भूत बंगला गांडू अड्डा-2

(Bhoot Bungalow Gandu Adda-2)

अज्ञात 2016-04-05 Comments

कहानी का पहला भाग : भूत बंगला गांडू अड्डा-1

पूरब मुझे उस कमरे से और भीतर ले गया।
हम उस कमरे में एक कोने के दरवाज़े से और अन्दर दाखिल हुए। दरवाज़ा क्या था, लकड़ी का एक झीना पर्दा था – सालों की बरसात और बिना रख-रखाव की वजह से दीमक चाट चुकी थी।
यही हाल हर खिड़की-दरवाज़े का था।

अंदर आते ही मेरे होश उड़ गए… दिल-ओ-दिमाग सुन्न हो गए… मैं कुछ सेकण्ड तक बुत बनकर खड़ा, अंदर के दृश्य को देखता रह गया।

हम एक बड़े से अण्डाकार हॉल में थे। शायद ये किसी ज़माने में डाइनिंग हॉल यानि की भोजन कक्ष हुआ करता था। ये भी बाकी बंगले जैसा था- छत से लटकते बड़े बड़े जले, कोने में उगी छोटी-छोटी झाड़ियाँ, टूटे, उखड़े फर्श पर छत से गिरी बजरी, हर जगह धूल की मोटी परत।

लेकिन जो देखा उसकी मैंने आज तक कल्पना भी नहीं करी थी – मेरे सामने अधनंगे लड़कों का एक झुण्ड था जो ग्रुप सेक्स और वन-टू-वन सेक्स में मशगूल था।
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
अभी तक मैंने ऐसा दृश्य सिर्फ ब्लू फिल्मों में देखा था।

कमरे के बीच एक टूटा हुआ सोफा रखा था, उस पर एक बाईस तेईस साल का, हल्की-हल्की दाढ़ी रखे, लड़का बीच में बैठा था – मैंने उसे पहचान लिया, वो मेरे कॉलेज की छात्र परिषद का महामंत्री था और एम एस सी फाइनल ईयर में था।
उसके दोनों तरफ कम उम्र के लड़के बैठे हुए थे, उसमें से एक लगभग अठरह साल का था, जिसे मैं पहचान नहीं पाया और दूसरा लगभग उसी उम्र का था, जो मेरे स्कूल में मुझसे तीन क्लास छोटा था।

वो तीनों मुझे घूर घूर कर देख रहे थे।

महामंत्री मेरे स्कूल के जूनियर को देख कर मुस्कुराया और फिर वो तीनो शुरू हो गए – बीच वाले बड़े लड़के ने, जो मेरे कॉलेज का महामंत्री था, अपनी नेकर खोली और लौड़ा बाहर निकला।
मेरा स्कूल का जूनियर झट से उसे चूसने लगा।
फिर महामंत्री जी ने दूसरे लड़के को कन्धे से पकड़ा और दोनों अपने होंठों को जोड़ कर किस करने लगे।

वहाँ और भी लड़के थे, लेकिन एक लड़के को देख कर तो मेरी गांड फट गई – मेरी ही उम्र का एक नेपाली लड़का था।
हॉल के कोने में उसे हाथों से रस्सी से ऊपर से बाँधा गया था और वो पूरा नंगा था।
मैंने देखा कि छत के कुंदे से से एक मोटा तार लटका हुआ था।
तार उस हॉल की आधी ऊंचाई तक लटका था।
फिर उससे रस्सी बाँधी गई थी जो नीचे तक आई हुई थी और उस से उस चिकने नेपाली लड़के के हाथ बाँध दिए गए थे, वो हल्का सा आगे को झुका हुआ, अपने हाथ ऊपर को बँधवाए, पाँव फैला कर खड़ा हुआ था।

उसे पीछे से एक साँवले रंग का बलिष्ठ शरीर का लम्बा सा, तीस-बत्तीस साल का लड़का उसे कमर से दबोचे उसे चोद रहा था, वो भी पूरा नंगा था, और आस-पास की परवाह किये बिना उसे गपर गपर चोद रहा था।
मैंने गौर किया नेपाली लड़के को चोद रहे हट्टे कट्टे लड़के पर – वो पुलिस वाला था!
अक्सर मैंने उसे चौक के घण्टाघर पर ड्यूटी पर तैनात देखा था – आते जाते लड़कों को घूरा करता था।

नेपाली लड़का तड़पता हुआ, सिसकारियाँ लेता चुदवा रहा था ‘आह्ह !! उई ई ई..!!’

