तुम कभी कुछ नहीं कर सकते

(Tum kabhi kuchch nahi kar sakte)

mauni123 2017-06-10 Comments

मैं जहाँ रहता हूँ उसी कॉलोनी में मेरे पिताजी के पुराने मित्र रहते हैं, उनके 3 बेटे और एक बेटी है. मैं जब बी एस सी कर रहा था उस समय उनकी बेटी परी इंटर फाइनल में थी.
उनके परिवार के सभी लोग अक्सर हमारे घर आते रहते हैं. उनकी बेटी परी कभी कभी मेरे पास अपनी पढ़ाई की प्रॉब्लम मैथ के प्रश्न सॉल्व करवाने के लिए आती थी.
मेरे दिमाग़ में कभी सेक्स की बात नहीं आई लेकिन परी बड़ी मासूम और चुलबुली थी. हम सब लोग बहुत अच्छे से थे.

एक दिन घर में कोई नहीं था, सब लोग शादी में गये हुए थे. परी अपनी कोई प्रॉब्लम सॉल्व करने मेरे घर आई. उसका मूड कुछ बिगड़ा हुआ सा था.
मैंने पूछा- मैथ में कोई प्राब्लम है तो मैं सॉल्व करूँ?
उसने झुंझलाते हुए मेरी नाभि के नीचे मुक्का मारते हुए कहा- तुम कभी कुछ नहीं कर सकते!

मुक्का लगने के बाद मैंने सोचा कि ऐसा तो कभी नहीं होता था. तभी मेरे दिमाग में सेक्स की बात आई और मेरी धड़कन बहुत बढ़ गई.
पलक झपकते ही मैंने परी को उठा कर दीवान पर पटक दिया और लिटा दिया.
उसने तनिक भी विरोध नहीं किया मेरा…
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मैं उसको दबोच कर उसके होंठों पर चुम्बन करने लगा. उसने जींस और टॉप पहना था, मैं उसके टॉप के ऊपर से उसकी चुची को सहला रहा था. वह हाथ से बार-बार हटा रही थी लेकिन ख़ास विरोध नहीं कर रही थी.
मैं बदहवास था, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैंने उसका टॉप उतार दिया.

फिर मैंने उसकी जींस उतारी, जींस उतरने में बहुत समय लग गया. उसके बाद मैंने उसकी ब्रा उतारी. उसकी गोरी चुची चमक रही थी, चूची का साइज़ ३४” लग रहा था.
मैंने परी की एक चूची मुँह में ले ली और दूसरी को हाथ में ले कर खेलने लगा. वह आँख बंद किए लेटी थी और मेरी हरकतों का मजा ले रही थी.

काफी देर के बाद मैंने उसकी पेंटी उतारी तो उसकी चूत देखकर मैं पागल सा हो गया… गुझिया की तरह फूली हुई थी परी की चूत…
मैंने पहले कभी सेक्स नहीं किया था और शायद उसने भी कभी सेक्स नहीं किया था. पहली बार हो रहा था यह सब!

मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी चूत में धीरे से डालना शुरू किया, वह तेज़ी से सिसकारी मारकर चिल्लाई और अपने हाथ से मेरा लंड हटाने लगी.
उसके बाद मैं और बावला हो गया, अनजाने में अधिक जोश होने के कारण तेज़ी से मेरा लंड परी की चूत में घुस गया और जल्दी ही झर गया क्योंकि मैं उसके नाजुक कमसिन बदन के साथ खेलने में ही बहुत गर्म हो चुका था.

लंड बाहर निकालने पर मुझे खून दिखा. मैं घबरा गया था लेकिन मैंने उसे पता नहीं चलने दिया.

परी पर मस्ती छाई हुई थी. थोरी देर के बाद दुबारा चुची से खेलने और होंठों को चूसने के बाद मैंने परी की चूत में लंड धीरे से डाला. इस बार 10 मिनट तक लंड को धीरे-धीरे चूत में अन्दर बाहर करता रहा.
फिर उसने कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब जल्दी जल्दी करो!
और मैं जल्दी जल्दी झटके लगाने लगा..

उसने कहा- और करो… और करो… और करो!
वो चिल्लाई तो मैं पूरी ताक़त से चोदने लगा और बड़ी लंबी पिचकारी की तरह मेरा सफेद बीज निकल पड़ा..
काफी देर तक हम लोग चिपक कर लेते रहे, उसके बाद उठ कर हाथ मुंह धोकर चाय बना कर पी.

चाय पीते पीते फिर जोश आ गया. वह पूरी तरह नंगी थी और हम तीसरी बार चुदाई करने का प्रयास करने लगे.
मैंने उसके चूत में लंड डाला ही था कि उसका भाई कमरे में आ गया और हमें उस हालत में देख कर ज़ोर से चिल्लाया.

परी अंदर वाले कमरे में भाग गई और चादर लपेट कर बाहर आई.
उसके भाई ने उसको और मुझे बहुत डांटा और उसे अपने साथ ले गया.

तब मुझे होश आया कि चुदाई के जोश में मैं कमरे का कुण्डा बंद करना भूल गया था.
और तभी से परी को पढ़ाई के लिए दूसरे सिटी में भेज दिया.
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