पाँच लड़कियों ने मिलकर मुझे चोदा -5

(Panch Ladkiyon Ne Milkar Mujhe Choda-5)

This story is part of a series:

मैं बिना सिकदा को देखे केवल धक्के पे धक्के पेले पड़ा था। पर जब मेरी नजर सिकदा पर पड़ी तो उसका जिस्म अकड़ने लगा और फिर ढीला पड़ गया, जिसका मतलब ये था कि सिकदा अपने चरम को पा चुकी थी और झर चुकी थी, और उसकी बुर का फैलाव भी कम हो रहा था।
दो चार धक्के के बाद में भी बुर के अन्दर ही झर गया था और पस्त होकर सिकदा के ऊपर गिर गया।
मैं बहुत थक गया था इसलिये मैं सिकदा से लिपट गया और मुझे कब नींद आ गई मुझे इसका पता नहीं चला।

लेकिन जब मेरी नींद खुली तो पाँचो लड़कियाँ कमरे की फर्श साफ कर रही थी और उनमें से चार सिकदा से मजे ले रही थी, खास बात यह थी कि पाँचो लड़कियाँ नंगी ही थी और मैं तो पहले से ही मादर जात नंगा था।

दो लड़कियाँ सिकदा और प्रियंका चुद चुकी थी और दोनों लड़कियाँ अपनी चुदाई का दास्तान बड़े ही मजे से सुना रही थी।
सिकदा ने तो मुझे चुन-चुन कर गालियाँ दी, बोली- भोसड़ी के ने मेरी बुर की तो ऐसी चुदाई की है कि अभी तक दर्द हो रहा है। न तो उठा जा रहा है और न ही बैठा जा रहा है। और खून तो देखो कितना निकाला है।

सिकदा ठीक मेरी नजर के सामने थी, उसकी बुर फैली हुई थी।

खैर मैं अर्ध करवट लिये हुए उन सबकी हरकत के साथ बात भी सुन रहा था, तभी नादिरा बोली- देखो तो साले का लंड सोते हुए भी खड़ा है और हम सबकी बुर को सूंघ रहा है।
तभी रजिया बोली- जिस तरह से इसने सिकदा की बुर फाड़ी है, मेरी तो अभी से गाण्ड फट रही है।
तभी सिकदा ने कहा- अरे जानेमन, हम लड़कियों की गाण्ड और बुर दोनों ही पहले से फटी होती है और इस लंड के लिये ही फटी होती है तो क्या डरना?

सोनम- यार, यह अभी सो रहा है और हम सब की बुर में जलन हो रही है। चलो एक काम करते है कि एक दूसरी की बुर चाट कर पहले जलन मिटाते हैं फिर रात में बची तीन बुरों का शील भंग यह करेगा।

प्रियंका और रजिया 69 की अवस्था में आकर एक दूसरी की बुर चाटने लगी। इधर नादिरा और सोनम ने भी 69 का पोज बना लिया। सिकदा उन सबसे एक कदम आगे, मेरे पलंग पर आ गई और मेरे से चिपक कर लेट गई और अपनी एक टांग से मुझे क्रास कर लिया। और अपनी उंगली से मेरी छाती के कभी बालों को सहलाती तो कभी मेरे निपल को चिकोटती।

मुझे मीठी टीस सी उठ रही थी और बर्दाश्त भी नहीं हो रहा था, मेरा भी हाथ अपने आप उसकी बुर की पुत्तियों को मसलने लगा।
सिकदा मेरे कान को दाँत से चबाने लगी, मैं उसकी ओर घूम गया और होंठो को चूसने लगा और उसकी गाण्ड में उँगली करने लगा।
मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं उठा और उसके पैरों को फैला कर लंड को उसकी बुर में पेल दिया और उसको कस कर चोदने लगा। सिकदा के मुँह से मदक आवाज निकल रही थी, मैं उसे चोदे जा रहा था और उसकी मादक आवाज निकलती जा रही थी।

मैं अपने चरम था ही कि मेरे चूतड़ में तड़ाक की आवाज आई, मैं बिलबिला उठा और मेरा माल सिकदा के पूरे जिस्म पर फैल गया, कुछ उसकी पलकों में तो कुछ उसकी चूची पर।
मैंने अपनी गाण्ड सहलाते हुए पीछे की तरफ देखा तो सोनम मुँह बनाती हुई बोली- क्यों बे चूतिये, सिकदा की चूत ज्यादा ही पसन्द आ गई है जो उसी को चोदे जा रहा है और एक हम लोग हैं कि एक दूसरी की बुर चाट कर अपनी आग बुझा रही हैं।

‘नहीं यार, बुर तो सबकी बड़ी चकाचक लग रही है, लेकिन सिकदा मेरे बगल में लेट कर मेरे जिस्म की आग को भड़का रही थी और मुझे ताव आ गया तो मैंने इस साली को चोद दिया। और ये इतना गुस्सा अच्छा नहीं कि मार कर मेरी गाण्ड सूजा दो?’

