लॉकडाउन में सरदार के ट्रक में गुजारी रात- 1

(Bottom Boy Gand Kahani)

कमला लवर 2024-04-21 Comments

बॉटम बॉय गांड कहानी में लॉकडाउन में कोई साधन ना मिलने पर मैं पैदल अपने घर जाने के लिए निकल पड़ा. रास्ते में एक ट्रक वाले सरदार से मैंने लिफ्ट मांगी. उसने बदले में क्या माँगा?

दोस्तो, कैसे हो आप लोग!
मेरा नाम कमल है प्यार से मुझे आप कोमल भी पुकार सकते हैं.

मैं एक बाइ-सेक्सुअल हूँ.
यानि मुझे लड़की और लड़के दोनों पसंद है.
लेकिन मुझे गांड मरवाने में बहुत मजा आता है.

यह आदत मुझे बचपन में लग गई थी. मेरे बचपन के दोस्त राजेश ने मेरी गांड की सील तोड़ी थी और काफी सालों तक हम रिलेशनशिप में रहे.

वह भी बाई-सेक्सुअल था लेकिन उसको गांड मारने में मज़ा आता था.
शायद इसलिए हम एक दूसरे का पूरक हो गए थे.
उसकी कहानी अगले भाग में लिखूंगा.

अभी यह बॉटम बॉय गांड कहानी पढ़ें.

जब तक हम एक साथ रहे, हमारा रिलेशन बढ़िया चला.
लेकिन पढ़ाई के चलते मुझे हरियाणा के एम बी ए कॉलेज में एडमिशन लेने पड़ा तो हम लोगों के बीच में मुलाकात कुछ महीनों के लिए बंद हो गई.

नए जगह पर आकर मैं अपनी अंदर की लड़की को दबा दिया और नॉर्मल रहने लगा.
रह रह कर मेरे अंदर की आग जलती लेकिन लोक लज्जा की वजह कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया.

वैसे हरियाणा का पानी मुझे सूट कर गया था.

मेरी उम्र 22 साल की थी लेकिन देखने में पंद्रह–सोलह साल का ही लगता था.
मेरा शरीर भरा हुआ और काफी गोरा है.
गाल गोल और सॉफ्ट गांड बड़ी और चूचियाँ भी भरी भरी सी हैं.

बाल वाला हार्मोन्स कम होने की वजह से अभी दाढ़ी भी नहीं आई थी.
हां झांट उग आयी थी लेकिन मैं एकदम क्लीन शेव करके रखता था.

वहां के जाटों के डोले- शोले देख कर मेरे गांड में खुजली होने लगती थी.
कुछ जाटों को मेरे जिस्म देख कर उनके लन्ड में पानी आ जाता. कुछ ने मुझसे इसलिए दोस्ती भी की और अपना लन्ड दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे.
किसी किसी का मोटा लंबा लन्ड देखकर लगता कि जाकर इसे पकड़ लूं और अपने गांड की चाहत को या फिर मन की मुराद को पूरा कर लूं.

बहुत सारी रात को सपना देखता कि मैं मोटा लंबा लन्ड को चूस रहा हूं और अपने गांड में डलवा रहा हूं.
लेकिन जब स्वप्नदोष होता तो नींद खुल जाती थी.
तब पता लगता था कि सपना देख रहा हूं.

लेकिन मैं किसी तरह ये सब इग्नोर कर देता था.
पता नहीं मैं अपने को कितना समय तक रोक के रख पाता.

ख़ैर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
एडमिशन लेने के छह महीने बाद ही कोरोना बीमारी आ गई और फिर लॉकडाउन लग गया.

कुछ दिन तक तो किसी तरह काम चला लेकिन सभी स्टूडेंट किसी तरह उपाय निकल कर अपने घर चले गए.

होस्टल में 2-4 लड़के ही बचे थे जो दूर के राज्य से आये थे.
मेस वाले ने खाना देना भी बंद कर दिया.

दूसरा कोई उपाय नहीं देख मैं भी अपना एक बैग में कुछ कपड़े डालकर पैदल ही निकल गया.