उस सारे जमावड़े में सिर्फ ये दोनों थे जो अलफ नंगे थे। बाकी सारे अध नंगे थे – किसी ने सिर्फ अपनी जींस नीचे सरकाई हुई थी, किसी ने अपनी कमीज के सारे बटन खोले हुए थे।
ज़्यादातर लोग नेकर, जीन्स या लोवर घुटने या पाँव तक गिराये हुए थे। गर्मी की वजह से अधिकांश लोग बनियान, लोवर, टी शर्ट और नेकर में थे।

एक मैं ही पूरे आस्तीन की कमीज, जींस और जूते पहन कर आया था। मुझे क्या पता था की ऐसी बेतकल्लुफ और बिन्दास जगह पर आना होगा?!!
पूरब जी खुद ही लोवर और टी शर्ट में आये थे।
शायद कच्छा-बनियान यहाँ का ‘ड्रेस कोड’ था।

पूरे हॉल में लड़को की चुदवाते हुए मद्धम सी तड़पने और सिसकारियाँ लेने की आवाज़ गूँज रही थी।
‘ उफ्फ्फ …. !!!’
‘ अहह …. !!!’
‘ आअह्ह्ह … आह्ह्ह !!!’

कोई चुसवाता हुआ मज़े में सिसकारियाँ ले रहा था, कोई चोदते हुए आहें भर रहा था, और कोई चुदते हुए सिसकारियाँ ले रहा था।
तो उन आवाजों, सिसकारियों के पीछे ये लोग थे।

मैंने गौर किया कि चुदते हुए लड़के ऐसे तड़पते हैं जैसे उन्हें यातना दी जा रही हो, मैं भी ऐसे ही चुदवाते हुए छटपटाता हूँ लेकिन तड़प, ये छटपटाना आनन्द की वजह से होता है, दर्द से नहीं।

उस हॉल में ऊँची सी छत से लगे बड़े बड़े रोशनदान थे। अप्रैल की चटक धूप वहीं से आ रही थी, सिर्फ कोनों में हल्का सा अँधेरा था। पूरब मुझे हाथ पकड़ कर एक कोने में ले गया और कान में फुसफुसा कर बोला- यहाँ हमारे जैसे लोग इकठ्ठा होते हैं। इस जगह का ज़िक्र किसी से नहीं करना।

मैं अभी भी अचम्भे में था। मेरे कॉलेज का छात्र नेता और उसके साथी अब मेरे बिल्कुल करीब थे।
मैंने देखा जिस टूटे फूटे सोफे पर वो लोग यौन क्रीड़ा कर रहे थे, उसके पीछे दो और लड़के मिल कर एक तीसरे लड़के पर जुटे हुए थे। वह तीसरा लड़का, लगभग बीस साल का, पूरा अलफ नंगा होकर फर्श पर घोड़ा बना हुआ था – एक लड़का लगभग बाईस-तेईस साल का, उसके पीछे घुटनों पर खड़ा, अपनी जींस नीचे खसकाए उसकी गांड चोद रहा था।

मैंने उस लड़के को पहचान लिया – मैंने आपसे बताया न कि मैं छोटे से शहर से हूँ- वो लड़का पहले मेरे ही स्कूल में पढ़ता था, अपनी उम्र से दो-तीन साल बड़ा लगता था – कई बार फेल हो चुका था। गुण्डागर्दी और मारपीट करता था, एक दिन स्कूल से निकाल दिया गया।

दूसरा वाला लड़का घोड़ा बने लड़के के मुँह पर उसी तरह घुटनों पर खड़ा उससे अपना लण्ड चुसवा रहा था।
वो भी लगभग तेईस चौबीस साल का रहा होगा – मैंने उसे भी कहीं देखा था- शायद उसकी बस स्टैण्ड पर मैगज़ीन की दूकान थी।

चुदने वाला लड़का बार बार उसका लण्ड अपने चेहरे से हटा रहा था। उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे बेचारे की सांस ही रुक गई हो, रोनी सूरत बना कर, कुत्ते की तरह छटपटाता, ‘आह – आह’ करता चुदवा रहा था।

