मैं अज्ञानी था

(Mai Agyani Tha)

अज्ञात 2012-11-11 Comments

नमस्कार दोस्तो, भूल तो नहीं गए? मैं आदित्य एक बार फिर से आपके सामने हाजिर हूँ। जैसा कि मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया था कि मेरे अभी तक 8 लड़कियों के साथ शारीरिक सम्बन्ध रहे हैं, तो अब मैं आप लोगो को बारी-2 से सबके बारे में बताऊँगा।

मैंने आप लोगो को बताया ही था कि मैं सूरत में रहता हूँ पर उत्तर प्रदेश से हूँ।

2007 में जब मेरी बारहवीं की परीक्षा खत्म हुई तो उसके बाद गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने के लिए मैं अपने गाँव गया था।

गाँव में मेरे घर से 2-3 घर छोड़कर एक घर है जिसमें गीता नाम की लड़की रहती है, उसके परिवार में वो, उसका भाई और उसके पापा हैं, उसकी माँ बीमारी के कारण खत्म हो चुकी थी।

उस समय मेरी उम्र 19 साल की थी और वो 18 की होगी और आप इतना तो अंदाजा लगा ही सकते हैं कि अगर लड़की 16 की है और मस्त गोरी चिट्ठी है तो कैसी दिखती होगी। सच कहूँ दोस्तो, तो मुझे भी ज्यादा नहीं पता था कि उस समय सेक्स क्या होता है। हाँ, मैंने ब्लू फिल्में तो बहुत देखी थी और मुठ मारना भी चालू कर दिया था पर कभी चुदाई नहीं की थी, मैं भी चाहता था कि काश मुझे भी कोई लड़की मिले चोदने के लिए !

गीता के पापा गाँवों में ठेकेदार था तो वो हमेशा उसके सिलसिले में हफ़्ते में 4 दिन घर से बाहर ही रहता था।

हमारे घर पास में होने के कारण हम लोग अच्छे पड़ोसी भी थे और हमारी छतों के फासले भी ज्यादा नहीं थे, मुझे धीरे-2 गीता में इंटरेस्ट आने लगा और मुझे लगा कि शायद यही है जो मेरी पहली चुदाई की इच्छा पूरी कर सकती है। मैं अब रोज शाम को जब भी समय मिलता, कुछ देर उसके पास बैठ कर बातें करता, मुझे और उसे दोनों को अच्छा लगता।

अब मैं जब भी सुबह और शाम को अपनी छत पर जाता तो वो भी अपनी छत में आ जाती और हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते।
धीरे-2 यह मुस्कराहट कब प्यार में बदल गई, मुझे पता भी नहीं चला और अब अगर मैं गीता से बात ना कर लूँ या उसे ना देखूँ तो मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता था। और यही हाल कुछ हद तक गीता का भी था। हम लोग पहली बार प्यार की दहलीज में कदम रख रहे थे, मैंने गीता से कहा- मुझे तुझसे अकेले में कुछ बात करनी है।

और शाम को समय देखकर मैं उसके पास जाकर बैठ गया और मैं इधर उधर की थोड़ी बहुत बातें की फिर मैंने कहा- गीता, मुझे तुमसे प्यार हो गया है, आय लव यू !

गीता थोड़ी देर मुझे देखती रही और फिर हंसने लगी और बोली- मुझे भी तुमसे प्यार हो गया है।

मैं उस दिन बहुत खुश हुआ और अब मिलने का सही समय का इन्तजार करने लगा। दोस्तो, मैं आप लोगो को बता दूँ कि मैं गाँव में हमेशा अपने दोस्तों के घर, घर के बाहर खुले में ही हमेशा सोता था।

17 अप्रैल 2007 का दिन मेरी जिंदगी का सबसे अनमोल दिन है क्यूँकि इसी दिन ने मेरी जिंदगी बदल कर रख दी थी, इस दिन हमारे गाँव में एक पंडित के लड़के की शादी थी जिसमें गीता के पापा और छोटा भाई दोनों शादी में चले गए। वहीं लगभग शाम को सात बजे, गीता ने मुझे कहा- आज घर में कोई नहीं है !

और मैंने कहा- मैं नौ बजे तक आऊँगा।

गाँव में उस समय हमारे यहाँ लाइट ठीक से नहीं आती थी और जैसे ही नौ बजे मैं खाना-वाना खा चुका था, मैं घर में दादी से बोला- दोस्त के यहाँ जा रहा हूँ और वहीं पर सो जाऊँगा।

मैंने देखा कि बाहर गली में कोई नहीं है, मैं तुरंत गीता के घर में चला गया, अन्दर गया तो देखा कि गीता भी मेरा इन्तजार कर रही थी, उसने तुरंत दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बैठ गई।

हम लोग बिस्तर में एकसाथ बैठ गए और प्यार व्यार की बातें करने लगे। मैंने मन में सोचा कि पहल मुझे ही करनी होगी और मैंने अपना एक हाथ उसके वक्ष में लगाया जिसका उसने हल्का सा सिर्फ दिखावटी विरोध किया।

मैंने कहा- क्यूँ न हम दोनों खुल कर प्यार करें?
और उसने हामी भर दी।

दोस्तो, मैं पहली बार किसी लड़की को छू रहा था तो मैं हल्का कांप भी रहा था पर अब जब गीता मेरा साथ देने को तैयार हो चुकी थी तो सारा डर भाग चुका था। मैंने सबसे पहले गीता को लिटाया और उसके बगल में मैं भी लेट गया और धीरे-2 उसके बूब्स सहलाने लगा, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और गीता को भी !

