नए लड़कों से गांड मराने की दोस्ती-5

(Naye Ladkon Se Gand Marane Ki Dosti- Part 5)

अब तक आपने पढ़ा..
मेरे साथ पढ़ने वाले प्रकाश ने मेरी गांड की खाज मिटा दी थी, अब मुझे उसकी गांड मारनी थी.. मैं उसके ऊपर चढ़ गया।
अब आगे..

एक तो वह वैसे ही बहुत माशूक लौंडा था, दूसरे उसका मुझ पर अहसान था।
मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी गांड पर टिकाया और पूछा- डालूं?
वह बोला- यार तरसा मत.. जल्दी कर!

मैंने थूक लगा कर लंड को गांड के छेद पर रखा और कहा- डाल रहा हूँ।
इतना कहते ही मैंने लंड पेल दिया.. उसने जरा भी ‘उं.. आं..’ न की, मस्ती से लेटा रहा और मेरा पूरा लंड बिना चीख चिल्लाहट के ले गया।

फिर मैंने धक्के शुरू किए.. तो बोला- आह्ह.. जोर से!
मैंने पूछा- यहाँ किस किस से मरवाई है?
तो बताया- फिजिक्स के सर हैं.. उन्होंने एक बार जबरदस्ती पकड़ कर अपने चेम्बर में ही शाम को मेरी मार दी थी। तब से वे मेरी कई बार मार चुके हैं और भी कई लड़कों की मार चुके हैं।

मैंने मन में सोचा कि सर ने मेरे जैसे माशूक लौंडे के बारे में क्यों नहीं सोचा। इस सोचने में मैं झटके लगाना भूल गया।
प्रकाश बोला- क्या हुआ.. झड़ गए क्या?
मैंने कहा- नहीं यार.. अभी तो दम है।

और मैं फिर से लंड को उसकी गांड में अन्दर-बाहर करने लगा। उसने अपनी गांड बिल्कुल ढीली कर ली थी, मैं धकापेल लंड पेल रहा था, वह गांड उचकाए जा रहा था, तभी वो बोला- थोड़ा रुक!
मैंने कहा- क्या लग रही है?
वह बोला- नहीं यार.. मजा आ रहा है, पर थोड़ा रुक ना.. वरना जल्दी झड़ जाएंगे।
मैं रुक गया.. हम दोनों एक-दूसरे से चिपके लेटे रहे.. फिर शुरू हो गए।

इस तरह हम दोनों ने मजा किया और गांड की खुजली से निपट कर हम दोनों कॉलेज लौट आए।

फिर एक दिन मैं कॉलेज से अकेला ही घर जा रहा था, तो रास्ते में मुझे सर जी मोटर साईकिल पर मिल गए। उन्होंने मेरे पास गाड़ी रोक ली.. मैं एकदम सर जी को देख कर चौंक गया।

सर बोले- घर जाना है..! चलो मैं छोड़ दूंगा।
मैं बैठ गया, सर मुझे अपने रूम तक ले गए।
फिर बोले- अन्दर आओ.. कुछ देर रुक कर चले जाना।
मैं अन्दर बैठ गया..

सर जी ने कपड़े बदले, कुछ ही पल में वे मात्र अंडरवियर बनियान में हो गए थे, मुझसे बोले- ठीक से पलंग पर बैठ जाओ!
मैं कुर्सी से पलंग पर पहुँच गया.. तो मेरे पास आकर बोले- अरे तुम दूर-दूर क्यों हो?

और मेरे पास खिसक कर सर ने मेरा एक जोरदार चुम्बन ले लिया। फिर मेरी पैंट पर हाथ रख कर उसे खोलने लगे। हम दोनों ने मिल कर मेरी पैंट खोली, फिर उन्होंने ही मेरा अंडरवियर नीचे खिसका दिया।

इसके बाद सर मुझसे चिपक गए.. अब उनका लंड मेरे पेट से टकरा रहा था। फिर मैंने ही हाथ डाल कर उनके लंड को बाहर निकालते हुए उसे अंडरवियर के बंधन से मुक्त किया।