उसके सर पे सवार मैगज़ीन की दुकान वाला लड़का ज़बरदस्ती उसका सर पकड़ कर उसके मुंह में अपना लण्ड दे रहा था। वो लड़का थोड़ी देर तो चूसता, लेकिन फिर जब उसका सांस लेना दूभर हो जाता तो वो अपना सर हटा लेता।

उन तीनों लड़कों ने मुझे और पूरब को देखा। चुदाई कर रहे मुश्टण्डे ने भी मुझे पहचान लिया, और मुझे देख कर चोदते हुए मुस्कुरा दिया।

जिस कोने में हम खड़े थे वहाँ साथ में दो और लड़के खड़े थे, उन दोनों ने अपनी नेकर का ज़िप खोला हुआ था और एक दूसरे से लिपटे किस करने में बिज़ी थे। उनके लण्ड नहीं दिखाई दे रहे थे। उनमें से एक ने सिर्फ नज़रें टेढ़ी करके हम दोनों को देखा, और फिर अपने साथी के होंठों का रस पीने में तल्लीन हो गया।

और उस पार के कोने में और चार लड़के आपस में जुटे हुए थे – दो अगल बगल खड़े एक दूसरे की बाँहों में बाँह डाले, एक दूसरे के साथ अपनी जीभ लप-लपा रहे थे और बाकी दोनों नीचे झुके उनके लण्ड चूस रहे थे।

‘आओ जानू…’ पूरब ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
मैं अभी भी अचम्भे में था। भला ऐसी जगह का होना सम्भव है? क्या यह सपना है?

पूरब मुझे हैरत में देख कर मुस्कुराया, मुझे किस करने के लिए अपना मुँह खोल कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रखने लगा।
मैंने भी अपनी आँखें बंद की और अपने हीरो को किस करने लगा, उसकी साँसों की गर्मी और उसके होंठों का रस पीकर मुझे बहुत सुकून मिला।
उसकी बाहों में आकर उसे किस करने के लिए मैं बहुत दिनों से तड़प रहा था, मेरी घबराहट थोड़ा काम हो गई।
मैं आहिस्ता आहिस्ता उस जगह और वातावरण को एन्जॉय करने लगा।
सब हमारे ही जैसे लोग थे, कुछ प्यार करने और कुछ चुदाई करने में बिज़ी थे- उनकी मदमाती सिसकारियाँ औरआहें पूरे हॉल में गूँज रहीं थी।

आप किसी को परेशान मत कीजिये, कोई आपको परेशान नहीं करेगा, अपने में मस्त रहो और राज़ को राज़ रहने दो।
इस जगह का शायद यही फंडा था।

हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लिपटे बहुत देर तक किस करते रहे। फिर पूरब दीवार का सहारा लेकर खड़ा हो गया और अपना पजामा जाँघिया सरका कर लण्ड बाहर निकाल दिया।

मैं थोड़ा झिझका लेकिन फिर घुटनों के बल बैठ कर उसका लण्ड चूसने लगा, उसके लण्ड की खुशबू मेरे नथुनो में भर गई। मैं उसका और उसके लण्ड का दीवाना था।

मैंने देखा कि हमारे बगल वाला जोड़ा अभी तक अपना लण्ड से लण्ड जोड़े उसी तरह लिपटे किस कर रहे थे। उनको देख कर कर लगता था कि दोनों में बहुत प्यार है।

वैसे प्यार तो हम में भी था। मुझे इतने दिनों बाद लण्ड चूसने को मिला था, मैं उसे अपने मुलायम होंठों से दबाये बहुत प्यार से चूस रहा था, और पूरब मज़ा लेता हल्के हल्के आहें भर रहा था ‘ ह आअह्ह…! ह्हू.. ओओ…!!!’

बगल वाले लड़के अब अपनी चूमा चाटी छोड़ कर हमारी लण्ड चुसाई देख रहे थे।

उस हॉल में हम इस तरह थे कि उन दोनों लड़को को छोड़ कर बाकी सब मेरे पीठ पीछे थे – मैं सिर्फ उनकी आवाज़ें सुन सकता था। सिसकारियों और आहों के बीच वो कुछ बात भी करते थे, दबी आवाज़ में एक आधा वाक्य भी बोलते थे ‘बस करो..!’ ‘ज़ोर से … ज़ोर से चूसो …. !’ ‘ उह्ह्ह !!’ ‘ अंदर गया?’