फिर मैं उसका कुरता ऊपर उठाने लगा और उसे उठा कर मैंने उसका कुरता पूरा उतार दिया, अब वो ऊपर से सिर्फ ब्रा में थी, जो हल्के और छोटे छोटे उभारों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

मैंने वो भी उतार दी और उसके प्यारे बूब्स देखकर मेरी हालत ख़राब हो गई। दोस्तों इतने छोटे और मस्त दूध तो मैंने कभी ब्लू फिल्मों में भी नहीं देखे थे, मैं उन्हें आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा और गीता की आँखें बंद हो गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

और फिर मैं अपने मुँह से उसके प्यारे प्यारे चुचूक पीने लगा, मुझे पीने में कुछ अलग ही नशा चढ़ रहा था जो मैं बयां नहीं कर सकता, अब मैंने भी अपनी शर्ट और पैंट दोनों उतार दी और उसकी पजामी भी उतार दी। अब हम दोनों सिर्फ चड्डी में थे, मेरा लण्ड उस समय कोई 8′ का हो चुका था और मैं अब भी गीता की चूचियाँ और चुचूक बड़ी मस्ती के साथ पी रहा था और हम दोनों इस समय समझो जन्नत में थे।

अब मैं धीरे-2 उसे चूमते हुए उसकी जाघों में आ चुका था और मैंने देर न करते हुए उसकी चड्डी भी उतार दी, और जैसे ही मैंने चूत पर उंगली रखी, बाप रे ! लग रहा था जैसे आग का गोला हो, वो पूरी गर्म हो चुकी थी। उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे, मैंने भी अपनी चड्डी तुरंत उतार दी और उसकी जाघों में चुम्बन करता रहा, मैंने उससे कहा- डालूँ?

तो उसने हाँ में अपना सर हिला दिया।

मैं अपना लण्ड जैसे गीता की चूत में बैठ कर डालने लगा, आप यकीन नहीं करोगे पर तीन बार प्रयत्न करने के बावजूद मैं अपना लण्ड नहीं डाल सका उसकी चूत में, क्यूँकि बार बार मेरा लंड सरक कर नीचे आ जाता था।

चौथी बार में बराबर बैठ कर उसके पैर ऊपर किये और अपने लंड पर थूक लगाया और धीरे से उसकी चूत फैला कर जैसे ही मेरा लंड थोड़ा सा अन्दर गया, उसकी चूत की झिल्ली फटने लगी और उसे दर्द होने लगा, पर मुझे भी अनुभव नहीं था कि अब क्या करना है और मैंने तुरंत अपना लंड बाहर निकाल लिया, मैंने देखा कि उसकी आँखों से आँसू आने लगे थे।
मैं थोड़ी देर रुका और फिर से मैंने वैसे ही किया और इस बार मेरा लण्ड थोड़ा अन्दर गया वो छटपटाने लगी पर मैं कस कर उसे पकड़ा रहा और कुछ नहीं किया।

थोड़ी देर में जब मुझे लगा कि अब इसे आराम हुआ है, मैंने फिर से धक्का मारा और इस बार मेरा आधे से ज्यादा लंड गीता की चूत में जा चुका था, उसे दर्द भी बहुत हो रहा था और मैंने देखा कि खून भी आ रहा है, थोड़ी देर रुकने के बाद गीता को आराम मिला और मैं हल्का हल्का झटका मारने लगा, अब हम दोनों को अच्छा लग रहा था।

पहली बार होने के कारण हम दोनों ज़ल्दी झड़ गए और लगभग दस मिनट तक बातें करते रहे। और उसके बाद फिर पूरी रात में हमने कई बार चुदाई की और हम दोनों पूरी तरह से थक गए थे, और मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे अन्दर कोई ताक़त ही न हो।

दोस्तो, यह मेरी पहली चुदाई और पहला अनुभव था, मैं अज्ञानी था, हो सकता है आप लोगों को इसमें ज्यादा मज़ा ना आये पर मैं नहीं चाहता कि मेरी किसी भी कहानी में कुछ भी बनावटी हो, जिसने पहली बार सेक्स का अनुभव किया होगा वो इन्सान मेरी बात समझ सकता है।

अब आपको मेरी अगली कहानियों में पता चलेगा कि मुझे चुदाई का असली ज्ञान कब और कैसे हुआ। तब तक के लिए आपको इन्तजार करना होगा।
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