बाहर बहुत ही भयावह स्थिति थी लेकिन मेरे पास कोई उपाय नहीं था.
मैंने भी सोचा कि मरना है तो घर पहुंचने की कोशिश करते हुए क्यों न मरूं.

कुछ ट्रक चल रहे थे एमरजेंसी सामान लेकर … मैं भी निकल पड़ा.
कितनी कोशिश किया हाथ देने की … लेकिन मदद के लिए कोई नहीं रुक रहा था.
ऐसा केवल मेरे साथ ही नहीं, सब के साथ हो रहा था.

हाइवे पकड़ के बहुत लोग यूपी और बिहार जा रहे थे.
मैं भी उन्हीं लोगों के साथ चल पड़ा.

10 घंटे चलने के बाद थकावट से मेरी हालत खराब ही गई थी.
मुझमें अब चलने की ताकत नहीं थी. तो मैं एक बन्द ढाबे के पास रुक गया.
वहाँ बहुत सी ट्रक लगी हुई थी।

मैं अभी अकेला ही वहाँ था.
ट्रक वाले अपने ट्रक में आराम कर रहे थे.

मुझे प्यास लगी तो वहाँ का चापानल पर पानी पिया.
थकावट से हालत खराब थी.

मैंने सोचा थोड़ा नहा लेता हूँ, इससे थोड़ी एनर्जी मिल जाएगी.

तो मैंने अपने कपड़ा खोले और फ्रेंची चड्डी में ही नहाना चालू कर दिया.
मेरा चिकना बदन धूप में चमक रहा था.
पानी पड़ने के कारण मेरा चड्डी मेरे चूतड़ों से चिपक गया था और मेरा बड़ा गांड साफ साफ़ दिख रहा था.

नहाने के बाद मैंने हाफ लोअर पैंट पहना जो मेरी जांघों तक आती थी.
टी-शर्ट पहन कर आसपास आराम करने की जगह देखने लगा.

शाम होने को थी, सोचा पता नहीं आगे क्या होगा.
तो रात में वहीं रुकने का उपाय देखने लगा.

तभी मैंने ट्रक में एक सरदार जी को देखा.
वह मुझे ट्रक की खिड़की से बहुत गौर से देख रहा था.

मैं भी उम्मीद भरी नज़रों से उसे देखने लगा.
उसने मुझे इशारा करके बुलाया.
मैं काफी तेज़ी से उसके पास गया.

उसने मुझसे पूछा- ओय लौंडे किथे जाना है?
मैं बोला- सरदार जी जाना तो काफी दूर है लेकि आज रात रुकने का कुछ ही जाता तो महेरबानी होती!

उसने बोला- तेनु काफी देर से देखइया सी काफी थके मांदे लग रहे हो!
मैंने भी सरदार जी को बोला- जी सरदार जी, हरियाणा से पैदल आ रहा हूं, 10 घंटे चला हूँ, काफी थक गया हूँ. रात में रुकने का जगह देख रहा हूँ.

सरदार जी मुझे गौर से ऊपर से नीचे नाप रहा था, बार-बार मेरे मांसल जांघों को देख रहा था.

मैं उसकी हरकत समझ गया.
वैसे भी सुना था सरदार और पठान को गांड मारना का बहुत शौक रहता है.

मेरी स्थिति भी ठीक नहीं थी, मैंने भी सोचा अगर सरदार मेरी गांड मार भी लेता है तो कोई दिक्कत नहीं है.
बहुत दिन से मेरे गांड में भी कुछ नहीं गया है.
बस रुकने का व्यवस्था हो जाये!

मैं भी थोड़ा अठखेलियां दिखाते हुए सरदार जी से बोला- सरदार जी, अगर आप बुरा नहीं मानें तो आज रात आपके ट्रक पर रात गुजार लेता हूँ.
सरदार मुस्कुराते हुए बोला- वह तो ठीक है लेकिन मुझे क्या मिलेगा?

मैं बोला- सरदार जी, पैसे तो नहीं है 4-500 रुपए हैं और मुझे झारखंड जाना है. बस मेहरबानी होगी अगर रात में रुकने दें तो!
सरदार मेरे अधनंगे बदन को ताड़ते हुए बोला- ठीक है लेकिन मुझे कुछ चाहिए … नहीं तो आगे बढ़ो.