मेरा इतन कहना था कि सोनम मेरे हथेली को हटा कर बड़े ही प्यार से गाण्ड को चूमने लगी और बाकी लड़िकयाँ सिकदा के ऊपर गिरे हुए मेरे माल को चाट रही थी।
तभी रजिया सिकदा को छोड़ कर मेरे लंड को चूसते हुए बोली- हम सबमें तो लकी सिकदा है जो दो बार चुद चुकी है और एक हम है कि केवल इसका लंड ही मुँह में डाल कर मजा ले रहे हैं।
बहुत ही प्यार से रजिया लंड को चूस रही थी, 2 मिनट बीते ही थे कि मेरे लंड में फिर से जान आ गई और रजिया के चूसने से उसमें कड़ापन आता जा रहा था।

तभी मेरे दिमाग में एक युक्ति आई, मैंने रजिया, सोनम और नादिरा को बोला- देखो मेरा लंड फिर खड़ा हो गया है, अब कौन इसके मजा लेगी?
रजिया बोली- अरे वाह, मैं तब से तुम्हारे लंड को चूस कर खड़ा कर रही हूँ और तुम सबसे पूछ रहे हो कि कौन आयेगी, मैं ही अब इसको लूंगी।

रजिया की बात सुनकर सोनम और नादिरा उससे लड़ने लगी, तभी मैं बीच में बोल पड़ा की लड़ने का कोई फायदा नही, क्योंकि लड़ने में किसी को मिलेगा नहीं और दोस्ती भी अलग से जायेगी, अगर मेरी बात मानोगे तो तुम तीनों को एक साथ मजा दूंगा।
‘कैसे?’ सभी पाँचों की एक साथ आवाज आई।

मैंने कहा- देखो, अभी सिकदा मेरे लंड का मजा ले चुकी है, और दुबारा रजिया ने इसे चूसकर खड़ा कर दिया है, इससे हक तो रजिया का बनता है, लेकिन अब मैं सिर्फ रजिया को चोदता हूँ तो अगले दो घंटे तक सोनम और नादिरा को इंतजार करना पड़ेगा।
मेरे इतना बोलते ही वे फिर से बक-बक करने लगी, मैंने उन्हे शांत करते हुए कहा- अरे मुझे तो सुनो, मैं अभी रजिया, नादिरा और सोनम की सील एक साथ तोड़ता हूँ और चुदने लायक बना देता हूं और उसके बाद पूरी रात हम सब मिलकर मजा लेंगे।

तीनों तो पहले ननुकुर करने लगी लेकिन फिर बात मान गई और तीनों आस-पास लेट गई।
प्रियंका और सिकदा ने तीनों के कमर के नीचे मोटा तकिया लगा दिया और तीनों की बुर को अच्छी तरह से क्रीम लगा कर चिकना कर दिया।
सिकदा और प्रियंका ने सोनम और नादिरा की आँखों में पट्टी बांध दी।
अब मेरी बारी थी, सबसे पहले रजिया के बुर में मैंने लंड को सेट किया और एक तेज झटका दिया, कच्च की आवाज के साथ आधा लौड़ा बुर को फाड़ते हुए घुस चुका था।
रजिया चीख पड़ी, लेकिन सिकदा और प्रियंका ने उसके हाथ और पैरों को पकड़ लिया और मैं उसकी चूची को चूसने लगा।

‘क्या हुआ?’ तभी सोनम और नादिरा की आवाज आई।
मेरा ध्यान तो केवल रजिया पर था, जब उसने अपने को कुछ ढीला छोड़ा तो मैंने लंड को धीरे से बाहर निकाला और एक तेज झटके के साथ फिर से बुर में पेवस्त कर दिया, रजिया की बुर को फाड़ते हुए मेरा लंड अन्तिम छोर तक घुस चुका था।

रजिया दर्द से बेहाल थी, पर सिकदा और प्रियंका से अपने आप को छुड़ा नहीं पाई।
सिकदा उसकी चूची को चूस रही थी जबकि प्रियंका उसकी जांघों को सहला रही थी और मैं अपने थूक से उसकी नाभि को गीला कर रहा था।
कुछ ही देर बाद रजिया ने अपनी कमर को उचकाना शुरू किया, मतलब उसने दर्द पर काबू पा लिया था। अब उसकी बुर को ढीला करना था इसलिये मैंने लंड को बाहर निकाला और धक्के देना शुरू किया।

