अस्पताल में लंड की खोज-3

(Indian Gay Sex Stories: Hospital Mein Lund Ki Khoj- Part 3)

लव शर्मा 2017-10-25 Comments

अस्पताल में लंड की खोज-1
अस्पताल में लंड की खोज-2

आपने मेरी इंडियन गे सेक्स स्टोरीज में पढ़ा कि मैं लंड चूसने का शौकीन हूँ लेकिन मुझे जो जवान मिला वो सिर्फ मेरी गांड मारना चाह रहा है. अब आगे:
अब मेरे पास कोई दूसरा चारा भी नहीं था मुझमें तो लंड लेने की आग सी लगी हुई थी और अब इतनी मुश्किल से ये जवान लंड हाथ आया था इसे मैं कैसे छोड़ सकता था.. यही सोच कर मैंने उसे रोकते हुए कहा- ठीक है… देख लेंगे जो होगा… चलो तो सही!

वह मान गया और हम लोग एक कमरे में गए जहाँ पर हल्का उजाला था और फर्नीचर अधूरा पड़ा हुआ था. मैंने उससे बेड, जो अधूरा बना हुआ था, पर बैठने को कहा लेकिन वो तो बड़ा ही अकड़ू था यार.. बैठने को ही तैयार नहीं, वो बोला- उतार पैंट!
मैंने टालते हुए कहा- अरे अभी उतार दूंगा, पहले थोड़ा चूस तो लूं तुम्हारे लौड़े को!
लेकिन वो कमीना बोला- नहीं नहीं, चुसवाना नहीं है, गांड मारूँगा!
उसकी आवाज़ भी बड़ी ही सेक्सी और भारी जमींदारों वाली थी यार… मैं तो फिदा हो गया.

मैंने बड़ी मुश्किल से उसे लंड चूसने के लिए मनाया उसको लेकिन वह खड़ा ही रहा, बैठा नहीं. मैं बेड पर बैठ गया और उसको अपने सामने खड़ा कर लिया. साला लग बहुत सेक्सी रहा था, उसके छाती के उभार और मोटे हाथ मुझे दीवाना बना रहे थे.

मैंने उसकी छाती पर हाथ लगाया लेकिन कुत्ता कहीं का… अब वह होश मैं था तो मुझे हाथ भी नहीं लगाने दे रहा था, ना ही मुझे उसकी भुजाओं को छूने देता ना ही खुशबू सूंघने दे रहा था, उसे तो बस गांड में लंड ही पेलना था. वैसे मैं ये सब मजे तो मैं उसके साथ अभी ले ही चुका था इसलिए मैंने भी ज्यादा दबाव नहीं दिया.

मैं उसके मस्त लंड को जीन्स के ऊपर से ही सहलाने लगा और मैंने अपना मुँह उसके लंड पर पैंट के ऊपर से ही रख दिया. वाह… क्या मजा आ रहा था इस जवान इंडियन मर्द के लंड को छूकर…
लेकिन उस कमीने आदमी को सब्र तो था ही नहीं! उसने तुरंत अपनी पैन्ट खोली और अपना लम्बा लौड़ा बाहर निकाल दिया और बोला- ले चूस ले, फिर मैं गांड में डालूँगा.
काफी लंबा लंड था उसका, मोटा तो सामान्य ही था, 2 इंच के लगभग मोटा लंड होगा वो!

मुझमें तो लंड की आग लगी हुई थी, मैंने बिना देर किये उस मस्त लौड़े को अपनी जुबान से चाट लिया और लंड को चूमने लगा. मैंने उसके लंड के गुलाबी सुपारे से चमड़ी को पीछे की तरफ खींचा और सुपारे को अपने गर्म मुँह में भर लिया और अंदर से जुबान से उसे चाटने लगा.

उसे भी मजा आ गया था. आखिर तरीका ही इतना ज़बरदस्त है मेरा!
उसके मुख से भी आह निकल गई. उसको लंड चुसवाने में कोई रुचि नहीं थी पहले… लेकिन अब उसे भी मजा आने लगा था.
उसने अचानक ही मेरे बाल पकड़े और मेरा मुँह उसके लंबे ताजे लंड पर दबा दिया जिससे उसका लंड मेरे कलेजे तक पहुँच गया. उसने काफी समय तक मेरा मुँह दबाये रखा लेकिन मैंने भी उसे हटाने की कोशिश नहीं की और उस पल को मैं एन्जॉय करने लगा.. आखिर यही तो मैं चाहता था और इतनी मेहनत से लंड मुझे मिला था.

