प्यारी सी चुम्मी मुलायम कोमल चूत पर-2

(Pyari Si Chummi Mulayam Komal Choot par- Part 2)

This story is part of a series:

मेरी सेक्स स्टोरी में अब तक आपने जाना..
मैं अपने प्रेमी शुभम के साथ उसके एक दोस्त के कमरे पर चली गई जहाँ उसका दोस्त हम दोनों को खुल कर खेलने के लिए छोड़ गया था।
अब आगे..

मैंने कहा- मैं फ्रेश होकर आती हूँ।
वो भी बोला- मैं कुछ खाने के लिए ले आता हूँ।
वो बाहर से घर लॉक करके पास की दुकान से खाने-पीने का सामान ले आया था।
तब तक मैं भी फ्रेश होकर बैठी थी।

तभी शुभम ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा- उस रात तुम्हें क्या हुआ था?
मैं कुछ नहीं बोली और सर झुका कर बैठी थी.. मुझे बहुत घबराहट होने लगी थी।

उसने मेरा सर उठाते हुए कहा- मुझे पता है तुम्हारा पानी निकल गया था न?
मैंने भी स्माइल करते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया और उसके सीने से लग गई।

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद उसने मुझे सहलाना शुरू किया। उसका हाथ मेरी पीठ पर चल रहा था और वहाँ से नीचे तक जाता और फिर मेरी गर्दन तक लाता। उसके इस तरह छूने से मुझमें जोश आने लगा।

उसने मेरी गर्दन पर किस किया.. जिससे मुझे एक करंट सा लगा और मैं उससे और तेजी से चिपक गई। उसके इस तरह चूमने से मैं उसमें और मस्ती से चिपकती चली गई और कुछ देर बाद उसने मुझे अलग किया।

उसने मेरे नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मैं भी खूब जोरों से उसके होंठों को चूसने में लग गई। कुछ देर ऐसे ही एक-दूसरे को चूमने के बाद उसने मेरी स्कूल शर्ट को खोलना शुरू कर दिया।

अभी कुछ बटन ही खुले थे कि मेरी सफ़ेद रंग की ब्रा मेरी शर्ट में से चमक उठी। उसने ब्रा के ऊपर से ही मेरे दूध को दबाना शुरू कर दिया।

मैं अपना होश खोने लगी थी और मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था। मेरे दूध उसके छूने और दबाने से कड़े हो गए थे और निप्पल ब्रा के ऊपर से ही दिखने लगे थे।

उसने दोनों निप्पलों को ऊपर से ही पकड़ा और हल्के-हल्के से दबाने लगा। मेरे बदन में तो जैसे एक मीठी सी लहर उठी और मैं अपना सर सोफे पर ही इधर-उधर मारने लगी।

फिर उसने मुझे अपनी बाँहों में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया.. जहाँ मैं आँख बंद किए पड़ी थी।
अब शुभम ने मेरी शर्ट को निकाल दिया, मैं सिर्फ ब्रा और स्कर्ट में पड़ी थी।

यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

उसने मुझे फिर से चूमना शुरु कर दिया, मेरे होंठों को चूसा.. फिर मेरी गर्दन पर अपनी जुबान से चाटने लगा।
अब वो मेरी गर्दन से होते हुए मेरे दोनों चूचों को बारी-बारी से ब्रा के ऊपर से ही चूम रहा था।

फिर वो नीचे कमर पर आया और मेरी कमर पर अपनी जुबान चलाने लगा, मेरी आग और भड़क उठी और मेरे मुँह से आवाज निकलने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… हम्म.. आह..’

मेरी आवाज से उसे और जोश आया और उसने मेरी स्कर्ट को खोला और मुझे हल्का सा उठा कर मुझे उससे अलग कर दिया।
अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।

उसने भी अपने कपड़े उतारे और अगले ही पल वो सिर्फ नेकर में मेरे सामने खड़ा था.. जिसमें से उसका लॉलीपॉप बाहर आने को बेताब था।
वह मेरे पास आया और मेरे दूध को दबाते हुए उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया। उसने मुझे अपने ऊपर ले लिया और मेरे होंठों को चूसते-चूसते मेरी ब्रा खोल दी।

मुझे फिर नीचे करते हुए उसने मेरी ब्रा मुझसे अलग कर दी, अब मेरे सफ़ेद दूध बाहर आजाद हो गए थे।
यह देखते ही उसकी आँखों में एक नई चमक सी आ गई और झट से अपने होंठ मेरे एक दूध पर लगा कर चूसने लगा, वो दूसरे हाथ से दूसरे मम्मे को दबाने लगा।