चार पांच धक्के के बाद मैंने प्रियंका और सिकदा को इशार किया, वो दोनों तुरन्त ही नादिरा के पास पहुँच गई और उसके हाथ और पैर को पकड़ लिया।

अब मैं अपने खून से सने हुए लंड को नादिरा के बुर में डालने की तैयारी कर रहा था।
नादिरा की बुर सबसे अलग थी, उसकी बुर कुछ ज्यादा ही पाव रोटी की तरह फूली हुई थी। मेरा हाथ बरबस ही उसकी बुर को सहलाने लगा, जिससे नादिरा कसमसा उठी, उसके कसमासाने से उसकी बुर का मुहाना बार-बार खुल बंद हो रहा था।

तभी मेरी गाण्ड में उँगली करते हुए सिकदा ने लंड डालने का इशारा किया।
मैंने भी आव देखा न ताव, तुरन्त ही नादिरा के बुर को निशाना बनाया और वही तेज झटके के साथ लंड को उसकी गुफा में पेवस्त कर दिया और दूसरी बार में तो पूरी ही गुफा में ही लंड महराज घुस गये थे।
जिस समय मैं नादिरा की सील तोड़ने में व्यस्त था, उसी समय प्रियंका सोनम के पास गई और अपनी एक उंगली में तेल लेकर सोनम की बुर के अन्दर अपनी उंगली को अन्दर बाहर करने लगी।
जब तक मैं आठ-दस धक्के नादिरा को लगाता उतने देर में प्रियंका ने अपनी दो उँगली उसकी बुर में डाल दी।

जब मैं सोनम के लिये सोनम के पास पहुँचा तो देखा सोनम की बुर सबसे प्यारी और छोटी थी और सोनम ने जो कुछ किया वो उसकी बुर को फैलाने के लिये किया ताकि बुर में जब लंड जाये तो उसे बहुत ज्यादा तकलीफ न हो।
सोनम को चोदने से पहले मैं उसकी बुर को सूंघने लगा, क्या मस्त महक आ रही थी, मुझे समझ में आ गया था कि दोनों की चीख सुन कर अपनी उत्तेजना को काबू नहीं कर पाई और प्रियंका के द्वारा बुर में उंगली किये जाने से उसने पानी छोड़ दिया।

तभी प्रियंका बोली- इसकी बुर बहुत ही छोटी और मुलायम है, जरा धीरे से इसकी सील को तोड़ना!
लेकिन मेरा भी माल कभी भी छुट सकता था, लेकिन सोनम के लिये मुझे अपने दिमाग पर काबू रखना था, ताकि मैं झर न जाऊँ।
मैं अपने लंड से उसके मुहाने को सहला रहा था, उसकी बुर तो उन दोनों की बुर से ज्यादा धधक रही थी, लेकिन मैंने उसकी बुर को लंड से सहलना जारी रखा और जैसे ही उसके बुर का इशारा मिला, मैंने तेज झटका देना ही उचित समझा और तेज झटका दिया भी, लेकिन मेरा लंड का अग्र भाग ही उसकी बुर के जा पाया कि सोनम चिल्लाने लगी।

यह तो तुरन्त ही सिकदा ने उसके होंठों को दबा लिया नहीं तो पूरा मोहल्ला जमा हो जाता और मेरी गांड की धुलाई भी बहुत होती।

तभी रजिया और नदिरा बोली- यह मादरचोद लंड को बुर में झटके से डालता है, जिससे हमारी जान निकल जाती है।
इन दोनों का इतना कहना ही था कि प्रियंका बोली- अगर यह सील झटके से नहीं तोड़ेगा तो हम लोगों की गरमी से ही यह झर जायेगा।
सिकदा ने मुझसे कहा- यार इसको धीरे से चोदो।
मुझे भी लगा और मैं सोनम को बहुत ही धीरे-धीरे उसे चोदने लगा, आज से पहले मैंने किसी लड़की की सील इतने प्यार और धीरे से नहीं तोड़ी, खैर किसी तरह उसकी भी सील टूट गई और अब मैं तीनों को मेरा माल निकलने तक बारी-बारी चोद रहा था।

सबसे पहले सोनम झर गई और बाकी दोनों में ही रजिया ऐसी थी कि जिसने मेरा अन्त तक साथ दिया और मेरा माल भी उसकी ऊपर गिरा।
सबकी सील तोड़ने के बाद मैं बाथरूम में गया जहाँ पर सिकदा, प्रियंका, रजिया, सोनम और नादिरा ने मेरे लंड को बहुत ही प्यार से साफ किया।
फिर हम सब नहाकर के बाहर आराम करने लगे।

