दीपिका बनी मेरे लौड़े की प्रेमिका-4

(Deepika Bani Mere Laude Ki Premika-4)

This story is part of a series:

अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार.. मेरी पिछली कहानी को आप सबसे मिले प्रोत्साहन के लिए मैं आप सब लोगों का आभारी हूँ।

नमस्कार दोस्तो, जैसे मैंने बताया था मेरी पिछली कहानी में.. दीपिका मुझे अपनी दोस्त से मिलवाने का सोच रही थी और ताज्जुब की बात यह है कि वो मौका भी जल्दी ही मिल गया।

पूजा जो कि दीपिका की फ्रेंड और रूम-मेट भी थी.. वो अपने घर से एक दिन पहले ही लौटी थी।

जब हम सुबह में जागे.. तब पूजा पहले से आ चुकी थी और सवेरे-सवेरे मुझे पूजा के दर्शन हुए।

वो बाहर सोफे पर बैठी हुई थी.. देखने में बहुत ही सुन्दर थी और अंदाज़ से एकदम मॉडर्न माल थी, उसने जीन्स और टॉप पहना हुआ था।

उसके रेशमी काले बाल खुले हुए थे और उसके मम्मे भी बड़े-बड़े थे। शायद 36 साइज़ के रहे होंगे।
मैं तो उसे एकटक देखता ही रह गया था।
तभी अचानक दीपिका आई.. वो अपनी दोस्त को देख कर काफी खुश हुई और उसके गले मिली।

फिर उसने पूजा से मेरा परिचय भी करवाया।

पूजा ने हमें एक ही कमरे से बाहर आते हुए देख लिया था और शायद कुछ अंदाजा भी लगा लिया था कि हमारे बीच क्या चल रहा था।

फिर वे दोनों आपस में कुछ बात कर रहे थीं और मेरी तरफ शरारत भरी आँखों से भी देख रही थीं। इसके साथ ही साथ वे दोनों मुस्कुरा भी रही थीं।

फिर हम सब एक साथ बाहर चाय पीने के लिए गए और तब जाना कि पूजा भी दीपिका की तरह ही खुश मिज़ाज़ लड़की है।

उसकी खुश मिजाजी से ही मेरा ज्यादा ध्यान उसके मम्मों पर था।

जब हम घर लौट आए.. तब दीपिका ने मुझे बताया- मेरी पूजा से बात हो चुकी है और पूजा भी तुमसे चुदने के लिए तैयार है। तुम कमरे में पहुँचो, मैं आती हूँ।

आज मुझे ऐसा लगा कि जैसे पहली बार किसी ने ऐसा गिफ्ट दिया हो।

जब मैं कमरे की तरफ गया तो कमरे का दरवाज़ा खुला ही था… और पूजा बिस्तर पर बैठी थी।

मैं बेधड़क अन्दर गया और उसके पास बैठ गया।
‘हाय..’

मैंने अपना हाथ उसके कन्धों पर रख दिया और उसकी कोई आपत्ति न होते देख कर मैंने अपने होंठों को पूजा के रसीले अधरों पर रख दिए.. उसने मेरे होंठों का स्वागत किया। मैं अब पूजा के होंठ चूम रहा था।

पूजा भी मेरा साथ दे रही थी और उसका हाथ मेरी पैंट के ऊपर था।

मैंने धीरे-धीरे पूजा की शर्ट के बटन एक-एक करके खोल दिए और पूजा भी अब मेरे ऊपर अपना पूरा वज़न डाल रही थी।
मैंने उसकी शर्ट को बड़े ही नाजुक अंदाज में उतारा और उसे एक कामुक अहसास देते हुए उसके बदन से अलग कर दिया।

वो दूध सी रंगत वाली मदमस्त लौन्डिया काले रंग की ब्रा में और भी मस्त लग रही थी और मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को चूमने लगा था।

तब पूजा ने खुद ही उत्तेजित होते हुए अपनी एक चूची को ब्रा से बाहर निकाला और मुझे पिलाने लगी।
अब वो भी पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और मुझे चूचुकों पर काटने के लिए उकसा रही थी।
मैंने उसके एक निप्पल को अपने होंठों में लेटे हुए अपने दांतों से जब हल्के से काटा.. तो पूछने लगी- क्या तुम्हारे मुँह में दांत नहीं है.. और ज़ोर से काटो राजा..

मैंने जब ज़ोर से काटा.. तब उसके मुँह से आवाज़ निकल गई- ‘आ आह..’

