डॉक्टर के साथ समलैंगिग सेक्स का मजा

(Homosexual Doctor Sex Kahani)

होमोसेक्सुअल डॉक्टर सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे शहर का एक डॉक्टर मेरा फेसबुक दोस्त बन गया था. हम सेक्स की बातें भी कर लेते थे. मेरे दादा जी बीमार हुए तो मैं उन्हें उसी डॉक्टर के पास ले गया.

सबसे पहले मेरा परिचय. मैं गुजरात के एक ख्याति प्राप्त पोर्ट वाले शहर के नजदीक के गांव से हूं. मैंने प्राम्भिक शिक्षा वहीं से प्राप्त की है. फिर आगे की पढ़ाई के लिए बाहर चला गया था.

मेरा परिवार हमारे गांव में एक बहुत जाना माना परिवार है और लोग काफी सम्मान भी देते हैं.

ये होमोसेक्सुअल डॉक्टर सेक्स कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है.
ये उन दिनों की बात है जब फेसबुक पर हर कोई एक दूसरे को फ़्रेंड रिक्वेस्ट भेज देता था, बिना जाने पहचाने.
तब सिक्योरिटी का इतना डर नहीं था.

ऐसे ही फ़ेसबुक पर मेरे भी काफी मित्र थे.
उनमें से अधिकतर मेरे गांव के थे.

उन्हीं में से एक मेरे ही गांव के एक डॉक्टर साहब थे जिनसे औपचारिक तौर पर मेरी बातें होती रहती थीं.

फिर जब मैं पढ़ाई खत्म करके अपने पुश्तैनी धंधे को संभालने के लिए गांव आ गया तो मेरी उनसे बातें बढ़ गईं.

कारण कुछ खास नहीं था बस यूं ही बातें होने लगी थीं.

मैं उस समय 24 साल का था. मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच की थी और औसत शरीर था.
पर देखने में एक आकर्षण था.

दूसरी तरफ डॉक्टर की उम्र 35 साल थी और कद 5 फुट 11 इंच का था.
उनका गोरा बदन था और फिट बॉडी थी.

बस हल्की सी उनकी तोंद बाहर को निकली थी, बाकी वे भी हैंडसम लगते थे.

हम दोनों काफी घुल-मिल गए थे.
पहले से चैटिंग में ही काफी खुले हुए थे.

वे चैट के दौरान मुझसे काफी दो अर्थी बातें भी करने लगे थे.
मैं भी रिप्लाई देता था.

एक बार उन्होंने m2m क्लिप भेज दी और मैंने भी रिप्लाई में वाह लिख दिया.

इसी सबसे हम दोनों चैट में काफी खुले होकर बातें करने लगे थे पर मिलने का प्लान नहीं हो पा रहा था.

एक दिन मेरे दादाजी का स्वास्थ्य बिगड़ा और उनको एडमिट कराना पड़ा.
मैंने दादाजी को उन डॉक्टर साहब के अस्पताल में ही एडमिट करा दिया.

उस समय हमारी आमने सामने काफी मुलाकातें हुईं.
जब भी डॉक्टर साहब से मुलाकात होती, वे मेरी पीठ पर हाथ जरूर फेरते थे और उनका हाथ मेरी पीठ के निचले हिस्से में ज्यादा घूमता था.

मैं भी उनकी भावनाओं को कुछ कुछ समझ रहा था कि डॉक्टर साब मुझ पर फिदा हो गए हैं.
न जाने क्यों … मुझे भी उनका सानिध्य अच्छा लगने लगा था.

फिर एक दिन उनको दादाजी को देखने रविवार को सेकंड हाफ में इमरजेंसी में आना पड़ा.

दादाजी की सब जांचें चैक करने और काम खत्म करके उन्होंने मुझे अपने केबिन में बुलाया और बातें की.

उस समय हम दोनों ही फ्री थे.
उन्होंने खुद से दोनों के लिए कोल्ड कॉफ़ी बनाई और हम दोनों ने बैठ कर उस समय को इन्जॉय किया.

हम दोनों खुले हुए थे और मस्ती से सेक्स की बातें ही कर रहे थे.

अचानक कॉफी पीते पीते वे खड़े हुए और मेरी साइड आ गए.
मैंने देखा तो उन्होंने अपनी पैंट की जिप खोली हुई थी और अन्दर कोई अंडरवियर नहीं था.
जिप खुलते ही उनका खड़ा लंड था बाहर को मुँह निकाले फनफना रहा था.

उन्होंने अपना लंड, बर्फ से बहुत ठंडी हो चुकी कॉफी में डाल दिया और निकाल कर मेरे मुँह के सामने कर दिया.

