कुंवारी पड़ोसन की चूत में खुली मेरे लंड की सील

(Next Door Girl Sex Kahani)

नेक्स्ट डोर गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने सेक्स कभी नहीं किया था। मेरी खूबसूरत पड़ोसन के साथ मेरी सेटिंग हो गई और फिर उसकी चूत से की मैंने चुदाई की शुरुआत।

सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।
मैं बसंत कुमार (बदला हुआ नाम) उत्तर प्रदेश के लखनऊ से पहली बार एक कहानी लेकर आपके सामने हाजिर हूँ।
अभी मेरी उम्र 25 साल हो चुकी है।

यह मेरी पहली कहानी है। मैं आशा करता हूँ कि आपको मेरी नेक्स्ट डोर गर्ल सेक्स कहानी पसन्द आएगी।
कहानी लिखने में कोई गलती हो तो माफ करें। कहानी पसन्द आई या नहीं … ईमेल में जरूर लिखें।

दोस्तो, यह कहानी मेरी जवानी की शुरुआत की है।
उस वक्त मैं बस 19 साल का हुआ था।

आपको बता दूँ कि मैं लड़कियों से बात तो शुरू से करता था और रात में उनके कसे हुए बदन और कपड़ों में उठे हुए बूब्स को याद करके मुट्ठ मार लिया करता था।

मेरे अंदर वासना काफी भरी हुई थी।
लेकिन कभी भी सेक्स जैसी बात किसी भी लड़की को बोलने की हिम्मत नहीं पड़ती थी।

ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर लिखने की मेरी आदत नहीं लेकिन मेरे लन्ड का साइज किसी भी लड़की या औरत को संतुष्ट करने के लिए काफी है।

हमारे पड़ोस में ही सोनम (बदला हुआ) नाम की एक बहुत प्यारी लड़की रहती थी।
वो तीन बहनें थीं जिनमें से सोनम सबसे छोटी थी और मेरी ही उम्र की थी। वो इतनी सुंदर और कमसिन थी कि कोई भी उस पर फिदा हो जाए।

एक दिन मैं अपनी छत पर धूप ले रहा था क्योंकि उस समय ठण्ड के दिन थे। उसके घर की दीवार और मेरे घर की दीवार आपस में जुड़ी हुई थी। वैसे तो इससे पहले भी वो छत पर दिखा जाया करती थी लेकिन पिछले कुछ दिनों से हम दोनों की नजरें कभी कभार आपस में टकराने लगी थीं।

फिर मैंने देखा कि वो नहाकर छत पर बाल सुखाने आयी। उसको इस रूप में मैंने पहली बार देखा था। वो हुस्न परी लग रही थी और मेरे मन में उसको चोदने के ख्याल आने लगे।

मैं लगातार उसको देखता चला गया और पता भी नहीं चला कि कब उसने मुझे उसको निहारते हुए देखा। जब वो मुझे देखने लगी तो मैं थोड़ा संभला। मैं हैरान था कि उसने भी मुझे देखकर स्माइल किया।

तो मेरे दिमाग में उस वक्त यही बात आई- हंसी तो फंसी।
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे। मैं किसी तरह अब उससे दोस्ती करना चाह रहा था।

अब तो किसी न किसी बहाने मैं छत पर समय निकालकर जाने लगा और वो भी रोज़ उसी समय पर आने लगी।
धीरे धीरे मैंने ही उससे बात करने का सिलसिला शुरू किया।

रात को मैं उसको सोचकर मुठ मारा करता था लेकिन दिन में उसके सामने बहुत भोला बन जाता था।
धीरे धीरे हमारी बातें होने लगीं।

वो भी शायद मुझे पसंद करती थी इसलिए जल्दी ही हम दोनों के बीच में नम्बर भी एक्सचेंज हो गए और चैट भी होने लगी।

अब तो छत पर हमारी आंखों के इशारे भी शुरू हो गए। अब हम दोनों रातभर फ़ोन पर बातें करने लगे।

धीरे धीरे फ़ोन पर ही मैं उसको गर्म करने लगा।
उससे बात करते करते मेरा भी लौड़ा तन जाता था और मेरी बातों से वो भी गर्म हो जाती थी।