वे मुझसे चिपक गए.. मैं समझा सर आज भी इसी तरह झड़ जाएंगे। वे चिपके रहे, उन्होंने मेरे गाल चूमे.. फिर होंठों पर हमला बोला। बड़ी देर तक सर यही करते रहे, पर इस बार उन्होंने मुझको पलट दिया। अब मैं पलंग पर औंधा पेट के बल लेटा था.. मेरी पीठ व गांड ऊपर थी।

सर मेरे ऊपर चढ़ बैठे और घुटनों के बल मेरी जाँघों पर बैठ गए।

अब मेरी गांड उनके लंड के सामने थी। उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पर रखे और मसलने लगे। फिर उन्होंने क्रीम लेकर उंगली से मेरी गांड में क्रीम लगाई और उंगली गांड में डाल दी व उसे अन्दर-बाहर करने लगे, फिर उंगली निकाल कर दो उंगलियाँ घुसेड़ दीं।
मैं चीख पड़ा- सर सर..

उन्होंने कस लगा कर दोनों उंगलियां पूरी घुसेड़ ही दीं, मैं एकदम से उचक गया- सर लग रही है!
पर वे उंगली घुसाए रहे, फिर दोनों उंगलियां धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगे। अब वे मेरी गांड में अपनी दोनों उंगलियों को गोल-गोल घुमाने लगे।

कुछ देर बाद सर ने उंगलियां निकाल लीं और एक बार फिर मेरे चूतड़ मसलना शुरू कर दिए। इस बार वे अपना मुँह मेरी गांड के पास लाकर जीभ से मेरी गांड चाटने लगे। मैं उनकी इस हरकत से चौंक गया.. अभी तक लौडों ने मेरी गांड तो मारी थी.. पर चाटी किसी ने नहीं थी।

फिर उन्होंने मेरे चूतड़ दांतों से हल्के से काटना शुरू किए और जीभ से बीच-बीच में चाट भी लेते रहे। उनकी इस गुलगुली से मेरी गांड बहुत सेंसटिव हो गई।

अब सर ने अपना क्रीम से लिपटा महालंड मेरी गांड पर टिका दिया।

उन्होंने अपना लंड मेरी गांड से हल्के से टच किया.. थोड़ा धीरे से धक्का दे दिया। उनका सुपाड़ा गांड में टच हुआ तो लगा कि घुस जाएगा।
लेकिन उन्होंने फिर से हटा लिया।

एक बार तो लंड गांड में घुसने को था, उन्होंने जोर से धक्का भी दिया, पर वह गांड से नीचे हो गया और जाँघों के बीच में सर धक्का देने लगे।
तब मैंने उन्हें बताया- सर एक बार देख तो लें!

तब उन्होंने लंड पर दुबारा से क्रीम मली.. थूक लगाया और मेरी गांड पर टिका दिया। मेरी गांड में उंगली डाल कर लंड पकड़ कर डालते हुए जोर का धक्का दे दिया। अब सुपाड़ा मेरी गांड के अन्दर था।

सर जी मेरे दोनों चूतड़ अपने हाथों से पकड़े हुए थे, शायद वे मेरी गांड में घुसते अपने लंड को प्यार से देख रहे थे। फिर बैठे-बैठे ही उन्होंने दो-तीन धक्के लगाए। जब लंड गांड में घुस गया.. तो वे मेरे ऊपर लेट गए और अपनी कमर उचका-उचका कर मेरी गांड में लंड पेलने लगे।

वे बार-बार लंड अन्दर-बाहर कर रहे थे, मेरी गांड को अपने लंड से रगड़ रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मेरी गांड फाड़ ही डालेंगे.. क्योंकि सर की जोर-जोर से सांस चल रही थी, मुझे मेरी गर्दन के पीछे उनकी सांसें फील हो रही थी।

धीरे धीरे से वे हांफने से लगे.. लेकिन अब भी वे मुझे कसके पकड़े हुए थे और मेरी गर्दन में हाथ डाले थे। इस दौरान सर मेरे गाल से अपना गाल चिपकाए हुए थे, वे कभी धीरे से मेरा चुम्बन ले लेते, कभी होंठ चूम लेते.. कभी गर्दन के पीछे चुम्मा ले लेते।

मुझे लग रहा था कि उनके लंड का जोर भी कुछ कम पड़ गया है, तभी एकदम से सर ने मेरी गांड में जोर से लंड पेल दिया.. मैं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगा।
सर ने गांड कस ली और बोले- बस बस थोड़ा सा..

