जिन थे.. चलो मेरा भी रिकॉर्ड बन गया कि मैंने एक लड़के की वर्जिनिटी लूट ली.. अब आओ जो काम शुरू किया है.. उसे ख़त्म भी करो..

ये बोल कर वो अपनी चूत के रस से लिपटे मेरे लंड को चाट कर साफ करने लगी।

ना जाने क्या जादू था.. उसकी जुबान में कि मेरी सारी जलन जाती रही और मेरा लंड पूरी तरह से सख़्त हो चुका था।

अब वो बिस्तर में कुतिया के जैसी बन गई और बोली- चोदो मुझे.. और अब तब तक नहीं रुकना.. जब तक मैं ना झडू..

मैं भी पीछे से आकर उसे चोदने लगा।

थोड़ी देर इस अवस्था में रहने के बाद उसने मुझे लिटा दिया और मुझे लिटा कर मेरे लंड की सवारी करने लगी।

मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे मैं उसे नहीं वो मुझे चोद रही हो।

दस मिनट ऐसे ही चुदाई चलने के बाद मुझे लगा जैसे मेरा माल निकलने ही वाला है।

मैंने उससे कहा.. तो भी वो लंड की सवारी करती रही और बोली- मैं भी झड़ने वाली हूँ.. तुम अपना माल मेरी चूत में अन्दर ही छोड़ दो.. कल गोली ला कर दे देना..

तभी मेरा वीर्य निकलने लगा और वो भी अकड़ते हुए झड़ गई।

इसके बाद हम दोनों साथ-साथ पड़े रहे।
आधे घंटे बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और शिवानी और अनुष्का के उठने से पहले हमने एक बार और चुदाई की।

आगे के हिस्सों में मैं अपनी कहानी के आगे लिखूँगा.. आप सभी की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।
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