दोनों ही जवान हो रहे थे तो उत्तेजना और आकर्षण भी बहुत ज्यादा था।
वो भी मेरी सेक्सी बातों में आकर अपनी सलवार में हाथ देकर अपनी चूत को सहलाया करती थी।
गर्म होने पर वो खुद बताती थी कि वो अब अपनी चूत को सहला रही है।

इस तरह से धीरे धीरे हम फोन सेक्स करने लगे।
अब चूत और लंड की फोटो भी एक दूसरे के पास आने जाने लगीं।

फोन सेक्स करते करते अब मैं उसको इतनी गर्म कर देता था कि उसकी चूत का पानी निकल जाता था।
रोज ही उससे सेक्स चैट करते हुए मैं भी मुठ मारा करता था।

आग दोनों तरफ से लगी थी और रोज धधक रही थी।
अब वो भी कहने लगी थी कि किसी दिन रियल में सेक्स करने का मन कर रहा है।
मेरा भी यही हाल था। मेरा लंड उसकी चूत में जाने के लिए तड़प रहा था और उसकी चूत मेरे लंड का इंतजार कर रही थी।

आख़िरकार वो दिन भी आ गया जिसका हम दोनों को इंतजार था।

उस दिन उसके घरवाले किसी फंक्शन में जा रहे थे और उसने तबियत ख़राब होने का बहाना बना लिया और घर में पापा के लिए खाना बनाने के लिए रुक गयी।
पापा के ड्यूटी पर निकलते ही उसने मुझे सारी बात बताई और बोली कि तुमसे मिलना चाहूती हूं।

वो कहने लगी- किसी न किसी तरह मेरे घर आ जाओ।
दोस्तो, ये सुनकर मेरे लौड़े में हलचल होने लगी। लंड खड़ा होने लगा।

मैंने घर वालों को चकमा दिया और अपनी छत पर से उनके घर में कूद गया।
फिर छत से मैं नीचे चला गया और वो पहले से ही मेरा इंतजार कर रही थी।

नीचे जाते ही वो मुझे रूम में ले गई।

हमने इससे पहले केवल फोन पर सेक्स और चुदाई की बातें की थीं।
आज जब हम इतने करीब थे तो पहली बार ऐसा हुआ था जिससे हम दोनों को शर्म आ रही थी और हम आँखें नीचे करके बैठे थे।

फिर मैंने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ लिया जिससे वो ठंडी सी पड़ गयी।
मैं घबरा भी रहा था और मुझे चूत मारने की जल्दी भी थी।

पहली बार सेक्स का मौका मिल रहा था इसलिए समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या करूं और कैसे तथा कहां से शुरू करूं।

फिर मैंने कुछ नहीं सोचा और उसका चेहरा पकड़ कर उसके होंठों पर होंठ रख कर उसको किस करने लगा।

उसके होंठों को मैं ठीक वैसे ही चूसने की कोशिश कर रहा था जैसे कि मैं पोर्न मूवी में देखा करता था।
धीरे धीरे उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।

फिर किस करते करते मैंने उसके कमीज के ऊपर से उसके छोटे छोटे बूब्स को एक हाथ से बारी बारी दबाना शुरू कर दिया।

पहले तो उसको संकोच हो रहा था लेकिन फिर वो नॉर्मल हो गई और उसको मजा आने लगा।
मैं दोनों हाथों से दोनों बूब्स को भींचने लगा।
उसके नर्म नर्म चूचों को दबाने में बहुत अच्छा लग रहा था।

अब मेरे अंदर उतावलापन भी आ रहा था और मैं सब कुछ जैसे एकदम से ही कर देना चाह रहा था।
मैंने उसकी सलवार में हाथ देकर उसकी चूत को टटोलना चाहा लेकिन उसने मेरे हाथ को सलवार में जाने से पहले ही रोक दिया।

तो मैंने उसको आंखों के इशारों में ही समझाया।
एक दो बार उसने ‘ना’ में मुंडी मारी लेकिन फिर उसने मेरे हाथ को सलवार में जाने दिया।

मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा तो मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया।
पहली बार मैंने चूत को छुआ था।