मैं भी बोला- सरदार जी, जो भी है मेरे पास दूंगा लेकिन रात में रुकने दीजिये.

सरदार तैयार हो गया और बोला- जल्दी आ जाओ.
मैं भी फटाक से ट्रक में चढ़ गया.

गर्मी से मेरे गाल टमाटर की तरह लाल हो गए थे.

सरदार ने मेरे जांघो को सहलाते हुए बोला- ओय तुस्सी चिन्ता न करो, आराम करो. अभी काफी थके हुए हो.
और उसने मेरे गालों की चिकोटी काट ली.

ट्रक में ड्राइवर के बगल में एक और सीट थी, मैं वहीं बैठ गया.
पीछे देखा तो एक लंबा बेड जैसा लगा था, उसमें एक आदमी आराम से सो सकता था.

मैं बेड पर गया और गिरते ही मुझे नींद आ गई.

रात में अचानक ट्रक की अंदर की लाइट जली.
सरदार जी ने मुझे नींद से जगाया और बोला- उठ जा लाले, कुछ कह पी ले.

मैं उठा और ट्रक से उतर कर चापानल तक गया.
फिर हाथ मुँह धो कर ड्राइवर की बगल सीट में बैठ गया.

इधर सरदार एक देसी ठर्रा निकाल कर ग्लास में डाला और एक बार में ही ग्लास खाली कर दिया.
उसने एक थाली में चावल दाल निकाल कर रखा था.

वह बोला- एक ही थाली है, तो पहले तुम खा लो. तब तक मैं एक दो ग्लास चढ़ा लेता हूँ.

बहुत दिनों बाद चावल और दाल खाने मिला था.
मैंने भी लपक कर थाली उठाया और तुरंत थाली खाली कर दिया.

मैं बोला- ब्रेड और मैग्गी खा खा कर हालत खराब हो गया था. मज़ा आ गया सरदार जी थैंक यू.

सरदार अब नशे में था.
उसने मेरे जांघों पर हाथ रखा और बोला- देख लौंडे, एक बात समझ ले, मैं भी सरकारी अनाज लेकर झारखंड जा रहा हूँ. और जाने में 4 दिन लगेंगे. तू चाहे तो साथ चल सकता है. लेकिन 4 दिन तेन्नू मेरी बीवी बन कर रहना पड़ेगा. नहीं तो 5 हज़ार रुपये देने होंगे.

मेरे पास तो पैसे थे नहीं … और रहते तो भी नहीं देता.
मेरी गांड में भी आग लगी हुई थी जो मैंने काफी दिनों से दबा के रखा हुए था.

मैंने थोड़ा मुँह बनाते हुए बोला- सरदार जी पैसे तो नहीं है मेरे पास!
“तो बीवी बन जाओ मेरी … खूब सेवा करूँगा. और जब तक साथ रहोगे, तेरा खर्चे और नखरें भी उठाऊंगा. सरदार जी दूसरा ग्लास खाली करते हुए साफ-साफ बोला.

मैं सिर नीचे कर दिया.
सरदार समझ गया और मेरे से सटते हुए मेरे गालों पर जोरदार चुम्बन दिया.

उसकी बात से मेरे अंदर सेक्स की ज्वाला भड़क गई थी.

अब वह पूरी तरह नशा में था.
उसके लिए मैंने थाली में खाना निकाला और उसको खाने के लिए दिया.
वह बहुत खुश हो गया.

फिर वह बातें करने लगा- यार, तू जब नहा रहा था न … तब से देख रहा था. तेरी गोरी मोटी गांड देख कर मेरे लन्ड से पानी निकलने लगा था. वैसे भी मुझे गांड मरना बहुत पसंद है. तेरी परजाई (भाभी) की पहले गांड मारता हूँ फिर फुदी चोदता हूँ. उसे भी बहुत मज़ा आता है.

मैं भी अब सरदार के साथ खुल गया था.
तो मैं बोला- मैंने भी सुना है सरदार जी लोग गांड के बहुत शौकीन होते हैं.