नादिरा ने टी-शर्ट और लोवर पहना और मुझे मेरे कपड़े देते हुए मुझे मार्केट चलने के लिये बोली।
हम दोनों तैयार होकर मार्केट के लिये चल दिये। चूंकि नादिरा ने नीचे इनर वियर नहीं पहना था तो उसकी चूची खूब उछल कूद मचा रही थी, और लोगों के लिये आकर्षण का केन्द्र बनी हुई थी।

हम लोग एक रेस्तराँ में पहुँचे और छ: लोगों के लिये खाने पैक का आर्डर दिया, उसके बाद वो मुझे एक वाइन शॉप पर ले गई और पैसे पकड़ाते हुए बोली कि मैं अपने लिये एक बोतल वाइन ले लूँ।
मैंने उससे कहा कि मैं अकेला वाइन नहीं पियूँगा अगर तुम लोग भी लो तो मैं खरीदूं।
थोड़ी देर नानुकुर करने के बाद हमारी सहमति बियर एक साथ बैठ कर पीने की बनी। फिर मैंने 6 बोतल बियर की ली और हम लोग वापस रूम में आ गये।

हम सबने मिलकर बियर पी और खाना खाया और टहलने के लिये छत पर चल दिये और बातों ही बातों में कब एक दो घंटे निकल गये पता ही नहीं चला।
इतनी देर में न तो मैं किसी से चिपका और न ही कोई मुझसे चिपका।

जब हम लोग नीचे आये तो पांचों ने तुरन्त ही अपने कपड़े उतार दिये और मुझे पकड़ कर मेरे भी कपड़े उतार दिये और मुझे पलंग पर पटक कर एक के बाद एक लोग मेरे मुँह में आकर बैठते और अपनी बुर को रगड़ती और दूसरी मेरे लौड़े को चूसती।
रजिया ने तो हद कर दी, उसने मेरी फैली हुई टांगों को इस तरह उठाया कि मेरी गाण्ड और लंड सब उसकी रेंज में थे, कभी वो मेरे लंड को चूसती, कभी गोलों को मुँह में भरती तो कभी मेरी गाण्ड चाटती, उसकी इस हरकत से मेरे लंड में तनाव बढ़ता ही जा रहा था और मेरे मुँह से हुँ-ह्म की ही आवाज आ रही थी।

रजिया ने मुझे मदहोश बना दिया था और मेरा माल कब मेरे लंड से छूटने लगा, मुझे पता ही नहीं चला और मेरा लंड मुरझा गया।
हाँ एक बात थी रजिया और बाकी लड़कियों ने मेरे लंड को चाट-चाट कर साफ कर दिया था।
मुझे कमजोरी सी भी लग रही थी लेकिन मुझे कोई छोड़ने को तैयार नहीं था और जब तक मेरा लंड फिर से खड़ा न हो गया, तब तक वो सभी मेरे से चिपकी रही, कोई मेरी नाभि को चाटती तो कोई मेरे लौड़े को चूसती तो कोई मेरे निप्पल को कचोटती या फिर दाँतों से काटती।

कहने के मतलब मैं पाँचों के बीच असहाय सा था और मेरा देह शोषण हो रहा था और मैं अपना देह शोषण करवा रहा था, जब तक पाँचों लड़कियों ने मुझसे चुद कर अपनी बुर की प्यास को शांत नहीं करवा लिया तब तक उन्होंने मुझे छोड़ा नहीं और पाँच सात दिन तक हम लोग कपड़े तभी पहनते थे जब कहीं बाहर जाना होता था।

पाँचों ने जम कर अपनी चूत चुदवाई और मैं जम कर उनकी चूत चोदता रहा।

दोस्तों मैं यहाँ पर कुछ आप लोगो से भी कहना चाहता हूँ।
आप लोग मुझे मेरी कहानी के बारे में मुझे सीधे मेरे मेल पर बता सकते हैं। साधारण रूप से किसी चुदम चुदाई में वही तरीके होते हैं, जैसे हम और आप करते हैं, लेकिन कहानी को रोचक बनाने के लिये इसमें कुछ अपनी सोच भी डालनी पड़ती है। तो अब आप लोग मुझे सुझाव दें कि कहानी में ऐसा और क्या किया जा सकता है जो मेरे और मेरे साथ उस महिला कि चुदाई का आनन्द आप लोग उठा सकें। कहने का मतलब कहानी को और कितने उत्तेजनात्मक और गंदे तरीके से लिखा जा सकता है।
आपके मेल का मुझे इंतजार रहेगा।
धन्यवाद
तो दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी? मुझे नीचे दिये ई-मेल पर अपनी प्रतिक्रिया भेजें।
आपका अपना शरद
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