तभी किसी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया.. तो सर ने मेरी गांड में से झटके से अपना लंड निकाल लिया। वैसे भी दरवाजे पर ठक ठक होने से लंड मुरझा गया था।
अब सर की गांड फट गई थी कि इस वक्त कौन आ गया। उन्होंने झट से अंडरवियर पहनी और दरवाजा खोला, पहले धीरे से झांका और मुस्कुराए- आ जा..

ये उनके दोस्त वर्मा जी थे.. मुझे देख कर बोले- अरे वाह.. ये तो बड़ा गजब का माल पटाया इस बार!

मैं तब अंडरवियर पहन रहा था.. उन्होंने मुझे पकड़ लिया और खड़े-खड़े ही मुझे टेबल पर झुका लिया, वर्मा सर ने खुद ही मेरा अंडरवियर खोल कर नीचे गिरा दिया और मेरे चूतड़ मसलने लगे, फिर पैंट से अपना हथियार निकाल लिया।

उनका चेहरा लाल हो गया था.. वे जोश के मारे ठीक से बोल ही नहीं पा रहे थे। वर्मा सर ने अपने लंड पर थूक लगा कर मेरी गांड पर टिकाया और घच्छ से पेल दिया।
वे बोले- टांगें चौड़ी कर.. गांड ढीली कर ले.. वरना कहेगा कि लग रही है।

अब सर मेरी गांड में शुरू हो गए.. उन्होंने मेरी गांड में धक्कम पेल मचा दी.. और अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगे।

कुछ धक्कों के बाद सर जी मुझसे चिपक गए और पहले वाले सर से बोले- वाह यार.. आज तो मजा बांध दिया।
सर बहुत प्रसन्न थे।

फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया.. और लगे हिलाने… बोले- अबे तेरा क्या मस्त हथियार है.. अभी से इतना बड़ा गांड फाड़ू लंड है।
वे कुछ देर मेरी गांड पूरी तन्मयता से मारते रहे.. फिर गांड में ही झड़ गए और अलग हो गए।

अब सर ने मुझे टेबल पर बिठा कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया.. और लगे चूसने! वे मेरे लंड को हाथ में लेकर देखते रहे.. फिर मुंह में दुबारा डाल लिया। वे असल में मेरे लंड को अपनी गांड में डलवाना चाहते थे.. पर कह नहीं पा रहे थे।

मैं उनका चेला जो था.. पर और लौंडों की तरह वे भी मेरे लंड के आशिक हो गए.. मैं इस बात को समझ गया।
वो मेरा मुंह चूमते रहे.. उन्होंने मुझे बड़ी मुश्किल से छोड़ा।

इस तरह मैंने दो दो लंड एक के बाद एक अपनी गांड में डलवाए.. आप समझ सकते हैं कि मेरी क्या हालत हुई होगी। जिन्होंने अपनी माशूकी की उम्र में लम्बे मोटे लंड गाड में झेले होंगे, वे इस बात का मतलब समझ सकते हैं। मेरी गांड बुरी तरह चिनमिना रही थी.. और लुकलुका रही थी, मेरा दिल धड़क रहा था।

इसके बाद मैं जाने को हुआ.. तो सर जी बोले- थोड़ा ठहर जा.. चले जाना!
उन्होंने चाय बनाई और हम सबको पिलाई।

सर एक बार और मेरी मारना चाहते थे, उन्हें मेरी गांड बहुत पसंद आई.. मुझे पकड़ कर मेरा जोरदार चुम्बन ले लिया।

पर वर्मा जी ने मुझे जल्दी जाने को कहा.. सर जी का लौड़ा तो फिर से टनटना रहा था, पर अब उनका लंड वर्मा जी लेना चाहते थे। वे आए ही गांड मराने को थे.. पर मेरे जैसे माशूक लौंडे के रहते उनकी दाल नहीं गल पा रही थी.. अतः उन्होंने मुझे रवाना कर दिया।

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