कुछ देर बाद उसने अपनी पकड़ ढीली की और मैंने उसका लंड चूसना शुरू किया. लंड काफी लंबा था और थोड़ा मुड़ा हुआ था बीच में से.. जिससे पता चल रहा था वह कितना बड़ा चोदू था.
मैंने उससे पूछा- लड़कियाँ चोदते होंगे?
उसने जवाब दिया- अरे लड़कियों की चूत में ही तो असली मज़ा है. चूत तो हर एक दो दिन में चाहिए ही चाहिए.. बस पैसा फेंको तमाशा देखो!

वह गांव का किसी जमींदार का बेटा था इसलिए पैसे की कोई कमी नहीं थी उसे और वह दिखने में भी हेंडसम और जवान मर्द था तो कौन लड़की उससे चुदना नहीं चाहेगी. यही सोचकर मैं उसका लंड चूसे जा रहा था. उसे भी काफी मजा आ रहा था, अब वह भी अपनी तरफ से झटके देने लगा था और मेरा मुँह चोद रहा था.

वह अब ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर रहा था उसके लंड का माल मेरे मुँह मैं ही छूटने वाला था.. मैं भी खुश था कि आज मेरी गांड बच गई नहीं तो ये लम्बे लंड से फाड़ देता.
इतने में ही उसने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया और बोला- चल अब खड़ा हो जा और पैन्ट खोल!
इतना सुनकर मेरी तो गांड फट गई, मैंने कहा- मुँह में ही कर लो ना यार…

लेकिन वो कुत्ता नहीं माना, उसको तो मेरी गांड ही पेलनी थी.
अब क्या करता मैंने पैन्ट उतारी, उसने तुरंत मेरी चड्डी नीचे सरका दी और मेरी गांड को हाथों से सहलाने लगा. उसका बम्बू जैसा लंड मेरी गांड फाड़ने को तैयार था, मुझे डर लग रहा था क्योंकि मैंने कभी गांड नहीं मरवाई थी. एक बार कोशिश की थी तब बहुत दर्द हुआ था इसलिए और भी जान घबरा रही थी.

लेकिन वह हरामी चोदू लंड कहाँ मानने वाला था, उसने मुझे झुकने को कहा तो मैं बेड पकड़ कर झुक गया, उसने मेरी नई नवेली गांड को चौड़ी किया और उसमें थूक दिया और अपने लंड को भी थूक लगाकर हथियार की तरह तैयार करने लगा.
मैं यह सब देख रहा था और डर रहा था.

फिर मैंने उस जवान चोदू मर्द को ऊपर से नीचे तक देखा. मस्त लग रहा था यार वह… जवान गाँव वाला मर्द… नया माल… हट्टा कट्टा, ऊंचा पूरा जवान जमींदार अपने मूसल हथियार जैसे लंड के साथ मेरे सामने खड़ा और चोदने को तैयार…

अब मैंने हिम्मत की और सोचा कि ऐसा मौका किस्मत वालों को ही मिलता है, मैं इस जमींदार की औलाद से मस्त आनन्द जरूर लूँगा.
इतने में ही उसने अपने लंड का गुलाबी सुपारा मेरी गांड के छेद पर रख दिया.
वाह! क्या ठण्डा ठण्डा अनुभव था वह… मुझे थोड़ी और हिम्मत आई.

अब उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया जिससे उसके बदन की गर्मी से मैं और भी कामुक हो गया और सिसकारियाँ लेने लगा. उसने एक झटका मारा और उसका मस्त सुपारा मेरी गांड में चला गया और मुझे बहुत तेज दर्द हुआ मानो किसी ने गांड में बेलन फंसा दिया हो.

मुझसे सहन नहीं हुआ और मैं उसके लंड को निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन उसने मुझे अपनी बांहों में भर रखा था इसलिए मैं हिल भी नहीं पा रहा था. लेकिन दर्द भी बड़ी चीज़ होती है. मैंने जैसे तैसे करके अपनी गांड को हिलाया जिससे उसका मूसल लंड बाहर आ गया और मेरी जान में जान आई.

और अब मैं उससे अपने आप को छुड़वाने लगा, बोला- यार नहीं जायेगा गांड में… तुम बात तो मानो मेरी.
लेकिन वह हरामी दानव लंड वाला कहाँ मेरी मानने वाला था, उसने कहा- अब दर्द नहीं होगा… एक बार चला गया है ना अभी, तुम बस हिलना मत, मैं दो बार में लंड पूरा पेल दूंगा, फिर धीरे धीरे चोदूँगा, दर्द नहीं होगा, मजा आएगा तुमको!