मैं उसकी चूत को बार बार सहलाने लगा और अब मुझे अहसास हुआ कि उसकी चूत हल्की सी गीली हो रही थी जिसका गीलापना उसकी चड्डी पर भी आ गया था।
फिर मैं उसकी सलवार खोलने लगा।

पहले तो उसने मुझे रोका लेकिन अबकी बार मैंने उसके हाथ हटा दिए और अपने आप ही उसकी सलवार खोल दी।
मैंने उसको नीचे से नंगी किया और फिर उसको लेटाकर उसका कमीज उठा दिया।

अब वो नीचे से बिल्कुल नंगी हो गई थी और उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया।

मैंने उसकी टांगों को चौड़ी कर लिया और उसकी छोटी सी चूत को देखने लगा।
सोनम की कुंवारी कमसिन चूत बहुत ही प्यारी लग रही थी।

मैंने उसकी चूत को चूमने के लिए जीभ उसकी चूत पर रखी.
तो वो हटाने लगी और बोली- ये क्या कर रहे हो … गंदी जगह है वो!
मैंने उसकी कुछ न सुनी और उसकी चूत को लगातार चाटने लगा।

फिर उसको भी मजा आने लगा और वो अब आराम से लेट गई।
कुछ ही देर में उसकी सांसें तेज तेज चलने लगीं और उसकी छाती ऊपर-नीचे होने लगी।
मैं उसकी चूत में जीभ अंदर तक घुसाने लगा।

वो धीरे धीरे बहुत ज्यादा गर्म हो गई।
अब उसकी जांघें पूरी चौड़ी खुल गई थीं। मानो वो खुद ही अपनी चूत को मेरी जीभ के सामने परोस रही हो।
मैं भी अपनी प्यास मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था।

चुदाई की फिल्मों में देख देखकर मेरा मन भी चूत चाटने को बहुत किया करता था और मेरा ये अरमान आज पूरा हो रहा था।

अब सोनम बिन पानी मछली के जैसे तड़पने लगी और उसके हाथ पैर काँपने लगे।
मैंने सोचा कि अब इसको चोद देना चाहिए।

मैंने देर न करते हुए अपने सारे कपड़े उतारे और अपना लन्ड उसके मुँह के सामने कर दिया और उसे चूसने को कहा।
उसने लंड चूसने से पहले तो मना कर दिया लेकिन फिर बार बार जिद करने पर मान गयी और फिर चूसने लगी।
उसने लंड मुंह में लिया और मुझे जैसे जन्नत का मजा मिलने लगा।

पहली बार मेरा लंड किसी के मुंह में गया था।
हाथ से मुठ बहुत मारी थी लेकिन लंड मुंह में देने में इतना मजा आता है ये पहली बार पता लग रहा था।
उस दिन पहली बार मुझे स्वर्ग का आनंद प्राप्त हुआ।

कुछ देर चुसवाने के बाद मैंने उसे पलंग पर लिटाया और उसकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख लिया।
मैंने लन्ड उसकी चूत पर सेट कर दिया और धीरे उसकी चूत में अंदर करने लगा।

ऐसा करने से उसे दर्द महसूस हुआ और उसने लंड अंदर जाने से पहले ही बाहर निकाल दिया और वो रोने लगी।

मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने बुरा सा मुंह बनाकर कहा- नहीं हो रहा है मुझसे, बहुत दर्द हो रहा है। मेरी जगह बहुत छोटी है और तुम्हारा बहुत मोटा है।

फिर मैंने उसे चुप करवाकर प्यार से समझाया कि पहली बार में ऐसा ही होता है।
उसके बाद मैंने कुछ सोचा और पास में पड़ी वैसलीन को अपने लन्ड के टोपे पर लगाया और खूब चिकना कर लिया।
लंड को चिकना करके मैंने उसे उसकी चूत पर सेट कर दिया।

उसके बाद मैंने फिर से कोशिश की और शरीर का सारा जोर उसपर डालते हुए लेट गया और मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया।
वो जोर जोर से छटपटाने लगी; मुझे उसके ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगी।

मेरे लंड में भी बहुत तेज दर्द होने लगा।
शायद उसकी चूत की सील के साथ ही मेरे लंड की सील भी टूट गयी थी।
मगर मैंने उसको पकड़ कर रखा।