उसके मुँह में निप्पल जाते ही मैं तो जैसे उड़ने सी लगी और मेरे मादक सिसकारियां और तेज हो गईं। मैं बस ‘हम्म.. इस्स.. उह..ह..’ कर रही थी और अपने हाथ से उसके सर को दबा रही थी।

वो बारी-बारी से मेरे दोनों दूधों को चूस रहा था.. मेरे अन्दर की आग अब मेरे हद से पार हो रही थी और मैंने ज्यादा आवाज निकालनी शुरू कर दी ‘हम्म्.. औरर.. हाँ.. ऐसे ही और चूसो.. दबाओ.. और चूसो न..’ मैं जाने क्या-क्या बोल रही थी।

फिर उसने एक हाथ मेरी जलती हुई चूत पर रखा और पैंटी के ऊपर से ही उसे रगड़ने लगा।
अब तो मैं जैसे अपने आपे से बाहर होने लगी थी। वो नीचे आने लगा और झट से मेरी पैंटी को निकाल फेंका।

मैंने भी पहले से अपनी चूत के बालों को साफ़ कर रखा था.. तो उसके सामने मेरी गुलाबी मुलायम और पानी से गीली चूत दिख रही थी। उसने झट से अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और जोर-जोर से चूसने लगा।

मैं तो जैसे सातवें आसमान में चली गई और अपने हाथ-पैर इधर-उधर चलाने लगी.. पर उसने मुझे इस तरह से पकड़ रखा था कि मैं कहीं न जा सकी।

उसके लगातार ऐसे चूसने से मेरी आवाज और तेज हो गई थी ‘आह आह.. हम्म्म्म.. और तेज.. और तेज.. और अन्दर तक चूसो..’
मैं यूं ही मस्ती में बोलती रही और थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने अपना ढेर सारा पानी छोड़ दिया.. जिसे शुभम ने पूरा पी लिया।

मुझे होश नहीं था.. मैं बेसुध पड़ी हुई थी और शुभम मेरे बगल में लेटा हुआ था। मैं उसे ही देखे जा रही थी और स्माइल करे जा रही थी।

फिर मैंने उसके होंठों को चूसना शूरु किया, मेरी चूत की आग अभी शांत नहीं हुई थी। पता नहीं कैसे.. मेरा पानी निकलने के बाद मुझमें और जोश आ गया था और मैं शुभम को चूसे जा रही थी।

मेरा एक हाथ अपने आप उसकी नेकर पर चला गया और मैं ऊपर से ही उसके लॉलीपॉप को सहलाने लग गई। मैंने जैसे उसकी नेकर उतारी.. मैंने सामने एक बड़ा सा लॉलीपॉप देखा.. मेरी तो आंखें फटी की फटी रह गईं।
करीब एक बड़े केला जितना होगा।

शुभम ने कहा- स्वीटी, इसे ही लंड कहते हैं.. जो सब लड़कियों को प्यारा होता है।
मेरे भी मुँह से निकल गया- कितना बड़ा और मोटा है तुम्हारा लंड।

हाँ.. लंड शब्द बोलकर मुझे एक अलग सी फीलिंग या रही थी। मैंने अपने हाथों से उसे पकड़ा और थोड़ी देर तक उसको सिर्फ देख ही रही थी।
तभी वो बोला- जानेमन इसे ऐसे ही देखती रहोगी या इसे प्यार भी करोगी?
मैंने झट से जवाब दिया- हाँ हाँ.. बहुत प्यार करना है इसे.. खूब चूसूँगी इसे..
मैं पता नहीं कहा खो गई थी।

मैंने उसे थोड़ा सहलाया और फिर लंड के आगे के हिस्से को अपनी जुबान से टेस्ट किया.. तो मुझे बहुत मजा आया।
धीरे धीरे मैंने अपनी जुबान से उसे चाटना शुरू कर दिया और शुभम के मुँह से आवाज आने लगी ‘हाँ ऐसे ही और चूसो.. और प्यार करो..’

उसका लंड अब एकदम कड़ा हो गया था और उसे मैं अपने मुँह में और अन्दर तक ले जाकर चूस रही थी। वो अपने मुँह से सिसकारियां और तेज निकलने लगा थी ‘हम्म.. जानेमन.. ऐसे ही.. आह.. यहीं.. हाँ ऐसे ही.. हम्म..’