सरदार जी अपना बखान करते हुए बोला- अरे अपने दोस्तों में मूसल सिंह नाम से जाना जाता हूँ.
मैं पूछा- क्यों सरदारजी?
सरदार हँसते हुए बोला- इंतज़ार कर ले, तुझे भी पता चल जाएगा.

फिर वह खाना खाकर हाथ धोने नल पर चल गया.

मैं अंदर ही अंदर सोच रहा कि था पता नहीं सरदार आज मेरी क्या हालत करेगा.
वह भूखे भेड़िये की तरह मुझे देख रहा था.

बर्तन रख कर वह वापस आया और अपना शर्ट उतार दिया.
फिर अपना पैंट उतार दिया, हाफ चड्डी में उसका लन्ड का साइज साफ पता चल रहा था.

उसने एक तौलिया लपेटा और गाड़ी से उतर कर पेशाब करने चला गया.
फिर वह नल पर गया और कुछ करने लगा.
अंधेरा होने की वजह से साफ नहीं दिख रहा था.

शायद अपना लन्ड धो रहा था.

फिर उसने तौलिया खोल कर पौंछा और तौलिया लपेट लिया.

सरदार छह फुट का लंबा चौड़ा आदमी था.
उसकी छाती और पेट पर ढेर सारे बाल थे, घनी दाढ़ी और सर पर सरदार वाली पगड़ी … हट्टा कट्टा इंसान था.

मैं बहुत थका हुआ था तो पीछे बेड पर जाकर लेट गया.
अभी वह पूरे नशे में था.

वह वापस ट्रक में आ कर बैठ गया और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए पूछा- ओय तुस्सी कभी गांड मरायी सी?
मैंने भी सिर ना में हिला कर जवाब दिया.

उसने बोला- ऑय पैंट खोल के पलट के सो जा … थोड़ा तेरे गदराई गांड तो देखूं.

मैं शरमाते हुए पलट गया, धीरे से अपनी गांड उठायी और पैंट खोल दी.

अब मैं केवल फ्रेंची चड्डी में था जिसमें आधी गांड बाहर निकली हुई थी.

वह मेरी पीठ को सहलाते हुए मेरे चूतड़ों को मसलने लगा और चड्डी एक झटके में खींच कर उतार दिया.

मेरी नंगी गांड अब उसके सामने थी.
वह मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से जोर जोर से मसलने लगा.

मेरे गोरे-गोरे चूतड़ों पर उसकी उंगुलयों का निशान पड़ गए और एकदम लाल हो गए.

फिर उसने अपने हाथों से चूतड़ों को फैला दिया और मेरे गांड की दरार में एक उंगली डाल कर सहलाने लगा.

मेरी आँखें बंद हो गई, शरीर काम्पने लगा और मुख से सिसकारियां निकलने लगी.
फिर वह अपना मुँह मेरी गांड के पास लाया और दरार में थूक दिया.

उसने अपनी उंगलियों से मेरे गांड के छेद के पास अच्छी तरह से सहलाया और मेरी गांड में पूरी उंगली डाल दी.

मेरे मुँह से ‘आह’ की मादकता भरी और दर्द भरी आवाज़ निकली.
वह थोड़ी देर उंगली अंदर बाहर करते हुए दूसरी उंगली डालते हुए बोला- बहन के लौड़े, झूठ बोलता है, गांड नहीं मराई है. मैं उड़ती हुई चिड़िया की गांड पहचान लेता हूं और तू मुझे सिखाने चला है. कोई बात नहीं, तब तो तुझ पर ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.

मैं बोला- सरदार जी, लाइट ऑफ कर दीजिए. मुझे शर्म आ रही है.

सरदार बोला- तेरे हुस्न का मज़ा अंधेरे में नहीं, उजाले में लूंगा. अब 4 दिन की बीवी है तू मेरी … जब मन होगा, तब तेरा भोसड़ा मारूँगा. अब शर्माना भूल जा और मज़ा ले!

बॉटम बॉय गांड कहानी अगले भाग में चलेगी.
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बॉटम बॉय गांड कहानी का अगला भाग: लॉकडाउन में सरदार के ट्रक में गुजारी रात- 2

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