जब तक उसका दर्द कम न हो गया मैंने उसको सहलाना जारी रखा।
फिर थोड़ी देर के बाद वो नॉर्मल हो गई।

मैं अब धीरे धीरे उसकी चूत में लंड को हिलाने लगा।
हल्के हल्के धक्कों से अब चुदाई शुरू हो गई।

कुछ देर के बाद उसको भी मजा आने लगा।
उसने मेरे गले में बांहें डाल दीं और मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी।

कुछ ही देर में चुदाई की गाड़ी ने पूरी रफ्तार पकड़ ली।

उसकी चूत में अब लंड तेजी से अंदर बाहर होने लगा; कमरे में पच-पच की आवाजें होने लगी।

इस तरह की कामुक आवाजों से उत्तेजना भी बहुत अधिक बढ़ने लगी।
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी लेकिन साथ ही उसके मुंह से हल्की दर्द भरी आवाजें आ रही थीं- आह्ह … आईई … ऊईई … अम्म … धीरे प्लीज … ओहोह् … धीरे … स्स्स … ऊईई मम्मी … प्लीज आराम से करो यार!

मैं चुदाई में मस्त हो गया था।
मेरे ऊपर चूत मारने का नशा चढ़ गया था।

मैं जैसे शताब्दी ट्रेन बन गया था और लगातार उसको चोदे जा रहा था।
उसकी चूचियों को भींच भींचकर और चूस चूसकर मैंने लाल कर दिया था।

लगभग 8-10 मिनट चुदाई चली और फिर मेरा निकलने को हो गया।
जोश इतना था कि न तो कॉन्डम लगाया और न ही बाहर निकाल पाया; मेरा वीर्य उसकी चूत में छूट गया।

फिर हम दोनों शांत हो गए।

जब सेक्स का तूफान रुक गया तो बेड पर ध्यान दिया।
चादर पर चूत से निकले खून के धब्बे हो गए थे।
फिर जल्दी से हमने उसको हटाया।

उसने अपनी चूत को भी साफ किया जिसमें मैंने भी उसकी मदद की।

उसने जल्दी से चादर को पानी में भिगो दिया ताकि किसी को धब्बों का पता न चले।
वो चादर धोने लगी और मैंने अपने कपड़े पहन लिए।

फिर वो बाहर आ गई।
आने के बाद उसने मेरे लिए चाय बनाई।

फिर हमने चाय पी और कुछ स्नैक्स खाए।
हल्का फुल्का खाने तक चुदाई का फिर से मन करने लगा।

मैंने उसको फिर से बेड पर गिरा लिया और उसके होंठों को चूसने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी।

जल्दी ही हम दोनों फिर से पूरे गर्म हो गए।
मैंने फिर से उसकी सलवार उतरवा दी और उसको अबकी बार डॉगी पोजीशन में कर लिया।
फिर मैंने पीछे से लन्ड डालकर सोनम की खूब चुदाई की।

अब मैं भी बुरी तरह थक गया और सोनम की चूत भी सूज गई।
उसके बाद मैंने उसको खुद ही कपड़े पहनाए; उसको सहलाया ताकि उसका दर्द थोड़ा कम हो।

फिर उसको छोड़कर मैं धीरे से छत कूदकर अपने घर गया।
बहाने से मैं दवाई की दुकान से दर्द की दवा लाया और फिर दोबारा से उसको फोन करके ऊपर छत पर बुलाया।
मैंने उसको दर्द की दवा दी और तब जाकर उसको आराम पड़ा।

वो मेरा चुदाई का पहला अनुभव था।
उसके बाद सोनम मेरे से कई बार चुदी और मैंने उसके साथ सेक्स का बहुत एक्सपीरियंस लिया।
वो एक तरह से मेरी पहली गर्लफ्रेंड थी जिसको मैंने चोदा था।

उसके बाद मैंने उसकी अलग अलग तरह से नेक्स्ट डोर गर्ल सेक्स किया।

नेक्स्ट डोर गर्ल सेक्स कहानी पसन्द आई होगी आपको … तो प्लीज स्टोरी को लाइक और कमेंट्स करके मेरा हौसला बढ़ायें।
धन्यवाद।

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