इससे मेरी स्पीड और तेज हो गई और कुछ देर बाद उसके शरीर ने अकड़ना शुरू कर दिया।
तभी एकदम से एक गाढ़ा सफ़ेद पानी मेरे मुँह में भरने लगा।

पहले तो मुझे अजीब लगा.. पर जब थोड़ा सा पिया तो उसका स्वाद बहुत अच्छा लगा.. मैंने उसे पूरा पी लिया और लंड को चाटकर साफ़ कर दिया।

जरा सी देर में उसका लंड एकदम छोटा होने लगा और मैंने देखा कि वो आंख बंद किए हुए लेटा था।
मैं भी उसके साथ में लेट गई और उसके सीने से लग गई।

हम दोनों लेटे हुए थे कि हमारे बदन की गर्मी ने हम दोनों को फिर से जगा दिया और हम एक-दूसरे को फिर से सहलाने लगे और चूमने लगे।

कुछ ही देर में शुभम का लंड फिर से खड़ा हो गया और मेरी चूत से टकराने लगा, जब भी ज्यादा तेज टकराता तो मेरे मुँह से एक ‘आह्ह..’ निकल जाती थी। पर वो एहसास भी एक अजीब सा था.. दर्द के साथ-साथ दुगुना मजा दे रहा था।

मेरे मुँह से मादक आवाजें फिर से चालू हो गई थीं।
उसने फिर से मेरे नीचे जाते हुए अपने मुँह में मेरी चूत में लगा दी और ज़ुबान अन्दर-बाहर करने लगा।

मैं फिर से अपना होश खो बैठी और कहने लगी- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. कुछ करो.. और अन्दर करो.. और करो।
मैं बस बड़बड़ाए जा रही थी।

उसने पास ही पड़ी तेल की बोतल ली और तेल अपने लंड पर लगाने लगा। मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि उसे किसी तेल की नहीं बल्कि लंड की जरूरत थी।

उसने अपना लंड मेरी चूत के होंठों पर लगाया और रगड़ने लगा। मैं तो पागल हो उठी और बड़बड़ाने लगी- डाल दो जल्दी अन्दर.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

उसने हल्के से ही अपने लंड का थोड़ा सा हिस्सा अन्दर डाला ही था कि मैं चिल्ला पड़ी और कहने लगी- ओह.. बाहर निकालो इसे.. मैं मर जाऊँगी।
उसने झट से अपने होंठ मेरे होंठों से दबा दिए.. जिससे मेरी चीख बाहर न जा सके।

थोड़ी देर ऐसे ही छटपटाने के बाद मैं छूट न सकी और वो लंड अन्दर डाले हुए मुझे चूम रहा था।

अब मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने थोड़ा और अन्दर धक्का दिया.. जो मेरी सील तोड़ते हुए अन्दर जा घुसा। मैं दर्द से तड़प रही थी।

फिर थोड़ी देर बाद दर्द कम होने लगा और मैं अपने आप अपने कूल्हों को उठाने लगी.. जिससे उसे पता लग गया कि मेरा दर्द कम हो गया है और मैं आगे के लिए तैयार हूँ।

इसके बाद उसने लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और कभी मेरे दूध को दबाता.. तो कभी उन्हें चूसता जिससे मेरे अन्दर एक सुरसुरी सी दौड़ने लगी और मैं भी अपने कूल्हों को ऊपर उठा-उठा कर चुदवाने लगी।

कुछ देर में उसने अपनी स्पीड तेज़ कर दी और कुछ ही झटकों के बाद उसने मेरी चूत में ही पानी छोड़ दिया। उसके गर्म-गर्म पानी से मेरी चूत जल उठी और मेरी चूत ने भी उसके साथ पानी की बौछार कर दी। हम दोनों ही झड़ने के बाद निढाल पड़े रहे। हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे और लगभग 30 मिनट तक ऐसे ही बिना कुछ बोले पड़े रहे।

मैंने जब आंखें खोलीं.. तब देखा काफी टाइम हो चुका था.. और शुभम ऐसे ही बिना कपड़ों के पड़ा हुआ था। हम दोनों काफी थक चुके थे।
मैंने उठने की कोशिश की.. तो मैं उठ ही न सकी, मेरी चूत सूज गई थी और जब मैंने अपनी चूत को देखा.. तो वो खून से भरी थी।
मेरा और शुभम का पानी काफी बह चुका था और कुछ पानी तो अभी भी बह रहा था।
उसके लंड पर भी थोड़ा सा खून लगा हुआ था।

वो उठा तो उसने देखा कि न तो मैं उठ पा रही हूँ और न ही चल पा रही हूँ.. तो उसने मुझे उठाया। वो मुझे लेकर बाथरूम में गया और शावर चला दिया, हम दोनों ऐसे ही कुछ देर पानी की बौछार के नीचे बैठे रहे, फिर उसने अपने हाथों से मुझे साफ़ किया।

किसी तरह हम दोनों अपने-अपने घर गए।

तो दोस्तो.. यह थी मेरी चूत चुदाई की पहली हिन्दी सेक्स स्टोरी।

आशा करती हूँ कि मेरी कहानी आपको पसंद आई होगी।
बस आप मेल करना न भूलना।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top