मैंने भी बिना वक्त गंवाए उसे तुरंत मुँह में ले लिया.
उनके मुँह से ‘आह …’ की आवाज निकल गई.

मैंने भी पहली बार उनके नमकीन रस वाले और मीठी कॉफी में डूबे हुए लंड का सुखद अनुभव किया.
हम दोनों ने अपने अपने मग एक तरफ किए और अपनी अपनी शर्ट उतारने लगे.

मैं बड़े मजे के साथ उनके लंड को चूसने लगा था. मैं डॉक्टर साहब को डीप थ्रोट का मजा देने लगा था.

वे अपनी आंखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा लेते हुए अपने एक हाथ से मेरे सिर के बालों को खींच कर बड़े ही आनन्द के साथ सीत्कार करने लगे थे.

डॉक्टर साहब का लंड बहुत लंबा तो नहीं था, पर मोटा बहुत था.
साथ ही उनका लंड काफी चिकना भी था.

उनके लंड पर एक बड़ा तिल भी था, जिससे उनका लंड काफी सेक्सी लग रहा था.

मुझे भी उनके लौड़े को चूसने में बड़ा मजा आ रहा था.
मैं जीभ से चाटता और पूरा डंडा अन्दर लेकर चूसता.

लंड चूसते हुए ही मेरी नजरें डॉक्टर साहब की आंखों से मिलीं.
वो गर्म अहसास मुझे अन्दर तक गर्म करने लगा था.

फिर नजरें फिसल कर नीचे आईं तो उनकी छाती पर ठहर गईं.

डॉक्टर साहब की छाती बालों से भरी थी.
वे बाल कुछ ट्रिम किए हुए दिखाई दे रहे थे.

उनका गोरा बदन और छाती के गुलाबी निप्पल काफी सेक्सी थे.

कुछ पल बाद मैं खड़ा हुआ और सीधे उनके होंठों से अपने होंठों को मिलाकर उन्हें चूमने लगा.
वे भी लिपकिस का मजा लेने लगे.

हम दोनों ही एक दूसरे में पूरी तरह से खो चुके थे.
दोनों के लौड़े खड़े थे और एक दूसरे आपस में टकरा रहे थे.
मैं बिल्कुल अपने वश में नहीं था.

तभी अचानक से उन्होंने मुझे टेबल पर धक्का देते हुए गिराया और जैसे ही मैं टेबल पर गिरा, तो मेरे पैरों ने जमीन छोड़ दी.

उसी समय डॉक्टर साहब ने जोर से खींच कर मेरे लोवर को निकाल दिया.
लोअर के साथ में मेरी अंडरवियर भी डॉक्टर साहब ने खींच दी थी.

शर्ट तो पहले ही उतरी हुई थी.
अब मैं पूरी तरह से नंगा उनकी टेबल पर कमर के बल लेटा हुआ था.
मेरी टांगें जमीन से कुछ ऊपर हवा में झूल रही थीं.

वे झुके और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे थे.
यकीन मानो … मैंने इस तरह का अनुभव आज तक नहीं किया था.

मेरा अपने लौड़े से निकलने वाले प्रीकम पर कोई काबू नहीं था.

उन्होंने उसे चाटना शुरू कर दिया था.

शायद उन्हें मेरे लंड का ये रस काफी स्वादिष्ट लग रहा था.

वे अपनी जीभ से मेरे लौड़े के शिश्न मुंड को चाटने लगे.

धीरे धीरे वह नीचे की ओर आए और अपनी जीभ को मेरी गांड के छेद पर रख दिया.
मैं उत्तेजना के कारण एकदम से उछल पड़ा.

गांड का छेद बड़ा ही संवेदनशील होता है.
कभी आप इस अहसास को करेंगे तो मेरी बात से सौ फीसदी इत्तेफाक रखेंगे.

खैर … मेरे उछलते ही वे तुरंत ही ऊपर को आ गए और मेरे सीने पर कड़क हो चुके मेरे एक निप्पल पर लगभग टूट से पड़े.

दांतों से दबाते हुए उन्होंने मेरे निप्पल को पकड़ कर खींचा तो बहुत दर्द हो रहा था.
पर साथ ही जो मीठा आनन्द आ रहा था, उसके आगे ये दर्द कुछ भी नहीं था.

उन्होंने मेरे दोनों पैर उठाए और अपने कंधे पर रख कर मेरे होल पर अपना लंड रगड़ने लगे.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है.

फिर वे नीचे बैठने लगे और मेरी गांड में अपनी जीभ की नोक से मुझे पेलने लगे.
इसे अंग्रेजी में रिमिंग कहा जाता है.

उस समय मैंने पहली बार जाना था कि ये कितना सुखद अनुभव है.
डॉक्टर साहब रिमिंग के इस खेल में पारंगत थे.