अब माहौल पूरा गरम हो चुका था और हम दोनों ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके थे।

मेरा जी अभी पूजा की चूचियाँ चूसने से नहीं भरा था और मैं अभी उसी पर लगा था।

तभी पूजा ने अपनी टाँगें खोल दीं और मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया, मैं उसकी चूत में अपनी एक ऊँगली करने लगा।

कमरे माहौल इतना गरम हो चुका था कि हमने दरवाज़े पर खड़ी दीपिका को देखा ही नहीं था।

जब थोड़ी देर बाद मेरी नज़र जब दरवाज़े पर पड़ी तब मैंने देखा कि दीपिका भी नंगी खड़ी है और हमें देखते हुए पूजा के वाइब्रेटर से अपनी चूत को शांत कर रही है।

यह नज़ारा देख कर मुझे कुछ हो गया और मैं अब पूजा की चूत चाटने लगा।

अब दीपिका भी कमरे के अन्दर आई और बिस्तर पर हमारे पास ही टाँगें फैला कर बैठ गई, उसकी टाँगों के बीच में ठीक चूत के ऊपर वाइब्रेटर चल रहा था और वो अपने दूसरे हाथ से मेरा लंड खींच रही थी।

मेरी ऊँगली के लगातार चलने से अभी भी पूजा के मुँह से ज़ोर की मादक सीत्कार निकल रही थी।

वो अपनी कमर को बड़ी तेजी से ऊपर-नीचे कर रही थी और बोल रही थी।

‘आह्ह.. अब रहा नहीं जाता.. तू अपना अन्दर डाल दे।’

मैंने ऊँगली को हटा कर अपना लण्ड पूजा की चूत के मुंहाने पर टिका कर एक ही झटके में अन्दर पेल दिया। उसकी एक ‘आह’ एक साथ ही मेरा लवड़ा चूत की गहराइयों में खो गया और मैंने चूत में झटके देना शुरू कर दिया।

अब सारा कमरा पूजा और दीपिका की ‘आह-आह’ की आवाजों से भर गया था।

थोड़ी देर में पूजा ने मुझसे कहा- मुझे ऊपर आने दो..

तो मैं लौड़े को उसकी चूत में फंसाए हुए ही बिस्तर पर पलट गया और अब पूजा मेरे ऊपर चढ़ कर ऊपर-नीचे होने लगी।

तभी दीपिका ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दिया और चूत चटवाने लगी।

मैं भी दीपिका की चूत का रस पीते हुए उसकी चूत चाटने लगा। मेरे चूत चाटने के थोड़ी देर में दीपिका की चूत से पानी निकल गया और वो अपने मुँह से एक लंबे ‘आअह्ह्ह..’ की आवाज़ निकाल कर मेरी छाती से नीचे उतर गई और वहीं पर मेरे बाजू में लेट गई।

पूजा अभी भी चल रही थी और हमने फिर से अपना आसन बदल लिया, अब पूजा घोड़ी बनी हुई थी और मैं उसे पीछे से झटके मार रहा था और साथ ही साथ मैंने उसके बालों को किसी घोड़ी की लगाम की तरह अपने हाथों से पकड़ रखा था।

पूजा अब मुझे ज़ोर से चोदने के लिए बोल रही थी, वो ज़ोर-ज़ोर से बोल रही थी- मुझे चोद दो.. मेरे राजा.. आह..

यह सुनते ही मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और साथ ही साथ अब मेरे लंड में तनाव भी बढ़ रहा था।

तभी पूजा बोली- अहह.. अब मेरा होने वाला है..
इसी के साथ उसके मुँह से एक लंबी ‘आअह्ह्ह..’ की आवाज़ निकली और वो झड़ गई।

अब मेरा भी निकलने वाला ही था.. मैंने अपना लंड बाहर निकाला और हिलाने लगा।

तभी पूजा और दीपिका दोनों मेरे नीचे अपना मुँह खोल कर लेट गईं। मुझे उनका इशारा समझ आ गया। मैंने उन दोनों के मुँह में अपना पानी गिरा दिया और वो दोनों मेरा पानी पी गईं।

उनके साथ इस चुदाई में मुझे अपने जीवन का वो सुख मिल गया था जो मैंने सिर्फ सपनों में देखा था कि कभी एक ही बिस्तर पर दो दो लौंडियों को एक साथ अपने लौड़े का पानी पिलाना है।

अगले दो दिनों तक मैंने पूजा और दीपिका के साथ कई बार चुदाई की.. और अपने अनुभवों को आपके सामने लिख दिया है।

दोस्तो, यह थी मेरी कहानी.. जिसमें दीपिका तो बनी मेरे लौड़े की प्रेमिका और साथ ही साथ पूजा की चूत की पूजा करने का मौका भी मिला।
दोस्तो, अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो मुझे ईमेल ज़रूर कीजिएगा।
धन्यवाद।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top