मैं पूरब का लण्ड चूसने में मगन था। लॉलीपॉप की चूसता हुआ, उसका स्वाद लेता हुआ मज़े से चूस रहा था और वो मेरे बाल सहलाता, अपना लण्ड चुसवा रहा था।
कभी पूरब मुझे उसका लण्ड चूसते हुए देखता, कभी आँखें बंद कर लेता और हल्की हल्की आहें लेता, कभी आस पास वाले लड़कों को देखता।

मैंने भी अपनी नज़र घुमा कर बगल वाले लड़कों को देखा – एक ने अपनी कमीज खोली हुई थी और दूसरा उसके निप्पल चूस रहा था।
उन्हें देख कर पूरब को भी विचार आ गया- उठ!
उसने ऊपर खींच लिया और अपनी टी शर्ट ऊपर चढ़ा ऊपर चढ़ा ली।

‘ले चूस..’ उसने अपने दायें निप्पल की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मैंने अपने होंठ उसकी हल्की सी बालदार छाती पर लगाये और उसका निप्पल चूसने लगा।

‘ओह्ह्ह…!!’ यह आह पूरब की थी।
हम दोनों के लिए यह बिल्कुल नई चीज़ थी, इससे पहले हम लोग सिर्फ एक-दूसरे से लिपट कर किस करते थे, फिर मैं उसका लण्ड चूसता था, और फिर वो मेरी गांड मारता था।
हमारा खेल यहीं तक था।

उन दोनों लड़को ने हमें नई ट्रिक सिखा दी।
मेरे लिए मज़ेदार अनुभव था। अपने हीरो की छाती से लिपट कर उसके निपल को चूसना – उसकी छाती की खुशबू मेरे जिस्म में समा गई।
मैं उसका निप्पल ऐसे चूस रहा था जैसे कोई भूखा बच्चा माँ दूध पीता हो।
वैसे भी मैं उसके प्यार का भूखा था।

थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने उसका बायाँ निप्पल चूसना शुरू कर दिया। मैं चूसने मगन था, पर मैंने गौर किया की पूरब सिसकारियाँ ज़्यादा हो गईं थी ‘ऊह्ह…!! हाय…!! ओहह…!!! याह्ह्ह…!’
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं

मैंने महसूस किया हमारे साथ कोई और भी है। देखा तो पता चला कि हमारे बगल वाले लड़को में से एक जा चुका था, और दूसरा वाला पूरब का लण्ड चूस रहा था।
इसीलिए पूरबजी डबल मज़ा लेते हुए आहें ले रहे थे।

मैंने एक मिनट के लिए पूरब की छाती से हट कर इर्द-गिर्द देखा।
मेरे कॉलेज के महामन्त्री उसी तरह टूटे हुए सोफे पर विराजमान थे, और उनका एक चमचा उनकी गोद में बैठा उछल रहा था।
दूसरा वाला कहाँ था?
अरे… हमारे बगल वाले लड़को में से दूसरा वाला (जो जा चुका था), उससे अपना लण्ड चुसवा रहा था, वहीं महामंत्री जी के बगल!

फिर मेरी नज़र उस बंधे हुए लड़के पर गई। उस पर दो और लड़के जुटे हुए थे – पुलिसवाला कहीं ओर था – एक लड़का उसके मुँह में अपना मुँह डाले हुए था, और दूसरा उसे पीछे से चोद रहा था।
वो उसी तरह रस्सी से बंधा छटपटाता हुआ चुदवा रहा था।

मैंने देखा कि पुलिस वाला उन चार लड़कों के पास आ गया था जो हमारी परली तरफ थे, और उनमें से एक से कुछ बातें कर रहा था।

‘इधर आओ न… ‘ पूरब ने मुझे खींच लिया अपने पास।
‘मज़ा आ गया जानू…!’ और उसने फिर से अपने होंठ बढ़ा दिए मेरी तरफ। मैंने सहजवृत्ति से उसके होटों पर अपने होंठ रख दिए।
वो मुझे गले लगा कर किस कर रहा था और नीचे से अपना लंड चुसवा रहा था।

हमने पाँच मिनट तक एक दूसरे को प्यार से किस किया, फिर पूरब बोला- चल जींस उतार!
मैं झिझका।
‘शरमा मत। सब नंगे हैं यहाँ पर…’ उसने समझाया।

कहानी जारी रहेगी।
रंगबाज़ [email protected]

कहानी का तीसरा भाग : भूत बंगला गांडू अड्डा-3

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top