उस दिन के बाद से रिमिंग करवाना मेरा सबसे पसंदीदा काम बन गया था.

मैं अपने बिजनेस के काम से नियमित रूप से बाहर जाता रहता हूँ और इस काम के पेशेवरों से मैं अपनी गांड की रिमिंग करवाता हूँ.

पर सच मानिए मुझे डॉक्टर साहब जैसा रिमिंग का मजा देने वाला मुझे आज तक कोई नहीं मिला.

मैं वापस से खड़ा हुआ और उनको धकेलते हुए पीछे की दीवार तक लेकर गया.

दीवार के सहारे से उन्हें टिका कर मैंने पुन: अपने होंठ उनके होंठों से लगा दिए.
हम दोनों ने काफी देर तक स्मूच किया.

स्मूच के टाइम मैं उनकी गांड में फिंगरिंग भी करता रहा था, जो उन्हें काफी पसंद आ रहा था.

मैंने उनके दोनों हाथों को अपने हाथ से बांध कर दीवार पर ऊपर की ओर कर दिए और उनकी दोनों बगलों को बारी बारी से चाटने लगा.

मेरे इस काम से वे पागलों की तरह कराहने लगे.

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे जोर का धक्का दिया और वे मुझे लेकर सोफे पर आ गए.

अब हम दोनों पूरे नंगे थे और हमारे लौड़े किसी घड़ियाल के घंटे की तरह लटक रहे थे.

पूरा रूम हमारी सीत्कारों से भर गया था.

सोफे पर आकर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.

इस आसन में आने के बाद डॉक्टर साहब ने जो मेरे लौड़े को सक किया, ओए होए … जिंदगी भर ऐसा आनन्द नहीं आया.
उन्होंने मेरे गोटे तक नहीं छोड़े.

यह मेरे लिए कंट्रोल से बाहर का क्षण था, जहां मैं खुद को रोक ही न सका और झड़ गया.
मेरा पूरा माल उनके मुँह में चल गया.

उनका मुँह इतना ज्यादा भर गया था कि अब काफी मात्रा में उनके मुँह से भी बाहर आने लगा था.

हम दोनों जल्दी से बाथरूम की और दौड़े और मुँह का कुल्ला किया.
फिर शॉवर के नीचे एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो गए.

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद उन्होंने मुझे नीचे बिठा दिया और मेरी पीठ पर मूतने लगे.

शॉवर का ठंडा पानी और उनके मूत का गर्म, मैंने झट से उनके लंड को मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगा.

साथ में मैंने उनके गोटे की नीचे जो नस होती है मोटी सी, उसमें जीभ से मसाज देना शुरू कर दिया.

इससे उनकी उत्तेजना की कोई सीमा नहीं रही और वे पागलों को तरह उछलने लगे.

थोड़ी देर में डॉक्टर साहब झड़ गए और शांत होकर वह भी मेरे साथ जमीन पर शॉवर के नीचे बैठ गए.

हम दोनों फ्रेश हुए और बाहर आ गए.

घड़ी की तरफ देखा, तो हम दोनों को ये खेल खेलते हुए लगभग 2 घंटे हो चुके थे.

हम दोनों कपड़े पहन कर सामान्य होकर बाहर आए और अपने अपने काम में व्यस्त हो गए.

पर उसके बाद हमारा ये जुड़ाव काफी मजबूत हो चुका था.

हम निजी जिंदगी के प्रॉब्लम्स भी एक दूसरे के साथ साझा करने लगे थे.
एक सामान्य दोस्त की तरह साथ मैं उनके साथ बाहर डिनर पर चला जाता.
हम साथ साथ किसी फंक्शन में भी जाने लगे.

दोनों का घर एक ही सोसाइटी में था, हम दोनों फैमिली फ्रेंड तो बन ही गए थे.
फैमिली में भी आने जाने में कोई दिक्कत नहीं रह गई थी.

हम दोनों को जब भी मौका मिलता, हम दोनों एक दूसरे के लंड को छूकर या मसल कर नमस्ते कर लेते हैं.
हां कोई देख न रहा हो, तब ही ऐसा होता था.

हम दोनों के बीच और भी कई बार बहुत कुछ हुआ, वह कभी और बताऊंगा.

यह सिर्फ एक सेक्स स्टोरी नहीं है. इसके जरिए मैं बताना चाहता हूं कि कोई भी अच्छा दोस्त बन सकता है. एक अच्छे दोस्त की आवश्यकता हर किसी को होती है.

सेक्स में कोई गलत बात नहीं है, पर एक साथी/दोस्त होना भी उतना ही जरूरी है.

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