उसकी भारी मर्दाना आवाज और चोदने की इतनी नेक प्लानिंग को देखकर मैं फिर से उस जवान मर्द का दीवाना हो गया और सोच लिया कि आज तो इस जमींदार से गांड का उद्घाटन करवाऊंगा ही…

इतने में उसने फिर से अपना चोदू हथियार तैयार करते हुए अपने लंड का सुपारा मेरी गांड पर रख दिया और एक झटका दिया तो सुपारा गांड के अंदर चला गया और मेरा हाल वही था जो पिछली बार हुआ था, लेकिन अबकी बार मानो मैंने कसम खा ली थी ना हिलने की… आँखों से आंसू आ गए पर मैं नहीं हिला क्योंकि जमींदार जी का लंड आगे जीवन में मिले ना मिले, आज सौभाग्य मिला है तो जी लो ज़िन्दगी!

थोड़ी देर रुक कर उसने एक और झटका दिया और लंड थोड़ा और अंदर गया और मेरी जान फिर निकल गई. फिर मैंने हिम्मत दिखाई कि इतना लंड तो चला गया है थोड़ी और हिम्मत रख, किस्मत का लंड है.
अब उसने एक और झटका दिया और उसका लंड लगभग आधा मेरी गांड को फाड़ता हुआ चला गया. अब मेरी हिम्मत भी जवाब दे चुकी थी, इससे ज्यादा दर्द अब मैं किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं कर सकता था इसलिए मैंने उससे कहा- अब तो चाहे कुछ भी हो जाये लंड इससे ज्यादा अंदर नहीं ले पाऊँगा. जान निकल गई है मेरी.

उसने कहा- ठीक है, मैं इससे ज्यादा लंड अंदर नहीं डाल रहा हूँ, इतने में ही चोद दूंगा!
क्योंकि उसको भी डर था कि कहीं दर्द के कारण मैं पूरा लंड बाहर ना निकाल दूँ जो बड़ी मशक्कत के बाद अंदर गया था.

अब वह धीरे धीरे मुझे चोदने लगा, उसने छोटे छोटे झटकों से शुरुआत की और फिर एक समान झटके देने लगा. चोदने का अच्छा अनुभव था उसे… दर्द तो मुझे अब भी हो रहा था लेकिन मैंने दर्द पर ध्यान देना कम कर दिया और मैं उस जवान जमींदार मर्द की चुदाई का आनन्द लेने की कोशिश करने लगा.

मैंने धीरे से पलट कर उसके चेहरे की तरफ देखा… चोदू आदमी साला… बहुत खूबसूरत लग रहा था चोदते हुए!
मैंने और हिम्मत की और उसके हाथ अपनी चुचियों पर रख दिए और उसके हाथ पर अपनी हथेलियाँ रख दी और उसकी कड़क हथेलियों को सहलाने लगा.. उसने अपने हाथ में एक भारी पीतल का कड़ा पहना हुआ था जो उसको और भी सेक्सी लुक दे रहा था.

वह मेरी चूचियों को तेजी से मसल रहा था और मेरी गांड में लंड पेले जा रहा था जिससे मैं मचलने लगा था और वह भी मदहोश हुए जा रहा था. हम दोनों के मुँह से गर्म सांसें एक दूसरे को गर्म कर रही थी और वह पूरा फ्लोर हमारी सिसकारियों से गूंज रहा था.
मुझे भी अब उस जमींदार की कड़क चुदाई में बहुत मजा आ रहा था.

इतने में ही उसने अपने झटके थोड़े तेज कर दिए और तेजी से आह आह करने लगा. और मुझे अनुभव हुआ कि मेरी गांड में उसके वीर्य की पिचकारी चल रही थी. उस गर्म पिचकारी से मैं पागल सा हो गया और पीछे मुँह करते हुए मैंने उसके कान को अपने मुँह में भर लिया जिसमें उसने बाली पहनी हुई थी.
वाह क्या नशा था वह… दो जिस्म एक जान हो चुकी थी.

इतने में ही उसका पूरा वीर्य मेरी गांड में निकल गया और उसने अपना चोदू लंड बाहर निकाल लिया. मेरी गांड से उसके वीर्य की धार बाहर निकल रही थी. हालांकि उसके पूरे लंड से मेरी चुदाई नहीं हुई थी, आधा ही डाला था.. पूरा डालता तो गांड फट ही जाती.

हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और चुपचाप हम दोनों ही वहाँ से चले गए और फिर कभी उस जवान जमींदार से मुलाकात नहीं हुई. मुझे रात भर दर्द हुआ और अगले 15 दिनों तक भी हुआ.
तबसे मैंने गांड में लंड लेने से तौबा कर ली.

तो दोस्तो, यह मेरी अस्पताल की कहानी जो मैंने आपके समक्ष रखी. आपको मेरी इंडियन गे सेक्स स्टोरीज कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रियाएं मुझे इस मेल आई डी पर जरूर दें.
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